रॉकी एक पल के लिए चकराया लेकिन तुरंत ही संभल कर बोला - अच्छा, क्या तुम्हारी दुनिया में भी "ऐश" नाम होता है? अदभुत! बहुत प्यारा नाम है। तुम्हारी पसंद तो कमाल की होगी ही। दाद देनी पड़ेगी तुम्हारी चाहत की!
- रॉकी, गलत मत समझो, मैं उसी ऐश से शादी कर रहा हूं जो तुम्हारे साथ तुम्हारे ही मोहल्ले में रहती है। उसने बताया नहीं तुम्हें?
अब रॉकी को सचमुच चक्कर आया। वह गिरता- गिरता बचा। फिर लड़खड़ा कर संभलता हुआ बोला - लेकिन उसकी और तुम्हारी कैसे निभेगी? वो परिंदा और तुम चौपाए!
- ये सब पुरानी दकियानूसी बातें भूल जाओ। अब नस्ल, जाति, धर्म, रंग, संप्रदाय आदि की बातें करना घटिया सोच है। अब तो प्यार, दोस्ती, समझ, दुनिया को आगे बढ़ाने की इच्छा ही सब कुछ है। देखते नहीं, दुनिया में तमाम झगड़े - टंटे, विवाद, खून- खराबा सब इसीलिए होता है कि हम हर बात में "अपना -पराया" करते हैं, संकीर्ण गुटों में बंटे रहते हैं, तेरा- मेरा के लिए जीते हैं। सोचो, जब दुनिया बनी थी, हम- तुम बने थे तब क्या सबके ये जाति, धर्म, रंग या नस्ल बताए गए थे? सब ही तो किसी न किसी के प्यार की निशानियां हैं। नफ़रत और भेद कहां से आ गए?
- लेकिन...
- लेकिन वेकिन कुछ नहीं, हम सब ही इसलिए बने हैं कि किसी ने किसी से प्यार किया। जिस्म को इस बात का अहसास नहीं होता कि उससे टकराने वाला दूसरा जिस्म किस जाति, धर्म, रंग या नस्ल का है।
सोचो, क्या तुमने दुनिया नहीं देखी? कभी किसी शेर ने किसी चीते से प्यार कर लिया होगा तो बाघ जन्मा होगा। कभी किसी पानी पीने आए हाथी ने थोड़ी देर के लिए दरिया की किसी व्हेल को चाह लिया होगा तो दुनिया में दरियाई घोड़ा आया होगा। किसी चापलूस भेड़िए ने किसी भालू के साथ कोई डरावनी रात बिता ली होगी तो लकड़बग्घा जहां में आया होगा। कभी कोई बघेरा किसी ऊंट से इश्क कर बैठा होगा तो जिराफ़ दिखने लगे। भरे पेट घूमते हुए किसी चीते ने गधे या घोड़े को खाने की जगह उससे प्रेम कर लिया होगा तभी न ज़ेबरा दिखाई देता है। कोई बंदर किसी हिरण से दिल लगा बैठा होगा तो कंगारू...
- हा हा हा, रॉकी ज़ोर से हंसा। लेकिन महाशय, प्रेमियों के तन- बदन का मेलमिलाप हो पाने की भी तो कोई सूरत बने? इंसान तो जाति धर्म ही नहीं, जन्मकुंडली तक मिलाते हैं।
- तभी तो दुनिया के दिनोंदिन खराब होते चले जाने का रोना भी तो इंसान ही रोते हैं। काला गोरे से मिले, लंबा छोटे से मिले, कमज़ोर बलवान से मिले, तभी तो नई - नई नस्लें, नई - नई प्रजातियां पनपेंगी। नई उमर की नई फसल! डायनासोर अपने बड़प्पन में अकेला रह कर ही तो मारा गया! और दूर क्यों जाना। आज घर- घर में हमारी हज़ारों प्रजातियां देखते हो न, क्या इसमें इंसान का हाथ नहीं है?
- हाथ?? रॉकी ने शरारत से कहा।
- कुछ भी समझ लो! पर इंसानों से हमने और हमसे इंसानों ने जम कर प्रेम किया है। हम कार, डाइनिंग टेबल और गार्डन से लेकर बिस्तर तक उनसे शेयर करते हैं।
- ज़रूर करते होगे, पर प्लीज़ मेरी ऐश की ज़िंदगी मत बिगाड़ो, मर जायेगी वो!
- अरे जाओ- जाओ, तुम क्या जानो कि हमारा प्यार कितना पुराना है? ये प्रस्ताव भी उसी का तो है कि हम शादी करेंगे। कुत्ते ने कहा।
- यार उस पर तो पागलपन सवार है, वो कहती है कि हम दुनिया में नई नस्लें पैदा करेंगे, पुरानी मैली हो गईं। उनके विचार जड़ हो गए। सड़ गए। रॉकी ने हैरान होकर कहा।
उसे अब जाकर समझ में आया था कि ऐश जब उस दिन रॉकी से विवाह की बात कर रही थी तो वो आपस में नहीं, बल्कि रॉकी की किसी और से तथा अपनी किसी और से शादी की बात कर रही थी।
रॉकी को ऐश पर गुस्सा आया। वो अपने बिजनेस के लिए इतनी दीवानी हो गई है कि हमेशा नई- नई नस्ल के जीव - जंतु पैदा करने की बात सोचती है। पगली कहीं की। अब क्या अपने पागलपन में हाथी को चींटी से मिलाएगी, ताकि कोई नया अजूबा पैदा हो?क्रॉस- ब्रीड, क्रॉस- ब्रीड करके दुनिया को अजूबा बनाने का जुनून सवार है उस पर।
रॉकी क्रोध से थरथराने लगा। वो गुस्से में ये भी भूल गया कि उसे डॉगी को शादी तय होने की मुबारकबाद तो देनी चाहिए थी। वह तो ऐश से मिलने के लिए उतावला हो गया था।