टापुओं पर पिकनिक - 52 Prabodh Kumar Govil द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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टापुओं पर पिकनिक - 52

ट्रेनिंग के दौरान आगोश की जापानी लड़के तेन के साथ अच्छी दोस्ती हो गई। अब अक्सर वो दोनों साथ ही दिखाई देते।
हॉस्टल में भी रात को दोनों का साथ रहता।
आगोश उससे इस व्यवसाय की बहुत सी बातें जान गया था क्योंकि तेन प्रशिक्षण के लिए यहां आने से पहले भी इसी काम से जुड़ा रहा था।
तेन ने आगोश को बताया कि जापान सहित और कुछ देशों में आजकल एक बिल्कुल नए प्रकार का टूरिज्म भी बेहद लोकप्रिय हो रहा है जिसे यौन- पर्यटन अथवा सेक्स टूरिज्म कहते हैं।
पर्यावरण के कारण कुछ स्थानों की जनसंख्या बहुत कम होती है। जापान जैसे देशों में कहीं- कहीं लोग बेहद कर्मशील या अत्यधिक वर्कोलिक होने के कारण पारिवारिक जीवन पर ध्यान ही नहीं देते। ऐसे में वहां घरों में बच्चों की तादाद निरंतर घटती जाती है।
ऐसे में कुछ टूर कंपनियां छुट्टियों में ऐसे लोगों को भ्रमण पर ले जाती हैं जिनके बच्चे नहीं होते। वहां उन्हें दुनिया घूमने के साथ - साथ तमाम ऐसी सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं कि लौटने के बाद अधिकांश घरों में किलकारियां गूंजने लगती हैं।
संतान न हो पाने के जितने भी कारण हो सकते हैं इस यात्रा में उन सब को दूर कर दिया जाता है। यहां तक कि आवश्यक होने पर लोगों को मातृत्व और पितृत्व किराए तक पर मिल जाता है।
दुनिया अनंत और दुनियादारी की बातें असीमित... आगोश भी सोचता- जग अनंत, जग कथा अनंता!
धीरे- धीरे आगोश भी तेन के साथ खुलने लगा था और अपने ऐसे राज जिनमें वो अपने दोस्तों तक को राजदार नहीं बनाना चाहता था उन्हें भी तेन के साथ बांटने लगा।
तेन वैसे भी विदेशी था, उसे ट्रेनिंग के बाद वापस अपने देश लौट ही जाना था।
यहां तक कि आगोश उससे अपने डैडी के कारोबार की संदिग्ध बातें और अपनी शंका के बाबत भी कभी- कभी कह बैठता।
एक साथ बैठ कर पीने में आपसी पर्देदारी भी धीरे- धीरे खुलती गई और दोनों एक दूसरे की ज़िन्दगी के पोर- पोर, ज़र्रे- ज़र्रे से भी वाक़िफ होने लगे।
लेकिन आश्चर्य की बात ये थी कि जिन बातों को आगोश चिंतित होकर किसी रहस्य की तरह तेन को बताता था उनका तेन पर कोई ख़ास असर नहीं होता था। तेन कहता था कि ये तो सब मामूली बातें हैं। हर जगह ऐसा होता है। बल्कि बड़े शहरों में तो ऐसा होता ही है।
आगोश को धीरे - धीरे समझ में आने लगा था कि शायद नैतिक मूल्यों से जितना उसके देश के लोग बंधे रहे हैं, शायद दूसरे मुल्कों में इनका उतना वजूद नहीं है। दुनिया अब नैतिक की जगह व्यापारिक मूल्यों पर ही चलती है।
- तुम्हारे पिता कुछ ग़लत नहीं करते! जब मेडिकल शिक्षा इतनी दुश्वार और महंगी हो तो इसका प्रतिफल मिलना ही चाहिए। तेन कहता।
- अरे, पर लोगों से झूठ बोल कर या छिपा कर उनके शरीर के अंगों को निकाल कर बेच देना क्या डॉक्टरी है? आगोश उत्तेजित हो जाता।
तेन ने कहा- हां, तुम ठीक कहते हो, तुम्हारे पिता को प्रॉफिट शेयरिंग करना चाहिए। मुझे लगता है कि तुम्हारे मुल्क में ग़रीबी है, लालच भी है। जो कम्युनिटी गरीब और लालची हो, वहां व्यापार छिपा कर या झूठ बोल कर करने की ज़रूरत नहीं। लालच दो... लोग बेचेंगे ख़ुद ... अपने ऑर्गन, अपनी कैपेसिटी... अपनी ताक़त.. खून भी बेचते हैं न?
- हमारे देश की सोसायटी सामाजिक पैटर्न पर है, वहां ऐसा कुछ नहीं चल सकता जिसे दूसरे लोग नापसंद करें। अगर मुझे कुछ पसंद है, तुम्हें भी वो पसंद है तो हम कर लें, नो वन विल इंटरफेयर... ऐसा यूरोप में चलता है, तुम्हारे यहां चलता है, पर हमारे यहां नहीं चलता। यहां मियां- बीबी के साथ काज़ी को भी राजी होना ज़रूरी है। मतलब लॉ... कानून। आगोश ने मानो अपने देश का बचाव किया।
- यही समस्या है, तुम लोग बुरा करने से नहीं डरते, बुरा करते हुए पकड़े जाने से डरते हो... तेन हंसा।
- छोड़ो यार.. आगोश जो कब से तेन का पैग खत्म होने का इंतजार कर रहा था अपना गिलास फ़िर से भरने लगा।
- एक बात पूछूं? तेन बोला।
- क्या?
- मिसेज़ कस्तूरीवाला के बूब्स नैचुरल हैं? तेन ने होठ फैलाते हुए कहा।
- ऑफ़ कोर्स! हैं... मतलब नेचर में ही हैं न! वी ऑल आर नेचर। जो कुछ एग्जिस्ट करता है तो मतलब वो है न!
- छोड़ो, हमारे यहां नहीं होते ऐसे। ज़्यादातर के फ्लैट हैं।
- तुम लोग मेहनत नहीं करते, फ़िर कैसे होंगे... हा हा हा.. आगोश ज़ोर से हंसा।
- वही मेरा मतलब है... उन पर किसी की मेहनत है। तेन ने उठते- उठते जैसे बात ख़त्म की।
आगोश ने तेन को ये बताया कि उसके डैडी यहां दिल्ली के पास ही कोई बिल्डिंग बनवा रहे हैं- मैं उसे ढूंढना चाहता हूं।
तेन को ये सुन कर बड़ा मज़ा आया। अब उन दोनों को मानो कोई काम मिल गया। शाम को डिनर से पहले किसी मिशन की तरह रोज़ाना दोनों गाड़ी लेकर निकल जाते। देर- देर तक सड़कों की ख़ाक छानते। कभी- कभी अपनी इस जीवट भरी मुहिम के पीछे हॉस्टल का डिनर भी स्किप कर देते।
लेकिन उनकी ये कोशिश शायद दूर की कौड़ी ही साबित हो रही थी। कुछ भी हो, चाहे वो दोनों अपनी वांछित मंज़िल को ढूंढ पाने में कामयाब न हो पाएं पर तेन को इस तरह घूमने में बड़ा मज़ा आता था। उसका उत्साह देखते ही बनता था।
तेन ने अगले किसी वीकेंड पर आगोश के साथ उसके घर पर चलने का प्रस्ताव भी स्वीकार कर लिया था और वो इसे लेकर काफ़ी एक्साइटेड था।
आगोश तेन को अपने दोस्तों से भी मिलवाना चाहता था। उसने आर्यन के बारे में तो उसे काफ़ी कुछ बता भी दिया था।
आगोश और तेन दोनों ही एक दूसरे के तौर- तरीकों से ये जान चुके थे कि उन दोनों का ही संबंध रईस घरानों से है। धन- दौलत की कमी कहीं नहीं दिखती थी। और दोनों ही अपने भविष्य के उस प्रोफ़ेशन को लेकर भी अत्यंत महत्वाकांक्षी भी थे जिसके लिए ये प्रशिक्षण कर रहे थे, इसलिए एक दूसरे के और भी करीब आ गए।
दोनों ही ड्रिंक भी बहुत करते थे, तो इस दौरान होने वाले बहस- मुबाहिसे दोनों के कंसेप्ट्स को एक दूसरे के लिए और भी सहज सुलभ बनाते जा रहे थे। आगोश को थोड़ा - थोड़ा ये भी समझ में आने लगा था कि उसके डैडी का अंधाधुन पैसा कमाने के पीछे होना पूरी तरह ग़लत नहीं मानने वाले लोग भी हैं और उनके अपने तर्क भी हैं। लेकिन उसका अपना मन ऐसा करने वालों के अपराध को क्षमा कर देने के लिए कभी तैयार नहीं होता था।
दो सप्ताह बाद ही तेन का प्रोग्राम आगोश के घर जाने के लिए बन गया। शुक्रवार की शाम को इंस्टीट्यूट के हॉस्टल से निकल कर वो दोनों गाड़ी में सवार थे।
शायद इस बार आर्यन भी वहां आने वाला था।
आगोश जानता था कि शुक्रवार की शाम को घर पर उसकी मम्मी खाने के लिए उसका इंतजार करती ही हैं चाहे उसे घर पहुंचने में कितनी भी देर हो जाए।
इस बार तो विशेष मेहमान- नवाज़ी होनी ही थी क्योंकि वो अपने साथ एक ख़ास मेहमान को लेकर जो जा रहा था।