संस्कृतियो का अनोखा मिलन - प्रस्तावना Akshika Aggarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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संस्कृतियो का अनोखा मिलन - प्रस्तावना

दोस्तों आज हम एक ऐसी प्रेम कहानी के साक्षी बन ने जा रहे है जो अपने आप मे अनोखा है। इस कहाँनी में दो विभिन संस्कृतियो का मिलन है। भारत देश के गुलाबी जयपुर में रौनक का जन्म 21 दिसंबर को 1988 में हुआ वह ऊँचे राजघराने का अकेला वारिस था 32 वर्षीय रौनक की मुम्बई में एक खुदकी मॉडलिंग कंपनी थी। जिसमें उभरते मॉडल्स को अपना कैरियर बनाने का मौका देता था । राज घराने से ताल्लुक रखने की वजह से उसका रहन सहन बहोत परिष्कृत था हर काम सेमय पर करना , पूजा पाठ करना उसकी दिन चर्या का एहम हिस्सा थे। 21वी सदी में रहने के बावजूद भी शराब सिगरेट पीने जैसी बुरी लत से बेहद दूर रहता था। उसकी ज़िन्दगी जब बदलाव आया जब उसकी जिंदगी में ब्रिटिश कल्चर में रहने वाली ऐमिली जोन्स उसकी जिंदगी में आई, 30 वर्षीय उसका जन्म 3 फरवरी 1990 में हुआ वह भी अपने माँ पिता की एक इकलौती संतान थी।ऐमिली अमरीका में रहती थी वह पश्चिमी सभ्यता से पूरी तरह प्रभावित थी। देर रात तक पार्टी करना, शराब, सिगरेट की आदि वह खुली विचारों वाली स्वतन्त्र लड़की थी वह बेहद खूबसूरत थी इतनी खूबसूरत की कोई भी अपना दिल उसे दे बैठे। वह भारत दर्शन के लिये आई थी। उसे मॉडलिंग का बहोत शोक था वह अमेरिका में मॉडलिंग कर चुकी थी । भारत दर्शन के दौरान उसकी इच्छा हुई कि वह भारत मे भी मॉडलिंग का हुनर आजमाना चाहती थी। इसलिये वह मुम्बई रौनक खन्ना की मॉडलिंग में पहोंची वहां रौनक ने उसे पहली बार देखा और देखता ही रह गया। उसका दिल कब एमिली का हो गया उसे पता ना चला। उसने पहले ही ऐमिली को मॉडलिंग के लिये साइन करने का मन बना ही लिया था इसलिए एमिली की फाइल को देखे बिना ही साइन कर लिया ताकि वह उसके साथ ज्यादा समय बिता सके ऐमिली भी इस बात से बेहद खुश थी। जल्द ही शूटिंग शुरू हुई उसे लाल पिले रंग की मॉडलिंग की ड्रेस में देख ऐसा लग रहा था जैसे कोई सोनपरी आकाश से उत्तर कर धरती पे आई हो। उसे देख एक बार फिर रौनक का दिल जोरो से धड़का वोह इस तरह उसकी खूबसूरती में खो गया कि उसे पता ही नही चला कि कब उसके सामने एमिली उसे हेलो बोलने आई वो सिर्फ उसको देखते ही मुस्कुराया। ऐमिली ने उसे मॉडलिंग असाइनमेंट के लिए थैंक यू कहा और हाथ मिलाया। रौनक भी मुस्कुराकर बोला "my pleasure" उस दिन से रोज रात उसके सपनो में एमिली आने लगी वो मन्द मन्द मुस्कुराने लगा खुश रहने लगा उसे ऐमिली का साथ अच्छा लगता। वह दोनों अच्छे दोस्त बन चुके थे काम खत्म होने के बाद बाहर घूमने जाते समय बिताते दोनो दिन में 24 घंटे साथ रहते।अब दोनों एक दूसरे की आदि हो चुके थे। रौनक तो उसके रहन सहन को अपना चुका था उसकी हर आदत को वो एमिली की सभ्यता का हिस्सा समझ अनदेखा कर दिया करता। अब वह भी उसके साथ देर रात तक पार्टी करता।ऐमिली भी रौनक से प्रभावित थी। उसके साथ समय बिताना उसे भी अच्छा लगता वो उसके जरिये भारतीय सभ्यता के करीब आ गई थी। मंदिर जाना पूजा पाठ करना , हिंदी भाषा और रौनक की मात्र भाषा भी सिख रही थी। उसने शराब और सिगरेट का सेवन भी कम करदिया। अब दोनों एक दूसरे की संस्कृति को अपना चुके थे। रौनक एमिली से प्यार करता था ऐमिली भी उस से प्रेम करती थी तो दोनों ने खुशी खुशी खुशी एक दूसरे को अपना लिया था लेकिन जब इन दोनों ने शादी के लिये अपने परिवारों की मंजूरी लेनी चाही वहाँ उनकी परीक्षा शुरू हुई रौनक़ ऐमिली को अपने माता पिता से मिलवाने अपने राज महल जयपुर ले गया। रौनक ने उसे अपने परिवार से मिलवाया, अपने दिल का हाल बताया। उसके माता पिता ने तुरंत मना कर दिया। कहा एमिली ब्रिटिश कलचर की है। वो हमारे भारतीय सभ्यता को कैसे अपनाएगी उसका पहनावा , उसका रहन सहन खान पान हमारे राज घराने बिलकुल अलग है। वह हमारी संस्कृति में नही रच बस पाएगी। रौनक ने उन्हें बहुत समझा ने की कोशिश की, की ऐमिली में बदलाव आचुका है। वह मास मछि छोड़ शाकाहारी भोजन पसन्द करती है। अपनी आदत भी कम करदी है।, हिंदी सिख रही है, हमारी संस्कृति और संस्कार अपना रही है। पूजा पाठ में भी उसकी रुचि हो ही गयी है। परन्तु उसके पिता ना माने उन्होंने रोनक से कहा अगर वो युही ज़िद पे अडा रहा तो उसे राज घराने से बे दखल कर दिया जाएगा । बेहतर यही होगा कि वो ऐमिली को भूल जाए और उनके पिता की पसंद की लड़की से विवाह करे। यह सब सुनकर ऐमिली और रौनक के दिल टूट गए थे और उन दोनो ने भारी मन से एक दूसरे से जुदा होने का मन बना लिया ही था कि एक रात एक रात अचानक रौनक की माँ को दिल का दौरा पडा। आनन फानन में उन्हें हसपताल में भर्ती कराया गया । कुछ दिन के उपचार के बाद भी उनकी हालत ने बिस्तर पकड लिया था डॉक्टर ने भी उनके ठीक होने की उम्मीद छोड़ दी थी। इस दौरान ऐमिली ने रौनक की माँ की खूब सेवा की, दिन रात भर उनकी सेवा में लगी रहती उनकी दवाई खाने पीने का ख्याल रखती उन्हे अपने हाथों से दवा और खाना खिलाती यहाँ तक उनकी सलामती के लिए मंदिर जा दुआए मांगती जब भी रोनक और उसके पिता राज्य के कामों में वयस्त होते वह उसकी माँ के पास रहती। फिर एक दिन ऎसा आया कि ऐमिली की सेवा रँग लायी, रोनक की माँ अपने पूरे तीन महीनों बाद अपने पैरों पर खड़ी हो गयी उस दौरान उनका मन एमिली को अपना चुका था। यह चमत्कार देख रोनक के पिता का हृदय परिवर्तन हो गया उन्हें समझ आ गया कि वे गलत थे प्रेम अगर समर्पित हो तो संवेदनशीलता हो तो दो संस्कृतियों का भी मिलन हो सकता है। वो इस रिश्ते के लिए राजी हो गए, दूसरी और ऐमिली के माता पिता खुले विचारों के थे तोऔर उनके लिए ऐमिली की खुशी सबसे ज़्यादा माइने रखती थी। उन्हें इस रिश्ते कोई आपत्ति नही थी। तो फिर क्या था दोनो की शादी बड़ी धूम धाम से दो नो देशो के रीति रिवाज के साथ हुई। आज वह दोनों मुंबई में रोनक की मॉडलिंग कंपनी चला रहे है। दोंनो का एक बेटा भी है और उसके साथ वह हर महीने रोनक के परिवार के पास जयपुर छुट्टी मनाने जाते और ऐमिली के माता पिता भी हर साल भारत आते।जिस से दोनों परिवार मे प्रेम की धारा बहती रहती।