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हीरोइन - 9

फ़िल्म जगत में जब कोई हीरो या हीरोइन "नंबर एक" की कुर्सी पर काबिज़ होते हैं तो उनको किसी न किसी शानदार आर्टिस्ट से ज़बरदस्त चैलेंज ज़रूर मिलता है।
ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी स्टार की कोई शानदार ब्लॉकबस्टर फिल्म आई और उसे सीधे सुपरस्टार का दर्ज़ा मिल गया हो। उसे नंबर वन कहलाने के लिए अपने समकालीन श्रेष्ठ लोगों से टक्कर ज़रूर लेनी पड़ती है।
"सोलवां सावन" से जब श्रीदेवी आईं तो फ़िल्म बहुत कामयाब न होते हुए भी लोगों ने इस नई तारिका की ताज़गी ज़रूर महसूस की।
लेकिन जब उनकी "हिम्मतवाला" सुपरहिट हुई तो उसके बाद उनकी बड़ी और कामयाब फ़िल्मों की झड़ी लग गई। तोहफ़ा, मक़सद, जस्टिस चौधरी से होते हुए उनके कदम चांदनी, चालबाज, नगीना, निगाहें और लम्हे तक पहुंच गए।
श्रीदेवी "नंबर वन" बन गईं। उनसे पहले इस सिंहासन पर विराजमान रेखा तब तक चुनिंदा और कलात्मक फ़िल्में करने लगी थीं। इस बीच डिंपल कपाड़िया, पद्मिनी कोल्हापुरे,रति अग्निहोत्री, पूनम ढिल्लो और अनीता राज के साथ साथ रंजीता, टीना मुनीम, मंदाकिनी ने भी अपनी चमक बिखेरी किन्तु डिंपल शादी करके एक बार फ़िल्मों से अलग होने के बाद दूसरी पारी में वो पहले सा जलवा नहीं दिखा सकीं। उनकी बाद की फ़िल्मों में "बॉबी" वाली बात नहीं आ सकी। रंजीता ने लैला मजनू, अंखियों के झरोखों से के बाद अपने असर को बढ़ते हुए नहीं बताया
मंदाकिनी और रति अग्निहोत्री की कहानी भी एक सी रही। तोला के बाद माशा,और माशा के बाद रत्ती।
पद्मिनी कोल्हापुरे ने एक बार प्रेमरोग,प्यार झुकता नहीं, प्यारी बहना,सौतन जैसी फ़िल्मों से ऊंचाइयां छूने की कोशिश की, किन्तु श्रीदेवी की धमाकेदार एंट्री ने दर्शकों को अपनी ओर खींच लिया।
लेकिन श्रीदेवी के लिए ये सोपान पाना इतना आसान नहीं था। उन्हें टक्कर मिली जयाप्रदा से।
अपनी पहली ही फिल्म "सरगम" से तहलका मचा कर जयाप्रदा दर्शकों की कसौटी पर कामयाबी के मैदान में छाई हुई थीं।
फिल्मकारों ने भी जल्दी ही ये भांप लिया कि दर्शक अब श्रीदेवी और जयाप्रदा के बीच से ही फ़िल्म तख्त की अगली महारानी चुनना चाहते हैं।
इन दोनों को एक साथ भी कई फ़िल्मों में उतारा गया। उस दौर के तमाम बड़े नायकों अमिताभ बच्चन, जीतेन्द्र, ऋषि कपूर के साथ दोनों की जोड़ी जमाई गई। यद्यपि इस बीच तब्बू, पद्मिनी कोल्हापुरे, पूनम ढिल्लों, अनीता राज आदि कई अच्छी अभिनेत्रियां फ़िल्मों में आईं किंतु श्रीदेवी जैसी धुआंधार सफ़लता इनमें से किसी को भी नहीं मिली।
एक के बाद एक कई हिट और सुपरहिट श्रीदेवी और जयाप्रदा दोनों की ओर से ही दी गईं। और अंततः श्रीदेवी ने ये रेस जीत ली। वो जब अपने डांस के साथ पर्दे पर आती थीं तो वहां किसी और के लिए कोई जगह नहीं रह जाती थी।
ये भी आश्चर्यजनक था कि दक्षिण से आई श्रीदेवी हिंदी फ़िल्मों में सफ़ल होने तक ठीक से हिंदी जानती तक नहीं थीं। उन्होंने शुरू की कुछ फिल्मों में डबिंग का सहारा भी लिया। लेकिन उस समय के लगभग सभी टॉप अभिनेताओं - अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ, मिथुन चक्रवर्ती, ऋषि कपूर, सनी देओल के साथ उनकी जोड़ी हिट रही। वे अमिताभ बच्चन, जितेंद्र और राजेश खन्ना के साथ तो फिल्में कर ही रही थीं।
श्रीदेवी ने सदमा जैसी फिल्म में बेहतरीन अभिनय का प्रदर्शन भी किया। जल्दी ही उन्होंने शिखर छू लिया और वो अपने साथ की सभी अभिनेत्रियों से अलग और ऊपर दिखाई देने लगीं। ये वो समय था जब कला फ़िल्मों से जुड़ कर शबाना आज़मी, स्मिता पाटिल भी अपना दबदबा कायम कर चुकी थीं।
श्रीदेवी ही नरगिस,मधुबाला, मीना कुमारी, वैजयंती माला, साधना, शर्मिला टैगोर, हेमा मालिनी, और रेखा के बाद रजतपट की अगली "नंबर वन" पायदान की हकदार बनीं।


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