संस्कृतियो  का अनोखा मिलन - 2 Akshika Aggarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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संस्कृतियो  का अनोखा मिलन - 2

Chapter 2

उस वक्त तो रोनक यह सुनकर हल्का सा मुस्कुराते हुये अपना खाना खत्म कर रहा था परंतु अपने पिता की ये बात सुनकर उसका मन अन्दर ही अन्दर विचलित हो गया था। क्योंकी वह समझ चुका था कि वह ऐमिली से प्रेम करता है परन्तु उसके माता पिता कभी एमिली को नही अपनाएंगे। उसके कानो में पिता जी के वह शब्द गूंज रहे थे जो उन्होंने एमिली और पश्चिमी सभ्यता के बारे में कहे थे। उन शब्दों से स्पष्ट था कि वह एमिली को अपने घर की बहू नहीं बनाएंगे। उस दिन वह सारा समय इसी विषय में सोचता रहा। उसे रात में नींद भी नहीं आई।

अगली सुबह जब वह उठा तो उसकी आँखों से साफ पता चल रहा था कि वह पूरी रात सोया नही था। जैसे ही वह तैयार हो कर अपने घर के मंदिर में पहुंचा तो वहाँ उसकी माँ के आरती के मीठे स्वर उसे सुनाई दिए। वह भी हाथ जोड़ आंख बंद कर ईश्वर की वंदना करने लगा। उसकी माँ ने उसे प्रसाद देते वक्त उसकी आँखों मे देखा और कहा "क्या बात है लाडेसर तुम पूरी रात सोए नही? तुम्हारी आँखों में यह सूजन कैसे?"

"कुछ नही माँ सब ठीक है। तुम चिंता मत करो।"

रोनक बात टालते हुए बोला। वह मन ही मन एमिली को पसंद करने लगा था। लेकिन अभी तक उसने अपने मन की बात उससे भी नहीं कही थी। उसने सोचा कि वह कुछ दिनों की छुट्टियां बिताने के बाद जब मुम्बई जाएगा तो ऐमिली को अपने दिल की बात बताएगा। और उसकी हाँ के बाद ही सोचेगा कि उसको कैसे अपने परिवार में मिलाया जाए। उसने भगवान का आशीर्वाद प्राप्त किया और मंदिर से बाहर आ गया।

माँ के बनाए पसंदीदा खाने का स्वाद लेते, लोगो से मिलते जुलते, पिता के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन में शामिल होने आदि में छुट्टी के दिन बीतने लगे। और वो दिन आ गया जब उसे मुम्बई जाना था। उसने भारी मन से अपने माता पिता को अलविदा कहा और अपनी गाड़ी में बैठ मुम्बई के लिए रवाना हो गया।
मुम्बई आते ही उसने ऐमिली को अपने दिल की बात बताने का निर्णय लिया। उसी शाम उसने ऐमिली को जूहु बीच पर बुलाकर उसी समंदर के किनारे जहां उसने ऐमिली को पहली बार देखा था खड़े हो कर एक अलग अंदाज में अपने प्रेम का इज़हार किया। बीच पर धीमी धीमी हवा चल रही थी। लहरे ऐमिली और रोनक के पैरों को छूकर वापिस हो रही थी। सूरज ढलने वाला था। पंछी सुर में गा रहे थे। ऐसा लग रहा था प्रकृति इन दोनों के मिलन का जश्न मनाने को तैयार हो। तभी रोनक ने ऐमिली की आंखों पर पट्टी बांधी, उसका हाथ पकड़ा उसे हल्के से अपनी बाहों में लिया। आस पास कोई ना था हल्का हल्का संगीत बज रहा था। समा और भी रूमानी हो गया था। तभी रोनक ने अपने दिल की धड़कन थामी और बोला"Generously I lay the first stone a woman, powerful than anyone I anticipate, She stakes my fantasies, I desire that someday I'll stake her residence, I have created love, to hold further than just my enigmas, To bring love, to carry kids of our own, We are still kids, but we're so in love, Battling against all odds, I realize we will be okay this moment, Darling, just keep my hand, Be my girlfriend, my wife I will be your man, your better half I glimpse my destiny in your sights."
इतना सुनते ही एमिली कुछ क्षणों के लिए चोक गयी क्या बोले क्या ना बोले उसे कुछ समझ नही आया बस उसने आंखो से पट्टी हटाई तो देखा रोनक घुटनों पर बैठा हाथ मे अंगूठी लिये उसके जवाब का इन्तेज़ार कर रहा है। और रेत पर एक बड़ा सा दिल बनाकर उसमें "Emily will you marry me?" लिखा है। इतना सुनते और देखते ही ऐमिली की आंखों में आँसू आ गए वो भावुक हो गयी और उसने जवाब में रेत के दिल मे लिखा"Yes, I will, my dear, when I glance into your sights, I understand I won't allow get on unless you commit. When I glance into your sights you gave rise to me, I wish to aspire for decent days to arrive. When I glance into your sights I realised I need to belong to you all my life. और उसके हाथ से अंगूठी अपने हाथोँ में पहन ली।" यह देख कर रोनक की खुशी का ठिकाना न था। वो झूमने लगा, गाने लगा, ऐमिली को गोद मे उठाया और उसके माथे को चूमा। ऐमिली भी बेहद खुश थी। वो रौनक को पहले ही पसन्द करती थी पर डरती थी कि इन दोनों के देश भाषा खान पान संस्कृति दोनो बहोत भिन्न हैं जहाँ रोनक पूजा पाठ करने वाला, शाका हारी,सिगरेट शराब से दूर रहने वाला और नाइट्स पार्टियों में भी कम जाने वाला और ऐमिली हिंदी बोल और समझ नही पाती थी, मासाहारी खाना खाती थी, शराब और सिगरेट पीना उसके लिए तनाव दूर करने का एक ज़रिया थे, नाईट पार्टी करना उसे बेहद पसंद था। और भारत मे तो आज भी रात होने से पहले घर आ जाती है। घर का काम आना पूजा पाठ करना तरह तरह के व्यंजन बना ना सबकी सेवा में अपना जीवन त्याग देना भारतीय लड़कियों से उपेक्षित होता है। ऐसे में रोनक के माता पिता, उसके माता पिता इन दोनों के रिश्ते को कैसे अपनाएंगे, दोनो के संस्कार कैसे एक हो पाएंगे?बस इसी वजह से ऐमिली अपने प्रेम को दबाये हुए थी। उसे डर था कि वो एक नही हो पाएंगे। पर धीरे धीरे उसे रोनक के प्रेम ने समझाया की प्रेम एक दुसरे के प्रति दिल से समर्पित होने का , एक दूसरे को सके दिल से अपना ने का नाम है। यदि दो दिल एक होजाये तो दो संस्कृतियों के बीच कोई फासला नही होता, फिर क्या था रोनक ऐमिली को उसके परिजनों के मुताबिक ढ़ाल ने लगा, उसे रोज हिन्दी सिखाता, अपने देश अपनी संस्कृति से अवगत कराता था। हर राज्य की भाषा, उनके रहन सहन व्यंजनों के बारे में बताता व्यंजन बनाना भी उसका खानसामा ऐमिली को बनाना सिखाताऔर रोनक हर दिन उसे जयपुर राज घराने की परम्परायें सीखाता अपने घर के राजाओं के इतिहास को ऐमिली को बताता पूजा अर्चना करने का महत्व बताता साथ मे उसके खुले विचारों का स्वागत करता उसको अपने निर्णय खुद लेने की अनुमति देता था और उसके साथ प्रेम और अपने पन से पेश आता ताकि उसे अनजान देश मे अकेलापन महसूस ना हो उसे बताता तनाव दूर करने के लिये व्यायाम या संगीत का सहारा लेना चाहिए ना कि सिगरेट और शराब का। और कभी कभी उसे नाईट पार्टीयों में और प्रे करने के लिये चर्च भी ले जाता था।
ऐमिली भी हिन्दी और उसकी मात्र भाषा चाव से सीखती, उसके तोर तरीको को अपनाती पूजा अर्चना करती मासाहारी खाने से ज्यादा हारी खाना खाती और पका कर रोनक को भी खिलाती थी। और शराब सिगरेट पीना भी कम कर दिया था। बड़ो को पैर छूकर इज्ज़त देना नमस्ते बोलने का उसका अपना एक तरीका था। भारतीय त्योहार मानाती। कभी लाल तो कभी पीली साड़ी पहने रोनक को अपनी अदाओं से रिझाती रोनक भी ऐमिली की उन अदाओं का दीवाना था। यू कहना गलत नहीं होगा कि प्यार ने दोनों में अच्छे बदलाव लाए थे। और दोनों ने अपनी खुशहाल जीवन की और कदम रख दिया था। पर उनकी असली परिक्षा होनी अभी बाकी थी।