तीन घोड़ों का रथ - 10 Prabodh Kumar Govil द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

तीन घोड़ों का रथ - 10

नई सदी का पहला दशक बीतते- बीतते एक और बड़ा परिवर्तन दिखाई देने लगा।
जनता को ये महसूस होने लगा कि सिने कलाकार केवल ऐसे सजावटी ख़ूबसूरत पुतले ही नहीं होने चाहिए जो सज- संवर कर नाच- गाते हुए केवल सतही मनोरंजन करें, बल्कि उनमें आम लोगों के सरोकारों को गंभीरता से उठाने का माद्दा भी होना चाहिए।
इस परिप्रेक्ष्य में कुछ अच्छी और असरदार फ़िल्में भी आईं। साथ ही रूपरंग से लापरवाह नायकों की एक नई खेप भी अवतरित हुई।
इनमें इमरान हाशमी, फरहान अख्तर, रणवीर सिंह, रणबीर कपूर, वरुण धवन, सिद्धार्थ मल्होत्रा, अर्जुन कपूर, अभय देओल, टाइगर श्रॉफ जैसे नायक दिखाई दिए।
किन्तु इस बीच सभी पुराने नायकों के भी लगातार सक्रिय रहने के कारण इन जूनियर चैंप्स में कोई एक ऐसा नायक स्पष्ट रूप से उभर कर सामने नहीं आया जिसे अपने दौर का नंबर एक हीरो कहा जा सके।
लेकिन ये भी एक स्वाभाविक सत्य है कि "नंबर वन" की जगह कभी ख़ाली नहीं रह सकती। जो हैं, उनमें सबसे आगे दिखाई देते सितारे को ये गौरव मिलता ही है।
रणवीर सिंह ने कई बड़ी और लगातार कामयाब फ़िल्मों के सहारे ये मुकाम हासिल किया। रणवीर सिंह की कुछ बेहद सफ़ल फ़िल्मों के बाद उनकी फिल्मी जोड़ी दीपिका पादुकोण के साथ जमी। गोलियों की रामलीला रासलीला, से पद्मावत तक आते आते उन्होंने न केवल दर्शकों का, बल्कि दीपिका पादुकोण का दिल भी जीत लिया और वो दीपिका के साथ दशक की भव्यतम शादी में बंध गए। वे निर्विवाद रूप से अपने समय के सबसे बेहतर अभिनेता कहलाए।
उधर रणबीर कपूर का जलवा भी बदस्तूर कायम रहा। उन्होंने भी सांवरिया से लेकर जग्गा जासूस तक आते आते कई उम्दा फिल्में दीं और वो अपने पिता की ही तरह नई पीढ़ी के चहेते स्टार बन गए। बर्फी जैसी फ़िल्मों में उन्होंने अपने करामाती अभिनय के जौहर भी दिखाए। रणबीर कपूर कैटरीना कैफ को लेकर भी काफ़ी चर्चा में रहे जब दोनों के संबंध रिश्तेदारी में बदलने की मुकाम तक जा पहुंचे। लेकिन ये याराना जितना चर्चित रहा उतना ही चर्चित इनका ब्रेक अप भी रहा। ये जोड़ी टूट गई। धीरे धीरे इस विच्छेद का असर इनकी फिल्मों पर भी पड़ता दिखाई दिया। रणबीर कपूर की प्यार की पींगे फ़िर आलिया भट्ट के साथ बढ़ीं और ये दोनों अंततः पति पत्नी बन गए। रणबीर कपूर ने भी अपनी फ़िल्मों के बदौलत शिखर छुआ। वैसे तो कई स्टार पुत्र इस बीच फ़िल्मों में आए किंतु रणबीर कपूर की गिनती उन बहुत ही थोड़े से गिने चुने एक्टर्स में होती है जिन्होंने अपने माता पिता जैसी ही कामयाबी पाई। पृथ्वी राजकपूर की विरासत को बरास्ता राजकपूर, ऋषि कपूर रणबीर कपूर ही मौजूदा दौर तक लाए यद्यपि उनके समय तक करिश्मा कपूर और करीना कपूर भी अपने अभिनय के निराले तेवर दिखा चुकी थीं जो राज कपूर के ज़माने में सोचा भी नहीं जा सकता था।
सदी के दूसरे दशक के अंत तक आते आते आयुष्मान खुराना की भी चामत्कारिक कामयाबी सामने आई। उनकी फ़िल्मों में लोगों ने एक नएपन को महसूस किया गया। उनकी पहली ही फ़िल्म के बोल्ड विषय के बाद "बधाई हो" की सुपर कामयाबी उन्हें नए नए प्रयोगों की ओर ले गई। उनकी फ़िल्मों को कहानी, प्रस्तुति और अभिनय के दम पर निरंतर सराहा जा रहा है।
बीमारी के चलते इरफ़ान खान को फ़िल्मों से दूर हो जाना पड़ा और उसके बाद उनकी जीवन लीला ही समाप्त हो गई किन्तु उनका सशक्त अभिनय दर्शक आसानी से कभी भूल नहीं सकते। उन्हें बीमारी के बावजूद भी आशा की किरण के रूप में माना जाता रहा।
आज का नया दौर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी जैसे प्रतिभा शाली अभिनेताओं का भी मुरीद है।