बाबू वाला डिजिटल लव रामानुज दरिया द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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बाबू वाला डिजिटल लव

थोड़ा सा नीचे, और थोड़ा सा,अरे नहीं थोड़ा बाएं और हल्का सा ,हां सेन्टर पर करो, हां अब ठीक है,अब फ़ोन को एकदम स्लो मोशन पर चलाओ।
देव प्लीज यर मुझसे नहीं हो रहा, मुझे बहुत अजीब फीलिंग्स आ रही है । मुझे शर्म आ रही है। अरे नहीं अनु इसमें शर्म की क्या बात है। ये तो हर कोई करता हैं और कौन सा हम उसको छति पहुंचा रहे हैं बस केवल देखना है थोड़ा सा। देखें कि कैसे लग रहे हैं हमारे बाबू जी।

लेकिन देव ये अच्छी बात नहीं हैं। जब आप मुझे पहले ही ऐसे देख लोगे फिर जब मिलोगे तब क्या देखोगे।
अरे नहीं जान उसकी चिंता छोड़ दो, ओ सब आप मुझ पर छोड़ दो। अभी न, कैमरे को धीरे धीरे ऊपर गर्दन से नीचे की तरफ ले चलो। लेकिन कितना नीचे, अरे पहले ले तो चलो फिर बताता हूं। देव:- हां अनु , देव- हां अनु बोलो जान, क्या हुआ, क्यों इतना घबरा रही हो।
देव मुझे डर लग रहा है, मेरी धड़कने बहुत तेज हो गयी है । ओ बेतहासा धड़क रही हैं । देव मेरी शरीर से मेरा कंट्रोल खोता जा रहा है। देव मैं टूटती जा रही हूँ अपने आप से, जान ऐसे लग रहा है जैसे मेघ छा गए हैं आसमान में और अभी मूसलाधार बारिश होने लगेगी।
ऐसा कुछ नहीं होगा अनु तुम परेशान मत हो।
देव फिर कभी देख लेना , जब आना मेरे पास मिलने तो आप जो बोलोगे , जैसे बोलोगे मैं आपकी इच्छा पूरी कर दूंगी। लेकिन अब रहने दो देव। अब मुझसे नहीं हो रहा है।
अनु अपने बॉडी को देव के सामने एक्सपोज़ नहीं करना चाहती। ऐसा नहीं है कि उसे प्यार नहीं है मगर इस डिजिटल दुनिया का कोई भरोसा नहीं है। जबकि देव देखने के लिए एकदम तड़प रहा था और बार बार आग्रह कर रहा था। ये मानव स्वभाव है कि जो चीज़ जितना पर्दे में होती है उसको देखने के लिए लोग उतना ही लालायित रहते है। लेकिन देव ने आज तक उसको कभी मॉडर्न ड्रेस में नहीं देखा क्योंकि अनु गांव के परिवेश की है जहां बॉडी के हर पार्ट को पूर्णतया ढक कर चलने का रिवाज है।
देव के फिर आग्रह करने पर अनु कैमरे को आज पहली बार चेहरे से नीचे गर्दन तक ले जाती है। अनु आगे बढ़ना चाहती है तब तक देव आवाज़ देने लगता है अरे रुको तो सही देखने तो दो मुझे ये सुराही सी गर्दन। देव गर्दन को देखता है और देखते ही अपने मार्ग से विचलित हो जाता है। और कैमरे को आगे बढ़ाने को बोलता है।
देव प्लीज मान जाओ न यार अब इसको यहीं स्टॉप कर देते हैं अरे नहीं जान थोड़ा सा और। अनु कैमरे को गर्दन से थोड़ा नीचे सीने के पास ले जाती है जहां से बाबू जी आकार लेना चाहते हैं। जहां से उभार शुरू होता है।
अनु का बदन एक दम गोरा था, गेहुंवा रंग होने की वजह से ओ गाजर की तरह निखर आयी थी और शर्म से उसका चेहरा लाल होता जा रहा था। अनु 24 साल की अन छुई हुई कली है जो खिलने के लिए बेताब है।
अनु को हाइट तो कम मिली है मगर सुंदरता भरपूर मिली। उसके हर अंग एकदम उचित स्थान पर उचित तरीके से थे।
अनु कैमरा थोड़ा सा नीचे करना , लालायित स्वर में देव ने कहा । अनु बिना कुछ बोले कैमरा थोड़ा सा नीचे कर देती है। देव देखने लगता है उस उभार को जिसके आगे दुनिया की हर दौलत फीकी लगती है। उसके तन की गोलायी एकदम परफेक्ट थी परिधि से सेंटर तक कि दूरी एक समान थी mm में भी कोई अंतर नहीं था। किसी के हाथ की पहुच वहाँ तक न होने की वजह से उसके
तन में तनाव के साथ साथ भरपूर कसाव भी था।
अनु जैसे - जैसे कैमरे को गोलायी में घुमा रही थी वैसे वैसे सर से पांव तक पानी पानी हो रही थी और अंत में फ़ोन उसके हाथ से छूट जाता है और जमीं पर गिर जाता है।
देव का दिल सुकून की तरफ और आंखें तसल्ली की तरफ बढ़ रही थी। दोनों तरफ सन्नाटा का भाव था।
न ही अनु की तरफ से कोई आवाज़ और न ही देव।
बस एक अजीब सी सर सराहट थी जो दोनों तरफ से निकल रही थी। सन्नाटे से बारिस का आभास हो रहा था।
और फिर कैमरा ऑफ हो जाता है।

आपको बताते चलें कि अनु एक बातूनी टाइप की लड़की है और एक कुशल वाक्य पटु भी। उसके पास हर सवाल का जवाब रहता है ऐसा लगता है कि बातों में कोई उससे जीत नहीं सकता। चूंकि गांव की रहने वाली है इसलिए उसकी शिक्षा दीक्षा सब गांव का ही है। ओ रेगुलर स्कूल तो नहीं गयी लेकिन लिख और पढ़ दोनों लेती है।
उसके सामने शारिरिक और सामाजिक मजबूरियां भी थी इसलिए बहुत highly educated तो नहीं है। लेकिन ओ गुनी बहुत है। घर के सारे काम कर लेती है । ओ एक से एक पकवान बनाती है कि खा कर उंगली चाटने लगे लोग। उसका सिलाई कढ़ाई में बहुत मन लगता है इसलिए ओ अपने सारे काम को बेहतरीन ढंग से अंजाम तक पहुंचाती है।
अनु ने जब नयी मोबाइल ली थी तब सोंचा था कि कुछ समय ओ देगी पर उसे क्या पता था कि समय के साथ दिल भी चला जायेगा। जब उसने fb चलाना सुरु किया तो उसकी मुलाकात देव से वही हुयी।
दरसल हुआ क्या अनु को poetry बहुत पसंद है और देव को शायरी ग़ज़ल गाना ये सब लिखने का सौक है। शायरियां और कहानी पढ़ते पढ़ते अनु खिंचती चली गयी देव की प्रोफाइल की तरफ और दोस्ती हो गयी।
अभी तक अनु सिर्फ पोस्ट पढ़ती और कमेंट करती लेकिन अब धीरे धीरे मैसेज से बातें होने लगी। बातें करते करते उसको लत लग गयी, ओ आदी हो गयी उसके बातों की। समय ऐसा आ गया कि 3-3 , 4-4, घंटे ओ बातें ही करती रहती मैसेंजर पर। हाल ये हो गया कि खाना भी खाये तो दोनों साथ में सोना हो तो साथ में। अनु धीरे धीरे देव को फॉलो करने लगी। उससे पूछे बिना ओ कोई काम नहीं करती उसकी मर्जी के बगैर ओ कहीं भी नहीं जाती। उसे प्यार हो गया देव से । उसकी बातों से प्यार हो गया । उसकी लिखावट से प्यार हो गया।
प्यार एक तरफा कभी दूर तक नहीं चलता मगर यहां दोनों तरफ से था देव भी उतना ही प्यार करता था जितना कि अनु। जान छिड़कने को तैयार रहता।
अनु प्यार की गहराइयों में गोते लगाने लगी और अपने आप को पसारती चली गयी प्रेम की चूनर की तरह जिसके सिरहने देव अपनी जिंदगी के सारे गम भूलकर एक सुकून की सांस लेता था। अनु अपने मंज़िल को पाने के लिये step by step सीढ़िया चढ़ती रही। पहले मैसेज फिर कॉल फिर वीडियो कॉल जैसे जैसे देव भरोसा जीतता गया अनु उसकी तरफ खिंचती चली गयी।
देव ने उसकी मांग में सिंदूर नहीं भरा था मगर अनु उसे अपना पति मान चुकी थी फिर चाहे तन से हो या मन से।
उसने सौंप दिया खुद को देव के सामने। ओ जीना चाहती थी एक जिंदगी उसके साथ। ओ प्यार को मुक्कमल करना चाहती थी। उसी के संग जीना और मरना चाहती थी। यह जानते हुए भी की ओ कभी मिल नही सकते एक दूसरे से । सिर्फ फोन ही उन दोनों का इकलौता सहारा है। जिसके सहारे जिंदगी खुशनुमा बनाने का भरशक प्रयास कर रही थी। जो देव को एक पल भी छोड़ना नही चाहती थी, अगर एक भी दिन न देखे तो रो रो कर उसका बुरा हाल हो जाता था। देव घंटों समझाता था तब कही जाकर उसको आराम मिलता था।
दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे।