कहानी प्यार कि - 6 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 6

हरदेव जल्दी से पार्क मे आया। उसके चेहरे पर अलग ही खुशी दिखाई दे रही थी। उसने देखा कि संजना पहले से ही वहा बैठी थी और कुछ परेशान सी लग रही थी।

उसे परेशान देखकर हरदेव उसके पास गया और उसके कंधे पर हाथ रखा...
पर इस वजह से संजना अचानक से डर गई..

" रिलेक्स संजना में हूं..." हरदेव ने उसे डरा हुआ देखकर कहा।

" ओह.. आई एम सोरी... हरदेव जी.."

हरदेव संजना से थोड़ी दूरी बनाकर उसके पास बैठ गया।

" तो बताइए आप ने मुझे एसे अचानक क्यों बुलाया..? "

" वो... वो.. क्या है ना.. " संजना कुछ बोल नहीं पा रही थी।

" घबराइए मत संजना जी आप बेजिजक मुझसे कह सकती है.."

" वो में ये कहना चाहती थी कि में आप से प्यार नहीं करती.." संजना ने आंख बंध करके बोल दिया।

पर हरदेव ने उसका कोई जवाब नहीं दिया और नाही उसके चहेरे के हावभाव में बदलाव आया।

उसने संजना के हाथ पर अपना हाथ रखा तो संजना ने आंखे खोली..
संजना ने तुरंत अपना हाथ वहा से ले लिया।

" ओह.. सोरी संजना जी.. " हरदेव ने कहा।

" कोई बात नहीं.. आप कुछ कहेंगे नहीं मैंने आपको कहा उसके बारे में.."

" अरे उसमें कहने का क्या.. ये तो मे जानता ही हूं.. आप मुझे अभी जानती भी नहीं अच्छी तरह से तो प्यार कैसे कर सकती है .. पर मुझे यकीन है कि समय के साथ सब ठीक हो जाएगा.." हरदेव ने बड़े ही शांत होकर कहा।

" नहीं.. आप समझे नहीं.. मे कभी आप से प्यार नहीं कर सकती.. मे सिर्फ अनिरूद्ध से प्यार करती हूं और मेरी आखरी श्वास तक सिर्फ में उसी से प्यार करती रहूंगी..."

ये सुनकर हरदेव को बहुत गुस्सा आया । उसने अपने हाथो कि मुठ्ठी कसली पर अपना गुस्सा संजना के सामने आने नहीं दिया।

" ये अनिरूद्ध मरने के बाद भी इसके दिमाग़ से जा नहीं रहा है.. इसकी तो.." उसने सोचते हुए अपनी मुठ्ठी इतनी कसी कि उसके नाखून हाथ मे चुभ ने से खून बहने लगा।

" देखिए संजना जी.. अनिरूद्ध अब वापस नहीं आने वाला.. " हरदेव ने गुस्सा कंट्रोल करते हुए कहा।

" नहीं.. वो आएगा.." संजना ने आंखे दिखाते हुए हरदेव से कहा।

" तो आप चाहती है कि में इस शादी से मना कर दू? "

" नहीं.. मे बस ये कहना चाहती हूं कि ये शादी होगी पर जो प्यार एक पत्नी को पति को देना चाहिए वो में आपको कभी नहीं दे पाऊंगी.." संजना ने चहेरा नीचे करते हुए कहा।

" ठीक है.. मे आप पर कभी इसके लिए जोर जबरदस्ती नहीं करूंगा.."

" तो आप ये जानने के बाद भी मुझ से शादी करने के लिए तैयार हैं ? "

" हा.. क्यों कि में जानता हूं कि ये रिश्ता आगे जाके जरूर अच्छा होगा.. और मुझे खुद पर पूरा भरोसा है.. "

" ठीक है तो में भी तैयार हूं आप से शादी करने के लिए। आप एक बहुत अच्छे इंसान हैं.. थैंक यू हरदेव जी मुझे समज़ने के लिए।

" वेलकम संजनाजी... "

" अब मे चलती हूं बाय... "

" ठीक है ख्याल रखिएगा अपना.. "

संजना ने हा में सीर हिलाया और वहा से चली गई।

उन दोनों के जाते ही पेड़ के पीछे छुपे हुए इंसान ने फोन निकाला और किसी से बात करने लगा...

" सर.. वो दोनो चले गए है..."

" क्या बात कर रहे थे? " सामने से आवाज आई।

फिर उस आदमी ने सब बताया जो उसने सुना था।

" ठीक है.. ऐसे ही नजर रखते रहो और मुझे बताते रहना... "

" ठीक है सर " उसने कहा और फोन काट दिया..

संजना तेजी से अपने घर के लिए जा रही थी। तभी उसने एक पानीपुरी का ठेला देखा और वहा पर खड़े इंसान को देखकर वो चौंक गई..

वो तुरंत पानीपुरी के ठेले के पास गई और उसने कहा..
" आप यहां...? "

उसने पीछे देखा तो संजना को देखकर स्माइल करने लगा और बोला..
" हा में .. क्यों मे यहां पानीपुरी खाने नहीं आ सकता ? "

" हा.. पर अनिरूद्ध ओब्रॉय यहां ... पानीपुरी खा रहे हैं ये कुछ हजम नहीं हो रहा मुझे.. " संजना को ये देखकर बड़ा ही आश्चर्य हो रहा था।

" अरे ! पानीपुरी का असली मजा तो यहीं आता है .. रास्ते पर खड़े होकर तीखी चटपटी पानीपुरी खाना.. आहाहा.. ओ भैया.. और थोड़ी तीखी बनाओ ना... " अनिरूद्घ ने पानीपुरी का स्वाद लेते हुए कहा।

" हा ये आपने सही कहा.. मेरे अनिरूद्ध को भी यहां कि पानीपुरी बहुत पसंद थी हम लोग अक्सर यहां आया करते थे.." संजना के चहेरे पर स्माइल आ गई थी वो दिनों के बारे में सोचकर।

" तो आज नहीं खाएगी आप ? " अनिरूद्घ ने पानीपुरी खाते हुए कहा।

" आप को देखकर मेरा भी मन तो कर रहा है पर.."

" पर बर कुछ नहीं.. भैया.. इनके लिए एक प्लेट बनाइए.." अनिरूद्ध ने संजना कि बात काटते हुए कहा।

" ठीक है देदो भैया..."

" चलो देखते है कौन ज्यादा पानीपुरी खा सकता है .. क्या कहती है आप.."

" क्या...? मुकाबला और पानीपुरी का ? और वो भी एक लड़की के साथ? हार जाएंगे.. मि.ओब्रॉय" ये कहकर संजना हसने लगी..

" लेट्स सी... "

ये कहकर दोनो एक के बाद एक पानी पूरी खाने लगे.. एक प्लेट .. दो प्लेट और तीसरी प्लेट खा कर संजना रुक गई..

" अब मे और नहीं खा सकती..." संजना कि अब केपेसिटी नहीं थी और पानीपुरी खाने कि।

" भैया एक प्लेट और.. अनिरूद्ध ने कहा.. " ये सुनकर संजना अनिरूद्ध को घूरने लगी।

अनिरूद्घ से अब और नहीं खाए जा रहा था.. फिर भी उसने तीन पानीपुरी खाई.. संजना उसे अभी भी देख रही थी।

" बस करिए मि. ओब्रॉय आप जीत गए.. और खाने कि जरूरत नहीं है.. मे जानती हूं आप से और खाया नहीं जा रहा..." संजना ने मुस्कुराते हुए कहा।

" थैंक यू.. पानी पानी... जल्दी पानी लाइए.. ही .. हा.. बहुत तीखा लग रहा है.. " अनिरूद्ध को अब तीखी पानीपुरी का असर हो रहा था।

ये देखकर संजना कि हसी छूट गई वो जोर जोर से हसने लगी। अनिरूद्घ ने पानी पिया और फिर उसे शांति हुई।

वो संजना के पास आया जो अभी भी उसे देखकर हस रही थी।
" तो बताओ जीत के कैसा लग रहा है? " संजना ने शरारती मुस्कुराहट के साथ कहा।

" ये जीत तो मेरे पर ही उल्टी हावी हो गई .."अनिरूद्ध मुस्कुराता हुआ बोला

" क्या मि ओब्रोय.. आप भी ना .. खाया नहीं जा रहा था फिर भी ... भैया एक प्लेट और ..." संजना अनिरूद्ध कि नकल करती हुई बोली और फिर हसने लगी...

" पता है एक बार मैने और अनिरूद्ध ने भी पानीपुरी कि चैलेंज लगाई थी कि कौन ज्यादा पानी पूरी खा सकता है "

" तो कौन जीता था चैलेंज ? "

" वो ही जीता था पर उसके बाद क्या हुआ पता है? " संजना कि हसी अभी भी रुक नहीं रही थी।

" क्या ? " अनिरूद्घ ने भी मुस्कुराते हुए पूछा।

" दूसरे दिन अनिरूद्ध को डायरिया हो गया था.." ये बोलकर संजना जोर जोर से हंसने लगी।

और ये सुनकर अनिरूद्ध भी सोचने लगा कि
" कहीं इतनी पानीपुरी खाकर मुझे भी डायरिया ना हो जाए.."

" आप ये सोच रहे है ना की कहीं आपको भी डायरिया हो गया तो ?" संजना ने उसे एसे सोचते देख कहा।

ये सुनकर अनिरूद्ध ओब्रॉय उसे आंखे फाड़ कर देखने लगे।
" मतलब मे सहीं हूं.. मि. माइंड रीडर "

ये सुनकर अनिरूद्ध भी स्माइल करने लगा।

" चलिए मे चलती हूं .. टेक केयर हा..." संजना ने टेक केयर पर ज्यादा भार देते हुए कहा और स्माइल करती हुईं वहां से चली गई।

अनिरूद्घ अभी भी उसे देख कर स्माइल कर रहा था। फिर उसने शर्मा जी को कोल लगाया और कहा..
" शर्माजी मे घर जा रहा हूं.. और हा डायरिया कि मेडिसीन मेरे रूम मे रख देना.."

" क्या सर आपको डायरिया हो गया ? पर कैसे? "

" हुआ नहीं है पर होने वाला है " इतना कह कर उसने फोन काट दिया ।

" ये पानीपुरी वाली चैलेंज मुझे महंगी ना पड़ जाए तो अच्छा है.."ये सोचते सोचते अनिरूद्ध ओब्रॉय वहां से चला गया।

संजना मुस्कुराती हुई घर में दाखिल हुई। मोहित होल मे सोफे पर बैठा था। उसका ध्यान संजना पर गया। उसे मुस्कुराता देख कर मोहित के चहेरे पर भी स्माइल आ गईं।

" कितने समय के बाद आज मुझे मेरी पहली वाली संजू दिखाई दे रही हैं। एसे ही मुस्कुराती रहे मेरी लाडो ! " मोहित मन में ही संजना को देख कर बोला।

उसे कुछ याद आया और उसने तुरंत संजना को रोका..
" संजू...."

" हा भाई .." संजना ने तुरंत ही पीछे मुड़ के कहा।

" यहां आओ तुम्हे कुछ बताना है " मोहित ने खुश होते हुए कहा।

" एसा क्या है भाई जो आप इतने खुश हो रहे हो..?"

" आज किंजल का कोल आया था.. वो कैनेडा से दो दिन के बाद तुम्हारी शादी के लिए यहां आने वाली है। "

" क्या सच? किंजल आने वाली है? "

" हा बाबा हमारी किंजू वापस आ रही है हमारे पास "

" मे पता नही सकती कि में ये सुनकर कितनी खुश हूं... इतने दिनों के बाद आज कोई अच्छी खबर मिली मुझे.." संजना बहुत ही खुश थी ये सुनकर।

वो जल्दी से दौड़ती हुई ऊपर गई और उसने किंजल को कोल लगा दिया।

" हाय.. मेरी संजू डार्लिंग.." किंजल ने कोल उठाते हुए कहा।

" हाय कींजू कैसी हो तुम ? "
" मे एकदम जक्कास... तुम बताओ.."
" तुम्हारे आने कि खबर सुनकर मे भी जक्कास हो गई।
संजना ने कहा और ये सुनकर दोनो ही हसने लगे।

" और बताओ मासी क्या कर रहे हैं..? " संजना ने कहा

" मम्मी एकदम बढ़िया है .. वो भी तुमसे और मासी को मिलने के लिए उतावली हुई जा रही है"

" सुनो इस बार तुम आओगी तो फिर में जाने नहीं देने वाली तुमको समझी.." संजना ने जूठा गुस्सा करते हुए कहा।

" इस बार मे कहीं नहीं जाऊंगी बस .. मेरी पीएचडी ख़तम हो गई है इसलिए हम अब वापस इंडिया मे ही सेटल होने वाले हैं। इतनी पढ़ाई करके हम दूसरे देश कि जगह अपने ही देश कि प्रगति क्यों ना कराए! "

" सही कहा .. हम भले विदेश मे जाए पढ़ाई के लिए पर हमे ये नहीं भूलना चाहिए कि हम भारतीय है.. "

"हा इसलिए.. आ रही है तेरी बहन इंडिया.. "

" हा जल्दी आ जाना मे तुम्हारा इंतज़ार करूंगी.. वहा से निकलते टाइम फोन कर देना और अपना और मासी का ध्यान रखना "

" हा फिक्र मिनिस्टर.. चलो बाय.." किंजल ने कहा।

" हा बाय नौटंकी कहिकी.." संजना ने मुस्कुराते हुए कहा और फोन काट दिया।

. 🥰 क्रमशः 🥰


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