साहेब सायराना - 17 Prabodh Kumar Govil द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साहेब सायराना - 17

स्त्री के भीतर एक अनोखी शक्ति होती है किंतु सभी औरतें हर समय इस शक्ति को पहचान नहीं पातीं। हां, जो पहचान लेती हैं उनका आभा मंडल ताउम्र दिपदिपाता रहता है।
सायराबानो को भी जीवन में एक बार इस शक्ति परीक्षण से गुजरना पड़ा। अपने विवाह के समय वो इतना भली भांति जानती थीं कि उनके होने वाले शौहर दिलीप कुमार के प्यार और नजदीकियों के चर्चे मीडिया के गॉसिप कॉलम में पहले भी दो- दो बार नमूदार हो चुके हैं, हालांकि कभी परवान नहीं चढ़े।
पहली बार दिलीप कुमार के साथ काम कर रही अभिनेत्री कामिनी कौशल से उनकी नजदीकियां बढ़ जाने की ख़बरें आईं। लेकिन जल्दी ही कामिनी कौशल के भाइयों ने इसमें दख़ल दिया और धमकीनुमा समझाइश से इस प्रेम कहानी को पनपने से पहले ही रोक दिया।
दूसरी बार दिलीप कुमार के प्यार की पींगें मधुबाला के साथ बढ़ती दिखाई दीं। लेकिन यहां भी अभिनेत्री मधुबाला के पिता दीवार बनकर आ खड़े हुए और दोनों सुपर सितारों को सिर्फ़ "काम से काम रखने" पर मजबूर होना पड़ा।
पर अफ़वाहों के इन तिलों में अब तेल की एक बूंद तक बाक़ी नहीं थी इस बात का भरोसा सायराबानो को था क्योंकि उनकी फिल्मस्टार मम्मी नसीमबानो फिल्मी लोगों की नस - नस से वाक़िफ थीं और उन्होंने बिटिया सायरा को ये भरोसा दिला दिया था कि साहेब सिर्फ़ और सिर्फ़ सायरा के हैं।
फ़िर भी सायरा बानो ने कोई कच्ची गोलियां नहीं खेली थीं। उन्होंने निकाह से पहले दिलीप कुमार से दिल की गहराइयों से ये ताकीद कर छोड़ी थी कि वो किसी भी सूरत में ज़िन्दगी में कभी दूसरी बीवी नहीं बनेंगी।
और यूसुफ साहब ने न केवल ये बात मंज़ूर की थी बल्कि इकरार किया था कि वो जीवन में सायरा के सिवा कोई दूसरा ख़्वाब कभी नहीं देखेंगे।
लेकिन...
भरे पूरे परिवार में दिलीप कुमार के कई भाई बहन थे। उनकी बहनें फौजिया और सकीना तो लगभग हमउम्र सी थीं। जब दिलीप साहब ने शादी के डेढ़ दशक गुज़र जाने के बाद तक औलाद का सुख नहीं देखा तो दोनों बहनों के शोख और अल्हड़ शरारती दिमाग़ ने गुल खिला दिया।
उन्होंने हैदराबाद के एक क्रिकेट मैच के दौरान दिलीप साहब को बातों - बातों में अपनी एक सहेली से मिलवा दिया।
इस सहेली का नाम था- अस्मा!
एक पल को तो जैसे आसमान ही फट पड़ा।
यद्यपि ऐसा नहीं था कि विवाह के बाद दिलीप कुमार और सायरा बानो के आंगन में कभी संतान की आशाओं के फूल ही नहीं खिले। सायरा बानो एक बार नहीं बल्कि दो बार गर्भवती हुई थीं। एक बार तो गर्भ लगभग काफ़ी समय तक ठहरा भी। किंतु उसके बाद एकाएक कुछ कॉम्प्लिकेशंस हुए और सायरा बानो का ब्लडप्रेशर काफ़ी ज़्यादा बढ़ गया। शायद इसका कारण ये रहा कि एक तो वो कुछ उम्र अधिक हो जाने के बाद मां बन रही थीं और दूसरे उनकी फ़िल्मों में सक्रियता तथा व्यस्तता कम नहीं हुई थी। उनकी फ़िल्में भी लगातार आ रही थीं और शूटिंग भी जारी थी।
ऐसी स्थिति में डॉक्टर्स उनके इलाज में तो तत्परता से लगे किंतु बढ़े रक्तचाप के दौरान शल्यक्रिया से उनके भ्रूण को बचाया न जा सका। शारीरिक कमज़ोरी के साथ- साथ भीतरी उदासी भी घर कर गई।
जो सायरा बानो सातवें दशक में शम्मी कपूर और राज कपूर जैसे सीनियर अभिनेताओं के साथ फ़िल्में कर चुकी थीं वो इन दिनों धर्मेंद्र के साथ रेशम की डोरी, पॉकेटमार, इंटरनेशनल क्रुक, अमिताभ बच्चन और जितेंद्र के साथ गहरी चाल, और संजय खान के साथ दामन और आग जैसी फ़िल्में कर रही थीं।
लेकिन इन दिनों उनकी फ़िल्में देखने वाले उनके शुभचिंतक दर्शक सायरा बानो के चेहरे पर आई इस उदासी को बढ़ती उम्र का असर समझ कर नज़रअंदाज़ करते थे। कोई कोई तो कहता था कि सायरा के शौहर बड़ी उम्र के हैं इसलिए वो उनके साथ ताल से ताल मिलाने के लिए अपनी अनदेखी करती हैं। कोई कहता कि इस मोम सी गुड़िया को मेकअप की ज़रूरत ही कहां है! और कोई ये भी कहता कि किसी समय की ये शोख- चुलबुली लड़की अब ऋषिकेश मुखर्जी की नायिका भी बन गई है इसीलिए सादगी से रहती है।