हॉंटेल होन्टेड - भाग - 22 Prem Rathod द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 22

कविता अपने रूम का दरवाजा खोल कर कॉरिडर में देख रही थी कि तभी कमरे के कोने में रखे हुए कैमरे में कुछ हलचल होने लगी, अचानक उस कैमरे पर नाखूनों। के निशान बन गए थे जैसे किसी ने तेज नाखूनों से कैमरे का ऊपर का हिस्सा नोच लिया हो।

कविता ने अपने रूम का दरवाजा बंद किया और अपने कमरे में आकर बाहर की ओर जंगल का नजारा देखने लगी। इस वक्त बाहर के माहौल में एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था। होटल से कुछ दूरी पर हाईवे होने की वजह से गाड़ी और ट्रक की आवाजें सुनाई देती थी, उसने आसमान की ओर देखा तो पाया कि अंधेरे काले बादल धीरे-धीरे करके चांद को ढंकने में लगे थे, जैसे वो चांद को अपने पीछे छुपा लेना चाहते हो। कविता थोड़ी देर वहां का नजारा देखती रही फिर अपने बेड पर आ कर लेट गई।

उसने बेड पर आकर अपने कमरे की लाइट्स ऑफ की और सो गई।चांद की हल्की सी रोशनी कविता के कमरे में पढ़ रही थी, कैमरा में रिकॉर्डिंग अभी भी हो रहा था तभी कमरे के कोने में दो लाल आंखें दिखाई देती है,कविता को देखकर गुस्से से घूर रही थी, वह इतने गुस्से में थी जैसे कई सालों का गुस्सा उसने अपने अंदर दबा रखा हो और अपनी आंखों के जरिए वह उससे बयां कर रही हो। उसका बस चलता तो वह कविता को अभी ही मार डालती पर शायद वो किसी मौके का इंतजार कर रही थी।

सुबह 11:00 बज रहे थे, इस वक्त ऊंटी के सिविल हॉस्पिटल में काफी चहल पहल थी। पाटिल उन सभी लोगों के बीच में से गुजरते हुए 1 वॉर्ड की तरफ बढ़ने लगता है वहां 1-2 डॉक्टर्स के अलावा उसे कोई दिखाई नहीं देता क्योंकि इस वॉर्ड में लोगों का जाना मना था। पाटिल जल्दी में चलते हुए कमरे का दरवाजा खोल कर सीधा अंदर घुस जाता है। दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर डॉक्टर संजय पाटिल की ओर देखता है और अपना काम करते हुए कहता है 'गुड मोर्निंग मिस्टर पाटिल काफी दिनों बाद दिखाई दिए।'

डॉ. संजय की बात सुनकर पाटिल उसके जवाब में कहता है 'हां क्योंकि ऐसी मौतें रोज- रोज नहीं हुआ करती।' पाटिल की बात सुनकर संजय थोड़ा सा मुस्कुरा देता है, वह अपना मास्क हटाते हुए कहता है 'पर यह सब तो पहली बार नहीं हुआ है जो आप इतने टेंशन मैं है।' पाटिल थोड़ा सीरियस मूंह बनाते हुए कहता है '3 मौत डॉक्टर साहब और एक ने तो हमारे सामने ही दम तोड़ा कोई तो सुराग या पैटर्न होगा, जिससे हम उस कातिल तक पहुंच सके। ऐसा कैसे हो सकता है कि इतनी मौतें होने के बावजूद भी कोई भी सबूत ना मिले?'

पाटिल की बात सुनकर संजय उसकी ओर देखते हुए कहता है 'इन सभी मौतों में एक ही बात common है, जो आप अच्छी तरह से जानते हैं। उन सभी का दिल गायब था और अब भी यही हुआ है।'संजय की बात सुनकर पाटिल चौंकते हुए कहता है 'रिया का भी....!??!पर ऐसा कैसे हो सकता है? रिया तो हमारे सामने ही मरी थी तो फिर उसका दिल कैसे गायब हो सकता है?'

पाटिल की बात सुनकर संजय उसके हाथ में रिपोर्ट देते हुए कहते हैं 'उस लड़की का दिल गायब नहीं हुआ बल्कि कोई बम जैसे पूरा फट गया है,मुझे उसके शरीर के लेफ्ट साइड हार्ट के मांस के कुछ टुकड़े मिले हैं।'डॉ. संजय की बात सुनकर पाटिल सुन रह जाता है। संजय आगे बताते हुए कहता है 'और जैसा कि आपको पहले से पता होगा, वह लड़का जो पार्टी की रात मरा था उसे तो चाकू से मारा था।'

पाटिल संजय के पास आते हुए कहता है 'हां और उसे तो जयदीप ने मारा था और वही उसे घसीटकर बाहर भी ले गया था, तो जरूर उसकी बोड़ी पर जयदीप के हाथ के निशान होंगे। संजय उसकी और देख कर कहता है 'उसके शरीर पर जो फिंगरप्रिंट मुझे मिले वह जयदीप से मैच नहीं कर रहे हैं।' यह सब बातें सुनकर पाटिल का चेहरा पूरा पसीने से भीग जाता है। एसी की ठंडी हवा में भी उसे गर्मी लगने लगती है।

वह संजय की ओर देखकर कहता है 'जयदीप.....जयदीप की मौत कैसे हुई?' संजय दूसरी रिपोर्ट उठाते हुए कहता है 'जयदीप का चेहरा पूरी तरह पत्थर से कुचला गया था, जैसे किसी ने बड़े पत्थर से बार-बार उसके चेहरे पर वार किया हो और उसकी दिल के पास किसी ने अपना हाथ उसके सीने में डालकर उसका दिल खींचकर उसके शरीर से अलग कर दिया था, यह खूनी जो कोई भी है काफी ताकतवर इंसान है क्योंकि बिना किसी हथियार के इस तरह से मारना बिल्कुल पॉसिबल नहीं है।' इतना कहने के बाद संजय तीनों की रिपोर्ट पाटिल के हाथ में रख देता है।

पाटिल इस वक्त बिल्कुल चुपचाप खड़ा था क्योंकि उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा कौन कर सकता है,अभी तक उसे कोई ऐसी कड़ी नहीं मिली थी जिससे वह आगे बढ़ सकें। वह पुलिस स्टेशन जाकर पुरानी केस की सभी फाइलें खोलकर मुझे अच्छे से चेक करता है पर उसे वहां भी कुछ नहीं मिलता ऐसे ही फाइलों में खोए हुए पूरा दिन निकल जाता है।

इस तरफ होटल में अब काफी कम लोग दिखाई दे रहे थे। दिन में कभी पुलिस वालों की चहल-पहल थी।रात को खाना खाने के बाद अंकिता और मनीष राज के कमरे के पास पहुंचते हैं क्योंकि वह पूरा दिन अपने कमरे से बाहर नहीं निकला था। मनीष के 2-3 बार नॉक करने पर राज अपने कमरे से बाहर आता है। उसकी आंखें लाल भी और रोने की वजह से सूज गई थी। रिया के जाने की दुख के कारण बहुत रोया होगा यह कोई भी उसे देख कर कह सकता था।

मनीष उसकी यह हालत देखते हुए कहता है 'राज तुम ऐसे अकेले कब तक रहोगे? मैं जानता हूं कि तुम्हें रिया के जाने का बहुत दुख है,पर ऐसे कमरे में अकेले रहने से या रोने से यह दुख कम नहीं होगा बल्कि और बढ़ेगा। जब तक हम यहां है तब तक तुम हमारे साथ रहो शायद इस तरह से तुम्हारा मन जरा हल्का हो जाए।'

मनीष की बात सुनकर राज मनीष से कहता है 'कल मुझे पोस्टमार्टम रिपोर्ट और रिया की बॉडी मिल जाएगी, उसके बाद में एक पल भी यहां नहीं रूकूंगा।' राज ने अभी इतना ही कहा था कि तभी मनीष फोन बजने लगता है। वह फोन पर देखता है तो मिस्टर पाटिल का फोन था, वह आप कॉल रिसीव करता है 'हेलो मनीष आज रात को 10 बजे के बाद तुम और राज मुझे होटल के पिछले वाले जंगल की ओर मिलो मुझे जरूरी काम है।'

To be continued.......