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इन्तजार एक हद तक - 9 - (महामारी)


रमेश के हाथ कांप रहे थे और उसने वो चिट्ठी खोली।


लिखावट तो किसी और की थी। उर्मी की नहीं थी।

लिखा था
बेटा रमेश...तू तो नही आया अब हमलोग तेरा आसरा भी नहीं देख सकते हैं।

तुमको एक खुशखबरी देना था पर इस महामारी के कारण पहले नहीं दे पाई।

उर्मी बहु की आजकल बहुत तबीयत खराब सा रहता है क्योंकि तू अब पापा बनने वाला है उर्मी बहु का सातवां महीना चल रहा है पर उसकी तबीयत ठीक ना है। बच्चे की तबीयत भी ठीक ना है।
क्या कहुं बेटा मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है।
हकीम पुर गांव के बाद हुकुलगंज में एक डाक्टरनी से उर्मी बहु का इलाज चल रहा है।
बेटा यहां पर अगर अच्छा अस्पताल होता तो आज इतना दूर ना जाना पड़ता।

ये चिट्ठी मै एक नर्स से लिखवा रही हुं। उसका नाम आशा है।

पता नहीं कब क्या हो जाएं। मैं यहां अस्पताल में ही हुं।
शायद उर्मी बहु का आपरेशन करवाना पड़े क्योंकि बच्चा ठीक नहीं है अन्दर। बेटा तुम हमें माफ कर देना क्योंकि पहले हमने तुम्हें नहीं बताया क्योंकि उर्मी बहु ने सोचा था कि बच्चे को लेकर सीधे तेरे पास जाएगी।

बेटा देख हमारा हालत ठीक ना है तू सब सम्हाल लेना।

एक बार हुकुलगंज में आकर देख लेना बेटा।

अभी पता चला कि उर्मी बहु ने एक नन्ही सी परी को जन्म दिया है। बच्ची प्री मेच्योर हुईं।

पर तुम चिंता मत करो सब भगवान ठीक करेंगे।



इतना पढ़ कर रमेश बहुत रोने लगा और सोचने लगा कि जब हर रोज रात को उर्मी ने बात करता था तो वो बहुत हसती थी ओह!! उर्मी ये क्या कर दिया तुमने मुझे कुछ बताया नहीं।

इतनी बड़ी खुशखबरी देने में इतना साल लगा दिया।


अब मैं क्या करूं कहा ढुंढु गुड़िया को।।

रवि और रत्ना बोलें चाचू देखना हमें हमारी परी जरूर मिलेगी।


रमेश बोला मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है ये चिट्ठी दो साल पहले की है बच्चों।।

अब गुड़िया भी बड़ी हो गई होगी।पर कहा है कैसी है मुझे मुझे कुछ नहीं पता है।

कैसे लाऊंगा उसको। अब समझ आ रहा है कि अम्मा मेरे सपने में आकर क्या बात बताना चाहती थी और किसी चिठ्ठी की बात कर रही थी।

ओह उर्मी एक बार तो बताया होता।
मुझे अभी तक याद है हम-दोनों ही शादी के बाद ही चाहते थे कि हम मां बाप बन जाएं पर हर बार मैं मायुस हो कर लौट जाता था कि भगवान जब चाहेंगे और देखो दो साल बाद मुझे पता चला कि मेरी भी एक नन्ही परी है इस दुनिया में।

रमेश ये सोचते हुए सो गया और फिर वो सपना देखा कि अम्मा उसे कुछ संकेत दे रही है।

फिर दुसरे दिन सुबह रमेश आफिस जाकर छुट्टी की अर्जी दे दिया और सब बात भी बताई।


ये सुनकर अमित बोलें रमेश मैं चलता हूं तेरे साथ तू चिंता मत कर।
रमेश बोला हां ठीक है आज रात को मैं निकल रहा हूं।

अमित बोलें मैं आता हूं तेरे घर।


रमेश बोला हां मैं अब ज्यादा देर नहीं कर सकता दो साल हो गया है पर मेरे पास एक ही आस है वो नर्स।


फिर रमेश घर लौट आया और चन्दू को सब कुछ समझा दिया कि मेरे पीछे बच्चों का ध्यान रखें।


चंदू बोला हां बेटा तुम जाओ।

फिर बच्चे स्कूल से लौट आए और फिर चाचू को समझने की कोशिश किया।


रवि बोला चाचू मुझे विश्वास है आप परी को लेकर आओगे।

रमेश बोला हां बेटा।


रमेश ने अपना एक बैग पैक कर दिया और वो अंतिम चिट्ठी भी सम्हाल कर रख दिया।

शाम को अमित रमेश के घर आ गए और फिर चन्दू ने चाय नाश्ता कराया और फिर दोनों निकल गए।

अलीगढ स्टेशन पर पहुंच कर रेलवे काउंटर पर जाकर हुकुलगंज की दो टिकट कटवाया।
गाड़ी नौ बजे आने वाली थी।


फिर दोनों प्लेटफार्म नंबर एक पर जाकर गाड़ी की प्रतीक्षा करने लगे।
गाड़ी एक दम समय से आ गया।

रमेश और अमित गाड़ी में अपने रिजर्व सीट पर बैठ गए।


फिर कुछ देर बाद ही गाड़ी चल पड़ी।

अमित बोलें देखो रमेश तुम ज्यादा सोचो मत हुकुलगंज में मेरे मामा का घर है वहीं हम जा रहे हैं।


मामा जी वहां के अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं तो वो हमारी सहायता जरूर करेंगे।


रमेश बोला अरे भाई तुमने क्या कह दिया, मैं तो तुम्हारा एहसान मन्द रहुंगा।


फिर करीब रात के ग्यारह बजे तक हुकुलगंज स्टेशन पर गाड़ी रूक गया।

रमेश और अमित उतर गए और फिर सामान के साथ बाहर की तरफ निकल गए।

बाहर आटो रिक्शा के पास जाकर अमित बोला वीर नगर कालोनी जाना है।


फिर दोनों बैठ गए और आटो रिक्शा चलने लगा।


रमेश बोला अरे भाई तुमने मामा जी को सब बता दिया?


अमित बोलें देखो मैंने सिर्फ आने की खबर कर दिया है। बाकी घर पहुंच कर करूंगा।

फिर आधे घंटे बाद रमेश लोग पहुंचे अमित के मामा जी के घर।

रमेश ने आटो चालक को किराए दे दिया।

फिर अमित ऊपर देखा तो बालकनी में सोनी खड़ी थी।

फिर सामान लेकर कर सीढ़ी चढ़ कर तीसरे माले पर पहला दरवाजा, डोर बेल बजा दिया।


मामा जी ने दरवाजा खोला और बोले आओ बेटा।।

फिर दोनों अन्दर पहुंच गए।


अमित बोलें ये मेरा दोस्त रमेश है।


रमेश बोला नमस्कार मामा जी और मामी जी।


तभी मामी जी बोल पड़ी हां ठीक है पर ये बताओ अचानक कैसे सब कुछ ठीक है ना?


अमित बोलें हां सब ठीक है।

तभी सोनी आकर बोली अरे अमित भाई कैसे हो?
अमित बोलें सोनी मैं ठीक हूं।


मामा जी बोले अरे भाई बाकी बातें कल करना, सफर से थके हुए हो,जाओ पहले स्नान कर लो।


मामा जी ने कहा तब तक मैं खाना लगाती हूं।


फिर रमेश और अमित गेस्ट रूम में जाकर एक एक करके नहा कर तैयार हो गए।

फिर सभी रात का भोजन करने बैठे।


रमेश बोला अरे बस ,बस इतना सारा खाना।


दाल,आलू भुजिया,चावल, देसी घी, पापड़, बैंगन की सब्जी।
बहुत ही अच्छा लगा, आपके हाथ में जादू है।।

मामी जी ने हंस कर कहा अच्छा बेटा खा लो।


फिर सभी खाना खा कर सोने चले गए।


रमेश और अमित दोनों ही बड़े से बेड पर सो गए।

रमेश बोला अरे अमित सब कुछ समझा देना कल।
अमित बोला अरे भाई तुम चिंता मत करो। अब सो जाओ।


उधर अलिगढ में बच्चों का मन ही नही लग रहा था अपने चाचू के बिना।


चंदू बोला ये लो बच्चों गर्म गर्म दूध पी कर सो जाओ।

फिर बच्चे दुध पीकर सो गए।


और चन्दू भी सो गया।


उधर हुकुलगंज में सुबह हो गई थी।
रमेश और अमित उठ कर तैयार हो गए थे।

फिर सभी एक साथ चाय और नाश्ता करने लगे।
मामा जी बोले हां अब बताओ तो क्या बात है?

रमेश ने फिर सारी घटना बताया।


सब सुनने के बाद मामा जी भी बहुत आश्चर्य हो गए।


मामी जी बोली कि ओह रमेश तुमने बहुत कुछ सहा है।


मामा जी ने कहा ठीक है मैं आज से ही खोजबीन शुरू करवाता हूं। और पता करता हूं कि उस अस्पताल में नर्स आभा है या नहीं।

रमेश बोला मामा जी क्या मैं भी जा सकता हूं?
मामा जी बोले अरे नहीं अभी पहले मैं पता करवाता हूं उसके बाद तुम लोग भी चलना।

फिर मामा जी निकल गए।

रमेश और अमित बैठ कर टीवी देखने लगे।


कुछ देर बाद रमेश को चन्दू का फोन आया और उसने बोला कि कब तक वापस आओगे।

रमेश बोला हां बस जल्दी ही आता हूं।


अमित और रमेश ऐसे ही निकल गए इधर उधर घुमने ।

फिर इसी तरह शाम को मामा जी वापस आ गए और फिर बोले कि देखो एक अस्पताल है जहां पर एक आशा नाम की नर्स काम करती है।

रमेश बोला अच्छा ये तो अच्छी बात है।
अमित बोलें हां कल हम चलते हैं।

रात को डिनर भी ठीक से नहीं कर सका रमेश।

और सभी सोने चले गए।

रमेश ने सपना देखा कि एक परी जैसी लड़की खड़ी थी और हंस रही थी।

रमेश उठ बैठा और फिर रोने लगा।

फिर तैयार हो कर सब निकल गए।

मामा जी ने अपनी कार निकाल कर सभी को बैठने को कहा।

फिर तीनों निकल गए हुकुलगंज के एस नाथ अस्पताल में।


एक घंटे बाद वो लोग अस्पताल पहुंचे और वहां से अन्दर पहुंच गए वहां काउंटर पर एक लड़की बैठी थी।

रमेश ने कहा क्या आप आशा को जानती है।

वो लेडी बहुत डर गई। और फिर बोली।

नहीं नहीं वो तो बस।।

रमेश बोला अरे मैडम प्लीज़ बताओ कि क्या बात है।

क्रमशः

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