Dhara - 23 books and stories free download online pdf in Hindi

धारा - 23


कुछ दिनों तक सब कुछ सामान्य रहा ! मगर धारा के लियर नही !! धारा जितना सबसे लड़ने की कोशिश करती, उतना ही अंदर ही अंदर घुटने लगती !! करती भी क्या..?? कोई तो हो, जिसके साथ वो अपना सुख दुःख बांट सके !! मिताली से वो सब कहती, मगर पूरी तरह नही ! बल्कि घुमा फिराकर !!
यूँ तो मिताली जान थी धारा की ! मगर मिताली की एक कमज़ोरी थी, ज़ुबान की थोड़ी कच्ची होना !! इसलिए धारा चाहकर भी उसे सब नही बता पाती थी !!


धारा ने प्रोफेसर के बारे में मिताली को बताया मगर उस इंसान के बारे में नही बताया, जो इन सबका सबसे मुख्य कारण था !! और वो थे, "मिस्टर धर्मवीर राज !!" ये शख्स कोई और नही मिताली के दीदी के ससुर थे ! जो उसके मेडिकल कॉलेज के डीन भी थे !!
मिताली जब भी धारा की हेल्प करना चाहती, अपनी बहन के बारे में सोचकर रुक जाती। मिताली के कॉलेज और होस्टल में भी ये बात किसी को नही पता थी कि, कॉलेज के डीन मिताली के दीदी के ससुर हैं !! उन्होंने ही मना किया हुआ था बताने से !! अकड़ थी इस बात की कि, कहीं मिताली के घरवाले उनके नाम का फायदा न उठाएं !!
धारा खुद भी इस बात से अंजान थी !! मिताली के घर मे उसके पैरेंट्स और एक दीदी, बस कुल चार लोग ही थे!

मिताली की बड़ी बहन माया भी मेडिकल स्टूडेंट ही थी और धर्मवीर जी के बेटे विकास भी ! दोनो ने प्रेम विवाह किया था ! मिताली एक मिडिल क्लास परिवार से थी !! और धर्मवीर जी एक हाई क्लास के !! दोनो के परिवार में कही से कोई बराबरी नही थी !! माया और विकास दोनो ही अपने घर परिवार से दूर ही रहते थे !! दोनो के परिवार ने उन्हें एक्सेप्ट जो नही किया था ! मिताली ही छुप छुपाकर उनसे बात कर लिया करती थी।

मिताली की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नही है ये बात धारा भी जानती थी और घर उसके घरेलू तनाव को भी ! इसलिये धारा भी मिताली के सामने तब ही अपना दुखड़ा सुनाती, जब बात ओवर हो जाती थी।


लेकिन शायद भाग्य को दया आ गयी धारा पर इसलिए ही भोलेनाथ ने ध्रुव के रूप में एक साथी दे दिया उसे !! ध्रुव भी धारा के हालातों को समझने लगा था !!
उसे हौंसला देना, उसकी हिम्मत बढ़ाना, हर कदम पर ये एहसास दिलाना की 'मैं हूँ तुम्हारे साथ, तुम्हारे पास' ये सब बातें धारा के।मन मे घर करने लगी थी !!
धारा काफी हद तक भावनात्मक रूप से जुड़ चुकी थी ध्रुव के साथ!!






धारा अपनी बुक लेकर पढ़ रही थी , बाहर गैलरी में बैठकर ! साथ ही कुछ और लड़कियां भी थी ! अचानक से मिताली के चीखने की आवाज़ आयी !!
धारा और बाकी की लड़कियां अपनी बुक्स वही पटककर घबराते हुए भागी, रूम की तरफ !!


धारा ने हांफते हुए मिताली से पूछा , " क्या हुआ ..?? चीखी क्यों..?? ठीक तो है ना..??"

मिताली ने कहा, " कुछ नही बस ऐसे ही, छिपकली आ गयी थी अचानक सामने !!"


धारा, " पागल... डरा दिया तूने ! ऐसे चीखी अचानक !!"

मिताली, " अरे वो तो अचानक से सामने आ गयी न छिपकली ! इसलिए चीखी !! बाकी तो मैं बहुत बहादुर हूँ !!"

धारा, " बहादुर...?? और तू...?? जब बहादुर है इतनी तो चीखी क्यों...??"


" हाँ तो.... हूँ मैं बहादुर ! अब सुन तू....
" मैं और छिपकली दोनों आमने-सामने थे मैं चीखी और छिपकली भाग गयी तो मैं बहादुर हुई ना.. क्योंकि मेरे डर से छिपकली भाग गयी !!" मिताली ने धारा को समझाते हुए कहा।


धारा, "हाँ चल ! कर अपना काम और मुझे पढ़ने दे !!"

धारा फिर से बुक लेकर बैठ गयी ! मोबाइल की बीप बजी ! धारा ने उठाकर देखा, ध्रुव का मैसेज था ! उसने लिखा था, " एक हफ्ते के लिए घर जा रहा हूँ ! मम्मी की तबियत थोड़ी ठीक नही है !!"

धारा पढ़कर थोड़ी उदास हो गयी !!ये उदासी क्यों हुई, इसका कारण समझ नही आया, पर एक हफ्ते पढ़कर ही धारा की धड़कन बढ़ गयी !!

"एक हफ्ते...?? बाप रे! बिना उससे झगड़े कैसे रहूंगी मैं..??" धारा ने मन मे सोचा ! फिर ध्रुव को मैसेज किया, " आंटी की तबियत ज्यादा खराब है क्या..??"


ध्रुव, " हाँ....!! परसो सीढियां उतरते समय पैर स्लिप हो गया था ! चार पांच सीढ़ियों से फिसलते हुए नीचे गिर गयी ! तब चेक अप करवाया तो कुछ नही निकला! मगर अभी ज्यादा दर्द हुआ तो सुबह फिर जांच करवाई !! फ्रेक्चर निकला है!! बुला रही है आजा कुछ दिन के लिए !! तो बस...आज जा रहा हूँ !!"

"आज...??" धारा चौंक गए पढ़कर !! उसने तुरंत रिप्लाई किया, " आज ही जा रहे हो..?? पर क्यों..??"

"क्यों मतलब..??" ध्रुव को धारा का ये प्रश्न समझ नही आया।

धारा, " मेरा मतलब... आज के आज ही जा रहे हो ! होस्टल से छुट्टी मिल गयी तुम्हे..??"

ध्रुव, "हां.... पापा ने बात कर ली थी ! इसलिये मिल गयी बिना किसी दिक्कत के !!"


धारा, " ओह !! अच्छा ट्रैन कब की है...??"

ध्रुव, " शाम साढ़े छह बजे की है !! छह बजे स्टेशन पहुंचना है !!"

धारा ने समय देखा ! पौने चार बजे थे !! उसने कुछ सोचकर ध्रुव से कहा, " अच्छा ध्रुव... मैं भी चलूं क्या ?"

"कहां..? मेरे घर...?? रतलाम...??" ध्रुव ने एकदम चौंककर पूछा।

धारा, "अरे नही -नही !! रतलाम तुम्हारे घर नही !! रेलवे स्टेशन तक यार !!"

ध्रुव, "ओह !! मुझे लगा घर तक !! ठीक है !! आ जाओ, अगर होस्टल में कोई प्रॉब्लम ना हो तो !!"

धारा,"नही होगी !! मैं आ जाऊंगी !! कहां मिलूँ तुम्हे ??'

ध्रुव, " एक काम करना.... तुम वही वैट करना ऑटो स्टैंड पर ही !! स्टेशन दूर है तो मैं टैक्सी बुक करूँगा ! यहां से निकलकर तुम्हे लेने आ जाऊंगा वहीं !!"

धारा, "ओक देन फाइन !! मैं वैट करूँगी तुम्हारा !!"
धारा ने फटाफट बुक्स वगेरह अलमारी में रखी ! और बैग में से कपड़े निकालकर तैयार होने चली गयी। मिताली ने आवाज़ देकर पूछा, " ओये ! कहां जा रही है तैयार होकर ??"


"ध्रुव उसके घर जा रहा है !! मैं उसके साथ रेलवे स्टेशन तक जा रही हूँ !!" धारा ने बाथरूम से ही चिल्लाकर कहा।


मिताली के मन मे कुछ शंका हुई ! जिसे मिटाने के लिए उसने धारा से सवाल किया, "आजकल तू कुछ ज्यादा ही नही घूमने लगी है उसके साथ...??"

धारा बाहर आकर गुस्से से चिल्लाई, " क्या मतलब है तेरा..?? कहना क्या चाहती है..??"

"अरे मतलब तेरी हर बात में ध्रुव का ज़िक्र जरूर होता है..!! क्या बात है, मोहतरमा...?? कहीं कुछ लफड़ा शफड़ा तो नही है...??" मिताली ने भौहें उचकाकर पूछा।

" तू ना.... ज्यादा दिमाग मत चला समझी !! ऐसा कुछ नही है हमारे बीच ! सिर्फ दोस्त हैं, इससे ज्यादा कुछ नही !! वो तो आज थोड़ी अजीब से बैचेनी हो रही थी इसलिए, सोचा थोड़ा बाहर होकर आऊं !! थोड़ा रिलैक्स फील करूँगी तो पढ़ाई अच्छे से होगी !! वरना तो दिमाग मे प्रोफेसर ही घूमते रहेंगे दिमाग में !!" धारा ने मिताली के शक का खंडन किया।


मिताली धारा की बात समझते हुए, " हम्म ! ये भी सही है ! तू जा ! अच्छा लगेगा तुझे ! और सुन... आते टाइम कुछ बिस्किट्स लेती आना, अलग अलग तरह के !"


धारा ने मुस्कुराते हुए मिताली को देखा और बैग उठाकर बाहर निकल गयी !! धारा ने होस्टल में अपने बाहर जाने का कारण बताया और परमिशन लेकर निकल गयी।
ध्रुव को आने में बहुत समय था ! मगर धारा समय से पहले ही पहुंच गयी ऑटो स्टैंड !!
कुछ समय उसे अकेले बिताना था ! पता नही क्यों..?? ध्रुव जा रहा है ये सोचकर ही उसे अच्छा नही लग रहा था! शायद धारा कुछ ज्यादा ही अटैच हो गयी थी !! मिताली के घर की परेशानी को देखते हुए उसने अपनी बातें उससे शेयर करना बंद कर दिया था ! मगर ध्रुव धारा से बातों ही बातों में हर बात उगलवा लिया करता था !!
ध्रुव भी जाने वाला था , वो भी पूरे सप्ताह के लिए !! अब कोई भी नही होगा... उसकी बातें सुनने के लिए ! फिर से वही रात को बिस्तर पर लेटे हुए आंसू बहाना, बाथरूम में बैठकर रोना...!! यही सब शुरू हो जाएगा !!

कुछ समय बाद ध्रुव आ गया ! धारा को वहां समय से पहले देखकर उसे थोड़ी हैरानी हुई ! उसने धारा के पास आकर पूछा, " तुम इतनी जल्दी क्यों आ गयी...??"

धारा, " कुछ नही बस... होस्टल में घबराहट हो रही थी ! तो सोचा, थोड़ा अकेले में रहूं ! इसलिए आ गयी !! वैसे तुम भी तो जल्दी आ गए ? तुम क्यों..??"


ध्रुव, "अरे यार ठंड का मौसम है !! मैंने सोचा थोड़ा जल्दी निकल लो ! अंधेरा जल्दी हो जाता है !!"

धारा, "हाँ, सही बात है !!"

धारा और ध्रुव दोनो स्टेशन पहुंचे ! पता चला ट्रैन लगभग एक घण्टे की देरी से आएगी !! ध्रुव सिर पकड़कर बैठ गया!!
धारा ने कहा, " इतना क्यों परेशान हो रहे हो...?? ठंड में अक्सर देरी हो जाती है !!"

ध्रुव, " हम्म, वो तो है !! तुम क्या करोगी तब तक यहां..?? तुम होस्टल पहुंचो !! देर जाएगी तो बेवजह डाँट पड़ेगी तुम पर !!"

ध्रुव की बात सुनकर धारा थोड़ी नाराज़गी जताते हुए बोली, " तुम मुझे भगाने पर क्यों तुले हुए हो..?? अगर कोई प्रॉब्लम थी तो पहले ही बोल देते !! मैं आती ही नही !!"

ध्रुव, " अरे तुम गुस्सा क्यों हो रही हो..?? मैंने तो बस ऐसे ही बोल दिया, ताकि तुम्हे होस्टल में प्रॉब्लम ना हो जाये !!"

धारा ने गुस्से से ध्रुव को देखा और अपनी नज़रें फेर ली। ध्रुव उसका गुस्सा महसूस कर माफी मांगते हुए, " अच्छा ठीक है !! सॉरी !!"

धारा ने कोई जवाब नही दिया ! बल्कि गुस्से में उठकर स्टेशन पर बनी दुकान पर पहुंच गई !! ध्रुव उसे मनाते हुए उसके पीछे पीछे आया सॉरी बोलते हुए, " धारा, सॉरी न यार ! मैं तो बस यूं ही बोल रहा था ! तुम तो सीरियस हो गयी !!"

धारा ने दुकान से दो चिप्स के पैकेट लिए और उन्हें रुपये निकाल कर देने लगी। पास में ही तीन लड़के खड़े हुए थे ! जो धारा और ध्रुव को झगड़ते हुए देख रहे थे !! उनमें से एक धारा और ध्रुव को सुनाते हुए अपने दोस्तों से बोला, " यार... लड़की जितनी सुंदर और हॉट है उतनी ही गुस्सैल भी !! इसको तो इस लड़के के साथ नही..अपने साथ होना चाहिए था!!"

उनकी बात सुनकर धारा ने कोई प्रतिक्रिया नही दी !! बल्कि चुपचाप आकर बेंच पर बैठ गयी ! ध्रुव को गुस्सा तो बहुत आया ऊन लड़को पर, लेकिन अभी धारा को मनाना ज्यादा जरूरी था! इसलिए वो भी चुपचाप धारा के बगल में आकर बैठ गया!!

वो लड़के भी टहलते हुए उन दोनों से कुछ ही दूरी पर जाकर खड़े हो गए और फिर से धारा पर फब्तियां कसने लगे !!
जब ज्यादा हो गया तो धारा ने अपने मौन को तोड़ा और थोड़ी तेज़ आवाज़ में बोली, " ओ धरती के बोझ... क्या प्रॉब्लम है तेरी..?? कब से सुन रही हूँ, बकवास किये जा रहा है...?घर मे बहन-बेटी नही है क्या..? जो दूसरों की लड़कियों को देख ऐसे कमैंट्स पास कर रहे हो..??"

ध्रुव ने धारा को चुप करना चाहा ! मगर धारा तो धारा ठहरी...एक बार जो बोलना शुरू किया तो चुप होने का नाम ही नही !!
धारा का जवाब सुनकर उन लड़कों को तो जैसे बात बढ़ाने का मौका ही मिल गया, " उनमे से एक दूसरे लड़के ने कहा, "बहन-बेटी तो है.. बस बीवी नही है ! तुम बनोगी क्या..??"

"हाँ , बनूंगी ना ! अपने इन दोनों दोस्तो को एक एक थप्पड़ जड़ो और इनके पूरे खानदान को एक करो पहले !! फिर मैं तुमसे शादी करने को तैयार हूँ !!"

ध्रुव को जैसे झटका लगा धारा की बात सुनकर ! हैरानी से मुंह खुला ही रह गया उसका ! मुंह से शब्द ही नही निकल पा रहे थे उसके !!

उन आवारा लड़को को ऐसा लगा जैसे धारा खुद उन्हें ढील दी रही है बात बढ़ाने का ! एक लड़के ने फिर से कहा, " जब शादी करनी ही है तो अपने दोस्तों को क्यों मारूं..?? आज इनकी वजह से ही तो तुम मिली हो ! इनका भी बराबरी का हक़ बनता है !!"

ध्रुव को घबराहट होने लगी उन लड़कों की बढ़ती हिम्मत को देखकर। और धारा पर तो गुस्सा ऐसा की जान ही ले ले उसकी। उसने आसपास देखा, स्टेशन पर भीड़ छंटने लगी थी।
धारा बगैर ध्रुव पर ध्यान दिए बोली, " हाँ, बिल्कुल ! कल को जब तीनो दोस्त शादी करो... तो अपनी पत्नियों को भी शेयर करना !! अरे... दोस्ती की बात करते हो... जानती हूँ कितनी दोस्ती होगी तुम तीनो में !!सिर्फ आवारागर्दी के समय साथ रहते हो !! बाकी तीनो में से किसी को भी एक दूसरे पर इतना विश्वास नही होगा कि अपनी बहन को अकेले ही भेज दे दोस्त के साथ !! अरे भेजना तो दूर की बात... घर मे तक नही बुलाते होंगे !! क्यों दोस्त पर विश्वास जो नही है... जब दोस्त हमारे साथ चौराहे पर खड़े होकर लड़कियों को ताड़ता है, उनपड फब्तियां कसता है, वो हमारी बहन पर कैसे बुरी नज़र नही डालेगा ! है ना....!!"


तीनो लड़के एक दूसरे की शक्ल देखने लगे !! फिर एक थोड़ी हिम्मत कर के बोला, " दोस्ती की है हमने विश्वास भी करते हैं !! तुम्हारे कहने से क्या होता है..??"

धारा, " अच्छा ! हाँ सही है मेरे कहने से क्या होता है!! चलो ठीक है मान लिया तुम्हारी दोस्ती बहुत गहरी है !! पर इतनी भी गहरी नही की, तुम तीनो अपनी बहनों का नंबर एक दूसरे को दे सको !! आई नॉ... एक दूसरे की बहनों का नंबर नही होगा ना तुम्हारे पास...??"

"ऐ लड़की.. तू हमे अपनी बातों में उलझा रही है..??" एक लड़का तैश में आकर बोला ।

धारा,"ये लो... दोस्ती की बात कर रहे हैं !! और विश्वास दो कौड़ी का भी नही !! नही है ना नंबर..... अगर होगा भी तो बताओगे थोड़े ही.... दोस्त मारने जो लगेंगे !!तुम्हे पता है , यही अंतर होता है दोस्ती में खुलकर बात करने का। एक लड़की अपनी सहेली से बोल सकती है कि तेरा भाई कितना मस्त दिखता है, पर एक लड़का अपने दोस्त से नही बोल सकता कि, वाह यार, तेरी बहन तो कितनी मस्त दिखती है !! नई !!"

ध्रुव ने धीरे से धारा के हथेली पर चींटी काटी ! धारा ने उसे आंख मारकर तमाशा देखने का इशारा किया ! ध्रुव ने ना में सिर हिलाया।
धारा धीरे से ध्रुव के कान में, " कितने फट्टू हो तुम..?? ऐसे कैसे डर डर के ज़िन्दगी जियोगे..??"

ध्रुव ने दाँत पीसते हुए कहा, " बेवकूफ लड़की !! हर जगह अपनी हिम्मत दिखाना जरूरी है क्या..?? वो लोग पता नही क्या सोच रहे होंगे तुम्हारे बारे में ??"

धारा, " कुछ भी सोचे मुझे घण्टा फर्क नही पड़ता !!"

ध्रुव, " तुम.. तुम ना किसी दिन बड़ी मुसीबत में फंसोगी अपने इस बड़बोलेपन कि वजह से !! देख लेना !!"
ध्रुव ने उन तीनों लड़को को देखा, जो एक दूसरे से बिल्कुल धीरे धीरे बात कर रहे थे ! या शायद बहस कर रहे थे। मौका देखकर ध्रुव में धारा की कलाई पकड़ी और उसे बाहर ले गया उनसे !! बाहर लाकर उसने टैक्सी रुकवाई और धारा को जबरन वापस होस्टल भेज दिया ! ताकि उसके जाने के बाद कोई दिक्कत ना हो !
धारा मुंह बनाकर वापस होस्टल लौट आयी ! उसका उतरा चेहरे को देख, मिताली ने पूछा, " क्या हुआ तुझे..?? गयी तब तो बड़ा चहक रही थी !!"

"मैं तो चहक रही थी, पर तु कहां जा रही है !!" मिताली को मिरर के सामने तैयार होते देख धारा ने पूछा।

मिताली, "रोहन के साथ जा रही हूँ ! साथ मे सीनियर्स भी जा रही हैं !! तो चल रही क्या..??"

धारा, "तू रोहन के साथ क्यों जा रही है पर..?? ब्रेकअप हो गया था न तेरा तो उससे !!"

मिताली, " ब्रेकअप हुआ , दोस्ती थोड़े ही खत्म हुई !!"

धारा, " वाह !"


ध्रुव अपने घर पहुंचा !!! घर का माहौल बहुत गर्म लगा उसे ! एक दो दिन तो घर मे उससे किसी ने कुछ नही कहा। मगर उसे घर मे सबके स्वभाव में बदलाव नज़र आ रहा था !! एक दिन ज़िद करके मम्मी से पूछ ही लिया उसने !!
मम्मी ने उससे कहा, " पता नही तेरे पापा को क्या हो गया है..?? आजकल बहुत तनाव में रहते हैं !! कुछ दिनों पहले तो इतना गुस्सा और चिड़चिढ़ करने लगे थे बात बात पर !!समझ नही आ रहा अचानक क्या हुआ है..?? और थोड़े दिन पहले तो खुद को कमरे में बंद कर लिया था !! दो तीन घण्टे तक बाहर ही नही आये ! हम दोनो माँ बेटी की तो जान ही हलक में अटक गई थी !!क्या परेशानी है, कुछ नही बताते तू पूछ कर देख!!!"

मम्मी की बात सुनकर ध्रुव भी चक्कर मे पड़ गया ! उसे भी अपने पापा की चिंता सताने लगी !! ध्रुव ने कहा, " मैं बात करता हूँ पापा से !! शायद आफिस का तनाव और मेरी और गुड़िया की पढ़ाई, भविष्य की चिंता लग रही होगी !!"
ध्रुव उठकर खड़ा हुआ ! जैसे ही वो जाने लगा , मम्मी ने उसकी कलाई पकड़ी और हथेली में कुछ रखा !!
ध्रुव के पैरों तले जमीन ही खिसक गई जैसे। उसे विश्वास ही नही हो रहा था अपनी आंखों पर। आंखों में आई नमी को रोककर उसने वो चीज़ अपनी जेब मे रखी और पापा के पास पहुंच गया।
ध्रुव के पापा क्लर्क थे, सरकारी महकमे में !! ध्रुव उनके पास पहुंचा ! पापा सोफे पर बैठे हुए थे ! ध्रुव उनके बगल में बैठकर, " पापा, आपके लिए आपके पापा... मतलब दादू के क्या सपने थे ??"

पापा को थोड़ा आश्चर्य हुआ ! ध्रुव के अचानक पूछे इस सवाल से ! उन्होंने ध्रुव से पूछा , " क्यों? अचानक से कैसे याद आ गयी ?"

ध्रुव, " कुछ नही ऐसे ही ! बताइए ना !!"

पापा ने बताया, " बाउजी हमेशा से चाहते थे कि में एक बड़ा अफसर बनूँ !! मगर घर परिवार की जिम्मेदारी के चक्कर मे ज्यादा आगे पहुंच ही नही पाया !!"

ध्रुव, " पर पापा, आपमे इतनी प्रतिभा तो थी ना कि आप कुछ बड़े पद पर पहुंच सकते थे ??"

पापा फीकी हंसी के साथ, " बेटा, प्रतिभा नही.... बहुत ज्यादा प्रतिभा, लग्न और मेहनत चाहिए होती है !! और इसके अलावा जो इनसे भी जरूरी है वो तीन चीज़े....!"

ध्रुव, " क्या..??"

पापा, "रिश्वत, चापलूसी और राजनीति !! जो इन तीनो में भी सक्रिय और निपुण हो ना... सिर्फ वही आगे बढ़ सकता है !!"

ध्रुव इतना बड़ा तो नही था जो पापा की इतनी समझदारी भरी बातें समझ सके ! लेकिन पापा किसी भारी तनाव में थे ये उनकी आवाज़ में साफ झलक रहा था ! ध्रुव ने बिना इधर उधर की बातें किये पापा से पूछा, " पापा, जब दादू की डेथ हुई थी, तब आपको कैसे महसूस हुआ था...?? उनकी कमी तो आपको आज भी लगती होगी ना ??"

पापा ध्रुव के सिर पर हाथ फेरते हुए बोले, " बेटा, व्यक्ति कितना बड़ा क्यों ना हो जाये, जब तक सिर पर बाप का हाथ और साया रहता है ना... तब तक वो कभी अकेला महसूस नही कर सकता !! बाउजी के जाते ही, मुझे ऐसा लगने लगा थी कि अब मैं कैसे इस घर परिवार को संभालूंगा..? कैसे खुद को संभालूंगा !! नौकरी भी, परिवार और रिश्तेदार भी, समाज भी सब को साथ लेकर चलना होगा अब तो !! पापा थे तो सिर्फ नौकरी की चिंता थी मुझे !! विश्वास बहुत बड़ी चीज होती है ! जो भगवान से ज्यादा मुझे बाउजी पर था !!"

"जब आपको एक बाप का साया सिर पर होना इतना जरूरी लगता है, तो आप कैसे मेरे और गुड़िया के सिर से ये साया हटा सकते हैं ??" ध्रुव की बात सुनकर पापा स्तब्ध रह गए !! ध्रुव ने अपने जेब से पॉइज़न की बोटल निकालकर पापा के हाथ मे थमा दी।



जारी..............

(JP)

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