हीरोइन - 11 Prabodh Kumar Govil द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हीरोइन - 11

सदी के आखिरी दशक तक आते - आते फ़िल्म इंडस्ट्री में बड़े बदलाव आए।
एक बड़ा बदलाव ये था कि पहले फ़िल्मी परिवारों के जो लोग फ़िल्मों में आते थे, वे इस बात को छिपाते थे कि वे किसी फ़िल्म स्टार के संबंधी हैं। वे चुपचाप आ जाते, और जब सफल या असफल हो जाते, तब मीडिया को पता चल पाता था कि ये अमुक फ़िल्म स्टार के संबंधी हैं।
लेकिन अब बाकायदा बड़े सितारे अपने पुत्र - पुत्रियों को ज़ोर शोर से ये कह कर लॉन्च करने लगे थे कि वे अपनी विरासत अपनी संतान को सौंप रहे हैं।
मज़े की बात ये थी कि दर्शकों को इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ा कि कौन किसका बच्चा है। उन्हें जो पसंद आया, उसे ही उन्होंने कामयाब बनाया। जो पसंद नहीं आया उसे अस्वीकार भी किया।
काजोल और करिश्मा लगभग एक साथ ही फ़िल्मों में आईं।
दोनों ने ही कई हिट फ़िल्में भी दीं।
लेकिन काजोल के रूप में फ़िल्म जगत को एक ऐसी अभिनेत्री मिली जिसे आधुनिक लड़की की ऐसी छवि रचने का श्रेय मिला जिसे अपनी परंपराओं, आत्मसम्मान व आत्मविश्वास के साथ नई दुनिया में जीना बखूबी आता हो।
काजोल की दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे, बाज़ीगर, करण अर्जुन, कुछ कुछ होता है, जैसी फ़िल्में ब्लॉक बस्टर साबित हुईं। दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे ने तो सफ़लता के पुराने तमाम रिकॉर्ड तोड़ डाले। ये फ़िल्म बेहद सफ़ल हुई और इस सफलता में भी ख़ास बात ये थी कि फ़िल्म कोई मल्टी स्टारर नहीं थी। बहु सितारा फ़िल्मों के उस दौर में डीडीएलजे की भव्य सफ़लता ने काजोल के बाज़ार में ज़बरदस्त इज़ाफा किया और युवा पीढ़ी देखते देखते काजोल के साथ हो गई। काजोल द्वारा अभिनीत अधिकांश भूमिकाएं कोई लाउड रोल्स नहीं थे जिनमें नायिका को जिंदगी की दौड़ में ज़माने से अलग दिखा कर प्रशंसा बटोरी गई हो
करिश्मा कपूर की तुलना इन दिनों रवीना टंडन से की जा रही थी। दोनों ने गोविंदा के साथ जोड़ी बना कर कई लोकप्रिय फ़िल्में दीं।
नई पीढ़ी का आदर्श जल्दी ही जाहिर होकर सामने आया और काजोल एक समर्थ अभिनेत्री के रूप में अपनी जगह बनाने लगीं।
इन दिनों एक और बड़ा बदलाव फिल्मी दुनिया में आया कि हीरो हीरोइन का आकलन उनके अभिनय और व्यक्तित्व पर न होकर इस बात से किया जाने लगा कि उनकी कमाई कितनी है।
इससे प्रतिभा का गणित गड़बड़ा गया।
हीरो हीरोइन दर्शकों के दिल की जगह दिमाग़ पर राज करने लगे। उनकी चर्चा एक्टिंग से इतर अन्य बातों, प्रेमसंबंधों, व्यापारिक बुद्धि, विज्ञापनों आदि से भी होने लगी।
जहां पहले सच्चा प्रेम करके भी उसे छिपाने का दस्तूर था, वहीं अब व्यावसायिक प्रेम करके उसे दर्शाने की होड़ लगने लगी।
मीडिया में चर्चा कराने की कोशिशें होने लगीं।
इस सब के बावजूद जाती हुई सदी में काजोल फिल्मी दुनिया में "नंबर वन" की रेस में अपनी सभी समकालीन अभिनेत्रियों से आगे निकलती हुई दिखाई देने लगीं।
जहां मोहनीश बहल अब तक नूतन के बेटे कहे जा रहे थे, वहां लोग तनूजा और बबीता को काजोल व करिश्मा की मम्मी के तौर पर जानने लगे।
काजोल ने बड़े हीरो अजय देवगण से विवाह किया।
जल्दी ही काजोल बॉलीवुड की सिरमौर बन गईं।
शाहरुख खान के साथ सबसे सफल जोड़ी बनाने वाली काजोल दशक के अंत तक नरगिस, मधुबाला, मीना कुमारी, वैजयंती माला, साधना, शर्मिला टैगोर, हेमा मालिनी,रेखा,श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित के साथ "नंबर एक" क्लब की सदस्या बन गईं।