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द डार्क तंत्र - 2

योनिनिशा - 2



" कब से ऐसा हो रहा है ? "
पंडित दयाराम महाराज ने प्रश्न किया । उम्र 60 से ऊपर हो चुका है लेकिन फिर भी उनका बलिष्ट शरीर ऐसा नहीं दिखता । उनके दोनों आंखों में इस वक्त शांत कौतूहल है ।
चेहरे पर योग साधक जैसी उज्वलता केवल किसी कारणवश पंडित महाराज का नाक थोड़ा सा सिकुड़ा हुआ है । शायद कोई दुर्गंध उन्हें क्रमशः मिल रही थी पर किसी को बता नहीं रहे थे ।

" लगभग 15 दिन हुआ । " आराध्या ने सिर झुका कर जवाब दिया ।

कल की घटना के बाद राहुल आज उसे यहां पर जबरदस्ती ही लेकर आया है । आराध्या की पंडित महाराज के पास आने की बिल्कुल भी इच्छा नहीं थी । हालांकि पंडित महाराज को देखकर अपने आप ही मन में उनके लिए श्रद्धा भाव जागृत हो जाते हैं । लेकिन फिर भी आराध्य उनसे बात नहीं करना चाहती थी । ऐसे ओझा बाबा व तांत्रिक आराध्या को बिल्कुल भी पसंद नहीं । वह मन ही मन सोच रही थी कि जितनी जल्दी यहां से निकला जाए वही सही होगा । "

" क्या - क्या हो रहा था बताओ ? शर्माने की कोई जरूरत नहीं है बेटी जो भी है खुलकर बताओ । किसी बात को छुपाना मतलब अपनी ही मुसीबत को बढ़ावा देना है । "

पहले आराध्या कुछ सोचने लगी । क्या सब कुछ बता देना सही रहेगा ? सब कुछ सुनकर अगर राहुल उसे पागल समझने लगे ? ठीक इसी कारण उसने किसी से कुछ भी नहीं बताया । अपने घरवालों को भी नहीं । पिछले 15 दिनों से होने वाले भयानक विभीषिका को वह सबसे व कभी - कभी खुद से भी छुपाने की कोशिश कर रही है ।

" चिंता की कोई बात नहीं है बेटी तुम्हें कोई भी पागल नहीं समझेगा । जो कुछ भी बोलना है तुम दिल खोलकर बोलो । "

पंडित महाराज के बात को सुनकर मानो आराध्या ने कोई भूत देख लिया है । क्या बात है , वह जो कुछ सोच रही है इस आदमी को कैसे पता चल रहा है ? कहीं यह आदमी मन की बातों को तो नहीं पढ़ लेता ? "

" हाँ बेटी थोड़ा बहुत लेकिन तुम्हारे मन में बहुत सारी बातें दरवाजे के पीछे छुपी हुई है । शायद किसी बात से तुम्हें इतना डर लगा है कि उस बारे में किसी से बात नहीं करना चाहती । इसीलिए तुम्हारे मन के अंदर के उन बातों को जानना सम्भव नहीं है । अब तुम्हें ही खुलकर सब कुछ बताना होगा । बेटी कोई भी तुम्हें पागल नहीं समझेगा । "

अब आराध्या के अंदर थोड़ा कॉन्फिडेंस आया । उसने राहुल के चेहरे की तरफ देखा और जोर जोर से रोने लगी । रोते हुए ही वह बोलने लगी ,
" 2 सप्ताह पहले से यह सब शुरू हुआ है । हमेशा सिर दर्द करता है मानो कोई सिर के अंदर बैठा है । बिना कारण के ही कभी कभी रोने की इच्छा होती है । कभी ऐसा लगता है कि फ्लैट की खिड़की से नीचे कूद जाऊं । अचानक आँखों के सामने अंधेरा छा जाता है और फिर कुछ भी याद नहीं रहता । जब होश में आती हूं तब मैं फर्श पर पड़ी रहती हूं । मेरे नीचे के कपड़े खून स्त्राव से भीग जाते हैं । "

" खून कहां से निकलती है ? "

आराध्या कुछ देर सिर झुकाए रही फिर धीमी आवाज में बोलना शुरू किया ,
" वजाईना से मतलब योनि से निकलती है । लेकिन यह पीरियड्स का खून नहीं है । इस वक्त मेरी मासिक का समय नहीं था । "

" हम्म! समझा । और फिर क्या सब कुछ स्वाभाविक हो जाता है ? "

" कभी-कभी कमरे में घुटन सी होती है मानो कोई मुझे देख रहा है । एक बहुत ही अद्भुत अनुभूति होती है पंडित महाराज जिसे मैं बोलकर नहीं समझा सकती । कोई अगर मुझे छूना चाहता है या अगर राहुल भी मुझे छूना चाहता है तो मेरी पूरी शरीर गर्म हो जाती है । ऐसा लगता है कि पेट के नीचे कोई जीव अपनी जबड़ों से काट रहा है । कल जब राहुल मेरे पास आया था उस वक्त भी ठीक ऐसा ही हुआ था । पूरा शरीर गरम हो गया और मेरे पेट के नीचे असहनीय दर्द हो रहा था । फिर चारों तरफ का दृश्य अंधेरे में बदल गया । सॉरी राहुल , मुझ पर विश्वास करो मैंने जानबूझकर कुछ भी नहीं किया । "

फिर आराध्या जोर - जोर से रोने लगी । उसके आंसुओं को देखकर ऐसा लगता है कि कई दिनों से अंदर जमा हुआ था । आज सब कुछ बाहर निकालकर वह मानो हल्का होना चाहती है ।

" और राहुल क्या तुमने कुछ अनुभव किया है ? ऐसा कुछ जो स्वाभाविक नहीं है । "

" नहीं पंडित महाराज ऐसा कुछ नहीं लेकिन पिछले कुछ दिनों से आराध्या के पास जाते ही उसका चेहरा सिकुड़ जाता था । मैं सोचता था वह नहीं चाहती है कि मैं उसके पास जाऊं । लेकिन कल अगर यह घटना ना होती तो मैं समझ ही नहीं पाता कि उसे कुछ हुआ है । "

" राहुल क्या और लड़की भी इससे पहले तुम्हारी प्रेमिका थी ? ऐसा कोई जो तुम्हें बहुत ज्यादा प्यार करती थी? "

इस प्रश्न के लिए राहुल तैयार नहीं था । पहले थोड़ा आश्चर्य होकर और फिर धीरे-धीरे बोला ।
" हाँ थी रिया , आराध्या के साथ रिलेशनशिप से पहले मेरा उसके साथ संबंध था । वह बहुत ही जिद्दी और ईगो टाइप की थी । हां मुझे प्यार करती थी लेकिन अंत में उसके जिद और ईगो की वजह से हमारे बीच रिश्ता टूट गया । लेकिन क्यों पंडित महाराज ? "

" उस रियल लड़की के साथ तुम्हारा कोई संपर्क है ? "

" नहीं , लगभग 3 महीने हो गए मेरा उसके साथ कोई संपर्क नहीं है । मैं खुद ही उसके साथ संपर्क नहीं रखना चाहता था और आराध्या भी उसे ज्यादा पसंद नहीं करती थी । "

" हां यह होना लाजमी है । क्या उसके साथ तुम्हारा कोई शारीरिक संबंध था बेटा ? झूठ मत बोलना । "

इस प्रश्न का उत्तर देने से पहले एक बार राहुल ने आराध्या के चेहरे की तरफ देखा । फिर बोला ,
" हाँ था । बहुत दिनों का शारीरिक संबंध था । "

" और कोई अस्वाभाविक घटना , जिसे तुम बताना चाहते हो ? "

" हाँ पंडित महाराज उस दिन जब मैं आराध्या के फ्लैट पर गया था तब कुछ जलने की बदबू आ रही थी लेकिन आराध्या इससे अनजान थी । "

जलने की बदबू । यह सुनकर पंडित महाराज के चेहरे पर एक चमक आ गई । केवल जलने की बदबू नहीं यह मांस जलने की बदबू है । जिसे इन दोनों के प्रवेश करते ही पंडित महाराज ने स्वयं सूंघ लिया था ।

" वैसे राहुल क्या आजकल तुम्हें खाना थोड़ा बेस्वाद लगता है ? "

फिर से एक अद्भुत प्रश्न, थोड़ा आश्चर्य होते हुए राहुल बोला,
" हाँ लगता है । मानव खाना नहीं नीम की पत्ती चबा रहा हूं , लेकिन आपको कैसे पता ? हालांकि ऐसा पहले कभी नहीं लगता था । शायद जीभ पर छाले हुए हैं इसलिए ऐसा हो रहा है । "

" नहीं , नहीं छाले पड़े हैं लेकिन जीभ पर नहीं वह कहीं और हैं । अच्छा अब तुम दोनों घर जाओ मेरे पूजन का समय हो रहा है । बाकी बातें राहुल मैं तुम्हें फोन पर बता दूंगा । और हां बेटी मैंने तुम्हें जो ताबीज दिया है उसे जब तक मैं ना बोलूं तब तक मत खोलना । रात को पूर्ब दिशा की तरफ सिर रखकर सोना । और अगर रात को फाख्ता पक्षी की ' घु घु घु ' जैसी आवाज सुनाई दे तो अपने कानों को बंद करके लेटी रहना । कुछ भी हो जाए लेकिन आवाज सुनने के बाद अपने बिस्तर से मत उठाना । तुम राहुल आज से खाना खाने के बाद कोई खट्टी चीज जैसे नींबू व इमली आदि जलाकर खाना । कुछ दिनों के अंदर ही खाने में स्वाद आने लगेगा । बाकी मैं देखता हूं क्या किया जा सकता है । "

अब आराध्या ने पूछना शुरू किया ,


" पंडित महाराज में जिंदा तो रहूंगी ? मेरी वजह से राहुल के ऊपर कोई मुसीबत तो नहीं आएगी ? "

" देखो बेटी जैसा मैंने बताया है अगर वैसा ही तुमने किया
तो किसी के ऊपर भी मुसीबत नहीं आएगी । लेकिन क्या हुआ है मैं अभी नहीं बता सकता । वक्त आने पर मैं बता दूंगा । अब तुम दोनों जा सकते हो मैं किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दूंगा । "

राहुल और आराध्या जाने के लिए खड़े हो गए । उनके जाने के बाद पंडित महाराज ने दरवाजा बंद कर दिया । और फिर जल्दी से आकर अपने पास रखे कई पोथी से कुछ खोजने लगे । बहुत खोजने के बाद एक प्राचीन पोथी के पन्ने पर उनकी नजर पड़ी । उस पोथी का नाम चक्रनिशाचक्र जागरण है । और जिस पन्ने पर पंडित महाराज की नजरें इस वक्त जम गई है उस पन्ने के ऊपर देवनगरी अक्षर में लिखा हुआ है योनिनिशा ।....

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लड़की कांप रही है । लगभग किसी पागलों की तरह कांप रही है । उसके शरीर की तापमान इस वक्त स्वाभाविक से बहुत ज्यादा है । इतना ज्यादा है कि मानो कोई जलती हुई भट्टी । लड़की का शरीर पूरी तरह नग्न है , आतंक से उसके शरीर का सफेद रंग झुलस सा गया है । उसके छाती के अंदर दिल इतनी जोर से धड़क रहा है कि मानो अभी चीरकर बाहर निकल आएगा । वह इस वक्त एक अग्नि वृत्त के अंदर बैठी है । उसके चारों तरफ हाहाकार करती हुई आग जल रही है । वह जहां पर बैठी है उसके ठीक सामने एक अद्भुत ज्यामितिक चित्र बनाया गया है । तंत्र - मंत्र को लेकर जिसने भी थोड़ा बहुत पढ़ा है वो देख कर ही बता देंगे कि यह तंत्र क्रिया में अक्सर प्रयोग होने वाला यंत्र है । अलग-अलग तांत्रिक साधनाओं के लिए ऐसे ही अलग-अलग यंत्रों को बनाना पड़ता है । कई लोग बताते हैं कि इस विशेष ज्यामितिक यंत्र के अंदर ही प्रतीक की तरह पुरे साधना का सार छिपा रहता है । हाला की वह लड़की इस बारे में कुछ भी नहीं जानती । केवल जानती है कि वह किसी भयानक क्रिया में शामिल हुई है । एक ऐसी क्रिया जहां एक बार बैठने से फिर उठना नामुमकिन है ।


लड़की के दोनों हाथ और मुंह कपड़े से बंधे हैं । उसके नग्न शरीर के सुडौल दोनों स्तन , कोमल नाभि और योनि के पास ताजे चोट व खून की छाप है । विशेषकर योनि से मानो खून की वर्षा हो रही है । वह लड़की मुँह बंधे अवस्था में ही रो रही है क्योंकि उसके शरीर में इस वक्त जैसी पीड़ा हो रही है उसे कोई साधारण मनुष्य सह नहीं पाएगा । इलेक्ट्रिक शॉक दिए गए रोगी की तरह कांपते हुए लड़की को इस वक्त ऐसा लग रहा है कि शरीर की सारी हड्डियां चूर चूर हो रही है ।

" जरामजादी देखो कैसे कांप रही है । ऐसे तुम किसी जवान युवक को अपने वश में करोगी । बहुत हुआ अब अपनी आंखें बंद करके उसके बारे में सोचो । उसके बारे में जिस पर तुम वशीकरण करना चाहती हो । उस पुरुष के बारे में जिसे तुम पूरे जीवन के लिए अपना बनाना चाहती हो । "

वह भयानक महिला बोलती गई ।


वह महिला भी इस वक्त पूरी तरह नग्न है । हालांकि उसके शरीर के चोटों व उससे बहने वाले पस को देखकर कोई भी उल्टी कर देगा । वह भयंकरी महिला इस वक्त लड़की के ठीक पीछे अग्नि वृत्त के अंदर खड़ी है तथा उसके हाथ में तेल पिलाया गया एक छड़ी है ।

" क्या हुआ सोच रही हो । उस लड़के के बारे में सोचो वरना कुछ भी काम नहीं होगा ।

उस महिला के बातों को सुनकर वह लड़की थोड़ा डर गई । उस असहनीय दर्द में भी वह उस लड़के के बारे में सोचने लगी । उसके बारे में जिसके लिए इतना सब कुछ करना पड़ रहा है । राहुल , उसका राहुल । गेंहूआ चेहरा , कितनी सुंदर गहरी आँखे और हंसी । राहुल के हंसी को देखकर लगता है कि संसार के सभी सुख को इस हंसी के लिए छोड़ा जा सकता है ।

" लड़के के शरीर के बारे में सोचो । उसके साथ बिताए गए हसीन शारीरिक संबंध के बारे में सोचो । "

वह लड़की के साथ लगभग अनियंत्रित होकर कांप रही है । लेकिन इसी दर्द व कंपकपी के बीच वह फिर राहुल के बारे में सोचने लगी । उफ्फ वो आकर्षित सुडौल शरीर , सभी सुखकारी हसीन दर्द के पल । एक दुसरे के ऊपर इतने पास कि जैसे दो जिस्म एक जान हो । यह सब कुछ क्या वह लड़की कभी भी भूल पाएगी ? आपने पूरे जिस्म पर उसके हाथ के स्पर्श को कैसे भूल पायेगी ? उसी सामूहिक सुख को फिर से पाने के लिए ही तो वह इतना सब कुछ सह रही है ।
इसी बीच पूरे कमरे में धुआं फैल गया था । लड़की के चारों तरफ जल रहे हैं वृत्ताकार आग का रंग लाल था । लेकिन जब उस लड़की ने लड़के के बारे में सोचना शुरू किया तब जलते आग का रंग बदल गया । लाल लपटे अब नीली हो गई । पूरे कमरे में फैले हुए धुएँ से अब चंदन की खुशबु आने लगी ।


लड़की के पीछे खड़ी वह भयानक पिशाचीनी महिला अब जोर - जोर से हंसने लगी । उस नीले आग में सूअर का मल और अलसी बीज का पाउडर डालते हुए वह महिला बोली ,


" यह अलसी चूर्ण उस लड़के के मन में तुम्हारे लिए नशा पैदा कर देगा । वह साला दिन - रात केवल तुम्हारे ही बारे में सोचेगा । उससे पहले लड़की को जो कुछ भी पसंद है सब कुछ भूलने लगेगा । खाना पसंद है तो अब से वह भी बेस्वाद लगेगा । वह केवल तुम्हारे लिए पागल हो जाएगा । थोड़ा समय लगेगा लेकिन अगर एक बार वशीभूत हो गया तो तुम्हारे लिए उसका नशा मरते दम तक स्वयं भगवान भी नहीं काट सकते । "

इतना बोलने के बाद वह महिला फिर से बोलने लगी ,
" बहुत हुआ । उसके बारे में बहुत सोच लिया अब अपने शत्रु के बारे में सोचो । उसके बारे में सोचो जो तुम्हारे और उस लड़के के बीच हड्डी बना हुआ है । अपने शत्रु के जलते चिता के बारे में सोच । "

इसके कुछ देर बाद फिर से पूरा कमरा धुएँ से भर गया । उस काले धुएं में मनुष्य मूत्र जैसी दुर्गंध थी । अब फिर आग का रंग बदला , इस बार नीले रंग से परिवर्तित होकर विषाक्त हरे रंग का आग हो गया । उधर लड़की के मन में उस वक्त एक लड़की की चित्र उभर रही है । इसी लड़की की वजह से उसके और राहुल के बीच इतनी दूरी है । केवल इसी लड़की के लिए राहुल उसका होकर भी नहीं हुआ । अपने रूप और चतुराई से इस लड़की ने राहुल को वश में कर रखा है । इस लड़की को मरना ही होगा । उसे इस दुनिया से जाना ही होगा , जिससे उसके और राहुल के बीच वह लड़की नही आ पाए ।

" हाँ, हाँ वह कुतिया जलकर राख हो जाएगी । उसके जननांग में स्वयं मृत्यु के काटने जैसा दर्द होगा । योनि से खून के फव्वारे निकलेंगे । उसके मन से जिन्दा रहने की इच्छा खत्म हो जाएगी । उसे खुद ही अपने आप को मारने की इच्छा होगी । और अगर इससे भी काम ना हुआ तो स्वयं शैतान उसके पास पक्षी रूप में आएगा । वह मरेगी केवल कुछ समय प्रतीक्षा करना होगा । केवल तुम ही उस लड़की के मृत्यु का कारण बनोगी । "
बोलकर वह महिला जोर जोर से हंसने लगी ।
और चारों तरफ के अग्निकुंड में एक - एक कर मरा खरगोश , काला कबूतर , सफेद सरसों इत्यादि डालने लगी । और बोलती रही ,
" वह खत्म हो जाए । इसके प्रेम के बीच जो हड्डी है वह राख में बदल जाए । वह लड़का केवल इसी लड़की की होगी । और किसी की नहीं , कभी नहीं । "

इसके बाद कुछ देर सब कुछ शांत , कहीं कोई आवाज नहीं । हाथ और मुँह से बँधी लड़की भी अब थक कर झुक गई है । उसके शरीर की कंपकपी भी कम हो रही है । वह सोच रही है कि शायद वशीकरण कार्य समाप्त हो गया है । अब वो यहां से मुक्त हो जाएगी और जीवन भर राहुल केवल उसका ही होगा ।

लेकिन उस लड़की को अभी नहीं पता कि उसके लिए क्या भयानक अंधेरा प्रतीक्षा कर रही है । वह नहीं जानती है कि इस उपाचार क्रिया की सबसे भयंकर व विभत्स भाग अब भी बाकी है । ऐसा भाग जिसके दर्द को सहन न कर पाने की वजह से मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है ।....



अगला भाग क्रमशः ....

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