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द डार्क तंत्र - 6


प्रेमतंत्र - 2


" अरे यार भाई तू कोमल जैसी माल के ही पीछे क्यों पड़ा है । अपने मैसेंजर को खोलकर देख कितनी लड़कियां तुझे Hi भेजते भेजते मर गईं । अब उस माल को भूल जा । "
मुकेश शांत आवाज़ में बोला - " माल ! माल किसे बोल रहा है । "
" सॉरी भाई , गलती से जुबान फिसल गया । "
" यहां आते हो फ्री की दारु पेलने , अच्छे से बात करना भी अभी नहीं आता और इलीट क्लास में पहुंचना चाहते हो । शर्म नहीं आती । "
" सॉरी भाई , आगे से ऐसा नहीं होगा । "


अमित मानो सिकुड़ गया । अमित और मुकेश इस समय
मुकेश के फ्लैट में बैठें हैं । समय शाम का है । बाहर अंधेरा भी हो गया है लेकिन मुकेश के रूम में कुछ मोमबत्ती के अलावा और कोई लाइट नहीं जल रहा ।


इस कमरे के फर्श पर नरमुंड , सिंदूर लगा खोपड़ी , विभिन्न पक्षियों के पंख , सूखे गुड़हल की माला इत्यादि इधर-उधर रखा गया है । इसके अलावा लाल वस्त्र से घिरे जो विभत्स व भयानक अनजाने मूर्ति रखे हैं उसे देखकर अमित कभी - कभार कांप उठता , लेकिन फिर भी वो यहां पर आता है । क्योंकि फ्री शराब का मजा उसे मुकेश के अलावा और कौन देगा ।
मुकेश इस समय अपने पूजा स्थल पर बैठा हुआ है । उसने एक काला धोती पहना है और उसके शरीर पर कई जगह भस्म का लेप भी लगा है । पिछले कुछ दिनों की अनदेखी से उसके बाल और दाढ़ी और भी बड़े हो गए हैं । उन बिखरे बालों को जटा बनाकर चोटी जैसा बांधा है । और उसके गले में हड्डियों के टुकड़े से बनी माला , पेट के नाभि तक झूल रहा है । मुकेश के चेहरे व बलशाली शरीर का गढ़न कुछ ही सेकंड में लड़कियों का हार्टबीट बढ़ा सकता है । अमित ने कुछ भी गलत नहीं बोला था ।


अमित बोला - " वैसे हाँ , कोमल की शादी अच्छे से हुई । उसके घरवाले सोच रहे थे तुम जाकर मार - पीट व झगड़ा करोगे । इसके लिए वो तैयार भी थे लेकिन कुछ हुआ नहीं यह देख वो साले बहुत आश्चर्य हुए । "
" और कोमल ? "
" वो विदाई के समय थोड़ा रो रही थी लेकिन ऐसा तो सभी लड़कियां करती हैं । इसके अलावा तो कोई परिवर्तन नहीं देखा हमेशा हंसती हुई ही नजर आई । छोड़ यार कोमल को कितनी लड़कियां तेरा राह ताक रहे हैं भाई तूने क्या मस्त बॉडी बनाया है ।"
बोलते हुए अमित ने मुकेश के पीठ को हाथ से ठोका ।
मुकेश बोला - " तुम शायद भूल गए । मैंने तुमसे कहा था
कि पूजा करते वक्त मुझे छूना मना हैं । पहले भी कई बार समझाया है । "
" सॉरी भाई , आगे से नहीं भूलूंगा । पर भाई उस दिन तुम वहाँ चौड़ा होकर बोल आए कि कोमल से तुम शादी करोगे । उसका क्या हुआ ? अरे यार जस्ट कुछ गुंडे को बुलाकर उस विवेक से निपट लेते और फिर कोमल को उठा लिया जाता । लेकिन तुमने तो कुछ भी नहीं किया । "
" अब भी कह रहा हूं कि कोमल से मैं शादी करूंगा । "
" लेकिन भाई तुम्हारा प्लान क्या है ? और वैसे भी विवेक के साथ कोमल का बहुत पट रहा है । इतना मॉडर्न और नामदार ससुराल क्या कोई छोड़ता है । तुमने क्या सोचा कोमल दो दिन बाद विवेक को डिवोर्स देकर तुम्हारे गले में माला पहनाने आएगी । इतना भी आसान नहीं है मेरे दोस्त । "
मुकेश कुछ देर चुप रहा फिर बोला - " वह विधवा होने पर तो फिर से शादी कर सकती है न , आजकल तो यह सब सामान्य है । "
अमित कुछ देर मुकेश के चेहरे की ओर देखता रहा फिर बोला - " भाई तुम्हारा मतलब क्या है कहीं तुम विवेक को जान से मारने के बारे में तो नहीं सोच रहे । अगर पकड़े गए तो आजीवन व लगभग 20 - 30 साल जेल की रोटी खाना पड़ेगा । और कोमल के साथ हनीमून की बात तो भूल ही जाओ । "
मुकेश ने पूछा ,
" क्या मैंने बोला कि मैं ही उसे मरूंगा ? "
" फिर कौन ? "
" कृत्या किसे कहते हैं जानते हो ? "
" नहीं भाई , तुम ही बताओ क्या है । "
" विष्णु पुराण में लिखा गया है कि हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद के वध के लिए कुछ तांत्रिक ब्राह्मणों को नियुक्त किया था । उन तांत्रिक ब्राह्मणों ने अभिचार क्रिया के माध्यम से कृत्या का आह्वान किया था। कृत्या एक ऐसी भयानक विध्वंस शक्ति है जिसके द्वारा शत्रु नाश से भी बड़ा कार्य करवाया जा सकता है । इन्हें कृत्या देवी भी कहा जाता है । यह एक अशुभ शक्ति होने के वावजूद जहां वास करती है वहाँ अन्य अशुभ शक्ति भूत - प्रेत , बेताल , ब्रम्हराक्षस सभी उससे डरकर भाग जाते हैं ।
कृत्या का प्रयोग बहुत ही प्राचीन है आजकल ज्यादातर कोई भी नहीं करता । सही यह हैं कि करना नहीं जानते पर मैं जानता हूं । मैंने इसे सीखा है । बहुत पुराने फटे - चीथड़े पोथी को कई दिनों तक पढ़कर मैंने कृत्या आह्वान करना सीख लिया है । और मैं जानता हूं कि इसमें सफल अवश्य हो जाऊंगा । "
इस आधे अँधेरे में मुकेश की आँखे किसी सांप की तरह चमक रही है । और इतनी गर्मी में भी इस कमरे में अमित को ठंडी का अहसास हो रहा है । "
अमित बोला - " लेकिन भाई मैंने तो सुना है कि यह सब बहुत ही डेंजरस होता है । गलती होने पर जिसने इन्हें जगाया उसी को मार डालते हैं । तू मत कर ऐसा मतलब विवेक के बारे में ... "
" आंटी की ऑपरेशन कराने का पैसा चाहिए या नहीं । "
लोगों के मजबूरी का फायदा उठाना मुकेश अच्छी तरह जानता है ।
यह सुनकर अमित बोला - " ठीक है , मैं तुम्हारे साथ
हूं । "
" यह हुई न बात, गुड बॉय । मैंने जो लाने के लिए कहा था उसे लेकर आए ? "
अमित ने अपने सामने रखे बैग से कुछ थैलियों को निकाला । मुकेश द्वारा उसे खोलते ही एक सड़न की बदबू से पूरा कमरा भर गया । शमशान के पास वाले डोम ने थैली में क्या भर कर दिया है अमित नहीं जानता । लेकिन देखकर ऐसा लग रहा है कि कई दिनों का सड़ा हुआ किसी के शरीर का अंग है । वरना ऐसी बदबू तो लाश सड़ने पर आती है ।
थैली को कुछ देर चेक करने के बाद मुकेश बोला -
" सही है । अब तुम यहां से जाओ मैं साधना में बैठूंगा । जाते समय अलमारी से बीयर बोतल या शराब जो भी पीना है ले जाना तुम्हारे लिए ही रखा है । "
दरवाजे के पास पहुंचकर अमित रुक गया मानो वह कुछ कहना चाहता है ।
अमित धीरे-धीरे बोला - " भाई तुम पढ़े-लिखे लड़के हो ।
दिखने में भी अच्छे हो अगर तुम चाहो तो क्या तुम्हें सुंदर लड़की नहीं मिलेगी । तुम तो जानते ही हो कि कितनी लड़कियां तुम्हें लेकर सपने देखती हैं । केवल उस एक लड़की में क्या है ? उसे भूल जा ना भाई । "
मुकेश हँसा , बहुत ही रहस्यमय है यह हंसी ।
इसके बाद वह बोला - " प्यार किसे कहते हैं क्या तुम जानते हो ? नहीं तुझे नहीं पता क्योंकि तुम जैसे मैसेंजर के Hi देखने वालों को कहां से पता होगा कि सच्चा प्यार क्या है । अभी निकल लो यहां से मुझे परेशान मत
करो । "
अमित बिना कुछ बोले ही बाहर निकल आया । सचमुच वह नहीं जानता है । वह नहीं जानता है कि अंधेरे में बैठा हुआ वह लड़का हाहाकर करके किससे बातें कर रहा है ।

......

देवीधुरा में शाम जल्दी हो जाता है । यह जगह नैनीताल के पास ही है । पहले रास्ता , बिजली इन सब की कमी थी
। अब पास ही एक रिसॉर्ट तैयार हुआ है और धीरे - धीरे
यह इलाका विकसित हो रहा है । लेकिन चिकित्सा व्यवस्था जैसा था ठीक अब भी वैसा ही है । इसीलिए नरेंद्र सिंह इस जगह का मोह नहीं छोड़ पा रहे । वो जानते हैं कि यहाँ से अगर लखनऊ लौट गए तो यहां के पहाड़ी लोग बहुत ही मुसीबत में आ जाएंगे । वैसे भी वहाँ के लोगों के पास ज्यादा पैसे नहीं हैं इसके अलावा सबसे पास का अस्पताल नैनीताल में है ।
रात को किसी बूढ़ी दादी की सांस फूलने व किसी के लड़के को बुखार व उल्टी के लक्षण दिखने पर तुरंत ही नरेंद्र सिंह को बुलाया जाता है । और आधी रात को डॉ. सिंह भी दवाइयों का बैग और एक टॉर्च लेकर चल पड़ते ।
डॉक्टर साहब को बस्ती में आते देख ही घर के लोग आधे निश्चिंत हो जाते । यहां के लोग उन्हें बहुत ही ज्यादा पसंद करते हैं । उनके खेतों व क्यारियों में जितना फल , सब्जी
होता उसमें कुछ न कुछ नरेंद्र सिंह को अवश्य दे जाते ।
और बाहर रास्ते पर बूढ़े - बच्चे सभी उन्हें सलाम करते ।
ज्यादा पैसों में क्या रखा है यहां के प्रकृति की खूबसूरती ,
लोगों का प्यार यही तो जीवन है । लखनऊ में वो बहुत सारा पैसा कमा सकते थे लेकिन आज से 24 - 25 साल पहले जब वो किसी मेडिकल कैंप द्वारा यहाँ आए थे तो यहां लोगों की मजबूरी देख दिल यहीं का हो गया ।
उनके लिए यहां के लोगों में कृतज्ञता की कमी नहीं है इसीलिए और भी चिंता हो रही है । ऐसा आखिर किया किसने ? डॉक्टर साहब के चेंबर में जाकर सभी दवाईयों की शीशी , टेबलेट , डॉक्टरी यंत्र सबकुछ किसने तोड़ा ?
यहां का कोई ऐसा कर ही नहीं सकता । घटना को थोड़ा जड़ से बताता हूं ,
शादी के लगभग एक महीने बाद कोमल और विवेक नैनीताल व नरेंद्र सिंह के पास घूमने आए थे । विवेक लखनऊ के ही एक इंजीनियरिंग कॉलेज का टीचर है ।
उसे मेहनत करने वाला बताया जाता है इसीलिए स्टूडेंट का सेमेस्टर खत्म ना होने तक कोमल के साथ कहीं बाहर जाना उसके लिए सम्भव नहीं हुआ । छुट्टी मिलते ही दोनों सीधे चले आए बड़े चाचा के घर । यहाँ 3 - 4 दिन बिताकर फिर उत्तर भारत में नैनीताल , मनाली जैसे जगहों पर जाने का प्लान है ।
नरेंद्र सिंह लोगों के चरित्र को अच्छी तरह समझते हैं ।
वह दोनों एक दूसरे को पाकर खुश हैं इसमें कोई भी संदेह नहीं है । विवेक बहुत ही शांत व विनम्र स्वभाव का है । इस उम्र में ही जिम्मेदारियों को संभालना अच्छी तरह जानता है । शादी के एक महीने बाद भी कोमल को वह अपने आँखों में बसाकर रखता है ।
कोमल को ठंडी लग जाएगी इसीलिए बार-बार सावधान करता और कुछ ऐसा जिससे कोमल की कोमलता को ठेस पहुंचे वह करने पर विवेक डांट भी लगाता ।
नहीं , लड़का सचमुच अच्छा है । कोमल अवश्य ही अपने पुराने घाव को भूल जाएगी । उन दोनों के बीच इतनी अच्छी प्यार वाले अंडरस्टैंडिंग देखकर नरेंद्र सिंह को अपने जवानी के दिन याद आने लगे थे । इसके बाद आज यह हुआ ।
ब्रेकफास्ट करके उठते ही कोमल अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी । विवेक ने जल्दी से उसे उठाकर सोफे पर लिटाया । नरेंद्र सिंह ने स्टैथौस्कोप से हार्टबीट चेक किया । इसके बाद घर के पास अपने चेम्बर में दवाई लाने गए और वहाँ का दृश्य देखकर आश्चर्य में पड़ गए । सभी दवाइयों की शीशी , टेबलेट , इंजेक्शन ,यंत्र सबकुछ बर्बाद कर दिया गया था । पिछली रात किसी ने चेंबर में आकर यह सब किया लेकिन ताला बाहर से बंद था तथा ड्रायर में रखे पैसों को भी नहीं हाथ लगाया आश्चर्य की बात है ।
नरेंद्र सिंह के पास सोचने के लिए वक्त नहीं था । घर में काम व खाना बनाने वाली निकिता को कोमल के देखरेख की जिम्मेदारी देकर अकेले ही गाड़ी लेकर निकल पड़े ।
नैनीताल जाना होगा , सभी जरूरी सामान व दवाइयां
फिर से खरीद कर लानी होगी । और इसके अलावा पुलिस स्टेशन में एक शिकायत पत्र भी दर्ज कराना है ।
बहुत सारे काम हैं लेकिन नरेंद्र सिंह शांत दिमाग के आदमी हैं , हो जाएगा सब कुछ ।....

अगला भाग क्रमशः..

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