Sanskrutiyo ka Anokha Milan - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

संस्कृतियो  का अनोखा मिलन - 5




सूरज देवता सिर पर चढ़ चुके थे। पर हमेशा जल्दी उठ जाने वाला रोनक अभी भी बिस्तर पर था। रात भर जागने के बाद ना जाने कब सुबह उसकी आँख लगी थी। वह सो रहा था। अचानक एक हवा के झोंके से रोनक के कमरे की खड़की खुल गई। जिसके बाद हवा अंदर आई और ऐमिली का वो खत जो तकिए के नीचे से निकल कर बिस्तर पर आ गया था उड़कर कोने में पड़ी एक टेबल के नीचे जा गिरा। अचानक खिड़की की आवाज से रोनक की नींद खुल गई। वो हड़बड़ाहट में उठा।‌ कमरे में आती धूप देखकर समझ गया कि बहुत देर हो गई। वह तैयार होकर नीचे पूजा के लिए गया। जैसे ही नीचे गया मन्दिर से बेहद सुरीली आवाज आ रही थी। वह आवाज सुलेखा की थी जो नजबगढ़ से अपने परिवार के संग आई थी। रोनक ने भी मंदिर में हाथ जोड़े और आरती में शामिल हो गया। पर उसकी नजरे ऐमिली को ढूंढ रही थी। वह बेचैन था। कल जब वह लौटकर आया था तब एमिली उसे दिखी नहीं थी। उसने अपने मम्मी पापा से पूछा। उन्होंने बताया कि नटवर काका ने बताया था कि वह ज़रूरी काम से जा रही है। उसके बाद से ही रोनक परेशान था। उसने एमिली का फोन मिलाया। लेकिन फोन स्विचऑफ था।
भजन समाप्त होते ही सबने सुलेखा की बहुत तारीफ की और उसे आशीर्वाद देने लगे भूपेंद्र सिंह ने सुलेखा और उसके परिवार का जोर दार स्वागत किया। मेंशन फूलो से सजा हुआ था ढोल नगाड़े वाले मिलन के गीत का संगीत बजा रहे थे। हर तरफ खुशी औऱ उल्लास का माहौल था। पर रोनक का मन तो ऐमिली में बसा था वो बेचैन हो कर ऐमिली को इधर उधर ढूंढ रहा था, उसने पूजाघर से लेकर स्विमिंग पूल हर जगह ऐमिली को ढूंढा पर वह उसे कहीं ना मिली। ऐमिली के खत से अनजान रोनक ने एकबार फिर ऐमिली को फोन लगाया उसका फोन स्विच ऑफ था। उसने घर के पास वाले चर्च में एमिली को ढूंढा वहां भी ऐमिली नहीं मिली। वह बहुत परेशान था। ऐमिली की सुध लेने में रोनक इतना बेसुध हो गया कि वह भूल गया कि दो दिन के बाद सुलेखा से उसकी सगाई है। चारो तरफ सगाई का जश्न मनाया जा रहा था। रोनक ऐमिली को ढूंढ ही रहा था कि राजा बोले "बेटे रोनक इधर आओ सुलेखा और उसके परिवार से मिलो आज तुम्हारी सगाई है नजबगढ़ के राजा भीम चैहान जी से मिलो इनका बहुत बड़ा राज्य है। इनकी दिल्ली के मंत्रियों तक पहचान आशीर्वाद लो इनका" रोनक आ कर पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेता है। फिर उसका परिचय सुलेखा से करवाते है। बोले "अब अपनी होने वाली पत्नी से मिलो ये नजबगढ की बेहद सुंदर सुशील और गुणवान राजकुमारी हैं पढ़ाई में अव्वल अंको से पास हो कर अब संगीत की दुनिया में अपना नाम कमा रही है। जाने माने गायको में इनका नाम है। हम बहुत भाग्य शाली है कि ये हमारे घर की कुलवधू बनने जा रही है। तुम दोनों आपस मे वार्तालाप करो हम बाकी की तैयारियां देख कर आते है," नटवर काका को आवाज़ देते हुये भूपेंद्र सिंह वहां से चले गए। ऐमिली की यादों खोया रोनक सुलेखा की बातों पर ध्यान नही दे पा रहा था वो बोले जा रही थी और रोनक सिर्फ यह सोच रहा था "ऐमिली कहा है?किसी है?। किस हाल में हैं।? मुझे बिन बताये कहा चली गई?"यह रोनक को घेरे हुए थे।
ऐमिली के ना मिलने पर रानी भी विचलित थीं। होती भी क्यों ना ऐमिली ने उनकी इतनी सेवा जो कि थी। दिन रात एक कर दिया था उनके स्वास्थ्य के लिये। कुछ देर बाद रोनक के पिता ने सुझाव दिया कि सुलेखा को रोनक अपना कमरा दिखाए। वह उन दोनों के साथ ऊपर जा कर कमरा देखते है। कमरा बेहद विशाल कमरे की दीवार पर रोनक बचपन से लेकर अब तक की तसवीरें लगी थी। बेड की दाई और दो छोटी छोटी खिड़किया लगी थी दीवार नीले और सफेद रंग से रंगी हुई थी। बेड की बाई और वो टेबल और कुर्सी थी जहाँ ऐमिली का खत गिरा हुआ था। जिस पर किसी की नजर नहीं गई थी। कमरे में रोनक को हर सुविधा मोहइया कराई गई थी। रोनक और सुलेखा कमरा देख रहे थे और रोनक सोच रहा था कि सुलेखा को ऐमिली के बारे में बता दे। लेकिन उसके पिता साथ थे। वह कुछ बोल नहीं सका।
रोनक परेशान था कि तभी नटवर काका की आवाज आई " कुँवर सा आपसे कोई मिलने आया है!" रोनक तुरंत ही सुलेखा को कमरे में छोड़ कर नीचे आया। उसने देखा कि दो 56 से 58 वर्षिय ब्रिटीशर्स उसके मेंशन में खड़े है। सिर पे कैप पहने, गले
वाइट बेयर्ड मुह में सीगार लिये कोर्ट पहने ऐमिली को पुकारते हुये रोनक ने उनको सुना तो समझ गया वह ऐमिली के पिता है। उसने उनको "हेल्लो सर" बोल कर अभिवादन किया।
एमिली के पिता बोले"Hello Ronak, I am Emily's father James Jones, this is my wife Alaska Jones, we have come to see Emily, where is she? Can't see her anywhere?"
रोनक के पास जवाब नही था वो हैरान परेशान हो कर सोच रहा था कि अब क्या जवाब दे?
वो बोला"sir I am sorry i am also looking for him after getting disturbed since morning but i don't know where she is? I Looked everywhere and could not find it anywhere. Her phone is also switched off." और इतना बोलकर वोह रोने लगा।
पिता को गहरा झटका लगा वो बोले"What! Emily is not at home. Do you realize how hurt she was yesterday, she was crying a lot. We were not seen and we caught the first flight and came to Jaipur."
ऐमिली की माँ भावुक होकर बोली"Emily loves you about how much has changed in your love, I don't know where my baby girl will be in what condition?"
रोनक उनको धीरज बांधते हुये बोला"I know mam I love emily too much don't you worry she will be fine. We'll find her." इतना सुनते ही सब मेहमान सतम्ब रह गए।
रोनक के पिता बौखला कर बोले "यह क्या बोल रहे हो रोनक ऐमिली और तुम प्यार? यह नही हो सकता यह हमारी संस्कृति के खिलाफ है। हम तुम्हें बेदखल करते है।"
रोनक की माँ बोली आंख के आंसू पुंछते हुए बोली" मै जानती थी। तुमने पहले क्यों ही बताया लाडेसर"
रोनक माँ की गोद मे सिर रखकर रोने लगा। बोला" मैं डर गया था मां पिता जी से उनकी परम्परा और सिद्धांतों से। मैं उनसे कुछ कह नही पाया। आप लोगो को दुःख देकर मैं खुश नही रह सकता था। इसलिए कुछ नही कहा।" पिता अब भी अपनी जिद्द पर अटल थे। रोनक को डांट रहे थे। सभी मेहमान एक दुसरे और देख रहे थे।की तभी वहां पर सुलेखा नीचे उतर कर आई।

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