अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस Pranava Bharti द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

'नारी तू नारायणी' कहने वाले क्या यह समझते व स्वीकार भी करते हैं कि वास्तव में स्त्री का सम्मान कितना आवश्यक है अथवा जीवन में स्त्री कितनी महत्वपूर्ण है ? यदि इसका उत्तर 'हाँ' में है तो आज भी इतनी असुरक्षा क्यों ?आज भी इतने 'रेप' क्यों ? आज भी स्त्री दूसरे पायदान पर क्यों खड़ी दिखाई देती है ?

हम सब अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास से परिचित हैं फिर शनैः शनै: यह पूरे विश्व में कैसे और क्यों महत्वपूर्ण दिन बना इस इतिहास से भी परिचित हैं किंतु क्या इससे भी बाबस्ता हैं कि आज हम कहाँ खड़े हैं ?

हम खड़े हैं बाज़ारवाद के उस युग में जहाँ स्त्री की नुमाइश करके व्यापार किया जाता है | हाँ, यह आक्षेप नहीं है यह आँख खोलने की बात है कि आखिर हम ये महिला दिवस की किस धुरी पर चल रहे हैं | यह स्त्री के लिए गंभीर चिंतन का विषय है। हम नग्नता को 'मॉर्डनिटी' समझें अथवा स्वतंत्रता के नाम पर उश्रृंखलता ओढ़ लें तो कहीं न कहीं यह हमारा भी दोष तो है ही |

प्रत्येक देश की अपनी मान्यताएँ हैं, हमारी परम्पराओं में तो सदा ही माता को सम्मान दिया गया है फिर क्यों आवश्यकता हुई कि स्त्री को अपने अस्तित्व के लिए जूझना पड़ा ? हर बात के पीछे कारण होते हैं, इसके पीछे भी अनेकों कारण है, हम सब उनसे परिचित भी हैं |

क्यों निर्भया जैसे कांड होते हैं ? क्यों इस प्रकार के दोषियों को सज़ा मिलने में वर्षों लग जाते हैं ?क्यों स्त्री अपने ही शहर में, अपनी सड़क पर, अपनी गली में यहाँ तक कि अपने ही परिवार में सुरक्षित नहीं है ?

गार्गी, अपाला, लोपामुद्रा, 

मैत्रेयी हमारे देश में ही तो जन्मी हैं जो आज भी हैं | आवश्यकता है उनको पहचानने की, उनके सम्मान की, उनकी सुरक्षा की ! यदि सम्मान होगा तो सुरक्षा स्वत: ही हो जाएगी किन्तु यदि सम्मान ही न हो तो ----? स्त्री को स्वयं भी अपने सम्मान की सुरक्षा करनी होगी, इस दिखावटी खोल को ओढ़कर वह कैसे सम्मान व सुरक्षा प्राप्त कर सकती है?

प्रश्न का उत्तर कठिन हो सकता है किन्तु चिंतन करने की आवश्यकता तो है ही | मेरे विचार में जिस दिन स्त्री को समाज के दोनों वर्गों से यथोचित सम्मान प्राप्त होने लगेगा, जिस दिन दोनों वर्ग कदम से कदम मिलाकर स्नेह से साथ चलने लगेंगे, उस दिन केवल किसी विशेष दिन 'महिला दिवस; मनाने की आवश्यकता नहीं होगी | हर दिन महिला -दिवस होगा, हर दिन प्रत्येक का दिवस होगा, हर ओर प्रसन्नता व सुकून का माहौल होगा !

इसी आशा व विश्वास के साथ हमारी पीढ़ी अपनी आगे की पीढ़ी को शुभेच्छाएँ प्रेषित करती है |

स्नेह सहित

डॉ.प्रणव भारती

अहमदाबाद

गुजरात