द डार्क तंत्र - 16 Rahul Haldhar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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द डार्क तंत्र - 16


महा अघोरी तांत्रिक - 3


अघोरी ने मुझे आश्चर्य जवाब दिया – " नही , नही उससे
भी जरूरी काम है हमें , चल मेरे साथ । " ………..

अब आगे...

सोच नही पा रहा था कि क्या बोलू इसलिए उनको बाबा
कहकर संबोधन किया – " कहाँ चलू बाबा ? मैं तो कुछ भी समझ नही पा रहा । आप कौन हैं ? "
अघोरी बोला – " चुप रह , इस युद्ध में तेरी भी भूमिका है , समय आने पर तुझे सब कुछ बता दूँगा । "
गेस्टहाउस का दरवान मुझे इतने रात को बाहर निकलते देख कुछ बोलने जा रहा था लेकिन अघोरी के आंख को देखकर उसके मुंह से कुछ न निकला ।
मैं जल्दी से गाड़ी में बैठा , अघोरी मेरे पास ही बैठा , अघोरी के पास बैठते ही नाक में गंध आई इस अघोरी के शरीर से भी मरा - सड़ा गंध आ रहा है । इसीलिए शीशा खुला ही रखा ।
गाड़ी को स्टार्ट कर अघोरी से पूछा – " किस तरफ जाएंगे ? "
" उत्तर की तरफ चल , उधर ही कब्रिस्तान है । "
मन में हजारों प्रश्न उठने पर भी अघोरी के निर्देश अनुसार
गाड़ी आगे बढ़ाया । कुछ भी पूछने का साहस नही कर पा
रहा शायद यही देखकर अघोरी बाबा स्वयं ही बोलने लगे
– " सुन इस जगत अलावा भी और कई जगत हैं जो हमारे साथ ही चलतें हैं । हमारे आसपास ही वो भी हैं लेकिन हम उसे अनुभव नही कर पाते , वह जगह केवल भरा हुआ है प्रेत , पिशाच , डाकिनी - हाकिनी , शैतान जो प्रवृत्ति में बहुत ही भयंकर हैं । ये सभी प्रतिपल इस जगत में आने की चेष्टा कर रहें हैं । कुछ असीम शक्तिशाली सत्ता इसे करने में सफल भी होतें हैं बीच - बीच में , जो कि प्रकृति के विपरीत है । महाकाल के नियम के विरुद्ध है , ठीक वैसा ही घटा था आज से कई सौ सालों पहले एकबार एक शैतान चला आया था इस जगत में , हम महादेव के संतान अघोरियों ने मिलकर उस शैतान को कैद किया था इस उत्तर - पूर्वी एक गुफा में , बहुत साल वह वहीं पर था लेकिन उसके बाद … "
इतना बोलकर अघोरी थम गया मैं उत्सुक होकर बोला –
" उसके बाद बाबा ? "
" उसके बाद क्या समय के साथ - साथ बंधन मंत्र की शक्ति कम होने लगी जिसके फलस्वरूप वह शैतान मुक्ति न पाने के बावजूद वह बाहर के मनुष्य से संपर्क करने में सक्षम हुआ ।
खुद के फिसफिसाहट से मुकेश नाम के एक छोटे लड़के को खुद की तरफ आकर्षित किया , वह शैतान तब भी उतना शक्तिशाली नही था इसीलिए खुद का शिकार बनाया दुर्बल मन के व्यक्ति को मतलब मुकेश नामक लड़के को , वह शैतान उसे खुद के पास बुलाता था पश्चिम में जंगल से ढके उस गुफा में , वह लड़का जितनी बार वहां जाता वह शैतान उतना ही प्राण शक्ति उससे चूस लेता इसीलिए वह लड़का दिन पर दिन दुर्बल होता गया और शैतान शक्तिशाली होता गया । बाद में शैतान इतना शक्तिशाली हो गया कि उसने कैद से खुद को मुक्त कर लिया और उस लड़के मुकेश में शरीर में प्रवेश कर गया । मैं जब यहां आया तब तक बहुत देर हो गया था उस लड़के को बचाने का कोई उपाय नही था उस शैतान की शक्ति इतना बढ़ गया कि उसने उसके मां पर भी कब्जा कर लिया । उस शैतान के घर में रहते मेरा वहां अंदर जाना संभव नही था खुद के काली शक्तियों से मुझे बाधा देता था । जिस कारण से मैं इतने दिन उस घर के आसपास ही घूम रहा था , अपेक्षा में था एक सही समय के , और आज रात तूने उसे कर दिया । "
इतनी देर बाद मैं कुछ - कुछ समझ पाया , मुझे खुद के घर में देखकर वह सतर्क हो गया था , शैतान समझ गया था कि मैं सबकुछ जान गया हूं ।
मैं बोला – मैं उसके घरवालों को भी बता दूँगा इसीलिए मुझे खत्म करने के लिए आज रात घर से निकल कर आया था और आपने उसी दौरान घर को शुद्ध कर गृह बंधन कर दिया । यही न ? "
अघोरी बोला – " हाँ एकदम ठीक कहा , प्रति मुहूर्त वह
शैतान शक्तिशाली हो रहा है । उसे रोकने के तीन वस्तु चाहिए , दो हमारे पास है । पहला है शैतान के आधार शरीर
का मांस । "
मैं हैरान होकर बोला – " मांस , माधव जी की पत्नी के शरीर का मांस है आपके पास । "

अघोरी अपने कमर में बंधे एक छोटी पोटली को खोलकर
एक टुकड़ा खून टपकता मांस निकाला , उसको एकबार
मुझे दिखाकर फिर से पोटली में रख दिया और फिर अघोरी
बोला – " तुझे बचाते हुए मेरे त्रिशूल के चोट से इस मांस
के टुकड़े को पा गया । और दूसरा वस्तु है एक विशेष नक्षत्र
में मरे हुए आदमी का चिता भस्म , इसके लिए कुछ सौ साल
पहले एक अघोर सन्यासी ने अपने इच्छा से मुत्यु ग्रहण किया था जिससे उसके चिता भस्म से दूसरे अघोरी उस शैतान को हरा सके । ठीक जैसे महर्षि दधीचि ने खुद की अस्थियों को दिया था वज्र के निर्माण के लिए जिससे असुरों का दमन सो सके । "
मैं बोला – " इसका मतलब वह भस्म आपके पास है ? "
अघोरी बोला – " नही , लेकिन तुम्हारे पास है । "
मैं आश्चर्य से सामने रास्ता देखते हुए बोला – " मेरे पास "
" हां , हां तुम्हारे ही पास , बहुत साल पहले मेरे जैसे एक
अघोर सन्यासी ने तुझे कुछ दिया था वह याद है । "
" हां दिया था , अदृश्य भयानक छाया को अनुभव करने की विशेष क्षमता । "
अघोरी बोला – " अरे नही दूसरा कुछ दिया था एक सामान
दिया था ठीक से याद कर । "
" और कुछ ……. हां ….. हां बाबा एक ताबीज दिया था और
कहा था कि इसे सब समय गले में पहन कर रखना । "
" हां वही ताबीज है अभी तुम्हारे पास । "
मैं लगे में बंधे ताबीज को दिखाते हुए बोला – " हां , यह
देखिए । "
अघोरी बोला – " इसके भीतर ही वह चिता भस्म है । "
मैं बोला – " यह क्या , पर उतने सालों पहले ,, और आपने
यह सब कैसे जाना ? "
इसके उत्तर में अघोरी ने इस तरह मेरे तरफ देखा मानो छोटे बच्चे की तरह मैंने कोई प्रश्न पूछा है । समझा इस रहस्य का उत्तर नही मिलेगा यह सब अघोरियों के त्रिकालदर्शी की क्षमता है । इसीलिए मैंने इस प्रश्न को छोड़कर फिर पूछा – " और तीसरी वस्तु ? "
अघोरी बोला – " और तीसरी वस्तु है , शैतान ने मुक्ति के लिए सबसे पहले जिस शरीर का इस्तेमाल किया है उसका
मृत शरीर । वही हम लेने जा रहें हैं । "
मुझे कुछ न समझ आया और आश्चर्य होकर बोला –
" नही समझा , किसका मृत शरीर ? मुकेश का , लेकिन वह तो एक महीने पहले ही जला दिया गया है । "
इसके उत्तर में फिर हँस उठा अघोरी – " अरे मूर्ख , यह मुकेश का परिवार हिन्दू नही है उन सब ने ईसाई धर्म से दीक्षा प्राप्त किया है । मैंने खुद अपने आखों से उस लड़के
को कब्र देते देखा है । सब ही महाकाल की इच्छा है । जय महाकाल , जय महाकाल , उनके इच्छा से ही तू आज यहां है और तेरे गले में वह चिता भस्म , उनके इच्छा से ही मुकेश क्रिश्चियन है । डर नही है कोई डर नही है महाकाल तेरे साथ है रुद्र तेरे साथ है , मैं तेरे साथ हूँ ' अहं ब्रह्मास्मि ' । "
मैं बोला –" लेकिन बाबा , कब्र खोदकर तो लाश निकलना
पड़ेगा ? "
अघोरी के इस बार के हंसी को सुनकर मेरे माथे से पैर तक
डर व भय दौड़ पड़ा ।

पुराने चर्च के पीछे वाले कब्रिस्तान पहुचनें में आधा घंटा लगा , बारिश शुरू हो गई है साथ ही बिजली भी कड़कड़ा रही है । चिंता हो रहा था संध्या और उसके पिताजी माधव के लिए । इसीलिए गाड़ी से उतरकर ही उन्हें फोन लगाया ।
इस बार अवश्य ही एक ही रिंग में फोन उठ गया । और
उन्होंने बताया कि सबकुछ ठीक है पर दोनों को बहुत ज्यादा
डर लगा है । वहां जो घटा है वह कुछ इस तरह है , उसके मां रूपी शैतान घर पहुंचा कुछ देर पहले ही , घर में घुसते हुए बाधा पाने के कारण बहुत गुस्सा हो गया । पहले मां के गले में बाहर आने को कहा । लेकिन इसके उन्होंने उसे अंदर आने को कहा । जब कैसे भी पिता और लड़की बाहर निकलने में राजी नही हुए तब शैतान ने अपना असली रूप लिया और डर दिखाकर उन्हें बाहर निकालने की चेष्टा की । उसमें भी सफल न होने पर बहुत गरज कर जंगल की तरफ भाग गया । पिता और लड़की उसी दृश्य को देखकर अब डर से मूर्तिमान हो गए हैं । इसके बाद क्या करें यह पूछने पर मैंने उनसे कहा – " मेरे निर्देश न देने तक तुम दोनों में से कोई भी बाहर नही निकलेगा । "
यही बोलकर फोन रख सोचा अघोरी बाबा को यह घटना बताऊं क्योंकि हम भी इसी जंगल में आए हैं ।
मुड़ कर देखा अघोरी बाबा चिलम निकाल आनन्द से गांजा फूंक रहें हैं । मेरे बात को सुन उन्होंने कुछ ज्यादा आग्रह नही दिखाया ।

मैं कब्रिस्तान के गेटमैन के पास गया , बूढ़ा आदमी है , गाड़ी के आवाज से ही जाग गया है । बहुत सारे पैसे का लालच दिखाकर कब्रिस्तान में जाने की अनुमति प्राप्त हुई । लेकिन उन्होंने जब जाना कि अंदर घुसने का सही उद्देश्य क्या है तब स्वाभाविक वह इसमें राजी नही हुए । मैं पैसा और बढ़ाने लगा लेकिन फिर भी गेटमैन राजी नही हुआ । इतने में अघोरी धूम्रपान खत्म कर आगे आ गए हैं ।
" ये मूर्ख समय क्यों नष्ट कर रहा है । "
अघोरी बाबा गेटमैन के पास आकर उसके तरफ आशीर्वाद
देने की तरह मुद्रा करते ही गेटमैन बेहोश होकर पास के
खटिए में लुढ़क गया । मुझे उपेक्षा कर अघोरी सीधा गेटमैन
के कमरे में घुस गए । कुछ देर बाद ही निकल आए हाथ में
एक फावड़ा और एक बेलचा लेकर , बेलचा मेरे हाथ में
पकड़ाकर कब्रिस्तान के अंदर चल पड़े । मैं भी पीछे चला , कुछ देर बाद एक कब्र के सामने आकर रुका कब्र को देखकर ही समझा जा रहा है कि यह नया ही है । कब्र के ऊपर अभी भी कुछ सूखे हुए फूल रखे हैं । लेकिन सबसे आश्चर्य की बात है कि उस कब्र के आसपास के वृत्ताकार जगह में सभी घास मर गए हैं । कुछ मरे हुए कीड़े और एक मरा हुआ चिड़िया भी वहां पड़ा हुआ है । ठीक जैसे संध्या के घर के आसपास हुआ था । अघोरी बाबा ने मिट्टी खोदना शुरू किया उनके देखादेखी मैं भी , मिट्टी में एक वार करते ही पास ही कहीं जोर की बिजली कड़कड़ाती हुई गिरी , यहां का मौसम ऐसा ही है तूफान और बरसात होता ही रहता है । फिर भी इस बिजली गिरने की आवाज से मैं कांप उठा । अघोरी बाबा थोड़ा सा भी विचलित न होकर मिट्टी खोद रहे थे , बरसात के कारण मिट्टी आसानी से निकल रहे थे इसीलिए बहुत ज्यादा परिश्रम नही करना पड़ा । गड्ढा जितना बड़ा होता गया , हवा और बरसात मानो और बढ़ने लगे । रह - रह कर बिजली गिर रही है । हवा भी तेज होता ही जा रहा है ।

जबतक ताबूत दिखाई दिया तबतक मूसलाधार बारिश शुरू हो गया , मिट्टी का गड्ढा जल्द ही पानी से भरा जा रहा है । ताबूत का ढक्कन खोलते ही चारो तरफ फैल गया शरीर सड़ने का दुर्गंध , निकल आया मुकेश का सड़नशील शरीर , फिर मेरे पेट के अंदर से उल्टी आने को हुई ।
इन सब में मेरा विशेष ज्ञान नही है पर एक महीने का मृत्यु विकृत हो सकता है । यह मानो अस्वाभाविक तरीके से विकृत हुआ है । सबसे भयानक है मृत शरीर के खुले हुए दोनों आंख , मरे हुए मछली के जैसा सामने की तरफ देख रहा है । आश्चर्य है दोनों आंख कैसे ठीक हैं उसे तो सबसे पहले नष्ट होना चाहिए था । अघोरी बाबा कूद कर गड्ढे में उतरे और इशारे से मुझे भी आने को कहा , इस समय मैं यहां से लौटने के लिए जो भी मूल्य चाहिए वह देने को तैयार हूं क्योंकि चारों तरफ अशुभ की छाया है यहां जो भी घट रहा है कुछ भी स्वाभाविक नही है । फिर भी उस अघोरी बाबा के दृष्टि में ऐसा कुछ था कि उनके निर्देश को अमान्य करने का साहस मेरे भीतर नही था । उस पानी वाले कीचड़ में मैं भी उतर गया । पहली बारी में उस मृत शरीर को हम किसी भी तरह ऊपर उठा नही पा रहे थे एक छोटे लड़के की शरीर इतना भारी । अघोरी बाबा ने सीधा खड़ा हो ऊपर की तरफ देख आंख बंद कर कुछ मंत्र पढ़े और फिर इशारा किया और एक बार मृत शरीर को उठाने की आश्चर्य से इस बार मृत देह सहज ही उठ आया । उसको गड्ढे के ऊपर रख हम भी ऊपर उठे । फिर पकड़कर मृत शरीर को ले गए गेट की तरफ । ….....

क्रमशः।।।