में और मेरे अहसास - 51 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 51

तुम तो मेरी जान हो l
ममता का मेरी मान हो ll

आशीर्वाद मे खुदा का l
मुझे दिया वरदान हो ll

जिंदगी की पतझड़ मे l
बगिया का हरा पान हो l

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में प्रीत के रंग मे रंगने लगी l
चुनरिया मे रंग भरने लगी ll

जन्मो जन्म साथ रहने के लिए l
पिया के ढांचे में ढ़लने लगी ll

मिलन की घड़ीया नजदीक हैं l
सजना के लिए सजने लगी ll

जैसे पंख मिल गये हों आज l
खुशी के ख्वाबों में उड़ने लगी ll

मदहोशी के आलम में सखी l
आंखे सुबह शाम जगने लगी ll 
१५-३-२०२२

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जिंदगी में खुबियाँ बहुत है l
चहरे पे सुर्खियाँ बहुत है ll

मिलन की तपिश बढ़ने से l
प्यार में बेचैनियाँ बहुत है ll

चैन से जीने भी नहीं देते l
यहाँ रुसवाईयाँ बहुत है ll

जहां में करोड़ों लोग फ़िर भी l
भीड़ में तनहाइयाँ बहुत है ll

एक नज़र देखने के लिए दिल में l
अजीब सी बेताबियाँ बहुत है ll
१४-३-२०२२

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जाम पीकर ना मदहोश हो l
खूबसूरती देख ना बेहोश हो ll

तकदीर मे होगा वो मिलेगा l
जो भी मिले उसमें संतोष हो ll

खुदा की खुदाई मे कर भरोसा ll
माफी मांग ले ग़र दोष हो ll

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हाथ नहीं साथ दो l
सलाह नहीं सहारा दो ll

दिल मे प्यार हो तो l
बस एक इशारा दो ll

बीच राह में भटकी हुई l
कश्ती को किनारा दो ll
१२-३ -२०२२

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बेदर्द दुनिया में इंसानियत दम तोड़ती है l
निज स्वार्थ के लिए सच्चाइयाँ छोड़ती है ll

हवा, मुक्कदर और कुदरत का फेसला l
एक पल में जिंदगी जीने का रुख मोडती है ll

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अजीब सी कशिश है ख्वाबों में l
जाम सा नशा है शबाबों में ll

सुबह शाम एक तौर मे जीते हैं l
हरपल रहते हैं वो रुआबो में ll

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तपिश में अगन है l
मिलन की लगन है ll

आँखों में बसी हुई l
थोड़ी सी जलन है ll

याद मे मुसलसल l
देख बरसतें नयन है ll

मिलन की चाहत के l
अब अरमान दफन है ll

चकोर की तड़प देख l
आज रोया गगन है ll
९-३-२०२२

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यहाँ रुकने से कुछ हासिल नहीं है l
आगे बढ़ता जा ये मंझिल नहीं है ll

अपनों से धोखे खूब खाए इस लिए l
पराये को घर में दाखिल नहीं है ll

किस की आशा लगाए रुका है तू l
यहां कोई भी आदिल नहीं है ll

है पढ़ लिखो की दुनिया भले ही l
अनपढ़ है पर जाहिल नहीं है ll

लगता है सीधा सादा सरल पर l
दुनियादारी से गाफिल नहीं है ll

ना कर उम्मीद बेरहमों से अब l
जंगल का शेर है आमिल नहीं है ll
८-३-२०२२

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दुनिया है यहां कुछ तो लोग कहेंगे ही l
अफवाहों से कान तो लोग भरेंगे ही ll

खुद पर भरोसा है तो डरता क्यूँ है l
सच्ची व झूठी भावनाओ मे बहेगे ही ll

साफ दामन रखा हो जिसने उम्रभर l
बात डरने की है तो वह डरेंगे ही ll

पराये होते तो लड भी लेते उनसे l
अपनों ने दिये धोखे को सहेगे ही ll

किसी का सुकून देख न सके जो l
फितरत हो जिसकी वो जलेंगे ही ll

सहर की रोशनी की आदत है पर l
काली रात का सामना करेगे ही ll

अफवाहों को नजरअंदाज कर के l
जैसे है वैसे ही बेखौफ रहेगे ही ll
७-३-२०२२

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दिल को रफ़ाक़त ग़मों से है तो है l
नज़्मों का नाता लफ्ज़ो से है तो है ll

अपने या पराये राह में जो भी मिले l
हमारे दर्दो नाता झूठों से है तो है ll

बेवफा की मोहब्बत मे बहती हुईं l
आंखों का नाता अश्क़ों से है तो है ll

अब बड़ी बड़ी कॊलेज मे पढ़े हुए l
अनपढ़ सा नाता बंदों से है तो है ll

खुदा ने तो प्यारे प्यारे रंग बनाए है l
होली मे बॅरंगीन नाता रंगों से है तो है ll

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दिल से ख़ुदाई इश्क़ की इबादत करो l
जी जान से दिल खोल के मोहब्बत करो ll

अपनी और अपनों की ख़ुशी के लिए l
मीठी मीठी प्यारी बातेँ हर वक्त करो ll

मेरा तेरा कुछ साथ नहीं जाने वाला l
नफ़रत भूल जाओ बस चाहत करो ll

अच्छे कर्म का अच्छा ही पाओगे l
खुदा के बंदे हो सबपर रहमत करो ll

मुश्किल की इस घड़ियों मे आज l
सब को खुशी सुकून इनायत करो ll
३-३-२०२२

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गर दिलबर को पाने की जिद न हों l
तो इश्क़ का मज़ा ही क्या रहता है ll

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ख़ुदाई इश्क़ की ये जो ज़मीं है l
आंखों में शर्मो हया की नमी है ll

दूध की गंगा बहती है यहां पे l
किसी भी बातकी नहीं कमी है ll

जन्नत बस्ती है रूबरू देख l
दिलों मे प्यार की नरमी है ll

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दर्द दिल में छुपाए लबों को हँसने दो l
अनकहे दर्द को दिल में ही बसने दो ll

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उनसे आज गुफ़्तगूं कर ली l
रूह मे अपने मसर्रतें भर लीं।

बिना मतलब के बिना कहे l
यू खबर अंतर हर पहर ली l

सखी बाकी बची जिंदगी में l
खामोशीयों भरके सँवर ली ll

बेदर्दी ने दिल तोड़ के फिर l
उधार मे मिलीं खुशी हर ली ll

खुद के सुकून के वास्ते जिद l
अपने ही हाथों से ठहर ली ll
२८-२-२०२२

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खूबसूरत स्वप्न आँखों मे समा गया l
प्यारे धोखे को रूबरू मे दिखा गया ll

दीदार ए इश्क की तड़प यू बढ़ी के l
प्यारा लम्हा ज़िंदगी से मिला गया l

आब ए चश्म को देखकर लगता है l
आज भूला बिसरा गाना सुना गया ll

कभी कभी मुहब्बत मे दिलबर को l
प्यारा जूठ कहके दिल सहला गया ll

लबों पे बड़ी सी तबस्सुम चिपका के l
चुपचाप खूने जिगर को पिया गया ll
२७-२-२०२२
तबस्सुम - मुस्कुराहट
आब-ए-चश्म - आँखों का पानी
दीदार-ए-ख़ुदा - ईश्वर का दर्शन

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ये किस तरह का शहर मे फेला है कोहराम l
एक लम्हे का नहीं है सुकून ना ही आराम ll

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आरजुओं की तबाही का मंज़र देखो l
छुपा हुआ है बारूदी गोला अंदर देखो ll

रूह का सीना ख़त्म करने के लिए आज l
अपने ही साथ लिए फिरते हैं खंजर देखो ll

आँधी तूफ़ान आते जाते रहते हैं उम्रभर l
सामना झिलने को तैयार है निरंतर देखो ll

खूबसूरती देखने का नज़रिया सिखों l
तन नहीं नारी का मन है सुन्दर देखो ll

सब को ख़ुद के जैसा सीधा न समज l
ज़मीं से आसमान का अंतर देखो ll

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बहारो प्यारा गीत प्यारी नज़्म गुनगुनाओ तुम l
आने आला है सजना कोई ग़ज़ल सुनाओ तुम ll

कैसे काटे है रात और दिन जुदाई मे हमने l
महफिल में बैचेन दिल का हाल बताओ तुम ll

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