में और मेरे अहसास - 46 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 46

 

तेरी आरजु, तेरी ईबादत, तेरा ही खयाल है।

महोब्बत मे सिफँ महोब्बत का मलाल है।l

 

तेरी चाहत, तेरी जुस्तजू, तेरा ही इंतजार है l

महोब्बत मे सिफँ महोब्बत का कमाल है ll

 

तेरी खुशी, तेरी पसंद, तेरा ही सरोकार है l

महोब्बत मे सिफँ महोब्बत का जबाव है ll

 

तेरी यादे, तेरी मरज़ी, तेरा ही कारोबार है l

महोब्बत मे सिफँ महोब्बत का बबाल है ll

 

तेरी बाते, तेरी रातें, तेरा ही हवालात है l

महोब्बत मे सिफँ महोब्बत का लगाम है ||

१२-१२-२०२१ 

 

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हर इंसान को ख़ुद का आसमाँ चाहिएं l

दुसरों को सुकूं देकर खुद सुकूं पाईऐ ll

 

कुछ ना कुछ तो लोग कहते रहेगे तो l

चैन दिल का पाने केलिए गम खाईए ll 

 

सुनकर बात दुनिया वालो की आज l

पहाड़ जैसा बड़ा सा सितम न ढ़ाईए ll

 

बहोत गहरा प्रभाव पड़ा है वजूद पर l

आज जिंदगी मे बासंती बहार लाईए ll 

 

लोगों ने कसके ताने दिए हैं उम्रभर l

प्यार की बरसात हो वहाँ ही जाईए ll

१२-१२-२०२१

 

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अपनों से सवाल नहीं किया करते l

ऐसे वैसे ख्याल नहीं किया करते ll

 

इश्क ने जान की बाजी तक लगा दी l

मुहब्बत मे मज़ाक नहीं किया करते ll

 

जाने वालो को हँसकर रुखसती दो l

पीठ पीछे आवाज नहीं दिया करते ll

 

चार लम्हे लेकर आए हैं आज मिलने l

प्यारों को नाराज नहीं किया करते ll

 

फिक्र होती है इस लिए पूछे गये हुए l

जवाब में सवाल नहीं किया करते ll

१२-१२-२०२१ 

 

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अपनी मनमानी कर रहे हैं l

प्यार मे हक कर रहे हैं ll

 

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क्यूँ पूछते हो कौन हमारे साथ है?

क्यों लगता है आप हमारे ख़ास है!

 

बीच बाजर प्यार का इजहार करोगे ?

सोच लो क्या आप इतने भी बिंदास है?

 

साथ निभाने का दावा करने वाले को  l

अभी आजमा के देख लो कौन पास है!

 

गैर मौजूदगी आप की नहीं खलती l

लगता है साया आपका आसपास है!

 

जन्मों जन्म एक-दूजे के साथ रहेगे l

करीबी साथ किसको आया रास है!

 

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आंसू भी क़ीमती होते हैं l

खुशी से ज्यादा सोते हैं ll

 

दिलरुबा के बहते आंसू l

चैन दिलबर का खोते है ll

 

लम्हा लम्हा गिन गिन l

बीज दिलों मैं पिरोते है ll

 

प्यासी नजर मे क्यूँ देखता है?

लगता है दिल को सेकता है ll

 

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दर्द इतना बढ़ गया कि हकीम भी बेअसर से निकले l

नाजुक और बिगड़ी  तबीयत से बेख़बर से  निकले ll

 

याद है कभी रात दिन का साथ हुआ करता थे   l

दिल के करीब दिखने वाले बहोत ही दूर से निकले ll

 

मुहब्बत की वादी ओ मे गुजारे हुए लम्हे ताज़ा हुए l

दिल गुमशुदा हो गया जब भी राहगुज़र से निकले ll

 

मिलन की तड़प कुछ इस तरह बढ़ जाए कि l

लौट के वापस आओ साज भीतर से निकले ll

 

गली से गुज़रे हुए तो एक जमाना बीत गया अब l

दिली ख्वाहिश है जनाज़ा तेरी डगर से निकले ll

 

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आँखों से आंखे तक़राई l 

खूबसूरत आहत आई ll

 

दूर तो जाना चाहते थे l

फ़िर बीच में चाहत आई ll

 

सपनों की नगरी से होकर l

यादें घूम के वापस आई ll

 

ना इलाज दर्द पा लिया l

के दवाई न माफक आई ll

 

आँखों मे बसाने अकेले l

चुप के छत पे जानम आई ll

 

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यादों मे बुलाना अकेले अकेले l

आँखों में बसाना अकेले अकेले ll

 

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कर ले मुहब्बत ये जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा l

गुजरे पल न लौटेगे साँस ना पलेगी दोबारा ll

 

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जीवन मे प्यार का होना जरूरी है l

बिना उसके जिन्दगानी अधूरी है ll

 

बड़ी नजदीक से देखे है बदलते चेहरे l

परवाह नहीं चाहें जो हो पलटते चेहरे ll

 

चारो और बेशर्म होकर बने घूमते हैं l

गली नुक्कड़ यहां वहां भटकते चेहरे ll

 

आज बेपर्दा होकर महफिल मे आये हैं l

आशिक की झलक को मचलते चेहरे ll

 

सुबह शाम यहाँ वहाँ घूमते फिरते हैं l

दिल की तरफ प्यासे तरसते चेहरे ll

 

जो कभी भी किसी के नहीं होते वो l

रेत तरह अपनों के सरकते चेहरे ll

 

  

 

सदा ही मन को लुभाते रहते हैं l

बच्चों के ख़ुशी से छलकते चेहरे ll

 

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मिथ्या है सारी मोह माया l

सब पर घेरा इसका साया ll

 

कर भरोसा अपने आप पे l

छाव देता खुद का छाया ll

 

जिसने जो बोया वहीं मिला l

कर्म का फल यहाँ पाया ll

 

रंगीन दुनिया के मेले मे l

धोखा सभी ने है खाया ll

 

दिखावे का याराना सब l

अपना ही काम मे आया ll

 

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मखमली मुहब्बत का जतन तो कीजिए l

मन भर के प्यार का लुफ्त तो लीजिए ll

 

महफ़िल मे रोज साथ दोस्तों के पीते हो l

आज आँखों से नशीला जाम तो पीजिए ll

 

बाद मुद्दतों के मुरादों वाली रात आई है l

मुँह दिखाई मे हसी तोहफ़ा तो दीजिए ll

 

दुआ है, दस्तूर भी है, खुशी मौका भी है l

मिलन के इस लम्हों मे गले तो मीलिए ll

 

दुनिया और दुनिया वालों से हट के हो l

दिल ए मोमिन है कि फूल तरफ खीलीए  ll 

 

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आज चाँद देखु या महेबूब अब तुम ही कहो l

तुझे चाँद लिखू या महेबूब अब तुम ही कहो ll

 

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प्यार के खूबसूरत पलो को खो दिया है l

आज फ़िर दिल गम के मारे रो दिया है ll

 

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जिसे देखो जी रहा है मिथ्या जीवन l

फुर्सत ही नहीं के देखे सुन्दर उपवन ll

 

युगों से गुलों की राह तकता है आँगन l

मुहब्बत का बीज बोके महका दो गुलशन ll

 

समय के साथ चलने में ही है समझदारी l

सदियों से संसार का नियम है परिवर्तन ll

 

 

पत्ता पत्ता पौधा पौधा सींचता प्यार से l

माली की मेहनत से महकता है चमन ll

 

जूठे और फरेबी लोगों से दुनिया भरी l

कीसी ना दिखाना सच्चाइयों का दर्पन ll 

 

बिना मेहनत किए जिंदगी न गुजरेगी सुनो l

जहां जाओ बस हर कही पैसों का चलन ll

 

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