कहानी प्यार कि - 4 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 4

अगले दिन संजना सुबह सुबह मंदिर दर्शन करने के लिए निकल गई थी। मंदिर में उसने पूजा कि और प्रसाद चडा कर बाहर आई। वो सीढ़ियों से नीचे जा ही रही थी कि उसका पैर फिसला और वो गिरने ही वाली थी कि किसीने आकर उसे पकड़ लिया। संजना ने डर से अपनी आंखें मींच ली थी।

उस लड़के ने संजना की कमर से उसको पकड़ा हुआ था।
" संजना जी अब एसे ही पूरे दिन मेरी बाहों मे रहने का इरादा है क्या.. ? " उस लड़के ने कहा।
ये सुनते ही संजना एकदम से खड़ी हुई और उस लड़के को देखे बिना ही वहा से जाने लगी।

" ओ ओ संजना मैडम कहा जा रही है आप ..? अब किसी ने आपकी हेल्प कि आप को गिरने से बचाया और आप है कि बिना उसे कुछ कहे जा रही है !" उस लड़के ने संजना को जाते हुए रोक दिया था। संजना को ये भी ध्यान नहीं था कि उसने उसे नाम से बुलाया था।

संजना के कदम वही अटक गए। उसे बड़ा अजीब सा अहसास हो रहा था। धड़कने बहुत तेज़ होने लगी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि इतनी बेचैनी उसे क्यों हो रही है ..? उसने बिना मुड़े ही उस लड़के से कहा...
" मुझे गिरने से बचाने के लिए शुक्रिया .. "

" कुछ मजा नहीं आया .. " उस लड़के ने मुंह बिगाड़ते हुए संजना को सुनाते हुए कहा।

ये सुनकर संजना को गुस्सा आया और वो पलट कर उस लड़के को गुस्से से घुर ने लगी।

" मजा नहीं आया का क्या मतलब है ? क्या तुमने अपने मजे के लिए मुझे बचाया है ? कोई तुमसे शुक्रिया कहे तो उसे क्या कहना चाइए इतना भी नहीं मालूम ? " संजना उस पर भड़क गई थी।

" कोई आपको गिरने से बचाए तो उसे शुक्रिया कैसे कहना चाहिए इतना भी नहीं मालूम ? " उस लड़के ने भी संजना को ताना मार दिया था।

" अब तुम मुझे सिखाओगे कि मुझे कैसे क्या कहना चाहीए ...? "

" हा .. जरुरत लगेगी तो वो भी करूंगा "

" ओह तो सिखाओ मुझे.. मे भी देखती हूं .. " संजना ने अपने हाथो को कमर पर रखते हुए कहा।

" ओके एस योर विश...." उसने कहा और वो धीरे धीरे संजना के करीब आने लगा।

उसे करीब आते देख कर संजना को घबराहट होने लगी।
" तुम .. तुम ये क्या कर रहे हो.. "

" वही जो आपने कहा ... " वो और करीब आया और धीरे से उसकी थाल मे से लड्डू लेकर मुंह में रख दिया। संजना तो उसे देखती ही रह गई..
" मे तो प्रसाद ही ले रहा था.. पता नहीं तुम क्या क्या सोच रही थी.. " वो लड्डू खाते हुए ही बोला।

ये सुनकर संजना चिड गई और गुस्से में बोली,
" तुम समझते क्या हो खुद को? जैसे तुम्हे सब पता है कि में क्या सोच रही थी ? "

" हा मुझे पता है .. " उसने बड़े ही आराम से कहा।

" अच्छा ? तो बताओ की में क्या सोच रही थी ...? " संजना फिर से गुस्से में बोली।

" ओके .. तुम ना.. किसी लड़के के बारे में सोच रही थी.. शायद तुम्हारे बॉयफ्रेंड के बारे में.. और तुम जैसे यू कभी खामोश कभी खोई खोई सी कभी एकदम गुस्सेल , छोटी छोटी बातों मे चीड जाती हो .. इससे लगता है तुम बहुत दुःखी हो और वो भी तुम्हारे बॉयफ्रेंड की वजह से जो शायद तुम्हे छोड़ के चला गया है ... " उसने एक ही सांस मे सब कुछ बोल दिया।

संजना उसकी बातो को सुनकर शॉक्ड थी। वो कुछ बोली नहीं।

" शायद मे सही हूं । " उस लड़के ने कहा और एक स्माइल छोड़ दी।

" तुम... तुम ये सब कैसे जानते हो .. ? " संजना को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था।

" संजना जी अब ये भी में आपको बता दू .. ! आप इतना भी नहीं पता लगा सकती ? " उस लड़के ने कहा।

" क्या कहा तुमने...? तुमने संजना कहा ? "

" हा "

" अब मेरा नाम तुम्हे कैसे पता चला ? " संजना परेशान हो गई थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।

" सोचिए सोचिए .. एक काम करिए आप याद कर लीजिए और बाद में मुझे बता देना ओके.. मे चलता हूं बाय.... " उसने कहा और जाने लगा।

संजना अभी भी उसी कि कही बातो का मतलब समझने की कोशिश कर रही थी पर जब उसे कुछ समझ नहीं आया तो उस लड़के कि तरफ देखा जो वहा से थोड़े दुर पहोच चुका था। उसने आवाज लगाई

" सुनो ... तुम हो कौन...? "

उस लड़के ने सुना पर पीछे मुड़कर देखा नहीं । वो हल्का सा मुस्कुराया और बोला..
" ओब्रॉय हूं मे .. ऑब्रॉय फार्मा इंडस्ट्री का ऑनर"

ये सुनते ही संजना का तो मुंह खुला का खुला ही रह गया। इससे आगे कुछ बोलने कि उसकी हिम्मत ही नहीं हुई। वो रास्ते पर उसके बारे में ही सोचते हुए जा रही थी। तभी कुछ आवारे लड़के एक वेन के पास खड़े खड़े वहा से आती जाती लड़की के साथ बत्तमिजी कर रहे थे।

संजना कि तरफ उनका ध्यान जाते ही एक लड़का बोल पड़ा " आय हाय जानेमन कहा जा रही हो? कहा जाना है बता दो हमारी गाड़ी से छोड़ देते है तुम्हे "

संजना ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया और तेज कदमों से आगे बढ़ने लगी।

" अरे मैडम लगता हैं आपने सुना नहीं.. आइये ना हम छोड़ देते है आपको.. "
एक लड़का संजना के करीब जाते हुए बोला। संजना अब भी रुकी नहीं तो उस लड़के ने उसका हाथ पकड़ लिया..

संजना : छोड़ो मुझे...
लड़का : अरे ऐसे कैसे छोड़ दें..
सभी लड़के जोर जोर से हंसने लगे..

संजना खुद को छुड़ा नहीं पा रही थी तो उसने उस लड़के के हाथ में जोर से काट लिया और उसके गाल पर जोर से एक थप्पड़ लगा दिया.. और वहा से जाने लगी.. पर ये देखते ही दूसरे लडके आ गए और संजना के रास्ते में खड़े हो गए..

संजना : देखो मुझे जाने दो.. नहीं तो अच्छा नहीं होगा..
लड़का : अच्छा तो अब तुम्हारे साथ नहीं होने वाला है समझी..

तभी एक लड़के ने जोर से संजना को पकड़ लिया ।
संजना : बचाओ... प्लीज.. कोई मेरी मदद करो..

संजना आगे कुछ बोल पाती उससे पहले उन लोगो ने उसका मुंह बंद कर दिया और उसे खींच के वेन मे ले जाने लगे। पर तब अचानक संजना को जिस लड़के ने पकड़ा था उस के सिर पर किसी ने वार किया और इसकी वजह से संजना उसकी पकड़ से छूट गई। सामने खड़े उस आदमी को देख कर वो चौंक गई। वो जिस के बारे में कब से सोच रही थी वो सामने खड़ा था।

उस ओब्रोय ने एक एक करके उस सारे लड़के कि जम के पिटाई कि और फिर क्या वो सारे लड़के एसे दुम दबाकर भागे है ना बात ही ना पूछो.. 😂

" संजना तुम ठीक हो? " उसने संजना के पास आते हुए पूछा।

" हा मे ठीक हूं.. आप का बहुत बहुत शुक्रिया.. "

" ये तो मेरा फर्ज था.. वैसे आप अकेले यहां से मत जाया कीजिए.. आइए मे आपको घर छोड़ देता हूं"

" नहीं शुक्रिया मे चली जाऊंगी .."

संजना जैसे ही वहा से जा रही थी तो उसको कुछ याद आया और वो तुरंत बोली
" सुनिए..."

" हा.. " उसने भी तुरंत मूड के जवाब दिया जैसे वो इसी के इंतज़ार में था।

" वो आपका नाम ...? संजना ने तुरंत ही पूछ लिया।

ये सुनते ही वो हल्का सा मुस्कुराया और बोला
" मे अनिरूद्घ ओब्रॉय ... "

ये सुनते ही संजना को जटका लगा...
" क्या क्या कहा आपने...? " संजना को यकीन नहीं हो रहा था।

" अनिरूद्घ ओब्रॉय.. "

ये सुनते ही संजना ने अपनी आंखें बंध कर ली..और सोचने लगी..
" यहां भी अनिरूद्घ.. क्यों क्यों नहीं अकेला छोड़ते तुम मुझे .."

" ओह! लगता है आपके उस बॉयफ्रेंड का नाम भी अनिरूद्घ ही था? "

ये सुनते ही संजना ने अपनी आंखे खोल ली और बड़ी बड़ी आंखो से उसे घूरने लगी.. "

" मतलब कि में सही हूं... " वो फिर मुस्कुरा उठा था।

" हा... उसका नाम भी अनिरूद्ध ही है.. अनिरूद सिन्हा। जानते हो अनिरूद्ध ने भी मुझे इसी तरह से गुंडों से बचाया था.. तब पहेली बार मैंने उसे अपने प्यार का इजहार किया था.. " संजना को उस दिन कि याद आ गई थी..

जब संजना मंदिर से घर जा रही थी तभी कुछ गुंडे आए और उसे उठा कर ले जाने लगे पर तभी अनिरुद्ध आ गया और उसने संजना को उस गुंडों से बचा लिया। उसने उन गुंडों कि जम के धुलाई कि।

उस दिन संजना बहुत घबरा गई और जाके अनिरुद्ध से लिपट गई। वो बहुत रो रही थी
" तुमने मुझे बचा लिया ..अनिरुद्ध ! मुझे लगा था कि में अब तुम्हे कभी नहीं देख पाऊंगी .. पर तुम सही समय पर आ गए.. मे तुमसे बहुत प्यार करती हूं .. तुमसे दूर नहीं रह सकती मे " आज संजना कि जुबान ने भी उसके प्यार का इजहार कर दिया था।

" मे भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं संजना.. तुम्हे कभी कुछ नहीं होने दूंगा.. वादा करता हूं.. मे भी तुम्हारे बिना नहीं जी सकता " अनिरूद्ध कि आंखे भी बहने लगी थी , क्योंकि उसकी जान तो संजना मे ही बसती थी और आज उसकी जान को खतरे में देखकर उसकी भी सांसे अटक गई थी।

" तुम मुझे छोड़कर कभी नहीं जाओगेना " संजना ने अनिरुद्ध की तरफ देखते हुए पूछा।

" कभी नहीं .." अनिरूद्ध ने उसकी आंखो मे देखते हुए कहा और फिर उसकी आंखो को चूम लिया। "


" वैसे मैंने तुम्हे बहुत इंतजार करवाया ना ..? " संजना ने नम आंखों से अनिरुद्ध को देखते हुए पूछा।

" हा.. ये तो है .. तुमने जितना मुझे अपने पीछे भगाया है उतना तो शायद मिल्खा सिंग भी नहीं भागा होगा! " अनिरूद्ध ने मस्ती करते हुए कहा।

" सॉरी ... अनिरुद्ध "

" अरे संजू में तो मजाक कर रहा था.. तुम्हारे लिए तो मे कुछ भी कर सकता हूं.. में तो पूरी लाइफ तुम्हारे पीछे भागने के लिए तैयार हूं। तुम कहो तो में भी मिल्खा सिंग की तरह दौड़ में हिस्सा ले लू? "

अनिरुद्ध न एक आंख विंग करता हुआ बोला।

" अनिरुद्ध.. तुमसे तो बात करना ही बेकार है .. तुम्हे तो हर बात में मस्ती ही सुजती है " संजना ने गुस्सा होते हुए कहा और वहा से जाने लगी।

" अरे ! सुनो ना .. मे सच में कह रहा हूं.. मस्ती में नहीं, अच्छा चलो तुम मेरी कोच बन जाना बस..
फिर देखना नेक्स्ट ट्रॉफी इस अनिरुद्ध के नाम ही होगी... " अनिरुद्ध संजना के पीछे जाते हुए बकवास किए जा रहा था।

ये सुनते ही संजना रुक गई और गुस्सा करती हुई बोली...
" अब बस करो ये बकवास .. मे यहा तुम्हारे बारे में सोचकर परेशान हुई जा रही हूं और तुम्हे मजाक सुज रहा है ? "

" अच्छा सोरी बाबा .. अब नहीं करूंगा बस.. पर तुम मुझ से प्रोमिस करो कि तुम हमेशा मेरे साथ एसे ही बाते करती रहोगी, तुम्हारी बाते सुनने के लिए मैने बहुत लम्बा इंतजार किया है पर अब नहीं होगा .. करती हो प्रोमिस ? "

" हा.. प्रोमिस " इतना सुनते ही अनिरूद्घ ने संजना को अपने सिने में छुपा लिया था। दोनो ही खामोश से एक दूसरे को महसूस कर रहे थे।

"आई लव यू अनिरुद्ध " संजना ने अनिरुद्ध की और देखकर कहा।
" आई लव यू टू संजू " अनिरूद्ध ने भी संजना के माथे को चूमते हुए कहा।

" चांद को सितारे से और मुझे तुम से
मोहब्बत है ,
फूलो को बहारो से और मुझे तुम से
मोहब्बत है ,
महफ़िल में जो मिलना , निगाहे जुका लेना,
कोई समझ ना पाए कि मुझे तुम से
मोहब्बत है ,
अब तेरे हिज्र मे बस एक काम है आसमान तकना,
तुम सितारों पे लिख देना , मुझे तुम से
मोहब्बत है ,
है हमे एहसास तुम को भी हमसे प्यार है लेकिन
ये मुझे रूबरू कहना की , मुझे तुम से
मोहब्बत है !! "

" अरे आप मुस्कुरा रही है...?" अनिरूद्घ ओब्रॉय ने संजना को एसे अकेले मुस्कुराता देख कर पूछ लिया।

ये सुनते ही संजना अपनी यादों से बाहर आ गई।
" हा.. बस कुछ बाते याद आ गई थी.."

" बाते या फिर आपका अनिरूद्घ..? " उसने संजना कि आंखो मे झांकते हुए पूछा..

ये सुनते ही संजना के चहेरे पर भी स्माइल आ गई।
" हा.. .. वो ना हर वक्त मुझे हसाने कि कोशिश करता रहेता था.. सबसे अच्छा था.. "

" तो फिर वो आपको छोड़ के क्यों चला गया.. ? "

" शट अप.. वो मुझे छोड़ के नहीं गया है समझे आप ..! " संजना को उसकी बात सुनकर गुस्सा आ गया था।

" ओह.. सोरी संजना.. मे बस ये कह रहा हूं कि वो आपको छोड़ के नहीं गया तो वो कहा है? "

" मे नहीं जानती वो कहा है ? वो क्यों चला गया? मे बस इतना जानती हूं कि वो मुझे कभी धोखा नहीं दे सकता.." संजना ने बहुत ही विश्वास से ये कहा था।

" काफी भरोसा करती है आप उसपे.. चलो अच्छा है , भगवान करे आप और आपका अनिरूद्ध जल्द ही मिल जाए.. चलो अब में चलता हूं.. आप से मिलकर अच्छा लगा। "

" मुझे भी.. शुक्रिया " संजना ने मुस्कुराते हुए कहा।

फिर दोनो ही अपने अपने रास्ते पर चल दिए।

🥰 क्रमशः...🥰

अगर आपको यह कहानी अच्छी लग रही हो तो प्लीज़ अपना अमूल्य रिव्यू जरूर दीजियेगा 🥰