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इन्तजार एक हद तक (महामारी) - 16

अगले दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गया रमेश और बोला कि सब का बैग पैक कर देना चन्दू और हां बच्चों के गर्म कपड़े भी रख लेना । चन्दू ने कहा हां ठीक है। फिर रमेश आफिस को निकल गए और वहां पहुंच कर अपना सारा काम अपडेट करने लगे। अमित ने कहा भाई मैं भी अपना बैग लेकर आया हूं। रमेश ने कहा हां ठीक है तुम्हारा ही सहारा है दोस्त। अमित ने कहा हां भाई मैं किसी काम आ सकु इससे अच्छा और क्या।
फिर शाम को दोनों दोस्त निकल गए और जाने से पहले रमेश ने बड़े बाबू को छुट्टी की अर्जी दे दिया और अमित ने भी दे दिया।
घर पहुंचते ही दोनों दोस्त एक साथ मिलकर चाय नाश्ता करने लगे। रवि ने कहा चाचू हम लोग कल कब निकलेंगे? रमेश ने कहा बेटा १२ बजे तक। रत्ना बोली चाचू कब पहुंचेंगे? रमेश ने कहा बच्चे शाम तक पहुंच जाएंगे दूसरे दिन।। रत्ना ने कहा अरे वाह बड़ा मज़ा आएगा। फिर सभी एक साथ रात का खाना खाने बैठ गए। चन्दू ने दाल चावल,भाजी बनाया था। सभी खा पी कर सोने चले गए।
रमेश को बस एक ही चिंता सता रही थी कि उर्मी मिलेगी या नहीं। तभी रमेश ने परी से पूछा कि क्या मां मिलेगी और वो कहां है?परी ने तुरंत कहा उर्मी बहु तो दुल्हन बनी हुई है बड़ा सा कोठी है, गाना बजाना चल रहा है। रमेश ये सुनकर एक दम चौंक गए और फिर बोला अरे क्या मैंने बहुत देर कर दी।
फिर रमेश सो गया। दूसरे दिन सुबह सब जल्दी से तैयार हो गए। रवि और रत्ना ने बहुत सच्चे मन से भगवान की पूजा भी किया कि उसकी चाची मिल जाए। ये देख रमेश की आंखें भर आईं और उन्होंने कहा कि बच्चों देखना भगवान जरूर सुनेंगे। फिर सभी खाना खा कर तैयार हो गए। और ११बजे घर से निकले। चन्दू ने एक आटो रिक्शा कर लिया सभी बैठ गए और फिर स्टेशन पहुंच गए। रमेश ने एक कुली कर लिया और कुली ने कहा कि जोधपुर एक्सप्रेस ११ न-पर आ रही है। फिर सभी समय से पहले ही पहुंच गए। गाड़ी कुछ देर बाद ही आ गई। सभी धीरे धीरे अपनी सीट पर बैठ गए। रमेश ने कुली को पैसे दिए और फिर गाड़ी चल पड़ी। रवि, रत्ना और परी तीनों ही बहुत ही खुश हो कर बाहर देख रहे थे।
कुछ देर बाद सबने चाय नाश्ता किया।
बच्चे कुछ देर बाद ही सो गए। रमेश और अमित बात करने लगे थे। गाड़ी में समय का पता नहीं चलता है फिर शाम होने लगी। सभी ने चन्दू के लाएं हुए समोसे खाने लगे और फिर चाय पीने लगे। गाड़ी एक स्टेशन पर रुक गई। बच्चे बहुत ही उत्साहित होकर देखने लगें।
फिर सभी ने रात का खाना जल्दी करना उचित समझा क्योंकि सबकी थकावट हो गई थी। चन्दू ने सबसे पहले बच्चों को खाने को दिया। पुरी,दम आलू। और साथ में सोनपापड़ी वह भी देसी घी के। उसके बाद अमित और रमेश भी खाना खाने लगे। चन्दू भी खा लिया।
सभी खाना खा कर सो गए। ज़्यादातर गाड़ी में नींद नहीं आती पर ये सब अच्छे से सो गए।
सुबह चाय चाय की आवाज से रमेश और अमित उठ कर चाय वाले को बुलाया और फिर चन्दू भी उठ कर चाय पीने लगे। दिसम्बर माह की ठंड थी तो काफी ठंड लग रही थी। बच्चों को कम्बल ओढ़कर सुला दिया गया था।
फिर धीरे धीरे सात बज गए थे। चन्दू ने रमेश और अमित को नाश्ता दिया। अमित ने कहा अरे वाह खोए की रोटी, याद है रमेश दिवाली में गया था जब तो अम्मा जी ने खिलाया था वहीं स्वाद। रमेश ने कहा हां मैं कैसे भुल सकता हूं और फिर चन्दू को अम्मा जी बहुत मानती थी अपने बेटे सामान। चन्दू ने कहा हां ठीक ही कहा।
कुछ देर बाद बच्चों को भी उठाया गया और उनको मंजन करने को कहा गया। रमेश बच्चों को ले जाकर मुंह हाथ धुलवा दिया। और फिर बच्चों को भी रोटी और मिठाई खाने को दिया गया। बच्चे तो बहुत ही इन्जाय कर रहे थे। दोपहर को हल्का फुल्का मठरी, बिस्कुट,खा कर सो गए और चार बजे तक उठ गए। एक चाय बेचने वाले से चाय पीने लगे और अमित ने पूछा क्यों भाई अब जोधपुर कब आएगी? चाय वाले ने कहा एक घंटे बाद। सभी लोग सामान निकालने लगें। रमेश, अमित भी बैठ कर इन्तजार कर रहे थे। चन्दू ने बच्चों को उठा दिया। पांच बजे जोधपुर स्टेशन पर गाड़ी रुक गई। सभी उतरने लगे। रमेश ने कहा बड़ी भीड़ है कुली का इंतजार करते हैं। अमित ने कहा हां ठीक है। फिर एक कुली आ गया और रमेश ने कहा सामान लेकर चलो। फिर कुली ने सामान उठा लिया और कहा आप लोग पीछे आइए। सभी धीरे धीरे उतर गए।
फिर स्टेशन के बाहर आकर खड़े हो गए फिर वहीं से एक टेक्सी मिल गया और सब बैठ गए। रमेश ने कुली को पैसे दिए और ड्राइवर ने कहा कि कलिंगा होटल चलना है। फिर ड्राईवर जल्दी ही उस होटल के पास गाड़ी रोक दी। सभी उतर गए। चन्दू डिक्की में से सामान निकालने लगा। रवि ने कहा चाचू ये होटल है? रमेश ने कहा हां चलो सब । फिर काउंटर पर जाकर रमेश ने अपना साइन किया और चाबी लेकर सबको आने का इशारा किया। फिर सब साथ रुम में पहुंच गए। रमेश ने एक बड़ा वाला रूम बुक किया था।दो बड़े-बड़े बेड लगे थे और बड़ी खिड़कियां, अलमारी और बड़ा ही साफ सुथरा।
सभी फे्श हो कर नीचे पहुंच गए वहां खाने पीने की व्यवस्था भी थी।सब बैठ गए। अमित ने चाय और नाश्ता लाने को कहा और बच्चों के लिए दुध। फिर चाय पीने के बाद सभी बाहर निकल गए। अमित ने कहा चलो थोड़ी देर घुम लेते हैं फिर रात का खाना खा कर सो जायेंगे। रमेश ने हामी भर दी। जोधपुर में दिसंबर माह में काफी ठंड थी और साथ रौनक भी थी। जगह जगह काफी लाईट की मालाएं लगी थी एक तो बड़ा दिन आने वाला था। रत्ना ने कहा अरे वाह यहां तो सेंटा क्लाज बन रहा है।
कुछ देर बाद ही सब वापस होटल आकर खाने बैठ गए। रमेश ने रोटी, सब्जी, दाल चावल भाजी सब मंगवा लिया और फिर सभी खा पी कर सोने चले गए।
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर अमित और रमेश निकलने लगें और चन्दू को बोला बच्चों को सोने दो। जब उठे तो उनको गर्म कपड़े पहना देना। दोनों नीचे पहुंच कर चाय नाश्ता करने लगे और फिर वहां से सीधे पुलिस स्टेशन पहुंच गए। जहां कुछ देर इन्तजार करने के बाद पुलिस अधीक्षक ने बुलाया। अमित ने अपने मामा जी द्वारा बताए गए कमिश्नर सत्यपाल सिंह का नाम लिया। और रमेश ने सारी बात बताई। उर्मी का फोटो देकर रमेश ने कहा कि मैं बहुत उम्मीद लेकर आया हूं। पुलिस अधीक्षक ने कहा हां ठीक है मैं सारे पुलिस स्टेशन पर बात करता हूं कि क्या कोई मिसिंग कम्पेलन आया है कि नहीं? आप लोग कल एक बार आइए। अमित और रमेश होटल वापस आ गए।तब तक बच्चे भी उठ गए थे। रवि ने कहा चाचू क्या हम आज घुमने जाएंगे? रमेश ने कहा हां ठीक है। फिर सभी दोपहर का खाना खाने नीचे पहुंच गए। रमेश ने दाल, चावल, भाजी, पनीर कोफ्ते ये सब मंगवा लिया। फिर सब लोग ख़ाना खाने लगे। रमेश ने कहा कि अगर शाम को जाना है तो कुछ देर सोना होगा। तीनों बच्चों ने कहा हां ठीक है। सभी रूम में वापस आ कर सो गए। शाम को जोधपुर में काफी ठंड पड़ गई थी।सब तैयार हो कर नीचे पहुंच गए अमित, रमेश और चन्दू ने चाय पिया और समोसे भी खाए। बच्चों को टोस्ट,दुध दिया गया।
फिर सभी बाहर निकल गए और एक टैक्सी बुक किया। सभी बैठ गए। टैक्सी ड्राइवर ने सबसे पहले गाड़ी एक गणेशजी की मंदिर में जाकर रोक दिया और कहा कि ये बहुत ही जाग्रत मंदिर है। सभी दर्शन करने पहुंचे। रमेश ने तीनों बच्चों के नाम से पुजा चढ़ाई। फिर वहां से गाड़ी सदर बाजार में रुक गई। ड्राइवर ने कहा कि यहां आप लोग घुम सकते हैं। बच्चे बहुत ही खुश हो गए। बाजार में बड़ी भीड़भाड़ थी। सबसे पहले ही खिलौने का दुकान था।परी ने इशारा किया और रमेश ने कहा बच्चों जिसको जो लेना है ले लो। फिर परी ने गुड़िया ली, रत्ना ने रंग बिरंगी हेयर क्रिल्प , रवि ने एक विडियो गेम लिया। फिर वहां से वो लोग आगे बढ़ गए। एक साड़ी की दुकान पर रमेश अचानक से रूक गया जैसे उसे किसी ने रूकने को कहा और फिर एकदम से अंदर चला गया। उसे देख अमित बच्चों को लेकर अन्दर पहुंच गए। फिर देखा कि रमेश बैठ गए थे। सभी बैठ गए। रमेश ने कहा साड़ियां दिखाओ। अमित ने धीरे से कहा क्या बात है भाभी के लिए अभी लेकर रखोगे।परी ने कहा अरे बाबा मां के लिए गुलाबी रंग लो। मां को पसंद है ना।। ये सुनकर चन्दू चौक गए और सोचने लगा कि परी बिटिया को कैसे पता? रमेश ने एक गुलाबी रंग की जामदानी साड़ी खरीदा और फिर सब बाहर आ गए। बाहर आते ही जैसे रमेश को होश सा आ गया। और वो बोला अरे मैं यहां कैसे? अमित ने कहा अरे भाई तुम तो भाभी के लिए साड़ी खरीदे हो। रमेश ने कहा हां,पर मैं कहां।। फिर सब आगे बढ़ गए। बच्चों ने जिद किया कि उन्हें लस्सी पीना है। सभी एक लस्सी वाले के पास से दही की मलाई लस्सी पीने लगे। फिर वहां से सब होटल लौट आए। लस्सी से सबका पेट भर गया था इसलिए सब बिना खाना खाए सो गए।
आधी रात रमेश एकदम से चौंक कर उठ गया और फिर बोलने लगा ये क्या कहा अम्मा जी ने कि उर्मी बहु अगर वापस ला सके तो अम्मा जी की आत्मा को शांति मिल जाएगी। तभी अमित उठ कर एक गिलास पानी पीने को दिया रमेश को। और कहा ये पीकर सो जाओ हम कल बात करेंगे। रमेश एक घुट पानी पी लिया और सो गया।
दूसरे दिन सुबह उठकर तैयार हो कर नीचे पहुंच गए और फिर नाश्ता करने लगे और फिर रमेश ने कहा कि कल रात अम्मा जी ने ये कहा था कि।। अमित ने कहा हां मैं समझ गया चलो अब हमें जाना होगा।
वो दोनों फिर पुलिस स्टेशन पहुंच गए। और फिर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि उन्हें एक मिसिंग कम्पेलन आया था पर वो तीन साल पहले का। रमेश ने कहा हां ठीक है सर हमें वहां जाना होगा। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि कोई कोठी है। रमेश ने कहा हां हमें वो पता दे दिजिए। अमित ने कहा हां ठीक है सर पर हमें पुलिस की सहायता मिलेगी ना? पुलिस अधीक्षक ने बताया कि हां एक पुलिस फोर्स जाएगी।
अमित और रमेश पुलिस की जीप में बैठ गए।
फिर उसी पते के अनुसार सब कोठी की जांच करते हुए जाने लगें। रमेश शायद अपनी मंजिल पर पहुंचने वाला था। क्या आगे उसे उसकी मंजिल मिल पायेगा। उर्मी क्या वहां है? ये सब जानने के लिए आगे की कहानी को पढ़े।
क्रमशः।

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