कहानी प्यार कि - 16 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 16

अनिरूद्ध होल मे से सीधा टेरेस पर चला गया.. संजना भी उसका पीछा करती हुई टेरेस पर आ गई..

" ये क्या हो गया था मुझे.. क्यों मे खुद को रोक नहीं पाता हूं.. पता नहीं उसकी आंखो मे देखते ही क्यों भूल जाता हूं कि में अनिरूद्ध ओब्रॉय हूं .. अब ये जूठ मुझे खोखला करता जा रहा है .. संजना को सच बताने कि हिम्मत ही नहीं कर पा रहा हूं.. आज संगीत भी खत्म हो गया.. कल शादी है उसकी वो भी किसी और के साथ..! नहीं नहीं मुझे संजना को सब सच बताना ही होगा.. " अनिरूद्ध बस बोले जा रहा था बिना जाने के उसकी बात संजना सुन रही थी..
संजना ने अनिरूद्ध को इतना बेबस पहले कभी नहीं देखा था... वो भी हैरान थी .. ये सब सुनकर..

" कैसा सच अनिरूद्ध जी ..? " संजना अनिरूद्ध के सामने आती हुई बोली..

ये सुनते ही अनिरूद्ध उसकी तरफ मुड़ा .. और संजना को देखकर शॉक्ड रह गया..

" क्या सच आप मुझे बताना चाहते है ..? "

पर संजना को अचानक अपने सामने देखकर अनिरूद्ध घबरा गया था.. उसके मुंह से शब्द नहीं निकाल पा रहे थे वो बस भीगी आंखो से संजना को निहार रहा था..

" बोलिए ना क्या जूठ बोल रहे है आप और क्या बताना चाहते है मुझे...? और मना तो बिल्कुल मत कीजिएगा क्योंकि ये तो मै पहले से ही जानती हूं कि आप कोई गहरा राज छुपाए बैठे है.. आप कुछ बताते नहीं पर ये आपकी आंखे सब कुछ बोल जाती है ... " संजना थोड़ी गुस्से से बोली...

" संजना प्लीज़ मुझे माफ़ करदो.. मे एसा कभी कुछ करना नहीं चाहता था.. पर हालात कुछ एसे हुए कि मुझे करना पड़ा.. प्लीज़ आई एम् रियली सोरी " अनिरूद्ध की आंखे बहने लगी थी..

" पर आपने किया क्या है कि आप मुझसे माफ़ी मांग रहे है ? "

" तुम्हे धोका दिया है .."

" धोका ? ये क्या कह रहे है आप ..? "

" हा .. धोका दिया है तुम्हे .. तुमसे जूठ बोला है कि में अनिरूद्ध ओब्रॉय हूं .."

" क्या ? " संजना हैरान थी ये सुनकर ..

" हा ये तुम जो इतने दिन से चहेरा देख रही हो ना ये एक जूठ है.. नकाब है .. इसके पीछे वो है जो तुम्हारे सारे दुखो कि वजह है .. "

" ये क्या बोल रहे है आप .. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा .."
" एक मिनिट .. अभी तुम्हे सब कुछ समझ आ जाएगा .." अनिरूद्ध ने कहा और वो अपना मास्क हटाने लगा..
संजना को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है .. वो अनिरूद्ध को मास्क हटाते देख रही थी.. वो जानना चाहती थी कि इस मोहरे के पीछे कौन है जो उसके दुखो की वजह है !

जैसे ही अनिरूद्ध ने मास्क हटाया .. संजना कि तो जैसे पैरो तले जमीन ही खिसक गई... उसकी आंखो से आंसू बहने लगे.. अनिरूद्ध का भी कुछ यही हाल था.. आज वो संजना का अपना पहले वाला अनिरूद्ध बनकर उसके सामने खड़ा था ..

" अनिरूद्ध...तुम ..." संजना इतना बोलकर तेजी से उसके गले लग गई... और रोने लगी..

" मुझे पता था कि तुम आओगे .. जरूर आओगे.. कहा चले गए थे तुम इतने दिनों से ? "

" आई एम सोरी संजू .. मेरी वजह से तुम्हे इतना सब सहना पड़ा..."

पर संजना ने कोई जवाब नहीं दिया वो बस जी भर कर अनिरूद्ध को महसूस कर रही थी...
पर अचानक वो अनिरूद्ध से अलग हो गई..

" संजू क्या हुआ ? " अनिरूद्ध संजना का ये रिएक्शन देखकर घबरा गया..

" इतने दिनों से कहा थे तुम ? "

" संजू मे तुम्हे सब बताता हूं.."

" नहीं मुझे जानना है .. कहा थे तुम ? किस देश में किस शहर में थे तुम ? " संजना ने अनिरूद्ध की बात काटते हुए जोर से चिल्लाई..

" यही था .. इस शहर में .." अनिरूद्ध धीमे से बोला..

और ये सुनकर संजना उससे दूर जाने लगी..
" संजना प्लीज़ रुको मेरी बात तो सुनो .."

" क्या सुनने का बाकी है अब ..? तुम यहीं थे.. फिर भी एक बार मिलने भी नहीं आए .. कितने महीने हो गए.. एक बार भी मुझसे बात करने कि कोशिश भी नहीं कि ? "

" संजना ये सच नहीं है .. प्लीज़ प्लीज़ एक बार मेरी पूरी बात तो सुनो .. "

" और ये अनिरूद्ध ओब्रॉय बनकर क्या तुम मेरे साथ कोई गेम खेल रहे थे ? इतने दिनों से ये सब दिखावा कर रहे थे ? किसी के नाम का उपयोग कर के मेरे परिवार को भी बेवकूफ़ बना रहे थे ? "

" नहीं संजू .. मैंने कोई गेम नहीं खेला है कोई दिखावा नहीं किया है नाही किसी के नाम का गलत इस्तेमाल किया है .."

" ओह अच्छा .. तो ये को अनिरूद्ध ओब्रॉय खुद को बताते हुए घूम रहे थे वो क्या था..? उनके चहरे का मुखौटा लगाकर तुम ये सब कर रहे थे वो क्या ग़लत नहीं था ? "

" नहीं था क्योंकि में ही अनिरूद्ध ओब्रॉय हूं ... "

" ओह वाउ मुझे तो पता ही नहीं था.. ! मुझे तो लगा था तुम अनिरूद्ध सिन्हा हो..! "

" मे सच कह रहा हूं संजू तुम्हारी कसम ... "
ये सुनकर संजना चुप हो गई..

" मैंने तुमसे जूठ बोला था उस समय .. कि में अनिरूद्ध सिन्हा हूं .. मे तुम्हे बताने ही वाला था पर.."

" बस ! अब बस करो .. एक तो पहली मुलाकात से तुम मुझसे जूठ बोलते आ रहे हो.. अभी मे तुमसे सगाई वाले दिन क्या हुआ था ये पूछूंगी तो तुम और एक अपना जूठ खोलोगे.. कितने जूठ बोले है तुमने ..? और मे कैसे सच मान लू कि तुम मुझे ये सब सच कह रहे हो ? "

" संजू क्या तुम्हे मेरी आंखो मे सच्चाई नहीं दिखाई दे रही है क्या..? क्या ये तुम्हारे लिए मेरा जो प्यार है उसे भी तुम सच नहीं मानती ? "

" एक जूठ के सहारे शुरू हुए प्यार मे क्या सच्चाई दिखेगी ..? तुम्हे पता है तुम्हारे जाने के बाद कितना तड़पी हूं मे .. कितने ताने सुने है हमारे परिवार ने .. तुम कैसे जान सकते हो .. तुम तो मुझे छोड़ के चले गए थे ना.. बस एक चिठ्ठी छोड़ कर "

" नहीं संजू .. मे तुम्हे छोड़ कर नहीं गया था और वो चिठ्ठी तो मुझे मजबूरी में लिखनी पड़ी थी.."

" ऐसी कौनसी मजबूरी थी जो तुम्हे सब छोड़ना पड़ा .. तुम इस शहर में होते हुए भी मेरे पास नहीं आ पा रहे थे ? "

ये सुनकर अनिरूद्ध कुछ बोला नहीं ..

" क्यों नहीं है जवाब ...? तो मुझे भी तुम्हारा सच नहीं सुनना .. जब जवाब हो तभी आना .."

ये बोलकर संजना जाने लगी .. अनिरूद्ध बैठकर रोने लगा..
" प्लीज़ संजना सुनो तो सही.."

पर संजना बिना सुने ही गुस्से में जाने लगी..

" रुको संजना ...! " ये आवाज सुनते ही संजना रुक गई...
सामने खड़े उस शख़्स को देखकर संजना हैरान थी और अनिरूद्ध भी...

" तुम एसे नहीं जा सकती.. संजना .. तूझे सच सुनना पड़ेगा..." उसने कहा..

" पर मोहित भाई... "

" मैंने कहा ना संजू .. तुम एसे नहीं जा सकती.."

" भाई जब तक अनिरूद्ध मेरे सवाल का जवाब नहीं दे देता मे यहां नहीं रुक सकती.."

" एसा कभी नहीं होगा.. वो तूझे नहीं बताएंगे कि वो कहा थे .. और उनके साथ क्या हुआ था.."

संजना ये सुनते ही मोहित को आंखे फाड़े देखने लगी..
" नहीं मोहित .. प्लीज़ .. आप ये संजना को मत बताना .." अनिरूद्ध वहां से मोहित को रोकता हुआ बोला..

" नहीं.. अब बस ! अनिरूद्ध बहुत देख लिया और सुन लिया मैंने .. अब मुझे बताने दीजिए.. ये नहीं जानती की आप ने क्या क्या सहा है .. " मोहित अनिरूद्ध को रोकता हुआ बोला..

" भाई ये आप क्या कह रहे हो..! क्या आप जानते थे कि अनिरूद्ध कहा था ? "

" हा... जानता था...ये तो तुम्हे बताएंगे नहीं.. क्योंकि इतना ज्यादा प्यार जो करते है तुमसे.. तुम्हे तकलीफ़ ना हो इसीलिए उन्होंने मुझे भी तुम्हे बताने के लिए मना किया.. सिर्फ और सिर्फ तेरी वजह से.. "

संजना अनिरूद्ध की तरफ भीगी आंखो से देखने लगी और अनिरूद्ध सिर्फ सीर जुकाए खड़ा था..

" तुम्हारी सगाई वाले दिन के बाद एक महीने कोमा मे रहे थे ये..."

" क्या कोमा मे ? "

" हा.. कोमा में " मोहित ने कहा..

संजना सिर्फ और सिर्फ अनिरूद्ध को देख रही थी जो अभी भी कुछ बोल नहीं रहा था...

संजना अनिरूद्ध के पास गई और उसका चहेरा अपने हाथो मे ले लिया..
" अभी भी क्यों चुप हो तुम .. इतना सब हो गया और तुमने मुझे बताना जरूरी नहीं समझा ? "

" कैसे बताता तुम्हे .. अगर तुम्हे पता चल जाता कि में कोमा मे हूं तो तुम चेंन से बैठती क्या ? मेरी हालत तुम बर्दाश्त नहीं कर पाती.. जितना दर्द तुम्हे हुआ था मेरे छोड़ के जाने से उससे कई ज्यादा दर्द से तुम्हे गुजरना पड़ता .. जो में नहीं चाहता था "

" तुम ये सब मेरे लिए कर रहे थे और में तुम्ही पर इल्जाम लगाए जा रही थी.. कितना गलत समझा मैंने तुम्हे .. वहा तुम जिंदगी और मौत के बीच लड़ रहे थे और में बस बैठी बैठी शिकायत कर रही थी .. हार गया मेरा प्यार .. हार गया"
संजना को खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था..

" नहीं नहीं संजू एसा मत कहो.. तुम्हारा प्यार हारा नहीं है .. तुम्हारा प्यार जीता है .. तुम्हारी ही वजह से में ठीक हो पाया हूं .. और आज मे तुम्हारे सामने हूं तो वो सिर्फ तुम्हारी वजह से.. अगर तुम नहीं होती .. तो मे मोहित से कभी नहीं मिलता.. और मोहित नहीं होते तो आज मेरी लाश समुंदर के किसी किनारे पड़ी होती.." अनिरूद्ध इतना बोला तभी संजना ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया...

" एसा मत कहो .. "

" नहीं संजू ये ही सच है.. मोहित ने मेरी जान बचाई है ..."

" अनिरूद्ध ये तो मेरा फर्ज था .. आपने जो किया है उसके सामने ये तो कुछ भी नहीं " मोहित अनिरूद्ध के कंधे कर हाथ रखता हुआ बोला..

" अब कोई मुझे सब सच बताएगा क्या? ये सब कैसे हुआ .. मुझे सच मे कुछ समझ नहीं आ रहा.." संजना अपने आंसू पौछकर मुस्कुराते हुए बोली..

" अनिरूद्ध आप बताइए.." मोहित बोला..

" संजू.. मे जब छोटा था तभी मेरे मम्मी पापा कार ऐक्सिडेंट मे चल बसे.. पापा कि ओब्रॉय फार्मा कंपनी उनके साथ उनके दोस्त आखिल मल्होत्रा और उनके छोटे भाई मनीष मल्होत्रा संभालते थे..
अखिल अंकल ने मम्मी पापा के जाने के बाद मुझे पढ़ाया .. उन्होंने कभी मुज़मे और सौरभ मे भेद नहीं किया.. मुझे बिल्कुल अपने बेटे कि तरह रखा.. फिर हम दोनो को पढ़ाई के लिए कैनेडा भेजा..."

" ओह मतलब तुम किंजल के साथ ही उसकी कोलेज में थे .."

" हा.. कोलेज खत्म होने के बाद मे इंडिया आ गया.. और अपनी कंपनी मैने और सौरभ ने ज्वॉइन कर ली.. मे अपने पढ़ाई के वक्त से ही केंसर की दवाई पर रिसर्च कर रहा था फिर मुझे पता चला कि अमेरिका ने केंसर के लिए बेस्ट मेडिसीन बनाई है.. और उसे हम इंडिया लाना चाहते थे ताकि जरुरत मंद तक कम से कम दाम मे मेडिसीन पहुचाई जाए.."

" हा ये तो अच्छी बात है .. पर सरकार ने परमिशन दी क्या ? "

" हा सरकार से परमिशन तो ले ली पर हम चाहते थे कि जब तक ये डील हो ना जाए और मेडिसीन यहां पहुंच ना जाए तब तक ये इंफॉर्मेशन बाहर नहीं जानी चाहिए .. क्योंकि एसे बहुत लोग है जिनको इससे प्रॉब्लम होगी.. और अगर उनके हाथ ये मेडिसीन लग गई तो पैसे के लिए वो लोग कुछ भी कर सकते है .. और जिसका डर था वहीं हुआ पता नहीं कैसे पर एम् एल ए और कुछ मंत्री को इस बारे में पता चल गया.."

" एम एल ए मतलब जगदीश त्रिपाठी ..? "

" हा संजू .. तुम शायद जानती नहीं हो पर वो कई इलीगल काम मे जुड़े हुए है... यहां से ड्रग्स , कोकेन , गांजा इस सब चीजों का विदेश मे सप्लाय करते है.. और इनके हाथ ये मेडिसीन लग गई तो वो इन्हे भी विदेशो में उचे दाम मे बेच देंगे.."

" ओह गॉड .. मे एसे घर में एक नया रिश्ता जोड़ने जा रही थी जो अपने देश से ही गद्दारी कर रहे है..! "

" हा संजू .. और इसी वजह से उन्होंने साजिश रचनि शुरू कर दी थी.. हमारे खबरी से हमे पता लगा कि वो लोग मुझे किडनेप करके या मेरी कमजोरी का फायदा उठाकर ये मेडिसीन पाने का प्लान बना रहे है .. और इसीलिए अंकल नहीं चाहते थे कि अभी मे सब के सामने आऊ... अंकल ने कसम दे दी थी अपनी कि में ये डील हो जाने तक अपनी पहचान छुपा के रखु.. इसीलिए मैंने तुम्हे अपना नाम अनिरूद्ध सिन्हा कहा था ... "

" हा पर तुम बाद मे तो ये सब मुझे बता सकते थे ना..? "

" हा और में तुम्हे बताने भी आया था.. पर "

" तो फिर क्यों नहीं बताया..? "

" मे जब तुम्हे बताने के लिए आ रहा था तो तुम्हे याद है कुछ गुंडे तुम्हे किडनेप करके ले जा रहे थे ..? "

" हा और तुमने आके मुझे बचा लिया था.. और तभी तो मैंने अपने प्यार का इजहार किया था .."

" हा .. तब मे डर गया था.. मुझे लगा कि ये लोग मेरी वजह से तुम्हे ले जा रहे है.. ! मेरी सिर्फ एक कमजोरी है और वो है तुम .. और मे नहीं चाहता था कि मेरी वजह से तुम पर कोई मुसीबत आए.. "

" तो वो गुंडे जगदीशचंद्र त्रिपाठी ने भेजे थे ? "

" नहीं .. दूसरे दिन पुलिस कि मदद से वो गुंडे पकड़े गए और तब हमें पता चला कि उन्हें जगदीशचंद्र ने नहीं पर हरदेव त्रिपाठी ने भेजे थे .."

" क्या ? हरदेव जी तो इतने अच्छे है .. वो उनके पापा कि तरह नहीं हो सकते ..और वो क्यों मुझे मारने के लिए गुंडे भेजेंगे ? तब तो हम एक दूसरे को जानते भी नहीं थे ..! "

" ये सच नहीं है संजू.. उसने तुम्हे मारने के लिए नहीं पर तुम्हे किडनेप करके शादी करने के लिए गुंडे भेजे थे.. वो तुमसे प्यार करता है .. और उससे हमारा प्यार बर्दाश्त नहीं हुआ .. "

" ये तुम क्या कह रहे हो .. ये कैसे हो सकता है ..! "

" हा मे तुमसे मिला उससे पहले से वो तुम्हारा पीछा करता था.. तुमसे कह नहीं पा रहा था.. और उसके बीच मे आ गया मे .."

" उनको देखकर तो एसा नही लगता.. वो तो अच्छे इंसान लगते थे .."

" हा वो अच्छा इंसान ही था पर अंधे प्यार मे पागल हो चुका था वो.. तुम्हे पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार था.. वो नहीं जानता था कि में अनिरूद्ध ओब्रॉय हूं.. और मुझे अपने रास्ते से हटाने के लिए उन्होंने ये खेल रचा..."

"मतलब हमारे सगाई वाले दिन जो भी हुआ वो हरदेव जी ने करवाया था ! "

" हा हमे जुदा करने वाला और कोई नहीं पर हरदेव त्रिपाठी और जगदीशचंद्र त्रिपाठी है ! "

" हा संजू ये सच है ..." मोहित बोला..

" भाई आप पहले से अनिरूद्ध की सच्चाई जानते थे क्या ? "

" हा संजू .. जानता था "

" मगर कैसे..? अनिरूद्ध तुमने तो मुझे भी कुछ कहा नहीं था तो फिर भाई को ..कैसे ? "

" उस वक्त कुछ हालात ही एसे बने थे .. इसीलिए मुझे उनको बताना पड़ा.. "

" तो फिर सगाई वाले दिन क्या हुआ था.. तुम कोमा मे कैसे चले गए थे ? "

" बताता हूं सब बताता हूं..."

🥰 क्रमशः 🥰