द डार्क तंत्र - 15 Rahul Haldhar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • किट्टी पार्टी

    "सुनो, तुम आज खाना जल्दी खा लेना, आज घर में किट्टी पार्टी है...

  • Thursty Crow

     यह एक गर्म गर्मी का दिन था। एक प्यासा कौआ पानी की तलाश में...

  • राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 14

    उसी समय विभीषण दरबार मे चले आये"यह दूत है।औऱ दूत की हत्या नि...

  • आई कैन सी यू - 36

    अब तक हम ने पढ़ा के लूसी और रोवन की शादी की पहली रात थी और क...

  • Love Contract - 24

    अगले दिन अदिति किचेन का सारा काम समेट कर .... सोचा आज रिवान...

श्रेणी
शेयर करे

द डार्क तंत्र - 15


महा अघोरी तांत्रिक - 2


25 साल पहले के इस घटना में खो गया था सोच टूटा
ड्राइवर के इस बात से ,
– " साहब आ गए " ………………

गाड़ी से चेहरा निकाल कर देखा चारों तरफ एक अद्भुत सी शांति थी जैसे किसी श्मशान की निस्तब्धता हो । यह समय चिड़ियों के लौटने का है लेकिन किसी भी चिड़िया की आवाज नही सुनाई दे रही ।
गाड़ी से उतर घर के चौखट पर पैर रखते ही एक अद्भुत सी अनुभूति हुई यह अनुभूति को मैं जानता हूँ । लेकिन इतनी तीव्र कभी नही हुई घर की तरफ बढ़ते हुए ऐसा लगा कि इस घर के आसपास के पेड़ पौधें सूख रहें हैं पेड़ों पर पत्ते नही हैं ऐसा ही कह सकते हैं ।
मेरे दरवाजे के पास पहुचने से पहले ही मैंने देखा कि एक आदमी दरवाजा खोलकर बाहर आया और बोला –
" डॉ . तिवारी "
" हां "
" मैं माधव , संध्या का पिता , आप सचमुच आएंगे यह मैंने नही सोचा था । आइए अंदर । "
घर के अंदर जाकर देखा तो परिस्थिति और भी गंभीर थी । बाहर के मुकाबले अंदर और 5 डिग्री ज्यादा ठंडी है । मैं जिस कमरे में बैठा वह छोटा सा है दो बल्ब जल रहे हैं फिर भी ऐसा लग रहा है कि कमरे में प्रकाश नही है । बल्ब की रोशनी किसी कारण से चारों तरफ फैल नही पा रही । परिवार के सभी ने मिलकर मुझे एकबार फिर पूरी घटना बताई । नई बात यह जाना कि मुकेश आये दिन स्कूल से घर देरी से आता था । उसके दोस्तों से जाना गया कि मौत के कुछ महीनों पहले से ही मुकेश कुछ बदल सा गया था और छुट्टी के बाद अक्सर वह जंगल से होकर पहाड़ की तरफ जाता था । इस बारे में किसी के पास कोई सटीक जानकारी नही था । बाद में कुछ पड़ोसियों ने बताया कि उन्होंने खिड़की से मुकेश को रात में बाहर जाते देखा है । परिवार के सभी का मानना है कि उस जंगल में अघोरी ही उसे वश करके ले जाता था । और माधव का मानना था उसी तांत्रिक की वजह से ही उसके लड़के की मौत हुई ।
उन सभी के बातों को मैंने ध्यान से सुना । अवश्य ही असली बात अभी इन्हें नही बताया जा सकता । अगर मैं इन्हें बताऊंगा तो शायद सभी डर जाएंगे और मुझे भी हानि हो सकता है । लेकिन थोड़ा बहुत तो बताया जा ही सकता है इसीलिए मैं माधव जी से बोला
– " देखिए मैं आप को एक बात बताता हूँ तांत्रिक मतलब
अघोरी नही है । तांत्रिक व कापालिक हैं निम्न श्रेणी के
साधक , इनकी शक्तियां साधारण व्यक्ति के लिए बहुत ज्यादा प्रतीत होता है पर एक अघोरी के सामने वह पूरी
तरह तुक्ष्य है । एक अघोरी बहुत ही शक्तिशाली होता है तंत्र शक्ति दिखाना और नर बलि देना अघोर तंत्र के अंग नही हैं । अघोरियों को लेकर कुछ भयावह और भूल धारणा के कहानियों ने लोगों में बहुत प्रचार पाया है । उनके तंत्र क्रिया या चाल चलन अवश्य ही भयावह है इसमें कोई संदेह नही है लेकिन किसी मनुष्य की क्षति पहुँचाना उनके लिए बहुत ही निम्न तरह का काम है । वह सब बहुत ही ऊंची पद्धति के साधक हैं । "
मैं पहले ही जान गया कि आगे का प्रश्न क्या होने वाला है ।
माधव जी बोले – " लेकिन लोग जो कहते है वह सभी मृत
शरीर के साथ ,,,, मतलब ,,, "
मैं बोला – " हाँ आप ठीक ही जानते हैं अघोरी लोग मृत
शरीर के साथ शारिरिक तरह से मिलते हैं पर वह भी उनके साधना का एक महत्वपूर्ण अंग है । अघोर शब्द का अर्थ घोर व भेदभाव से मुक्त होना है और लोकाचार , घृणा , लज्जा , भय यह सब हैं बाधक । यह अघोर साधना है ऋणात्मक शक्ति की साधना , जो बहुत जल्दी ईश्वर के साथ आत्मा को मिलने में सहायता करता है । सहज भाषा में अगर मैं बोलू तो मान लीजिए आपके पास दो रास्तें हैं एक सीधा रास्ता है पर दीर्घ पथ है और दूसरा रास्ता कठिन और दुर्गम है लेकिन इस पथ पर जाने से समय कम लगेगा । अब आप किस पथ में जाएंगे यह आपके ऊपर है । अघोर साधना है यह द्वितीय
पथ इसी तरह इसके साधना पद्धति भी अति कठिन व
भयावह है , इनके खाद्य हैं जो कुछ भी वर्जित है वही सब
जिसमें मृत पशु से सूखे हुए पत्ते तक , अवश्य ही इन सब
को वह कच्चा ही खाता है । अग्नि से बने खाद्य वह ग्रहण
नही करते क्योंकि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि अग्नि
सभी को पवित्र कर देता है । उसी तरह इनके साधना का
एक चरम प्रक्रिया है मृतसंगम । क्योंकि मृत्यु इनके लिए
जीवन की तरह स्वाभाविक है मृत व्यक्ति इनके सामने बहुत ही साधारण हैं । उस मृत शरीर से लिप्त होने के समय भी वो सब महाकाल के ध्यान में खोए रहते हैं । यह भी एक प्रकार का साधना है खुद को सर्वबाधा, भय व घृणा से मुक्त करने की साधना । "

इतने सारे महत्वपूर्ण बातों को उनके दिमाग में जाने के लिए थोड़ा सा समय दिया फिर अपने प्रसंग में लौट आया
– " देखिए मेरा मानना है कि मुकेश के हत्या के पीछे कोई अघोरी नही है । जो दोषी है वह निश्चय ही कोई साधारण
तांत्रिक है , वह सब ही मनुष्यों को क्षति पहुँचतें हैं । तंत्र मत में अघोरी का स्थान है आदि साधक अर्थात महादेव के ठीक बाद ही , मनुष्य व जीवित किसी के साथ इनका सम्पर्क नही है तो नरबलि देने का कोई प्रश्न ही नही उठता ।"
" तब "
" मतलब मंत्र से सही में मुकेश को मारा है तो वह कापालिक
कोई अघोरी नही है बल्कि कोई शैतान तांत्रिक , जिसकी
क्षमता बहुत ही कम है । पर आपने जो बात बोला कि केवल
हाथ उठाने से किसी मनुष्य को बेहोश कर सकता है वह
व्यक्ति भी खासा शक्तिशाली है इतनी क्षमता केवल किसी
अघोर तांत्रिक के पास ही हो सकता है । और यही बात
मुझे इतने देर से सोचने पर मजबूर कर रहा है । जो भी हो
मैं अब चलता हूँ इस विषय को लेकर आज रात सोचता हूँ
कल आपको बताऊंगा । "

घर से बाहर निकल कर जितना हो सके स्वाभाविक तरीके से चलकर गाड़ी तक आया । दरवाजे से बाहर के गेट तक आते वक्त मैंने अनुभव किया कि एक जोड़ा भयानक आंख मुझे देख रहा है । उसे किसी भी तरीके से यह नही जानने देना है कि मुझे उसके उपस्थिति की भनक लग चुकी है अगर ऐसा किया तो मेरे ऊपर खतरा आ सकता है । मेरे गाड़ी के उस घर से कुछ दूर आने के बाद मैंने शांति से सांस लिया । माधव जी को घटना की पूरी सच्चाई नही बताई है कैसे उन्हें बोलू कि उनके क्षति करने की चाह वाला वह अशुभ शक्ति उनके स्वयं के घर में ही है । हाँ , उस घर की महिला मतलब संध्या की माँ पूरी तरह से उस अशुभ शक्ति के कब्जे में है । घर में जाते ही मैं समझ गया था वह पूरी तरीके से शैतानी शक्ति के कब्जे में हैं बहुत ही शक्तिशाली शैतानी शक्ति के ।

उस रात नींद नही आ रहा था , आंख बंद करते ही दिखता
वह दृश्य , महिला के ठीक पीछे जमा हुआ काला अंधकार
लेकिन उस अंधकार का एक आकृति था ठीक कोई उनके
दोनों कंधे पर हाथ रखकर खड़ा है । उस अंधकार के भीतर
से दो जलते हुए आंख मानो मुझे ही घूर रहे थे । उन नजरोों
को नजरअंदाज करके किस तरह से उतने समय मैने
स्वाभाविक तरीके से बात किया था वह केवल मैं ही जनता हूँ । कुछ तो करना होगा लेकिन क्या कर सकता हूँ ।
पैरानॉर्मल के साथ यह पहली बार मेरा सामना नही है इससे पहले भी मैं दूसरे जगत के ताकतों से आमना - सामना हुआ है पर निस्संदेह कोई भी इतना भयानक नही था । यह शैतान बहुत ही ताकतवर है ।
यही सोचते - सोचते आधी रात को झपकी जैसी आई थी ।
नींद खुल गया एक फिसफिसाहट के शब्द के साथ , आंख
खोलते ही जो देखा उससे मेरा हृदय बंद होने के कगार पर आ गया था । ठीक मेरे चेहरे के आमना सामना छत से पीठ लगाकर छिपकली की तरह चिपका हुआ है एक विकृत शरीर , उसी महिला की शरीर , माधव जी के पत्नी का शरीर , पर वह अब उनके वश में नही है वह लाल जलते हुए आंख , ओह ! विकृत भयानक चेहरा देख रहा है सीधा मेरे तरफ इसका मतलब , इसका मतलब मैं उसे धोखा नही दे पाया वह जान गया था आज शाम ही वह जान गया था कि मैं उसके अस्तित्व को जान गया हूँ ।
चिल्लाने की भी शक्ति नही है हाथ - पैर जम से गए हैं ।
हिलने की ताकत भी नही है । वह शैतान मेरे ऊपर कूद पड़ा अब उसका विभत्स चेहरा मात्र कुछ इंच दूर है ।
वह फिसफिस कर रहा है क्या बोल रहा है नही जानता लेकिन मेरे चेहरे के पास ही धीमे - धीमे कुछ बोल रहा है । एक लंबा सांप जैसा जीभ निकाल वह मेरे चेहरे पर फिराने लगा पूरे चेहरे पर ,मेरा दिमाग और सहन नही कर पा रहा इसी आतंक में बार - बार दिमाग सुन्न हो जा रहा है अगर ऐसा ही चला तो कुछ देर में ही मेरा मृत्यु निश्चित है । मेरे आंखों के सामने अंधकार उतरने लगा केवल कानों में आ रहा है वही फिसफिसाहट ।
तुरंत ही एक गुरु गंभीर आवाज के साथ खोया हुआ ज्ञान लौट कर आया ।
" ॐ अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो घोर घोर तरेभ्यः
सर्वेभ्यस् सर्व सर्वेभ्यो नमस्तेऽस्तु रुद्र रूपेभ्यः "

वह शैतान अभी भी मेरे ऊपर ही है लेकिन अंधकार कमरे में तीसरे व्यक्ति के उपस्थिति को जाना । बाएं तरफ देखा एक विकट दिखने वाला अघोरी हाथ में त्रिशूल उठाकर मंत्र पाठ कर रहा है । तुरंत ही उस त्रिशूल को चला दिया मेरे ऊपर बैठे उस शैतान की तरफ , एक झटके में त्रिशूल उस शैतान को ले जाकर दीवार में गाड़ दिया । पर उस विकृत देह ने एक झटके से खुद को उस त्रिशूल से मुक्त कर लिया लेकिन कंधे
की एक टुकड़ा मांस उसी त्रिशूल के साथ धंसा रहा । वह क्या है यह बोलना मेरे लिए थोड़ा कठिन है पर तुरंत ही वह सांप की तरह दीवार से चलते हुए खिड़की से बाहर निकल गया । और साथ ही वह फिसफिस शब्द क्रम से दूर और दूर जाने लगा ।

खुद को संभाल उठ खड़ा हुआ तबतक वह अघोरी बेड पार कर दीवाल से त्रिशूल को खोल लिया है ।
पास आकर उन्होंने कंधे को हिलाकर बोला –
" उठ - उठ होश में आ , समय नही है उस लड़की कर घर पर खबर दो । "
" की की क्या बोले " उत्तेजना से तब भी मेरे शब्द अटक रहे थे ।
अघोरी बोला – " मैं इतने दिन प्रतीक्षा था कि कब वह शैतान उस घर को छोड़कर निकलेगा इसीलिए उस घर के आसपास घूम रहा था । आज शैतान को रात में निकलते देखते ही पहले घर गृह बंधन कर दिया है । वह शैतान अब उस घर में नही जा सकता । "
मैं तब भी ठीक से सब कुछ समझ नही पा रहा था केवल
अघोरी के तरफ देख रहा था ।
वह बिगड़कर बोले – " ये मूर्ख बात समझ नही पा रहा उस लड़की को खबर पहुंचा । यह शैतान उसके घर में नही जा पायेगा इसीलिए पति और लड़की को बाहर बुलायेगा और बाहर आते ही उन दोनों मार डालेगा । खुद के उस यंत्र से उसे खबर पहुँचा । "
अघोरी का इशारा मेरे तकिये के पास रखे मोबाइल के तरफ था अब समझा यंत्र का मतलब मेरे मोबाइल के बारे में कह रहे हैं ।
पूरी बात मेरे सामने ठीक न होने के बाद भी अंतिम के बातों को समझ गया हूँ । तुरंत ही संध्या को फोन लगाया । नही जानता कि इतनी रात फोन आने पर क्या सोचेगी । बहुत देर रिंग होने के बाद उसने फोन उठाया ।
" हैलो संध्या , हां हां मैं डॉ. तिवारी बोल रहा हूँ । ठीक से सुनो मेरे पास ज्यादा समय नही है । तुम्हारी मां को एक अशुभ शक्ति ने पकड़ा हुआ है । हां , हां ठीक ही बोल रहा हूँ तुम्हारे मां को ही , इस मुहूर्त उनके कमरे में जाने पर देखोगी वह बिस्तर पर नही हैं क्योंकि कुछ देर पर वह हमला करने मेरे रूम में आई थी । हां , यह अशुभ शक्ति तुम्हारे भाई की मृत्यु का भी दोषी है । मेरे बात को ध्यान से सुनो तुम्हारी माँ अब घर के अंदर नही आ पाएगी क्योंकि मंत्र से तुम्हारा घर इस समय सुरक्षित है इसलिए वह अशुभ शक्ति तुमको और तुम्हारे पिताजी को बाहर बुलायेगा लेकिन भूल से भी तुम सब बाहर नही निकलोगे मैं फिर कह रहा हूँ भूल से भी तुम सब दरवाजा नही खोलोगे ।
अगर तुम दोनों निकल गई तो तुम्हारी मृत्यु होगी । हाँ याद रखो कोई बाहर न निकले । मैं कुछ देर बाद तुम्हे फिर फोन करता हूँ । "

इतना बोलकर मोबाइल रकेह दिया । उठकर अघोरी को
बोला – " चलिए हमदोनों को उसके घर जाना होगा । उनको विपत्ति आ सकती है ।"
अघोरी ने मुझे आश्चर्य जवाब दिया – " नही , नही उससे
भी जरूरी काम है हमें , चल मेरे साथ । " ………..

क्रमशः ।।