ऐश से विवाह की बात सुन कर रॉकी के मानो अच्छे दिन आ गए। वह हर समय एक उन्माद की खुमारी में खोया रहता। उसे घास और भी हरी नज़र आती, पानी और भी नीला।
जबसे उसने बूढ़े नाविक का दिया हुआ इंसानी दिमाग खाया था तब से उसकी मानो दुनिया ही बदल गई थी। उसके लिए ज़िंदगी के अर्थ नए हो गए थे।
सांस तो वो पहले भी लेता ही था मगर अब उसके जिगर से खुशबूदार हवा में घुली उम्मीदें निकलती थीं। वह भूल जाता था कि वह कोई राजकुमार नहीं बल्कि बचपन में अनाथों की तरह पला- बढ़ा एक परिंदा है।
लेकिन क्या किया जाए? कुदरत ने किसी के कुछ सोचने पर तो कोई पाबंदी नहीं लगाई। फिर उसने तो इंसान का मस्तिष्क खाया था। उसकी कल्पना के घोड़े को लगाम भला कौन लगाता?
उसने आंखें बंद कर लीं और न जाने कहां खो गया। उसने देखा कि सामने बर्फ़ के एक ऊंचे पहाड़ पर सुनहरे पंख फैलाए ऐश खड़ी है। दूसरी ओर नीले दरिया के जामुनी तल में सब्ज़ पत्तों के बीच सिमटा हुआ वो खुद बैठा है। सूर्य की किरणों की हल्की सी थपकी और सुगंधित हवाओं के झंझावात ऐश को धीरे- धीरे प्रेमपर्वत से नीचे ला रहे हैं। इधर उद्दाम लहरों की थिरकती जलतरंग खुद अपने नर्तन की ताल पर रॉकी को ऊपर लिए चली जा रही है। दुनिया सज रही है, फिज़ाएं बज रही हैं...
तभी हड़बड़ा कर रॉकी ने आंखें खोली और एक बादामी रंग के शैतान से डॉगी को अपने पर झपटते पाया। वह झाड़ी की ओर भागा। कुत्ता कुछ दूर तक उसके पीछे - पीछे आया फिर रॉकी को झाड़ी में छिपा देख कर वहीं बैठ गया। वह उसी दिशा में ताक रहा था मानो रॉकी के बाहर निकलने का इंतजार ही कर रहा हो। भीतर झाड़ियों के झुरमुट से झांकते रॉकी की सांस फूल गई थी।
ओह, अगर थोड़ी देर और हुई होती तो ये बदमाश उस पर हमला कर बैठता। हो सकता है अपने पंजों से झिंझोड़ कर उसके पंखों को नोंच डालता। उसकी गर्दन ही ज़ख्मी कर देता, कुछ भी हो सकता था। अगर ऐसा कुछ हो जाता तो रॉकी अपने विवाह के दिन कितना बदसूरत दिखता। चमकदार फैले पंखों के बिना भला उसकी कोई शोभा बन पाती? उसकी प्रेमिका को भी कितनी शर्मिंदगी उठानी पड़ती!
लेकिन रॉकी को ये समझ में नहीं आया कि इस कुत्ते ने उस पर हमला किया क्यों? क्या वह भूखा था? अगर भूखा था तो बात और भी खतरनाक थी। रॉकी की आंखों में आंसू आ गए।
लेकिन तभी रॉकी को ख्याल आया कि वह तो पानी में तैर भी सकता है। इतना ही नहीं, बल्कि वह किसी छोटी- मोटी इमारत की ऊंचाई तक तो उड़ भी सकता है। ये कुत्ता उसे छू भी नहीं सकता। वह इससे क्यों डरे? रॉकी ने अपने गले को खखार कर एक भद्दी सी आवाज़ निकाली और तीर की तरह निकल कर बहते पानी में कूद पड़ा।
रॉकी को जाते देख कर कुत्ता कुछ जल्दी- जल्दी दौड़ता हुआ उसके पीछे- पीछे आया पर पानी के किनारे ठिठक कर खड़ा हो गया। रॉकी ने उसे चिढ़ाते हुए एक बार अपनी गर्दन मोड़ कर पानी में भिगोई और फिर कुत्ते की ओर देखता हुआ मुस्कुराने लगा।
कुत्ता बोला - कहां जा रहे हो दोस्त? मैं तो तुम्हारे साथ खेलने आया था।
- अच्छा, अगर खेलने आए थे तो फिर तुमने मुझ पर हमला क्यों किया? वो तो अच्छा हुआ कि मैंने आंखें खोल कर देख लिया, वरना तुम तो मुझे मार ही डालते। रॉकी बोला।
- छी छी छी, कैसी बातें कर रहे हो? तुम बिलकुल गलत सोच रहे हो मित्र, मैं तो तुम्हें आंखें बंद कर अकेले बैठे देख कर प्यार से ज़रा डराने की कोशिश कर रहा था, चौंकाने के लिए। कुत्ते ने सफ़ाई दी।
- अच्छा! लेकिन तुम मुझे डरा क्यों रहे थे...
- क्योंकि मैं तुम्हें एक बहुत ही अच्छी ख़बर सुनाने आया था। कुत्ता बोला।
- क्या अच्छी खबर है, सुनाओ सुनाओ, कहता हुआ रॉकी पानी से बाहर निकल आया और कुत्ते के नज़दीक आकर अपने भीगे पंखों को फड़फड़ा कर सुखाने लगा।
कुत्ता बोला - मैं शादी कर रहा हूं।
रॉकी खुशी से उछल पड़ा। बोला - वाह दोस्त! ये तो बहुत बड़ी ख़बर है। कौन है तुम्हारी प्रेमिका? सचमुच वो बहुत खुशनसीब होगी।
- खुशनसीब तो मैं हूं दोस्त...
- अरे वाह! तुमतो अभी से उसके दीवाने हो गए। उसे अपने से भी ऊंचा दर्ज़ा देने लगे। बताओ तो सही कौन है वो?
- अगर मैं उसका नाम बताऊं तो क्या तुम यकीन करोगे?
- क्यों नहीं करूंगा, अपनी ख़ुद की शादी की कौन झूठी ख़बर देता है? बोलो बोलो, कौन है वो? कहां की है? क्या नाम है उसका?
- ऐश!!! डॉगी ने कहा।