धारा - 5 Jyoti Prajapati द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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धारा - 5

"देव क्या हुआ तुम्हे..? तुम ठीक नही हो देव..!मैंने कहा था ना पहले ही... बीती बातों पर ज्यादा जोर देने से तुम्हारी तबियत खराब हो जायेगी..! तुम सुनने को तैयार ही नही थे..! अब देखो, हो गया न तनाव...!!" धारा घबराते हुए बोली।

धारा को अचानक ध्यान आया,"देव तुमने अपनी दवाई ली या नही...??"

देव ने ना में सिर हिलाया। धारा दौड़कर रूम में गयी और देव की दवाई और किचन में जाकर फ्रिज से एक इंजेक्शन लेकर आई .! देव की आस्तीन चढ़ाकर बांह पर इंजेक्शन लगाते हुए धारा ने कहा,"तुमने दवाई क्यों नही ली समय से..?मैने दवाई के हर पैकेट पर समय और कितना डोज़ लेना है लिखा है ना..!"

इंजेक्शन ने देव पर जल्दी अपना असर दिखाना शुरू दिया..! देव को नींद आने लगी ! धारा ने दोनो बच्चो से कहा,"बच्चो खाना खाकर आप दोनो उस रूम में सो जाओ, मैंने बिस्तर तैयार कर दिया है आपका..!!"
दोनो बच्चो ने सिर हिलाया और खाना फिनिश करके रूम में चले गए सोने.!!

धारा देव को सहारा देकर रूम तक लेकर गयी..! देव पर नींद हावी थी, मगर उसके दिमाग मे कुछ बातें एक चलचित्र की भांति चल रही थी..। कुछ धुंधला सा दिखाई दे रहा था उसे, पर वो समझ नही पा रहा था, आखिर क्या है ये..??

धारा ने देव को बेड पर लिटाया और उसका सिर दबाने लगी..! थोड़ी देर बाद धारा उठकर बच्चो को देखने गयी, वे सो चुके थे ! धारा ने किचन में जाकर हल्दी वाला दूध बनाया और देव को लाकर पिलाया !! धारा फिर से देव का सिर दबाने लगी !
काफी देर बाद देव को नींद आयी..! धारा भी देव के पास बैठे-बैठे ही सो गई !!

सुबह जब धारा की नींद खुली तो देव का सिर उसकी गोद मे था ! और धारा देव के सीने पर सिर धरकर सोई हुई थी ! देव की नींद भी उसी समय खुली..!
देव और धारा दोनो ही एक दूसरे को इतना करीब पाकर असहज हो गए ! धारा ने उठने की कोशिश की मगर उठ नही पाई !रातभर ऐसे ही बैठे-बैठे सो जाने की वजह से शरीर अकड़ गया था और दर्द होने लगा था !
देव का ध्यान गया कि वो धारा की गोद मे सिर रखकर सो रहा है ! जैसे ही वो उठने लगा, उसका सिर धारा के सिर से जा टकराया !!
"आउच..!!" दोनो के मुंह से साथ ही निकला और दोनो सिर पकड़ कर बैठ गए !!

धारा तुरंत अपने रूम में पहुंची जहां बच्चे अभी भी सोए हुए थे !! दिव्या का कॉल आया उसने कहा ,"के आज ही वापस आ रही हूँ, अगर हो सके तो बच्चो को हॉस्पिटल ले आना, वहां से मैं दोनो बच्चो को अपने साथ ही ले जाऊंगी..!!"

धारा ने देव को भी ले जाने का सोचा ! ताकि उसका चेकअप करवा लें ! दो बार उसके साथ ऐसा हो चुका था ! अब रिस्क नही लेना चाहती थी वो..!!
देव तैयार होकर आया ! धारा ने दोनो बच्चो को उठाया और उन्हें तैयार होने को कहा ! नाश्ता आ चुका था। सबने नाश्ता किया और हॉस्पिटल के लिए निकल गए !!

हॉस्पिटल पहुंचकर धारा ने दिव्या को उसके बच्चे सौंपे और देव से मिलवाया !! दिव्या ने धारा का आभार जताया जो उसने उसके दोनो बच्चो को संभाला !!

उसके बाद देव को डॉ. नकुल और डॉ. धीरज से मिलवाया और बीते दिनों जो भी देव के साथ घटित हुआ विस्तार से उसके बारे में बताया !

मि. देव आपसे मैं कुछ सवाल करूँगा, आप थोड़ा सोच-समझकर जवाब दीजियेगा...!!" डॉ. नकुल ने देव से कहा।

देव ने हाँ ने जवाब दिया !

डॉ. नकुल,"आपको ऐसे जो सिर चकराना, दर्द होना पहले भी हुआ है या अभी एक दो दिन से..??"

देव ने जवाब देते हुए कहा,"नही अभी एक-दो दिन ही हुआ है ऐसा !!"

"ओहके...! तो आपको क्या महसूस होता है उस समय..??मतलब क्या होता है आपके साथ.? शरीर में कुछ बदलाव सा महसूस करते हैं आप..??" डॉ. नकुल ने फिर पूछा।

देव ने कहा,"पता नही पर अचानक ही सिर में तेज खिंचाव से होता है ! ऐसा लगता है जैसे दिमाग की नसें ही फट जाएंगी..!! जैसे ही दिमाग पर ज़ोर पड़ता है, कुछ अजीब सा, धुंधला से दिखाई देता है..!!!"

डॉ. नकुल को कुछ-कुछ समझमे आने लगा था ! उन्होंने देव से पूछा,"कुछ धुंधला से दिखाई देता है...?? क्या कुछ समझ मे आया क्या दिखाई देता है..??"

"नही..छवि स्पष्ट नही दिखाई देती..! क्या है..? कौन है ये भी समझ नही आ रहा..!!" देव ने कहा।

"अच्छा ठीक है ! आप ये बताइए कि कब - कब आपके साथ ऐसा हुआ..??" डॉ. नकुल ने पूछा।

"परसो और कल..!!" देव ने कहा! धारा ने हैरानी से देव को देखा ! फिर पूछा,"परसो मतलब..? तुम्हे ये तकलीफ परसो भी हुई थी तो तुमने बताया क्यों नही..??"

"मुझे लगा ऐसे ही हुआ होगा..क्यों तुम्हे परेशान करुं..??" देव ने इतनी मासूमियत से जवाब दिया की धारा उसे कुछ कह ही नही पाई !
मगर डॉ. नकुल देव की हालत का कुछ कारण तो समझ पा रहे थे, जिस तरह के लक्षण उन्होंने देव में उसकी बातों से महसूस किए! उन्होंने देव से पूछा,"मि. देव ये बताइए कि कब आपके साथ ऐसा हुआ..?मेरा मतलब, किसी वस्तु को देखकर, किसी व्यक्ति को देखकर या कोई आवाज़ सुनकर..?? कब होता है ऐसा..??"

देव सोचने लगा और धारा और डॉ. नकुल बड़े गौर से देव को देख रहे थे ! देव ने कुछ नही कहा !!

तभी धारा का मोबाइल बजने लगा ! देव और डॉ. नकुल ने उसे देखा तो धारा ने सॉरी बोलकर मोबाइल साइलेंट पर कर दिया !! डॉ. नकुल ने पूछा,"कोई ज़रुरी कॉल होगा ! आप बात कर लीजिए डॉ. धारा !!"

"नही डॉ. नकुल कोई जरूरी कॉल नही है!! डॉ. दिव्या का कॉल है !!" जैसे ही धारा ने दिव्या नाम लिया, देव ने जोर से टेबल पर हाथ रखा ! धारा और डॉ नकुल चौंक गए ! डॉक्टर नकुल को समझते देर नही लगी कि फिर से देव के दिमाग से वही ध्वनि, या शब्द टकराया है जो दिमाग और ज़ोर डाल रहा है..!!

डॉक्टर नकुल ने देव से पूछा,"मि. देव आप ठीक हैं..??"

देव ने हाँ में सिर हिलाया । देव हाथों की कसकर मुट्ठी बांधे हुआ था। डॉ नकुल ने कहा," देव याद करने की कोशिश करो, जब पिछली बार तुम्हारे साथ ऐसा हुआ तब कौन सा आखिरी शब्द सुना था तुमने..??"

देव ने याद करने की कोशिश की मगर नाकाम रहा !! फिर डॉ नकुल ने कहा,"ठीक है, दूसरी तरह से कोशिश करते हैं। मैं कुछ शब्द या वाक्य बोलता हूँ आप सोचने का प्रयास कीजिये...!!"

देव आंखे बंद कर के बैठ गया..!! डॉ नकुल ने कुछ संबद्ध कहे मगर देव को कोई असर होता नही दिखा!!
फिर धीरे-धीरे उन्होंने कुछ लोगों के नाम लेना शुरू किया..!!
माया... दीक्षा, अनु, रश्मि,...!"

डॉ नकुल नाम ले रहे थे मगर देव पर कुछ इम्पैक्ट नज़र नही आया !!

उन्होंने फिर से नाम लेना स्टार्ट किया ! "कृष्णा, राम, रमा, धारा, देव..." फिर थोड़ा रुककर," दिव्या...!!"

दिव्या शब्द सुनते ही देव ने कसकर मुट्ठी बांध ली ! डॉ नकुल के चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गयी ! देव का माथा झनझनाहट से भर उठा ! डॉ नकुल ने उसे तुरंत पानी पिलाया !!

"क्या हुआ डॉक्टर..! कुछ पता चला !!" धारा ने थोड़ा उत्सुक होते हुए पूछा।

"अब तक तो आप समझ ही गयी होंगी, किस शब्द को सुनकर देव विचलित हो जाता है..!!!"

धारा, देव के साथ घर आई उसे दवाइयां देकर वापस हॉस्पिटल निकल गयी।

हॉस्पिटल पहुंचते ही धारा जल्दी से डॉ नकुल के पास पहुंची

डॉ नकुल ने उसे देखते ही कहा," मैं सोच ही रहा था...आपको बुलाने के बारे में और आप पहले ही आ गयी.!!"

धारा थोड़ी घबरा गई,"कुछ सीरियस तो नही है ना !!"

"सीरियस तो नही है पर हल्के में भी नही ले सकते..! डॉ धारा शायद इनके जीवन मे कोई दिव्या नाम की लड़की है, जो बहुत गहराई से इनसे जुड़ी हुई है!!

धारा ने पूछा," तो...! मतलब ये है कि कोई ऐसा हादसा हुआ है देव के साथ जो दिव्या से जुड़ा हुआ है..??"

"एसेक्टली, अब ये हादसा अच्छा था या बुरा ये तो नही कह सकते मगर जो भी है ये दिव्या मि. देव के लिए बहुत महत्वपूर्ण है..!!"

"पर डॉ नकुल... ऐसे कब तक चलेगा देव के साथ..!! मतलब दिव्या नाम सुनकर ही देव की तबियत खराब होने लगती है.!! अब हम कब तक उसके सामने ये नाम न ले !!"

"देखिए डॉ धारा, देव के सामने यदि बार-बार ये नाम आता है तो हो सकता है वो अपना मानसिक संतुलन खो बैठे..!!"

डॉ नकुल की बात सुनकर धारा शॉक्ड रह गयी।

"मतलब..??"

"मतलब ये की या तो ये नाम इनके सामने लिया ही ना जाये या फिर ये दिव्या जो कोई भी है, उसे लाया जाए, ताकि देव को कुछ तो याद आये..!!"

"पर डॉ नकुल, कहीं दिव्या से मिलकर देव को कुछ हो गया तो..??" धारा ने अपनी शंका जाहिर की।

"आप कब तक संशय के साथ रहेंगी डॉ धारा ! कभी ना कभी तो आपको इस चुनौती का सामना करना ही होगा..!!! आज नही तो कल ये दिव्या नाम या शख्स देव को याद दिलाएगा ही..!! अगर में स्पष्ट कहूँ तो आप प्रयास कीजिये देव के अतीत के बारे में जानने का..!! पहले ये पता लगाइए की ये दिव्या है कौन..?? इसके साथ देव की अच्छी यादें जुड़ी हैं या बुरी !! फिर उसी के हिसाब से हम आगे की प्रक्रिया करेंगे..!!"

डॉ नकुल की कही बातें धारा के लिए चिंता का विषय बन गयी..!! देव के अतीत के बारे में पता लगाना मतलब फिर से उसी खतरे को आमंत्रण देना जो देव के सिर मंडरा रहा था।

मगर डॉ नकुल का कहना भी सही था, धारा कब तक देव को प्रोटेक्ट कर सकती है..? कभी न कभी तो देव बाहर निकलेगा..! लोगो से मिलेगा..! ऐसा ज़िन्दगी भर तो नही चल सकता..! ना जाने कब क्या हो जाये, इस डर के साये में तो जिया नही जा सकता।। क्या करूं..? क्या ना करूँ.? इसी कशमकश के साथ धारा घर पहुंची.!!

देव ने उसे देखते ही पूछा,"धारा...जब तुम मुझे यहां लेकर आई तब मेरे पास से तुम्हे कुछ भी नही मिला था क्या..??"

अचानक ही धारा को ध्यान आया, देव का कुछ सामान उस हॉस्पिटल में जहां देव पहले एडमिट था, जमा है.!!

देव आओके धारा दोनो ही उस हॉस्पिटल पहुंचे ! हॉस्पिटल वाले धारा को जानते थे इसलिए ज्यादा दिक्कत नही आई..!!

देव और धारा ने सारा सामान टटोला ! एक डायरी, कुछ रुपये, एक यूनिक पेन जिसमें शायद कैमेरा लगा लगा हुआ था, पर किसी को समझ नही आया, सबने उसे एक स्टैंडर्ड पेन ही समझा और कुछ पेपर्स थे..! उन पेपर्स में भी क्या लिखा हुआ था, सभी के समझ के बाहर था ! शायद कोडवर्ड में लिखा हुआ था.!!!

धारा और देव सारा सामान लेकर घर पहुंचे ! धारा ने निर्णय ले ही लिया था, अब तो देव के अतीत का पता लगाना ही है ! यूँ ही हाथ पर हाथ धरे नही बैठ सकते.!!

धारा ने मन ही मन सोचा,"सबसे पहले तो इस दिव्या नाम की शख्स का पता लगाना है.! आखिर है कौन ये..? कहीं वही दिव्या तो नही...???"



क्रमशः