आर. पी सक्सैना‘रज्जन’ का समग्र साहित्य मेरी दृष्टि में
रामगोपाल भावुक
कभी कभी हम समय की पर्वाह नहीं करते तो हाथ मलते रह जाते हैं। रज्जन जी के लिये ऐसे ही कुछ विचार आज उठ रहे हैं। वे जब हमारे सामने थे तो हमारे मित्रों ने उन्हें समझने का प्रयास ही नहीं किया।
वे क्षेत्र के परमहंस संत गौरी शंकर बाबा के परम भक्त थे। अक्सर सत्संग में आया करते थे।
आज याद आ रही है उस समय की जब वे अपनी छंद बद्ध रचनाओं का तरन्नुम में गा-गाकर सुनाया करते थे।
उनकी अधिकांश रचनायें छंद बद्ध है। उन्होंने आनन्द छंद,इन्द्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, दुर्मिल छंद एवं गंगोंदक छंद जैसे छंदों का अपवी रचनाओं में सफलता पूर्वक उपयोग किया है।
कारगिल युद्ध का वर्णन आपने अपनी कृति सैन्य सुधा में किया हैं। आपने ओरक्षा की नर्तकी रायप्रवीन पर खण्डकाव्य का सृजन किया है। मुझे इसके अनेक प्रसंग उन्होंने गा गाकर सुनाये है। इसमें स्त्री के मनोभावों का सूक्ष्म चित्रण है। स्त्री विमर्ष पर यह श्रेष्ठ कृति है।
उनका हालाँजलि काव्य तो नगर की गोष्ठियों में अनेक बार सुनने को मिला है। इसके सभी छंद भावपूर्ण हैं। इसमें उमर खैयाम के दर्शन की छटा भाषित होती है। यह एक सफल खण्ड काव्य है। निष्चय ही यह कृति साहित्यकरों के मध्य चर्चा का विषय होगी। इसमें ईष्वर प्रेम के सत्य को उजागर किया गया है।
हरीसिंह गौर का नाम सभी आदर के साथ लेते हैं। आप सेवा काल में सागर नगर में रहे हैं। वहाँ रहकर आपने हरीसिंह गौर के सम्बन्ध में कलम चलाई हैं। उनके जीवन पर आधारित प्रसंगों को अपना स्वार देकर कैसिट में सुरक्षित रखा है।
‘गूजरी महल’ खण्ड काव्य के अतिरिक्त रज्जान जी ने राजनैतिक परिवेश पर कुण्डलियाँ लिखकर राजनीति की वर्तमान परिवेष मेंषल्य क्रिया की है।
अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहर ‘रतन गढ़ की देवी के माध्यम से क्षेत्र के एतिहासिक परिवेश को उजागर किया है। यह एक शोध कृति है।
इसके अतिरिक्त अपने गीत और गजलों में समाज की विसंगतियों को उजागर करने का प्रयास किया है।
आपकी प्रकाशित कृतियों में साँई चालीसा, साई बाबा के भक्तों के लिये श्रेष्ठ उपहार है। इस कृति में गीत और गजलों के द्वारा साँई बाबा के चरित्र को उजागर किया है। कृति पठनीय है।
‘भारत की पाँच बीरांगनायें’ इस क्षेत्र की अप्रकाषित कृतियों को प्रकाषित करने वाली संस्था गौरी षंकर सत्संग समिति डबरा भवभूति नगर ने इसे प्रकाशित किया है। यह हम सब के लिये यह गर्व का विषय है।
इस कृति में अवन्तिका वाई, रानी दुर्गावती, रजिया सुल्ताना, महारानी लक्ष्मी वाई और अहिल्या वाई के जीवन पर प्रकाष डाला है।यह कृति पठनीय एवं संग्रहणीय है।
आपकी कानपुर से प्रकाशित कृति ‘काल कथानक’ में स्वतंत्रता के पष्चात भारत की राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, प्रषासनिक एवं ऐतिहासिक परिवेश को गेय छेदों के माध्यम से उजागर किया गया है।
इस कृति के प्रकाशन में आपके पुत्र हिमांशु और गगन सक्सैना बधाई के पात्र हैं। डॉ. भगवान स्वरूप चैतन्य जी के स्पर्श से यह कृति चर्चित हो सकेगी।
आपकी सभी कृतियाँ पठनीय औा संग्रहणीय है। इसी आशा के साथ, कविवर आर. पी सक्सैना‘रज्जन जी का बंदन अभिनन्दन।
धन्यवाद
सम्पर्क- रामगोपाल भावुक कमलेश्वर कालोनी डबरा भवभूति नगर जिला ग्वालियर म. प्र. 475110 मो0 9425715707