सुबह- सुबह हडसन नदी के किनारे टहल कर रॉकी जो ताज़े मुलायम घोंघे एक खुशबूदार पत्ते में रख कर लाया था उन्हें ऐश को देते हुए बोला - क्या बात है? तुम सुबह - सुबह इतनी खोई - खोई उदास सी क्यों लग रही हो?
- रॉकी, मैं कुछ सोच रही हूं।
- जो कुछ सोचा है वो झटपट मुझे बता दे। केवल सोचते रहने से बातें फलित नहीं होती हैं!
- वाह! आज तो सुबह- सुबह बड़ा दर्शन झाड़ रहा है, किससे मिलकर आया है?
- किससे मिलूंगा? मेरा है ही कौन।
- क्यों, आज कैटी नहीं मिली क्या? मैं तो सोच रही थी कि तू उसी से मिलने गया है।
- उससे मिल कर भी क्या होगा, वो तो मेरी ओर देखती तक नहीं है। जब देखो तब किसी न किसी अपार्टमेंट में दूध ढूंढने के लिए घूमती रहती है।
- धीरज रख रॉकी। उसके पीछे- पीछे घूमा कर। पेट भरने के बाद ज़रूर वो तुझसे बात करेगी। प्रेम का बुखार हमेशा पेट भरने के बाद ही चढ़ता है... ऐश ने कहा।
- लेकिन तब तक मेरा बुखार तो उतर जाता है। रॉकी ने मायूसी से कहा।
- तू ठीक कह रहा है रे। ये सचमुच बुखार ही है, ये प्यार नहीं है। सुन रॉकी, मैं तो सोचती हूं कि हम लोगों को जीवन में कुछ बड़ा काम करना चाहिए। ऐश बोली।
- किया तो था, और कितना बड़ा काम करेगी? तेरे कहने से ही हमने बिजनेस किया। इतना धन कमाया। फिर तू ही कहने लगी कि धन कमाना कोई बड़ा काम नहीं है। सब जमा - जमाया कारोबार चौपट कर दिया। रॉकी ने उलाहना देते हुए कहा।
ऐश उसकी बात सुन कर कुछ सोच में पड़ गई। फिर बोली - सुन रॉकी, मेरा मन कहता है कि जीवन केवल एक बार मिलता है। इसमें कुछ तो ऐसा करना ही चाहिए जिसे दुनिया हमारे मरने के बाद भी याद रखे।
- तभी तो मैं कहता हूं कि मुझसे शादी कर ले। मैं तेरे पेट में अंडे डाल दूंगा। हमारे खूब सारे बच्चे होंगे। फिर जब हम नहीं रहेंगे तब हमारे बच्चों को देख कर दुनिया हमें याद करेगी। रॉकी मुस्कुराते हुए बोला।
ऐश उसकी बात सुन कर बिदक गई। बोली - जा जा, आया बड़ा अंडे डालने वाला। कैटी को तो दूर से देख कर ही तेरा बुखार उतर जाता है, मेरे पेट में खूब सारे बच्चे डालेगा!
रॉकी झेंप गया।
- सुन, मज़ाक छोड़। मैं क्या कहती हूं कि हमारे मम्मी- पापा हजारों मील दूर से उड़ कर यहां आए थे। हमें भी तो ऐसा कुछ करना चाहिए। कितना परिश्रम किया था उन्होंने? सोच!
ऐश की बात सुनकर रॉकी बोला - फिर वही बात! अरे हज़ारों मील दूर उड़ कर भी उन्होंने किया क्या? वही तो किया जो मैं कह रहा हूं। चल हम यहीं कर लें। इसके लिए इधर - उधर भटकने की क्या ज़रूरत है?
- चुप! बस हमेशा एक ही बात सोचता रहता है। मैं ये नहीं कह रही कि हम हज़ारों मील दूर जाकर बच्चे पैदा करके आ जाएं। मैं तो ये कह रही हूं कि हम दोनों भी मम्मी- पापा की तरह कहीं दूर गगन की छांव में चलते हैं। पर हम एक साथ न जाकर अलग- अलग दिशाओं में जायेंगे और पूरी दुनिया घूम कर ये तलाश करेंगे कि "प्यार" किसे कहते हैं? हम पूरे एक साल बाद वापस यहीं लौट कर आ जायेंगे और इस सवाल का माकूल जवाब भी ढूंढ लायेंगे! ऐश ने गर्व से कहा।
रॉकी उबासी लेता हुआ बोला - साफ़- साफ़ क्यों नहीं कहती कि तुझे मुझसे दूर जाना है।
- नहीं - नहीं, मुझे गलत मत समझ रॉकी, मुझे ये पता लगाना है कि प्यार क्या है? सच में, मैं प्यार को खोजना चाहती हूं। और तू देखना, मैं एक दिन ज़रूर उसे खोज कर रहूंगी, तू बस मेरा साथ दे। ऐश की आंखों में चमक आ गई।
- जैसी तेरी मर्ज़ी। पर अच्छी तरह सोच ले, बाद में पछताना मत। रॉकी बोला।
- ऐसे क्यों बोल रहा है, क्या तू वापस लौट कर नहीं आयेगा? ऐश ने कुछ शंका से कहा।
- आऊंगा क्यों नहीं? तेरे सिवा और कहां जाऊंगा।
- फिर पछताने की बात क्यों कर रहा है? क्यों पछताऊंगी मैं?
- क्योंकि तब तक मैं बूढ़ा हो जाऊंगा। फिर मत कहना कि अंडा डाल, अंडा डाल।
- चल शैतान, शरारती कहीं का! ऐश ने आंखें तरेरते हुए कहा।
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