इस तरफ त्रिपाठी के परिवार मे भी हल्दी कि रस्म हो चुकी थी... हरदेव अपने कमरे में हल्दी लगाए अपने बदन को आइने मे देख रहा था.. और बार बार हल्दी वाले अपने गाल को छू रहा था... इस तरह करने से जैसे उसके शरीर मे कुछ सिहरन सी उठ रही थी... उसने तुरंत अपनी आंखे बंध कर ली...
उसे पार्क मे बच्चो को गुब्बारे देती हुई .. हसती खिलखिलाती हुई संजना दिखाई दी... उसके लंबे खुले बाल .. उसकी उड़ती हुई एक लट .. पीला अनारकली ड्रेस और उसकी हवा से उड़ती हुई चुनरी.. जाने बगीचे में कोई सुंदर सा कोमल फूल खिला हो...
हरदेव अपनी जीप में बैठकर बाहर से संजना को निहार रहा था... फिर कब संजना वहा से चली गई उसे कुछ पता ही नहीं चला..
हरदेव ने उसी ही दिन संजना कि पूरी कुंडली निकाल ली वो कब कहा किसके साथ जाती है उसने सब पता कर लिया...
हरदेव त्रिपाठी बहुत ही कम बोलने वाला लड़का था.. जरूरत से ज्यादा बोलना उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता.. जगदीशचंद्र कई सारे इल्लीगल काम मे जुड़े हुए थे.. पर हरदेव एक भी काम मे उनके साथ नहीं था.. जगदीशचंद्र के कई बार कहने पर भी हरदेव इस सब काम मे पड़ना नहीं चाहता था.. जगदीशचंद्र कई बार कहते की " अगर पैसे कमाने है तो ये सब भी साथ में सिख ले .. मेरी जगह तूझे ही कुर्सी पर बैठना है.. एसे ही रहेगा तो दूसरी पार्टी वाले उखाड़ कर फेंक देंगे .."
पर हरदेव पर ना ही इन सब बातो का असर होता ना ही वो खुद को बदल रहा था...
संजना को देखने के बाद वो कुछ बावरा सा हो गया था... हर जगह वो संजना का पीछा करता..
अपने शर्मीले स्वभाव के कारण वो संजना से बात नहीं कर पा रहा था...
एक दिन फीवर और जुकाम कि वजह से वो सुबह घर पर ही था.. शाम को जब वो कोलेज के पास गया उसने देखा कि कोई लड़का संजना को फूल दे रहा है और कुछ कह रहा है.. संजना ने भी उसके हाथ से फूल ले लिया.. ये देखकर उसका दिल टूट गया...
गुस्से में वो घर आया और अपने कमरे में आकर वो सब चीज़े तोड़ने लगा... और चिल्लाने लगा..
" संजना तुम सिर्फ मेरी हो सिर्फ मेरी " उसने एक बॉटल उठाई और आइने पर जोर से फेंकी.. आइने के टुकड़े टुकड़े हो गए...
तभी हरदेव ने अपनी आंखे खोल ली.. बीती ये सब बात अचानक उसके सामने आ गई थी... उसने फिर आइने मे खुद को देखा .. संजना के नाम कि हल्दी से आज वो रंगा हुआ था...
" सिर्फ एक दिन और तुम मेरी " हरदेव बोला और बाथरूम मे नहाने के लिए चला गया...
अनिरूद्ध भी चेंज करके सिंघानिया मेंशन पहुंच चुका था... सभी लेडीज तैयार थी महेंदि और संगीत के लिए... सौरभ बैठा बैठा खूबसूरत सुकन्या ओ को निहार रहा था... आज तो ये होल स्वर्ग से कम नहीं लग रहा था.. मानो सभी अप्सराएं आज यही धरती पर आ गई हो...
दादी ने सौरभ को एसे देखा तो उसके सीर पर जोर से दे मारा
" आऊ... दादी मार क्यों रही हो " ..
" एसे लड़कियो को ताड़ना बंध कर ...अच्छा नहीं लगता..."
" दादी तो फिर आपके घर बहू कैसे आएगी...! "
" क्या बोला ..! "
" कुछ नहीं "
तभी वहा अनिरूद्ध आ गया...
" क्या हुआ ..? "
" कुछ नहीं.. " सौरभ ने मुंह बिगाड़ते हुए कहा..
" अरे ! मुंह क्यों बिगड़ा हुआ है तेरा.."
" कहा ना कुछ नहीं.."
" ओके नहीं बताना है तो कोई नहीं.. " बोलकर अनिरूद्ध बैठ गया और इधर उधर नजर करने लगा..
तभी ऊपर से किंजल संजना और मीरा आती हुई दिखाई दी.. पर्पल कलर के लहेंगे मे संजना बहुत ही प्रिटी लग रही थी... किंजल ने भी ग्रीन कलर का लहंगा पहना था और मीरा ने लाइट पिंक कलर का.. वो दोनो भी कमाल कि लग रही थी..
उनको देखकर सभी लड़कों के मुंह खुले रह गए.. और लड़कों मे हमारे अनिरूद्ध और सौरभ भी तो थे.. दोनों उनको देखकर खड़े हो गए.. एक तो सबसे आगे बैठे थे... तो पीछे से सभी उनको बैठ ने के लिए कहने लगे .. पर दोनो को तो कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था...
दादी भी अभी लड़कियो को ही देख रही थी पर जब उनको बाजू में खंभे कि तरह खड़े दो नौजवान दिखे जो उन्ही के पाले लंगूर थे तो दादी ने अपना सीर पिट लिया...
" क्या कर रहे हो दोनो नीचे बैठो ..." दादी ने दोनो के हाथ खींचे.. तो दोनो नीचे बैठ गए..
किंजल ने ये देख लिया था और उसकी तो हसी छूट गई थी..
" क्या लड़की है...! " सौरभ मीरा को देखकर मुंह फाड़े बोला..
" हा भाई ... क्या लड़की है " अनिरूद्ध भी बोला ..जो सिर्फ और सिर्फ संजना को देख रहा था..
तभी पीछे बैठा एक लड़का भी बोल पड़ा
" सही कह रहे हो क्या लड़कियां है ! "
ये सुनते ही अनिरूद्ध और सौरभ पीछे मूड के गुस्से से उस लड़के को घूरने लगे .. ये देखकर वो लड़का सीर जुकाकर बैठ गया..
संजना जुले पर आकर बैठ गई जिसे फूलों से सजाया गया था.. संजना स्माइल कर रही थी पर उसकी स्माइल मे खालीपन था जो सिर्फ अनिरूद्ध महसूस कर पा रहा था..
उसके हाथो मे मेहंदी लगनी शुरू हो गई..
स्टेज पर अचानक लाइट बंध हो गई...
और बीच मे एक स्पॉटलाइट शुरू हो गई...
दो सुंदर लड़कियां पीछे मुड़ कर पोज मे खड़ी हुई थी...
और सोंग का म्यूज़िक शुरू हो गया..
जैसे ही गाना बजा सब सिटिया मारने लगे...
और उन दोनों ने डांस करना शुरू किया... जैसे ही दोनो मुड़ी सब के चहेरे खुले के खुले रह गए..
किंजल और मीरा बड़ी ही अदाओं से डांस कर रही थी..
"मनवा लागे, ओ मनवा लागे लागे रे सांवरे,
लागे रे सांवरे ले तेरा हुआ जिया का,
जिया का जिया का ये गाँव रे...
मुसाफिर हूँ मैं दूर का दीवाना हूँ मैं धुप का
मुझे ना भाए, ना भाए ना भाए छाँव रे...
मन के धागे, ओ मन के धागे धागे पे सांवरे,
धागे पे सांवरे है लिखा मैंने तेरा ही, तेरा ही तेरा ही तो नाम रे.."
जैसे ही गाना खत्म हुआ सब जोर जोर से तालिया बजाने लगे और वन्स मोर के नारे लगाने लगे.. संजना तो खुशी के मारे जुम रही थी अपनी सहेलियों को देखकर और खड़ी होकर सब के साथ उनको प्रोत्साहित करने मे लगी थी...
" थैंक यू थैंक यू" मीरा और किंजल ने कहा और वो दोनो एंकरिंग करने के लिए माइक पकड़कर खड़ी हो गई..
" शुक्रिया शुक्रिया.. आप सभी लोगो का मेहंदी और संगीत मे स्वागत है..."
"आज कुछ सरप्राइज़ परफॉर्मेंस हमारी प्यारी संजना के लिए.. और आप सभी के लिए भी. .. तो आप सभी तैयार हो जाइए आज कि धमाकेदार शाम के लिए... " दोनो बोले और स्टेज कि एक और चले गए..
सभी लाइट बंध हो गई और एक स्पॉटलाइट स्टेज के बीचों बीच हुई जहां दो हेंडसम बंदे काले सूट.. सीर पर टोपी और चश्में में खड़े हुए थे.. सोंग शुरू हुआ .. दोनो ही जैसे घूमे तो अनिरूद्ध , सौरभ और हमारी संजना भी खुद कि आंखो पर यकीन नहीं कर पा रही थी
संजना खुशी के मारे चिल्लाई..
" कम ओन मोहित भाई ..राघव भाई.. "
" सुन बेबी डेडली है तेरी वाक नि
तेरे ठुमके भी करते हैं टॉक नि] x 3
हो दिल करे देखी जाऊं तेरी ओर
तू नज़रें मिला तो सही
दिल दिया है जान भी तुझे देंगे
दिल दिया है जान भी तुझे देंगे
तू इक वारि आ तो सही
दिल दिया है जान भी तुझे देंगे
तू इक वारि आ तो सही
दिल दिया है जान भी तुझे देंगे
तू नज़रें मिला तो सही
तू इक वारि आ तो सही"
सोंग खत्म हुआ और उनको देखकर अनिरूद्ध और सौरभ भी सिटी मारे बिना रुक नहीं पाए..
" मोहित भाई के कितने और रूप दिखने बाकी है बे.. !" सौरभ बोला..
ये सुनकर अनिरूद्ध मुस्कुराने लगा ..
" सही है... ये वाला रूप भी आज उनका देख ही लिया.." अनिरूद्ध स्माइल करता हुआ बोला..
मोहित और राघव संजना के पास आए..
" क्या जोरदार डांस किया है आप दोनो ने..! मुझे तो सच मे यकीन ही नहीं हो रहा था.." संजना खुशी से उछलती हुई बोली..
" तेरे लिए तो कुछ भी कर सकते है छोटी.. " मोहित ने संजना का गाल खिंचते हुए कहा..
" आऊ.. मेरे हाथ पर मेंहदी लगी है इसका फायदा मत उठाइए .. भाई" संजना मासूम सा चहेरा बनाती हुई बोली..
" ओके सोरी चल तू मेहेंदी लगा मे यही बैठा हूं " मोहित ने कहा और वो संजना के पास बैठ गया..
फिर बारी बारी से सब के परफॉर्मेंस हो रहे थे.. और सब उसे एन्जॉय कर रहे थे..
" दीदी मेहंदी मे क्या नाम लिखूं ? " उस लड़की ने संजना से पूछा ..
संजना को डिजे के शोर मे कुछ सुनाई नहीं दिया..
तो उसने पास बैठे मोहित से पूछा...
" भैया मेंहदी मे कौन सा नाम लिखूं ? "
" क्या ..? " मोहित को भी कुछ सुनाई नहीं दे रहा था..
" क्या नाम लिखूं ..? " लड़की ने थोड़ा जोर से पूछा ...
तभी मोहित कि नजर अनिरूद्ध पर पड़ी.. जो उठ कर कहीं जा रहा था..
" अनिरूद्ध जी... " मोहित जोर से बोला ..
अनिरूद्ध ने जैसे ही मोहित कि आवाज सुनी वो उस तरफ देखने लगा..
" मे अभी आता हूं " अनिरूद्ध बोला पर मोहित को समझ में नहीं आया तो वो उठ कर वहा जाने लगा..
उस लड़की ने फिर पूछा ..
" अनिरूद्ध जी का ए लिखदू क्या..? " उस लड़की को लगा था कि मोहित ने उसे कहा था..
पर मोहित बिना सुने ही चला गया..
तो उस लड़की ने मेंहदी मे अनिरूद्ध का ए बना दिया...
" अरे ! अनिरूद्ध जी कहा जा रहे है आप ? "
" बस यही बाहर जा रहा था अर्जेंट कोल करना था तो.."
" ठीक है .. पर जल्द ही आ जाना ..
" हा " अनिरूद्ध ने कहा और वो बाहर चला गया..
संजना का ध्यान मेंहदी पर जरा भी नहीं था..
तभी किंजल वहा पर आई ..
" दिखा तो जरा अपनी मेहंदी..! "
" ये देख " संजना ने दोनो हाथ आगे करके किंजल को दिखाए..
किंजल गोर से देख रही थी तो उसे एक छोटे से हार्ट में एस और ए लिखा हुआ दिखाई दिया..
किंजल तो देखती ही रह गई .. वो यहां इसी कारण से आई थी कि मेंहदी मे अनिरूद्ध का ए लिखवाए.. पर उसके हाथ पर पहले से ही ए लिखा हुआ था..
" इतना क्या ध्यान से देख रही है तू ? " संजना ने उसे एसे देखा तो पूछ लिया..
संजना भी ध्यान से हाथो कि मेहंदी देखने लगी तो उसे भी हार्ट मे एस और ए लिखा दिखाई दिया..
" ये क्या हुआ..! " संजना एकदम खड़ी हो गई..
" ये क्या लिखा है आपने " संजना कड़क आवाज मे उस लड़की से बोली..
" मैंने आप को पूछा पर आप ने सुना ही नहीं.. तो यहां आपके भाई बैठे थे वो अनिरूद्ध जी बोले .. तो मैंने उनसे पूछा भी कि ए लिखना है पर वो बिना सुने ही चले गए तो मैंने .." वो वहा चुप हो गई..
" तो तुमने ए लिख दिया ..? " संजना गुस्से में उसके सामने देखने लगी.. वो लड़की कुछ बोली नहीं..
संजना कि आंख में से आंसू बहने लगे और वो दौड़ती हुई बाहर चली गई..
" संजू ..." किंजल बोली पर संजना ने उसकी आवाज सुनी नहीं..
इधर अनिरूद्ध गार्डन में खड़ा खड़ा संजना के बारे में सोच रहा था..
संजना भी गार्डन कि तरफ भागती हुई आ रही थी ..
संजना का ध्यान आस पास कहीं नहीं था उसे सिर्फ आंखो में अनिरूद्ध का नाम अपनी मेंहदी मे लगा हुआ दिखाई दे रहा था..
अनिरुद्ध को जैसे ही पायल कि आवाज सुनाई दी तो वो पीछे मुड़ा.. संजना भागती हुई उसी कि तरफ आ रही थी.. संजना के पैर मे उसका लहंगा आया और वो गिरने ही वाली थी तब अनिरूद्ध ने उसे पकड़ लिया..
अनिरूद्ध का एक हाथ संजना के कमर पर था और दूसरे हाथ से उसने संजना का हाथ पकड़ा हुआ था..
संजना उसकी आंखो मे देख रही थी.. फिर से वो एहसास उसे महसूस हो रहा था जो अक्सर उसे अनिरूद्ध की आंखो मे देखकर होता था..
अनिरूद्ध थोड़ा संभल गया और उसने हाथ छोड़ दिया.. संजना भी खड़ी हो गई..
" थैंक यू अनिरूद्ध जी फिर से मुझे गिरने से बचाने के लिए .. "
" गिरने से तो क्या तुम्हे तो मे अपनी अंतिम सांस तक हर मुसीबत से बचाऊंगा.." अनिरूद्ध धीमे से बोला..
" क्या ? " संजना को साफ साफ सुनाई नहीं दिया..
" नहीं कुछ नहीं.. "
" ओह गॉड ये क्या हो गया ? " संजना ने अनिरूद्ध का हाथ देखते हुए कहा..
अनिरूद्ध ने जैसे ही अपना हाथ देखा तो संजना कि मेहंदी कि छाप उसके हाथ पर पड़ गई थी .. अनिरूद्ध ने हार्ट मे एस और ए भी देख लिया..
और अब उसे सब कुछ समझ आ गया कि संजना एसे रोती हुई क्यों भाग रही थी..
" आई एम सॉरी अनिरूद्ध जी .. ये गलती से हो गया... मे अभी इस मेहंदी को ही मिटा देती हूं.." उसने कहा और वो जाने लगीं..
ये सुनकर अनिरूद्ध को बहुत ही बुरा लगा.. कुछ सेकंड के लिए संजना के हाथ पर अपना नाम देखकर उसे बहुत ही खुशी हुई थी पर वो खुशी इसी वक्त संजना मिटाने जा रही थी..
" ये क्या कर रही हो.. ये तुम्हारे शगुन कि मेहंदी है .." अनिरूद्ध उसके पीछे जाते हुए बोला..
" हा शगुन कि है पर में इसे रख नहीं सकती.." संजना अभी भी रुक नहीं रही थी
" क्योंकि उसमे अनिरूद्ध का ए लिखा हुआ है इसीलिए ? " अनिरूद्ध जोर से बोला
" हा .. मेरी शादी उससे नहीं हो रही है तो मे उसका नाम रख कर क्या करूंगी ..? "
एसा बोलकर संजना पानी के नल के पास आई और पानी से मेहंदी धो ने लगी..
अनिरूद्ध अब बस खड़ा खड़ा ये देख रहा था वो कुछ नहीं कर सकता था..
संजना ने मेहंदी पानी से धोली पर अब उसका कोई मतलब नहीं था.. मेहंदी का कलर हाथों पर चढ गया था..
संजना ये देखकर और आंसू बहाने लगी और अनिरूद्ध के चहेरे पर मुस्कुराहट आ गई..
" तुम्हारे मेहंदी मे मेरे प्यार का रंग चढ़ा है.. इतनी आसानी से कैसे मिट सकता है... ! " अनिरूद्ध मन में ही मुस्कुराता हुआ बोला..
" ये तो निकल ही नहीं रहा.." संजना उसे अब भी घिस रही थी..
अनिरूद्ध धीरे से उसके पास आया और पानी से अपने हाथ पर लगी मेहंदी भी धो ने लगा .. संजना रुक कर उस तरफ देखने लगी..
अनिरूद्ध के हाथ पर भी मेहंदी का हल्का सा केसरी रंग चढ चुका था..
" आई एम सॉरी मेरी वजह से.. ये सब .."
" कोई बात नहीं .. तुम्हारी वजह से कुछ नहीं हुआ.. "
" पर अब क्या होगा..? " संजना अनिरुद्ध कि तरफ बड़ी बड़ी आंखो से देखती हुई बोली..
" अब .. अब सब हसेंगे मेरे पर..ये छोरा छोरियो कि तरह अपने हाथ रंगवा के बैठा है .. एसा बोलेंगे सब लोग .." अनिरूद्ध संजना को हसाने के लिए एइक्टिंग करता हुआ बोला..
अनिरूद्ध की इस हरकत से संजना को हसी आ गई.. वो जोर जोर से हंसने लगी..
" तो क्या.. अब एसा ही होने वाला है .."
" पर आप बड़े क्यूट लग रहे हो हाथ पर मेहंदी लगवा के .." संजना हस्ती हुई बोली..
" अरे ! मैंने कहा लगाई है ये तो अपने आप लग गई.. "
" सोरी .. " संजना कान पकड़ते हुए बोली..
" कितनी बार सोरी बोलेंगी.. चलिए अब अंदर और ये सब बात कि चिंता मत करो.. रिश्ते नाम से नहीं जुड़ते प्यार से जुड़ते है.. बाकी भगवान कि मरजी समझ कर आगे बढ़ो .. वो जो करेंगे अच्छा ही करेंगे.. "
" हम्मम " संजना मुस्कुराती हुई बोली..
" तो चलिए.. " अनिरूद्ध ने कहा और दोनो साथ मे अंदर आ गए.. मोहित ने दोनो को एकसाथ आते हुए देखा..
मोहित ने जब संजना के हाथ कि मेहंदी देखी तो वो भागता हुआ उसके पास आया..
" संजू तूने मेहंदी क्यों धो ली ..? "
" वो भाई .. मे बाहर थोड़ी देर के लिए गई थी तो लहंगा पैरो मे आने कि वजह से गिरने ही वाली थी .. ये तो अच्छा हुआ अनिरूद्ध जी ने मुझे गिरने से बचा लिया पर इस चक्कर में मेरी मेहंदी इनके हाथ पर लगी गई और मेरी पूरी मेहंदी खराब हो गई तो मैंने धो ली .. पर ये देखिए मेहंदी का कलर चढ गया है ...कितनी अच्छी लग रही है ना ..! "
" हा.. बहुत ही.. थैंक यू अनिरूद्ध जी .." मोहित ने कहा।
" थैंक यू कि कोई बात नहीं है मोहित .. " अनिरूद्ध ने कहा..फिर मोहित भी मुस्कुराता हुआ वहा से चला गया।
" चलिए डांस करने..." संजना ने अनिरूद्ध को सब के साथ डांस करने के लिए आने को कहा..
" नहीं नहीं मैं कैसे..? "
" अरे आप क्यों नहीं आ सकते ..? मे आपकी दोस्त नहीं हूं क्या ? "
" एसा नही है .."
" तो फिर चलिए ना .."
संजना अनिरूद्ध को खींच के अपने साथ लेकर आ गई..
अनिरूद्ध भी सब के साथ डांस करने लगा ये देखकर सौरभ भी उसमे शामिल हो गया..
थोड़ी देर बाद कपल डांस शुरू हुआ.. सब अपनी जोड़ में तैयार हो गए.. संजना और मोहित .. किंजल और अनिरूद्ध .. मीरा और राघव और बिचारे सौरभ के साथ दादी ..
थोड़ी थोड़ी देर बाद जोड़ी जोड़ी एक्सचेंज होती थी.. कुछ देर बाद डांस मे अनिरूद्ध के सामने संजना आ गई.. सौरभ के सामने मीरा.. किंजल के सामने मोहित और गाना चेंज हुआ..
"तेरे दर पे आके थम गए
नैना नमाज़ी बन गए
एक दूजे में यूँ ढल के
आशिक़ाना आयत बन गए मैं और तुम
कैसी दिल लगाई कर गए
रूह की रुबाई बन गए
खाली खाली दोनों थे जो
थोडा सा दोनों भर गए मैं और तुम
चलो जी आज साफ़ साफ़ कहता हूँ
इतनी सी बात है मुझे तुमसे प्यार है
यूँही नहीं मैं तुमपे जान देता हूँ
इतनी सी बात है मुझे तुमसे प्यार है "
अनिरूद्ध और संजना आंखो मे आंख मिलाए डांस कर रहे थे.. गाना खत्म होते ही सब तालिया बजाने लगे .. सब अपनी जोड़ी से अलग हो गए .. अनिरूद्ध भी अपने होश मे आया और दूर हो गया.. संजना अभी भी उसे देख रही थी.. अनिरूद्ध ने जैसे ही उसकी आंखो मे देखा तो अपनी आंखे जूका ली.. और वहा से चला गया..
" कुछ तो बात है जो में महसूस कर पा रही हूं पर देख नहीं पा रही हूं.. क्यों अभी आप नजरे नहीं मिला पाए अनिरूद्ध जी...? मुझे पता करना ही होगा आपके आंखो में छुपी इस गहराइयों का राज .. जो आप पहले दिन से छुपा रहे है.." संजना ने कहा और वो अनिरूद्ध के पीछे पीछे जाने लगी...
🥰 क्रमशः 🥰