में और मेरे अहसास - 44 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 44

चलो चलते है निद की नगरी l
चलो देखे सपनों की नगरी ll

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हुश्नण को बे-पर्दा देख चाँद
को शरारत सूझी है आज l
मुहब्बत की इन्तहा देख चाँद
को शरारत सूझी है आज ll

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उम्रभर वफ़ा निभाने के लिए l
बहोत सब्र की ज़रूरत होती है ll

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सुबह की चाय उतनी ताजगी नहीं देती l
जितना के उनका गुड़ मॉर्निंग
ताजगी से भर देता है ll

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ये लम्हे ये पल याद रहेगे l
जिंदगी भर छल याद रहेगे ll

मुट्ठी में कैद कर लू इसे l
आज है कल याद रहेगे ll

प्यार भरे पल बीत जाएगे l
कल थे बेकल याद रहेगे ll

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रूह का सुकून खत्म हो गया है l
प्यार का जीवन भस्म हो गया है ll

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आंखों से अश्क छलक रहे हैं l
बातों से शब्द छलक रहे हैं ll

रूहों से जुड़ी हुई दोस्ती की l
यादों से अश्क छलक रहे हैं l

बे पनाह मुहब्बत मे किये l
वादों से शब्द छलक रहे हैं ll

भीगी भीगी चाँदनी बरसाती l
रातों से अश्क छलक रहे हैं ll

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पिया विरह की तपिश की l
आहों से शब्द छलक रहे हैं ll

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चाय पीने के लिए कोई वज़ह नहीं होती l
दोस्त से मिलने की कोई वज़ह नहीं होती ll

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बेमोत मर गये इश्क करने वाले l
जा से गुज़र गये इश्क़ करने वाले ll

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प्यार मे गुज़रा हुआ हर लम्हा यादगार होता है l
ता-उम्र जीने के लिए वो लम्हा मददगार होता है ll

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जन्मों जन्म का पुराना दिलों का मेल है l
देख हमारा मिलना किस्मत का खेल है ll

रूह से रूह के निराले रिश्ते मे बंधे हैं l
खुदा ने बनाई हुई जोड़ी हमारी छैल है ll

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आंखों में प्यार को छुपाना मुश्किल है l
होठो से प्यार को जताना मुश्किल है ll

चमकीली सी तेज खुमारी छाई हुई है l
नजरे नाज़ को झुकाना मुश्किल है ll

खुद के घर मे जो पर्दानशी  हो उसे l
सरे आम छत पर बुलाना मुश्किल है ll

लम्हा लम्हा संजोए रखी हुई बहतरीन l
यादो को दिल से भुलाना मुश्किल है ll

अनजाने में कातिल सी चोट दे बैठे हैं l
आज रूठे यार को मनाना मुश्किल है ll

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तूफ़ान मे फसी कश्ती को सहारा मिल गया l
आज बड़ी मुद्दतों के बाद किनारा मिल गया ll

शरद पूनम की भीगी भीगी चांदनी रातों मे l
उजालों मे खोया हुआ सितारा मिल गया ll

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बिना कहे कह डालता है l
मौन की भाषा है निराली l

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समझाने से भी जो न समझे l
वहां असरकारक है चुपकी ll

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जिंदगी सपनों के सिवाय कुछ भी नहीं l
जिंदगी अपनों के सिवाय कुछ भी नहीं ll

बार बार गिरते है, फ़िर उठकर चलते हैं l
जिंदगी जख्मों के सिवाय कुछ भी नहीं ll

पल पल बदलती है नये रूप दिखाती है l
जिंदगी सदमो के सिवाय कुछ भी नहीं ll

हर लम्हा वो करवटे बदलती रहती है l
जिंदगी रस्मों के सिवाय कुछ भी नहीं ll

दिल दिमाग को समझाने मे वक़्त गया l
जिंदगी पड़दो के सिवाय कुछ भी नहीं ll

जिंदगी हादसो के सिवाय कुछ भी नही।l

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मुहब्बत हमसे करते हो l
प्यारी उनको कहते हो ll

दिल से मजबूर हो कर l
क्यूँ बार बार बहकते हो ll

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खुद के भरोसे पे चलो l
खुदा पे भरोसा रखो ll

जो मेरा है मुझे मिलेगा l
दिल से इत्मिनान करो ll

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कयां तुम मुजसे प्यार करते हो?
मेरी तरह मुझसे प्यार करते हो?

हथेली पर रखा था मैंने दिल अपना,
कयुं दिल पर हरबार वार करते हो?

क्यूँ हमेशा नज़रे नीचे रखते हो ?
आंखे अपनी कभी चार करते हो?

दिल से दोस्ती की है तो क्यूँ नहीं l
दुनिया के सामने यार कहते हो?

कायनात की परवाह किए बिना l
हथेली में मेरा नाम लिखते हो?

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घायलो सा दर्द मिला है l
पागल सा प्यार किया है ll

दर्द को काग़ज़ों मे छुपाया l
शायर सा प्यार किया है ll

सीने में खारापन घोल लिये l
सागर सा प्यार किया है ll 

नतीज़ा न मालुम इश्क का l
मासूम सा प्यार किया है ll

ताल की थनकार के साथ l
पायल सा प्यार किया है ll

बे पनाह और बे इन्तहा l
साजन सा प्यार किया है ll

युगों तलक याद रखेगे l
आयत सा प्यार किया है ll

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जो दिल में उसे जुबान पे लाया कीजिए l
कभी कभी दिल की दिल में रह जाती हैं ll

कुछ दुनिया का, कुछ इनकार के डर l
से जीने की चाहत ही मर जाती हैं ll

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हुई गर खता तो मुजे तुम माफ कर देना।
तुजे जो कबूल हो वो इन्साफ कर देना।l

मुहब्बत की रस्मों से अनजान है तो l
दिल से गिले शिकवे साफ कर देना ll

अब ज़ज्बात के हाथो मजबूत होकर l
हिम्मत से हालत खिलाफ़ कर देना ll

पहेले से दुनिया के सितम सहे है l
हो सके तो मुश्किलें हाफ कर देना ll

मुहब्बत के दस्तूर निराले होते हैं l
अपनी ख्वाइशो का ग्राफ कर देना ll

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