संस्कृतियो का अनोखा मिलन - 1 Akshika Aggarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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संस्कृतियो का अनोखा मिलन - 1

Chapter one
यु तो माहेश्वरी मेंशन में रोज सुबह होती थी, पर आज की सुबह कुछ खास थी आज रोनक छुट्टियां मनाने के लिए एक अर्से के बाद अपने शहर अपने घर जयपुर आया था।उसके स्वागत की तैयारियां हो रही थी गोरे रंग भूरी आंखों और गठीले कद वाला रोनक जब माहेश्वरी मैन्शन के सामने अपनी मर्सेडीज से उतरा तो ऐसा लगा जैसे कि कोइ सुंदर सी शाही सवारी से राजकुमार उतरा हो। उसकी मां के कानों में जब घर के पुराने वफादार नौकर रामू (नटवर) काका की आवाज़ पड़ी कि कुंवर साहब आ गए तो वह आरती की थाली लेकर दरवाज़े पर पहुंच गईं। पिता भूपेंद्र सिंह अपना कर काम छोड़कर बेटे को गले लगाने बड़े से बैठक हॉल को पार कर दरवाजे पर पहुंचे।
माँ सुभद्रा देवी ने उसके माथे तिलक लगा कर उसकी आरती उतारी और फिर अपने कलेजे से लगा कर बोलीं, "आओ लाडेसर अंदर पधारो।"
पिता भी भावुक होकर बोले "तुम्हे देखने को नैन तरस गए थे। अब तुम आ गए हो कुछ वक्त सुकून से कटेगा।"
संस्कारों को महत्व देने वाले रोनक माहेश्वरी ने पिता राजा भूपेंद्र सिंह माहेश्वरी के चरण छूकर कहा, "मैं भी आप दोनों को मिलने के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक था।" उसके बाद उसने अपनी मां के पैर छुए। सुभद्रा और भूपेंद्र अपने बेटे के आने पर बहुत खुश थे। उन्हें इस बात का गर्व था कि मुंबई जैसे शहर में रहते हुए भी उसने अपनी संस्कृति को नहीं छोड़ा है।
नहा धोकर रौनक ने अपने कुल के इष्ट देव की आराधना की। उसके बाद रियायत के मंत्रियों से मिला स्वभाव से मिलनसार और संवेदनशील रोनक में सबको एक ही पल में अपना बना लेने का गुण था। सभी रोनक के इसी मिलनसार स्वभाव के चलते उसकी ओर इस तरह आकर्षित होते थे जैसे भवरे फूल से होते हैं। उसे जानने वाले उससे बात किये बिना रह नही पाते थे।
वहीं दूसरी ओर उसके पिता सिध्दांतवादी एवं अपनी पुरखों की सभ्यता को कायम रखने में सक्षम थे। उनके रियासत में सब अपने राजा को पूजते थे । जब वह सिर पर लाल साफा पहनकर और मूंछो को ताव देते हुए अपनी पीढ़ियों से चली आ रही शाही सवारी पर निकलते थे तो उनके ठाट बाट देखते ही बनते थे। उस समय अपने राजा की एक झलक देखने के लिए लोग घंटों तक मैन्शन के बाहर खड़े रहते। वह पल में अपनी प्रजा की परेशानी का हल निकल लेते। कड़े अनुसाशन में रहना पूजा पाठ करना बुरी आदतों से जैसे सिगरेट पीना शराब पीने से दूर रहना उन्हें विरासत में मिले थे। इन सभी आदतों में रोनक उनकी छवि ही था। 21वी सदी में रहने के बाद भी पुजा पाठ करना, व्यायाम करना, शाकाहारी खाना, और मुंबई में अपनी मॉडलिंग कंपनी में समय बिताना उसको अति प्रिय था। परंतु पिता के संस्कारों को अपनाने के साथ साथ उसने 21वी सदी के खुले विचार भी अपने जीवन मे अपना रखे थे। तभी तो पिता का राज पाठ होने के बाद भी उसकी मुम्बई में एक मॉडलिंग कंपनी थी ताकि वो उभरते हुए मॉडल्स को अपना कैरियर बनाने का एक मौका दे सके।
उसके घर मे वह अपनी माँ के बेहद करीब था। सबका ध्यान रखने वाली उसकी माँ भी उससे बहुत प्यार किया करती थी सुबह जल्दी उठ स्नान कर पूजा पाठ करना, फिर अपने परिवार का ध्यान रखना, घर मे इतने नौकर चाकर होने के बावजूद भी वह नटवर काका के साथ खाना ख़ुद पकाना उनकी दिनचर्या का हिस्सा थे। स्वभाव में एकदम सरल और प्रेम की मूरत थी सुभद्रा देवी। वह भगवान से केवल इतना ही माँगती थी कि उनका घर खुशियों से भरा रहे, और रोनक एक अच्छी सी लड़की के साथ अपना घर बसा ले।
घर की बात की जाए तो रोनक का मेंशन किसी महल से कम ना था आधुनिक और पौराणिक से लेकर हर चीज़ थी। उसके माता पिता को अपनी विरासत में मिली हुई चीजो से, जैसे उनके दादा से मिली हुई घड़ी से लेकर शाही सवारी की गाड़ी भी उन्होंने संभाल कर रखी थी।वही दूसरी और उन्होंने रोनक के लिए स्विमिंग पूल, जिम, आदि जैसे सुविधाएं भी उपलब्ध कराई थी। और इनके घर का मंदिर तो अत्यन्त सुख दाई और मन मोह लेने वाला था। जहाँ हर देवी देवताओं की मूर्ति के साथ -साथ माहेश्वरी परिवार के इष्ट देवता भी स्थापित थे। इन सब चीज़ों की देख रेख वहाँ के नौकर नटवर काका, विथल, और ड्राइवर श्याम सिंह करते थे। नटवर काका सबसे बुजुर्ग थे तो वह रसोई व घर की साफ सफाई का ध्यान रखते विथल घर के बाहर के काम देखता था। और श्याम सिंह घर मे किसी को बाहर ले जाना और लाने का काम घर के हर तरह के वाहन चलकर करता। पर रोनक यहां साल में एक बार छुट्टियां मनाने आता था। इन दिनों में उसका मन तरोताजा हो जाता था। जैसे इस बार आया है। माँ उसे प्यार और दुलार से खाना परोसती थीं।
आज भी उसके लिए माँ ने उसकी मन पसंद पुरी भाजी एवम हलवा बनाया था। पिता उससे खूब सारी बातें करते उसकी मॉडलिंग कम्पनी के बारे में खाते हुए पिता उसके काम के बारे ‌में पूछ रहे थे. वह सब विस्तार से बता रहा था कि उसका ऑफिस बेहद खूबसूरत और बड़ा है उसमें लगभग 100 से 200 कर्मचारी काम करते है। उसका आफिस जुहू बीच के एकदम सामने है। जब भी वह काम से थक जाता है तो जाकर जूहु बीच की समुंद्र की लहरों के सामने ढलते हुए सूरज से बात करता है। इस बात में उसे बड़ा आनन्द एवम सकून मिलता है। इतना ही नही उसने बातों बातों में बताया कि कैसे जूहु बीच उसके लिए इतना खास है। वह वहां अपनी थकान मिटाने जाता था। एक दिन उसी बीच पर उसे एमिली जोंस मिली। उसके साथ बातचीत शुरू हुई जो धीरे धीरे दोस्ती में बदल गई। वह अपने मां पिताजी को ऐमिली जोन्स की ढेर सारी बातें बताने लगा। उसके बारे में बोलते बोलते वह उन सुनहरी यादों में खो गया।सब बताते हुए वह एमिली से अपनी पहली मुलाकात को याद करने लगा। एक दिन वह अपनी थकान मिटाने बीच पर गया था। वहां उसकी नज़र एमिली पर पड़ी
वह बहुत खुबसूरत थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे समुद्र से कोई जलपरी निकल कर बीच पर आ गई हो। वह उसे देखता ही रह गया। अगले दिन एमिली उसे फिर बीच पर मिली। उसने हिम्मत करके उससे बातचीत की। उसे पता चला कि वह अमेरिका से आई है। एक मॉडल है। कुछ दिन भारत में रहना चाहती है। रौनक ने उसे अपनी मॉडलिंग एजेंट के बारे में बताया। अपने मैनजर को उसके घर भेजकर उसे मॉडलिंग के लिए साईन कर लिया।
उसकी बात सुनकर पिताजी बुलंद आवाज में बोले,
"अच्छा तुम जिसकी इतनी तारीफ कर रहे हो उसके बारे में और कुछ बताओ ? वह क्या करती है? कहां रहती है?"
रोनक बोला"पिताजी ऐमिली इस देश की नही सात समन्दर पार अमिरिका से आई है अमेरिका में उसके पिता जी का अपना बंगला है पिताजी रिटायर्ड अफसर हैं तो माँ मेरी माँ की तरह कुशल ग्रहणी है। एमिली भी अमेरिका की जानी मानी मोडल्स में से एक है। हज़ारों कंपिनियो में अपना हुनर को दर्शाया है उसने।उसके द्वारा किये गए असाइनमेंट के प्रोडक्ट्स की मांग बहोत ज्यादा है और लाखों में बिकते हैं उसके आने से हमारी कंपनी को भी लाभ हुआ है। उसका पूरा परिवार खुले विचारों का है। पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित।"
माँ रोटी परोसते हुए बोली "मैन सुना है अमेरिका में लड़कियां भी शराब मास मच्छि, सिगरेट का सेवन करती है छोटे छोटे कपड़े पहनती है देर रात तक बाहर रहती है क्या एमिली भी ऐसी ही है?
रोनक ने दबी हुई आवाज़ में कहा, "हाँ, परंतु!
हाँ सूनते ही पिताजी भड़क गए और बोले"बेड़ा गर्ग हो इन अंग्रेजो का इनकी भी कोई संस्कृति है ना कोई संस्कार नाही कोई शर्म ना बड़ो का लिहाज, और बुरी आदतें सब मे हैं आज कल के भारतीय युवा पीढ़ी भी इनके प्रभावित हो गई हैं। हमे गर्व है कि तुम ऐसे नही हो तुम हमारी संस्कृति से जुड़े हो और हमारी परवरिश पर खरे उतरे हो"
यह कहकर उन्होंने अपनी मूछों को ताव दिया।