Dhara book and story is written by Jyoti Prajapati in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dhara is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
धारा (भाग-1) शहर का सिटी हॉस्पिटल..! जहां छह महीने पहले सीबीआई इंस्पेक्टर देव को लाया गया था.!हालांकि ये बात कोई नही जानता था कि वो एक सीबीआई इंस्पेक्टर है.!! डॉक्टर धारा, जो किसी काम के सिलसिले में उस हॉस्पिटल ...और पढ़ेहुई थी उन्होंने ही देव की पहचान की !! और उसे अपने साथ अपने शहर के हॉस्पिटल लेकर आई..!! धारा, देव के बचपन की दोस्त थी..!! धारा जानती थी कि देव की जान को हमेशा ही खतरा रहा है.!! लेकिन फिर भी वो हमेशा लापरवाह रहा ! कहता था,"मौत तो एक दिन सबको आनी ही है ! क्यों बेकार में
धारा ( भाग-2) दिनभर पेशेंट्स को देखने के बाद धारा फिर से देव के रूम में पहुंच गई..!! उसने बेड के नीचे से स्टूल खींचा और उसपर बैठ गयी। धारा ने देव का हाथ अपने हाथ मे लिया और ...और पढ़ेबातें करने लगी। "तुम मेरी ज़िंदगी के वो पहले व्यक्ति हो देव जिसे मैंने अपना दोस्त माना..! क्योंकि आजतक मेरी ज़िंदगी मे जो कुछ भी हुआ उस वजह से मैं किसी के साथ दोस्ती करना तो दूर बात करने से भी घबराती हूँ..!! बीते तीन-चार सालों में शायद हम दोनों की ज़िंदगी ही बदल गयी है..!! इन बीते सालों में
धारा (भाग-3) हॉस्पिटल पहुंचकर भी धारा का मन घर मे ही लगा हुआ था..!जिसका कारण था,"देव"..!! धारा को देव की चिंता लग रही थी, " पता नही घर पर अकेले क्या कर रहा होगा वो..??" धारा ने मन ...और पढ़ेमन सोचा..!! डॉक्टर धीरज उसकी मनःस्थिति भलीभांति समझ रहे थे !! उन्होंने धारा से कहा," धारा, ऐसे काम करोगी तो समय और धीमा लगेगा..!! पेशेन्ट्स को देखने मे, एडमिट पेशेन्ट्स को देखने मे समय जल्दी बीतेगा..!! अगर देव की चिंता में ही लगी रहोगी तो दिन पहाड़ के जैसे लगेगा !!" धारा को डॉक्टर धीरज की बात ठीक लगी। वो
"डॉ. धारा, आपसे एक फ़ेवर चाहिए था मुझे..!!" हॉस्पिटल की ही एक अन्य डॉ. दिव्या ने धारा से रिक्वेस्ट करते हुए पूछा। "फ़ेवर..? कैसा फ़ेवर..? बोलिये न डॉ. दिव्या !!" धारा ने पूछा। "वो मैं आज किसी जरूरी ...और पढ़ेसे आउट ऑफ टाउन जा रही हूँ ! तो क्या आप मेरे दोनो बच्चो को संभाल लेंगी.?? सिर्फ आज की ही बात है, कल सुबह तक तो मैं किसी भी हाल में आ जाऊंगी ! प्लीज़..!!" डॉ. दिव्या ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा। धारा जानती थी दिव्या के दोनो बच्चे बहुत उत्पाती और शैतान हैं..! उन्हें अपने साथ रखना मतलब बैठे-बिठाए
"देव क्या हुआ तुम्हे..? तुम ठीक नही हो देव..!मैंने कहा था ना पहले ही... बीती बातों पर ज्यादा जोर देने से तुम्हारी तबियत खराब हो जायेगी..! तुम सुनने को तैयार ही नही थे..! अब देखो, हो गया न तनाव...!!" ...और पढ़ेघबराते हुए बोली। धारा को अचानक ध्यान आया,"देव तुमने अपनी दवाई ली या नही...??" देव ने ना में सिर हिलाया। धारा दौड़कर रूम में गयी और देव की दवाई और किचन में जाकर फ्रिज से एक इंजेक्शन लेकर आई .! देव की आस्तीन चढ़ाकर बांह पर इंजेक्शन लगाते हुए धारा ने कहा,"तुमने दवाई क्यों नही ली समय से..?मैने दवाई के