द डार्क तंत्र - 13 Rahul Haldhar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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द डार्क तंत्र - 13



Grimoire - 5


चंडी घाट के काली मंदिर में कल के विशेष अमावस्या पूजा के लिए आज से ही तैयारी शुरू हो गई है । पूरे मंदिर और गर्भगृह को फूलों से सजाया गया है । यहाँ के नियमानुसार
आज दोपहर के बाद से ही देवी के आँखों को बंद कर दिया गया है । आज रात को अमावस्या शुरू होने से पहले श्रृंगार के बाद देवी का चेहरा खोला जाएगा । देवी मां के गले में मुंडमाला के अलावा और कोई भी वस्त्र नहीं रहता । यहाँ के कुछ ठाकुर परिवार व कुछ विशेष भक्त देवी को सोने का आभूषण दान करते हैं । आज उन्हीं को पहनाया जाएगा ।
सबसे मायावी है देवी की आंखें , एक तरफ है भय , तेज तो वहीं दूसरी उनमें तरफ स्नेह और ममता भी हैं ।
लाल जीभ के ऊपर सोने का जीभ पहनाया जाएगा । कल रात को विशेष पूजा है जिसमें कई लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए जुड़ेंगे ।
प्रथा अनुसार ठाकुर मानसिंह के परिवार से यहाँ पिछले 70 सालों से प्रतिवर्ष एक बकरे का बलि चढ़ाया जाता है जिसे उनके वंशज इस साल भी पूर्ण करेंगे । नवरात्रि और दीपावली में यहाँ भक्तों का भीड़ देखते ही बनता है ।

समय रात के 10 बज रहे थे । मनीष ऑफिस से निकल कर बाइक स्टार्ट करने ही वाला था उसी वक्त अमित का मैसेज आया ।
' चंडी घाट शमशान के पास वाले पुल के नीचे चले आओ । एक जरूरी काम है । '
यह मैसेज अनुरोध है या आदेश इसे समझा नहीं जा सकता । क्या है वहां पर और इतनी रात को वहाँ क्या जरूरी काम है ? मनीष बाइक स्टार्ट करके चल पड़ा ।

इधर इंस्पेक्टर रवि , ऑफिसर साहब और अमित पुल के ऊपर जीप खड़ी करके धीरे धीरे नदी के किनारे आकर एक छोटे टीले के ऊपर खड़े होकर आगे के घटना की प्रतीक्षा करने लगे । अभी नवंबर महीने में ठंडी ज्यादा नहीं पड़ी लेकिन नदी से आने वाली हवा सभी के शरीर को कंपा रही थी ।
पुल के ऊपर मनीष दिखाई दिया । उसके बाइक को देखकर अमित ने फोन लगाकर उसे नीचे बुला लिया । मनीष पुलिस वालों को देखकर थोड़ा असमंजस में पड़ गया । उसे समझ नहीं आ रहा था कि यहां पर क्या हो रहा है । दूर चंडी घाट से कुछ आवाजें सुनाई दे रहा है । 20 - 25 लोग अब भी वहाँ पर हैं क्योंकि कुछ देर बाद ही श्रृंगार के बाद देवी का चेहरा खोला जाएगा ।
नदी के इस तरफ पूरी तरह सन्नाटा है । बीच-बीच में केवल हवा की हू - हू ही सुनाई दे रहा है ।
मनीष ने अमित से पूछा - " क्या बात है अमित मुझे क्यों बुलाया ? ये पुलिस वाले यहाँ पर क्या कर रहे हैं ? मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा सब कुछ ठीक तो है । "
अमित उसे चुप कराते हुए धीमी आवाज में बोला - " आज तुम्हारा यहां पर रहना जरूरी है । कल तुमने गोविंद की लड़की के बारे में बात किया था आज उसके असली रूप को देखना । "
मनीष को अमित की कोई भी बात समझ में नहीं आई । फिर कुछ देर तक सभी चुप , शायद वे सभी किसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं । लेकिन किसकी प्रतीक्षा मनीष यह नहीं जानता । क्या होने वाला है ये किसी को भी नहीं पता ।
थाने के ऑफिसर साहब अचानक बोले - " आज एक पुराना हिसाब खत्म करना है । आज उसे पकड़कर अच्छा सजा दूंगा । "
इंस्पेक्टर रवि ने जवाब दिया - " सर आप किसकी बात कर रहे हैं ? "
" एक पुरानी बात है । तुम नहीं समझोगे मेरा काम मुझे करने दो । "
इसके आगे इंस्पेक्टर रवि ने और ज्यादा कुछ नहीं पूछा ।
लगभग 15 मिनट बाद सभी ने देखा लाल धोती पहने , हाथ में मशाल लेकर एक आदमी इधर ही चला आ रहा है ।
अंधेरे में चेहरा ठीक से नहीं दिख रहा लेकिन चाल - ढाल से सभी समझ गए कि यही तांत्रिक गोविंद है । गले में बहुत सारे रुद्राक्ष की माला , हाथ में कल सारे धागे और एक हाथ में मशाल की आग किसी सांप के जीभ की तरह लपलपा रहा था । तांत्रिक नंगे पर इधर ही आ रहे थे लेकिन उनके साथ किसी और को भी होना चाहिए था । विक्तिम कहां है ? तो क्या उन्हें यहां आने में देर हो गई ? लेकिन घटना ऐसा नहीं होना चाहिए था । यहां किसी और को भी उपस्थित रहना चाहिए था जिसे बचाने के लिए वो सभी यहाँ आए थे । क्या तांत्रिक गोविंद को सब कुछ पता चल गया ?
कौतुहलवश ऑफिसर साहब ने पूछा - " अमित बात क्या है ऐसा तो हमने नहीं सोचा था । "
कोई जवाब नहीं आया इसीलिए उन्होंने अपने बगल में देखा तो वहां अमित नहीं था । इसके बाद जो कुछ भी हुआ उसे याद करके मनीष आज भी कांप उठता है । इन अलौकिक घटना को देखने के लिए वहां कोई भी तैयार नहीं था ।
अमित ने माचिस से एक मशाल जलाया और उससे विशेष स्थानों पर रखे कई और मशालों को उसने जला दिया । मशाल की रोशनी में उन्होंने ध्यान दिया कि वो एक लाल सिंदूर के वृत्त में खड़े थे । और उस वृत्त के पास ही नदी के किनारे एक विशेष आसन सजाया गया है । वहां पर जाकर तांत्रिक गोविंद बैठ गए । उनके सामने यज्ञ की सभी सामान पहले से ही वहां रखा हुआ था । एक खोपड़ी के अंदर घी रखा है और एक हड्डी से घी लेकर तांत्रिक सामने लकड़ियों के ऊपर डालने लगे । अमित ने एक बार तांत्रिक गोविंद के पैरों को छूकर प्रणाम किया । तांत्रिक गोविंद ने ऑफिसर साहब की तरफ घूरते हुए अमित को आशीर्वाद दिया । घने काले आसमान के नीचे सन्नाटे से भरे इस नदी के किनारे एक अविश्वसनीय भयानक कहानी को रचा जा रहा था । यहां पर क्या हो रहा है इसका मनीष , इस्पेक्टर रवि और ऑफिसर साहब को जरा भी भनक नहीं था ।..

इसके बाद तांत्रिक गोविंद ने ग्रिमोअर के ऊपर बने धातु के चक्र को घुमाया इसके एक विशेष पन्ने को ध्यान से देखकर फिर से मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया । तांत्रिक के मंत्र पढ़ने की भयानक व तीक्ष्ण आवाज ने उन्हें अंदर तक हिला दिया ।
कुछ देर बाद ही मनीष ने इस मंत्र को पहचान लिया । हाँ , आज ही उसने उस गुप्त कमरे में इसी मंत्र को सुना था । ऑफिसर साहब और इंस्पेक्टर रवि अब क्या करें उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा । वो केवल मंत्रमुग्ध होकर खड़े हैं मानो किसी ने उन्हें हिप्नोटाइज कर दिया है ।
इसके बाद उनके सामने एक अप्राकृतिक घटना घटी । जिसे देख उन्हें अपने ही आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था । उन्होंने देखा कि यज्ञ के आग से एक काले धुएँ का गोला जमीन से 3 - 4 फुट ऊपर जाकर धीरे-धीरे एक लड़की का रूप धारण करने लगा । पहले अंग फिर पूरी एक लड़की सभी के सामने प्रकट हो गई ।
लड़की को देखकर मनीष के पैरों तले जमीन ही खिसक गई क्योंकि इसी लड़की को वह प्रतिदिन देखता है । इसी लड़की की बातों को उसने छत से सुना है । ये लड़की बहुत ही सुंदर है लेकिन साथ ही एक राक्षसी भी है ।
ऑफिसर साहब और इंस्पेक्टर रवि केवल आंखें फाड़कर हैरानी से देख रहे थे । उस लड़की के पूरे शरीर से यौवन फूट रहा था , जलती मशाल में उसकी मायावी आँखे किसी को भी लुभा ले । अब वह लड़की खिलखिला कर हंसने लगी । ऐसी भयानक हंसी शायद ही उन तीनों ने पहले कभी सुना था ।
तांत्रिक गोविंद उस लड़की से बोले - " जाओ बेटी जाओ , अपने काम को पूरा करो । इतने दिनों की साधना , प्रतीक्षा
सबकुछ समाप्त होगा । मुझे बदला चाहिए प्रतिशोध ,जाओ बेटी । "
बोलकर तांत्रिक गोविंद हंसने लगा । चारों तरफ का वातावरण भयानक हो गया है । हवा भारी लगने लगा , उन्हें कैसा अनुभव हो रहा है इसे शब्दों में बताना मुश्किल है ।
इसके बाद वह लड़की उनके तरफ धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी । इतने दिन जिसे देखने के लिए मनीष परेशान रहता था आज उसी से डर के कारण दूर भागने का मन कर रहा है । लेकिन किसी मायावी जादू से वह अटक गया है ।

अब अमित बोला - " इंस्पेक्टर साहब मैंने उस समय कुछ भी झूठ नहीं बोला था । जो कुछ भी बताया था सब सच था
केवल कुछ और बातें थी जो बताना बाकी है । आज से लगभग 10 साल पहले लौट जाइए ऑफिसर साहब , ठीक यहीं नदी के किनारे इसी टीले पर ... क्या हुआ सर आपको कुछ याद आया । "
ऑफिसर साहब का चेहरा लटक गया । उनके मुंह से कोई शब्द भी नहीं निकल रहा ।
अमित बोलता रहा , - " इंस्पेक्टर साहब मैं बताता हूं कि उस रात क्या हुआ था । उस रात बाबा जी अपने स्त्री और 9 साल की लड़की के साथ शहर से लौट रहे थे । इसी पुल के ऊपर चार लोग बैठकर शराब पी रहे थे । गाड़ी यहां पहुंचते ही उन्होंने घेरकर पैसा माँगा । बाबाजी पैसा नहीं देंगे इसीलिए उन्होंने कार का कांच तोड़ दिया । उनके स्त्री ने रोकना चाहा इसीलिए उन्हें और 9 साल की छोटी लड़की को पुल के ऊपर से इस टीले पर फेंक दिया । तुरंत ही उन दोनों की मौत हो गई । इसमें उन दोनों का क्या दोष था आप बता सकते हैं ? एक छोटी सी बात के लिए इतनी बड़ी कीमत , शराब के नशे में दो जान की कीमत इतनी कम थी । एक असहाय पिता पिछले 10 सालों से उस पीड़ा को अपने अंदर जगाकर रखा है । जब तक दोषियों को अपने हाथों से सजा नहीं देते तब तक उन दोनों की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी । आज ही तो अंतिम दिन है । "
इंस्पेक्टर रवि चिल्लाकर बोलो - " लेकिन इसका हमारे साथ क्या संबंध है ? और इसमें ऑफिसर साहब की क्या भूमिका है ? "

" सर उस रात को उन चारों के साथ एक और आदमी भी दोषी था । उस समय यह बड़े साहब उस थाने के ऑफिसर साहब नहीं थे । ये भी आपकी तरह एक जूनियर इंस्पेक्टर थे । किसी तरह बाबा जी गाड़ी लेकर सीधा थाने में पहुंचे और इनको सब कुछ बताया । लेकिन इन्होंने कुछ भी नहीं किया और कहा था , ' एक - दो जान के लिए पूरा थाना इस समय कुछ भी नहीं कर सकता । किसने डकैती व हत्या किया है इतनी रात को नहीं देखने जा सकता । उन्होंने पैसा मांगा था आप दे देते तो सब झंझट ही खत्म हो जाता । मैं इस समय कुछ भी नहीं कर सकता । '
पैरों में गिरकर बाबाजी ने गिड़गिड़ाया लेकिन इन्होने लात मारकर थाने से बाहर निकाल दिया । उस दिन रक्षक ही भक्षक का काम कर रहे थे । मैं ये सब नहीं जानता था जिस दिन रात को उस आदमी को जलाकर मारा गया उसी दिन मुझे यह सब बाबा जी ने बताया । बाबा जी ने अपने तंत्र साधना के बल से पंचमहाभूत पद्धति में एक-एक करके उन चार लोगों की हत्या करके अपना बदला लिया । आज उनका अंतिम बदला पूरा होगा और सर अगर आपने रोकने की कोशिश की तो आप भी अपने जान से हाथ धो बैठेंगे ।
जो कुछ आप देख रहे हैं इसे आप कभी प्रमाणित नहीं कर पाएंगे । मैंने खुद ही इस जाल को तैयार किया जिसमें ऑफिसर साहब बड़े ही आसानी से फंस गए ।
मनीष तुम्हारे लिए मुझे बहुत ही दुख हो रहा है । तुमने जिस लड़की के बारे में कहा था वह तो एक पिशाचिनी व अशुभ शक्ति है । जिसने तांत्रिक बाबा के लड़की का रूप धारण कर रखा है । अक्सर तांत्रिक बाबा इसे बुलाते और पागलों की तरह बातें करते रहते । अपने एकमात्र लड़की को आज भी बाबा जी भूल नहीं पाए क्योंकि अपने जान से भी ज्यादा प्यार करते थे । और तुमने उसी को पसंद कर लिया , जानते हो अगर वह जिंदा रहती तो तुम्हारे जैसे ही किसी लड़के के साथ उसकी शादी करते । लेकिन इन हरामियों की वजह से आज वह जिंदा नहीं है । जिन्होंने उसे मारा उसे भी सजा नहीं दिया । लेकिन आज सबका हिसाब हो जाएगा । "

मनीष के दिमाग में सब कुछ स्पष्ट ना होने पर भी वह कुछ बातें समझ गया है । और यह भी जानता है कि ऑफिसर साहब को बचाना नामुमकिन है । आज वो नहीं बच पाएंगे ।
वह लड़की ऑफिसर साहब सामने आ गई । अब ऑफिसर साहब ने अपने रिवाल्वर को निकाल कर लड़की की तरफ दिखाते हुए बोले - " मेरी तरफ मत बढ़ना मैंने तो अपने हाथों से उन्हें नहीं मारा । मुझे माफ कर दो । "
डर की वजह से उनका पूरा यूनिफार्म भीग गया है । रिवाल्वर पकड़ा हुआ हाथ थर - थर कांप कांप रहा है । इंस्पेक्टर रवि ने अपने रिवाल्वर को निकालकर तांत्रिक गोविंद की तरफ करते हुए बोले - " कानून को अपने हाथ में मत लीजिए । ऑलरेडी 4 हत्या के आप आरोपी हैं । उनको छोड़ दीजिए मैं कानून के रास्ते आपको न्याय दिलाऊंगा । मैं आपसे वादा करता हूं । आप केवल इस लड़की को यहां से जाने के लिए कहिए । "

तांत्रिक गोविंद बोले ,
" बहुत देर हो गया है इंस्पेक्टर अब मैं कुछ भी नहीं कर सकता । बड़े साहब को मारे बिना उसकी मुक्ति नहीं है । उसे अपना बदला लेना ही है । मुझे अपने जान की कोई चिंता नहीं है क्योंकि मैंने सब कुछ खो दिया है । पिछले 10 सालों से इस दर्द को अपने सीने में लेकर घूम रहा हूं । मेरे साथ आप जो चाहे कर सकते हैं । इसके लिए 10 सालों से प्रतीक्षा किया हूं आज उसका अंत होगा । आगे बढ़ाओ बेटी और अपना काम समाप्त करो । "
इंस्पेक्टर के बातों से तांत्रिक गोविंद को कोई फर्क नहीं पड़ता । तांत्रिक ने लड़की को अपना काम करने का आदेश दिया ।
ऑफिसर साहब थर - थर कांप पर रहे थे । उस लड़की ने उनके गले को जोर से पकड़ लिया और भयानक हंसी वह अब भी हंस रही थी । ऑफिसर साहब के हाथ से रिवाल्वर नीचे गिर गया और तुरंत ही एक और घटना घटी जो विज्ञान से बाहर है । ऐसा अमानवीय , भयानक , कठोर दृश्य उन्होंने पहले कभी नहीं देखा ।
लड़की ने ऑफिसर साहब के गले को पकड़कर धीरे-धीरे जमीन से ऊपर उठने लगा । वह लड़की उन्हें धीरे - धीरे ऊपर ले जा रही थी । काले आसमान में ऑफिसर साहब के केवल दोनों छटपटाते पैर ही दिख रहे थे । फिर वहीं से उन्हें छोड़ दिया , कुछ सेकेण्ड और फिर ऑफिसर साहब की खून से लथपथ , टूटी हड्डियों का शरीर नीचे प्राणहीन जमीन पर पड़ा हुआ था । पंचभूत की 16 कलाएं पूर्ण हुई अर्थात आसमान पथ से ऑफिसर साहब को मृत्यु की प्राप्ति हुई । इस जन्म की करनी मनुष्य को इसी जन्म में ही भरना पड़ता है ईश्वर केवल समय को सेट कर देते हैं ।
ऊपर से उस लड़की की परछाई रात के अँधेरे में कहीं समा गई । तांत्रिक गोविंद के आँखों से आंसू बह निकले क्योंकि शायद आज के बाद वो अपनी प्यारी बेटी के परछाई से बात नहीं कर पाएंगे लेकिन उनके चेहरे पर एक तृप्ति की भावना है । उन्होंने हाथ जोड़कर किसी को प्रणाम किया ।

चंडी घाट के पास काली मंदिर जयकारों से गूंज उठा ।
श्रृंगार के बाद देवी का चेहरा खोला जा रहा है । देवी माता
एक बार फिर अशुभ शक्ति से शुभ शक्ति की दिशा सबको
प्रदान करेंगी ।
तांत्रिक गोविंद ने पुराने ग्रिमोअर को कपड़े में बांधकर नदी में फेंक दिया । आज उन्होंने अद्भुत शांति पाई है ।

दूर घंटी और जयकारों की ध्वनि क्रमशः सुनाई दे रहा है
क्रमशः सुनाई दे रहा है ।.

.. समाप्त..


@rahul