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द डार्क तंत्र - 5

2nd story ....



प्रेमतंंत्र -1


सामने बैठे हुए लड़के को नरेंद्र सिंह ऊपर से नीचे तक देख रहे थे । लड़के की लम्बाई 6 या 6.2 , बड़े व बिखरे बाल , गाल पर हल्की दाढ़ी , माथे पर एक कटा हुआ दाग और शरीर का गढ़न बलशाली है । नियमित व्यायाम व जिम चर्चा की छाप स्पष्ट है । आज इस लड़के ने एक जींस व शर्ट पहन रखा है । शर्ट के बटन को गलत लगाया है जिसे देखकर समझा जा सकता है कि यह लड़का परेशान है । लेकिन लड़के के दोनों आँख आश्चर्य रूप से उज्वल हैं । नरेंद्र सिंह जानते हैं कि मुकेश उनके एकमात्र
भतीजी कोमल का पुराना प्यार यानि एक्स है । नैनीताल में डॉक्टरी में व्यस्त रहने पर भी घर का हालचाल उन्हें लगभग सबकुछ पता रहता है । उन्होंने जितना सुना है,, यूनिवर्सिटी लाइफ में कोमल के साथ मुकेश का गहरा प्रेम संबंध हुआ था । और इसे उन दोनों के घरवालों ने मान भी लिया था । मुकेश कुछ दिन बाद ही ठाकुर घर का दामाद बनेगा ये बात पड़ोसी व रिश्तेदार सभी जानते थे ।
इसके बाद न जाने क्यों तांत्रिक व बाबाजी जैसे लोगों के चक्कर में मुकेश बिगड़ने लगा । पहले घर में फिर ना जाने कहां-कहां श्मशान व पुराने मंदिर में वह क्रिया कांड करने
चला जाता था । कोमल ने बहुत समझाया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ । इसके उलट मुकेश ने कोमल को अपना साधना साथी बनने के लिए जोर देता रहा । कोमल ने तुरंत ही नकार दिया था और उसी वक़्त से झगड़ा शुरु । झगड़ा बढ़ता ही चला गया और फिर दोनों में ब्रेकअप हो गया ।
इस समय ठाकुर परिवार के सोफे पर मुकेश बैठा है और उसके सामने कोमल के पिता त्रिभुवन सिंह बैठे हैं ।
त्रिभुवन सिंह के बेटे राहुल और उसका दोस्त अमित उनके कुर्सी के पास खड़े होकर घूर रहे हैं । अगर उनके वश में होता तो अभी मुकेश को धक्का देकर घर से बाहर निकाल देते लेकिन अभी कुछ नहीं कर पा रहे ।
नरेंद्र सिंह बैठे हैं कुछ दूरी पर वहाँ से सभी के भाव वो साफ देख सकते हैं । मुकेश एकटक त्रिभुवन सिंह के तरह ही देर से देख रहा है ।
त्रिभुवन सिंह बोले - " मुकेश तुम्हें बता देता हूँ कि परसो मेरे लड़की की शादी है । घर में रिश्तेदारों का आना शुरू हो गया है इसीलिए हम सब अभी व्यस्त हैं । तुम्हें जो भी बोलना है जल्दी से बोल दो । "
मुकेश बोला - " अंकल , कोमल से मैं ही शादी करूंगा । "
त्रिभुवन सिंह चौंक गए । मुकेश की आवाज़ बहुत ही गंभीर व शीतल था । इतना कॉन्फिडेंस उसे कहां से मिल रहा है ?
राहुल बोला - " देख भाई तुम्हारे और कोमल के बीच जो था वो सब खत्म हो गया है अब ये सब बोलकर क्यों झंझट करने आए हो । इसके अलावा कोमल की शादी हम जबरदस्ती नहीं करा रहे वो अपनी इच्छा से विवेक से शादी कर रही है । प्लीज अब तुम यहां कोई बखेड़ा मत खड़ा करो । "
मुकेश ने राहुल की तरफ देखा और शांत होकर बोला -
" राहुल , तुम्हारे पिताजी ने कुछ दिन पहले भी मेरे साथ तुम्हारी बहन का रिश्ता तय किया था । तुम्हारी बहन की शादी मेरे साथ होगी ऐसा ही कहा गया था ।
" लेकिन मुकेश उस समय तुम्हारे सिर पर यह तंत्र - मंत्र का भूत नहीं सवार था । कोमल ने तुमको कहा था कि उन बेकार की चीजों पर ध्यान मत दो । तुमने तब उसकी बात सुना था । "
" किसे बेकार चीज बोल रहे हैं अंकल , आप तो कम्युनिस्ट जैसे हो गए हैं जिसे हमारे देश के सांस्कृतिक विद्या के बारे में जरा भी ज्ञात नहीं । "
अब अमित बोला - " अपनी विद्या अपने पास रखो । कोमल तुम्हारी भैरवी नहीं बनी इसीलिए तुमने उसके हाथ को ऐंठकर फेंक दिया था । और तू तो आजकल न जाने कहाँ नेपाल , असम , काशी के श्मशान में पड़ा रहता है ।
कोमल जैसे शिक्षित , कल्चरड लड़की तेरे घर में जाएगी तूने ऐसा सोच भी कैसे लिया । "
मुकेश ने अमित को कुछ भी नहीं बोला बल्कि त्रिभुवन सिंह से बोला - " अंकल, यह लड़का क्या आजकल आपके तरफ से यहां बोलने का काम करता है । "
" अमित तुम चुप रहो " त्रिभुवन सिंह बोले । फिर मुकेश की तरफ देखकर बोले - " अमित में कुछ गलत भी नहीं कहा । जो लड़का हाथ ऐंठकर ऐसे फेंक देता है उससे कौन लड़की शादी करना चाहेगी । "
" असल में बात क्या है आपको पता है । यहां के नास्तिक जैसे वातावरण में कोमल कभी समझ ही नहीं पाई कि तंत्र असल में क्या है और तंत्र मनुष्य को क्या दे सकता है । हां मैं मानता हूं कि उस दिन मुझे गुस्सा आ गया था लेकिन मैंने इसके लिए सॉरी भी बोला था । कई बार सॉरी बोला लेकिन उसने नहीं सुना । प्लीज आप एक बार मुझे कोमल से बात करने दीजिए प्लीज़ । "
नरेंद्र सिंह ने ध्यान दिया कि मुकेश के गले में एक अद्भुत विनती भरे सुर हैं । नहीं लड़का चाहे जैसा भी हो उसका यह निवेदन भाव झूठ नहीं लग रहा ।
त्रिभुवन सिंह गुस्से में बोले - " तुमको अभी बताया न कि कोमल घर पर नहीं है वह अपने बुआ के घर गई है । क्यों एक ही बात बार-बार दोहरा रहे हो ? तुम अब यहां से जाओ मुकेश । "
" कोमल के लौटने तक मैं यहीं इंतजार करूंगा अंकल , आज केवल एक बार मुझे उससे बात करने दीजिए । "
अब राहुल के धैर्य की बांध टूट गया , वह सामने आकर बोला - " क्या बे ! पिताजी क्या कह रहे हैं तेरे कानों में नहीं जा रहा । कब से तेरा बकबक सहन कर रहा हूं अब तू यहां से निकल ले । "
मुकेश ने राहुल को देख साथ शांत आवाज़ में बोला - " नहीं राहुल उससे मिले बिना मैं आज यहां से नहीं
जाऊंगा । "
राहुल ने आगे बढ़कर मुकेश के शर्ट का कॉलर पकड़ लिया । " हराम*** साले नहीं जाएगा मतलब , अमित इधर आ पकड़ तो इसको आज धक्के देकर घर से निकलूंगा । बार-बार कह रहा हूं सुनाई नहीं दे रहा , हड्डी तोड़ कर तेरे उसी श्मशान में तुझे फेंक आऊंगा । "
अमित भी आगे बढ़ा । अब एक लड़ाई होने वाला है यह देखकर नरेंद्र सिंह और चुप नहीं रह सके ।
आकर राहुल से मुकेश के कलर को छुड़वाया फिर गुस्से से लाल राहुल को खींचकर वहाँ से दूर ले गए नरेंद्र सिंह ।
मुकेश के कंधे पर हाथ रखकर नरेंद्र सिंह बोले - " सब कुछ छोड़ दो पर तुम्हारे अंदर सेल्फ रिस्पेक्ट नाम का कुछ तो होगा । यहां क्यों बैठे हो , जबकि तुम जानते हो कि इसमें कोई भी लाभ नहीं है । हम सभी के जीवन में अतीत के कुछ खराब पल होते हैं पर बेटे उसी को लेकर जीवन में आगे बढ़ना पड़ता है । "
मुकेश ने नरेंद्र सिंह के चेहरे की तरफ देखा । इस घर में केवल यही एक आदमी सभी से अगल हैं । इस बड़े चाचा की अच्छाई उसने कोमल से कई बार सुना था लेकिन आज पहली बार देखा ।
लड़का कुछ समझ रहा है यह देखकर नरेंद्र सिंह फिर बोले - " अब तुम यहां से जाओ मुकेश और जितनी जल्दी हो सके इन सब बातों को भूलने की कोशिश करना । इसमें दोनों तरफ के लोगों को फायदा है । "
मुकेश थोड़ा सा हंसा और बोला - " अंकल जी सब कुछ क्या इतनी आसानी से भूला जा सकता है । जो भी हो थैंक यू । "
फिर त्रिभुवन सिंह की तरफ देखकर बोला - " मैं चलता हूं, आप सभी अपना ख्याल रखना । "
त्रिभुवन सिंह ने धीमी आवाज में हूं या हाँ क्या बोला , यह किसी को भी सुनाई नहीं दिया ।
मुकेश वहां से बाहर की तरफ चल पड़ा ।
नरेंद्र सिंह ने देखा घर के लॉन से एक बड़ा सा लड़का
लड़खड़ाते हुए जा रहा हैं । वो मनुष्य के शरीर को काटते, चीरते हैं लेकिन मन के घाव को भरने का उनके पास कोई भी दवाई नहीं है । लेकिन फिर भी वो काश इस लड़के के मन पर हावी काले बादल को हटा सकते । न जाने क्यों
निसंतान नरेंद्र सिंह के मन को उसे देखकर बहुत ही दुःख हो रहा है ।.....

अगला भाग क्रमशः ...

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