द डार्क तंत्र - 14 Rahul Haldhar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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द डार्क तंत्र - 14


4th story ........



महा अघोरी तांत्रिक - 1


"" तांत्रिक , अघोरी व कुछ और अंधविश्वास हमें डराते
हैं क्योंकि वह सब कुछ अद्भुत है कहानी में भी इन्ही
कुछ बातों व घटनाओं को इसमें चित्रित किया गया है
जो पूरी तरह काल्पनिक है तो कहानी की दृष्टि से
इसका रसपान करे ।। ""

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आधीरात को मुकेश की नींद टूट गई । वह अंधेरा फिर
फिसफिसा रहा है , फिर उसे बुला रहा है , अपने पास आने को बोल रहा है । पहले वह निवेदन करता था पर अब वह आज्ञा देता है । मुकेश को डर लगता है उसके पास जाते ही उसे बहुत डर लगता है । हर वक्त वह फिसफिस करता रहता है । पहले - पहले मुकेश को अच्छा लगता , उसे लगता उसका भी एक सीक्रेट है ।
सोच कर ही मुकेश को रोमांच आ जाता इसीलिए तो वह उसके पास जाता था लेकिन आजकल वह तो उसे वहां जाने के लिए मजबूर कर रहा है ।
प्रतिदिन स्कूल से लौटते वक्त मुकेश वहां जाता है । वह अब तो रात को भी बुलाता है । अंधेरे में जाने से मुकेश को डर लगता है । उसके बारे में क्या सभी बातें पिताजी को बोल दे ? लेकिन उसने तो डराया है कि किसी को कुछ भी बताने
पर वह मां और पिताजी को मार डालेगा । मुकेश जनता है कि इतना करने की क्षमता उसमें है । चुपके से वह बिस्तर से उठ गया । उसके पास जाना ही होगा । वह सड़ा हुआ दुर्गंध और ठंड भरा अंधेरा मुकेश को फिर जकड़ लेगा ।
फिर भी मुकेश वहां जाता है और वह अन्धेरा केवल
और केवल फिसफिसाता रहता है ।

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" जो कोई भी साधना है उसके दो क्रिया हैं तंत्र एवं मंत्र , तंत्र शब्द की रचना हुई तन से यानी की शरीर से , जिन क्रियाओं से हम सभी अपने शारिरिक चाह अर्थात जैसे निंद्रा व भूख को अपने वश में ला सकते हैं उसे तंत्र कहते हैं । ठीक उसी तरह मंत्र शब्द की रचना मन से अर्थात जिन सभी क्रियाओं के माध्यम से हम अपने मन को वश में ला सकते हैं उसे मंत्र कहते हैं । "
इतना बोलकर चारों तरफ देख लिया । ऑडिटोरियम पूरा
भरा हुआ है और सुनने वाले ज्यादातर युवा ही हैं ।
पुराने संस्कृति के प्रति आजकल के लड़के - लड़कियों की जिज्ञासा बहुत बढ़ गई है । । कुछ देर उन सभी के तरफ देखकर माइक पर फिर मुँह लगाया –
" आज फिर यहीं पर समाप्त किया जाए । सेमिनार के लॉस्ट में हम सभी कुंडलिनी जागृत करने के बारे में जानेंगे । आज के टॉपिक से अगर किसी को कोई भी प्रश्न पूछना है तो एक - एक कर पूछ लो । "

बहुत सारे हाथ उठे , सभी के प्रश्नों के उत्तर देने में और 40 मिनट बीत गया । फिर धीरे - धीरे सभी बाहर जाने लगे । अबतक मैं यानी डॉ. ओमकार तिवारी , लेक्चर दे रहा था असम के एक छोटे से शहर में उपस्थित एक यूनिवर्सिटी हॉल में , भारतीय मिथॉलजी और मेटाफिजिक्स विषय से मैंने डबल डॉक्टरेट किया है ।
बीते तीन सालों में मेरे लिखे दो किताब लोगों ने बहुत ही ज्यादा पसंद किया । इसीलिए मेरे सेमिनार और लेक्चर में भीड़ का जमा होना स्वभाविक हो गया है । प्रोजेक्टर से पेन ड्राइव निकालकर पीछे मुड़ते ही देखा एक कम उम्र की लड़की मेरी तरफ देखकर ही चुपचाप खड़ी है ।
" तुम हाँ , तुम्हें कुछ पूछना है ? "
" हां सर कुछ …."
मैंने पास जाकर बोला – " कोई भी प्रश्न हो तो बोल सकती हो कोई बात नही । "
लड़की बोली – " नही सर् बात कुछ दूसरी है । मैं अपने प्रॉब्लम को लेकर और किसके पास जाऊं यह समझ नही पा रही थी । "
" अरे बोल दो इतना डरने की जरूरत नही । "
वह लड़की कुछ देर सोचती रही फिर बोली –
" सर् मेरा नाम संध्या है । मेरा घर उस पहाड़ के नीचे वाले टाउन में है । हमसभी मतलब मेरी पूरी फैमिली एक समस्या में पड़ी हुई है । कुछ महीने पहले हमारे घर के आसपास एक तंत्रिक की तरह दिखने वाले अघोरी साधु को हमने देखा । हम सभी ने किसी न किसी वक्त उन्हें देखा है । आप तो जानते ही हैं यह असम जगह तंत्र - मंत्र का पीठ स्थान है । इसीलिए पहले हमसभी ने इस बारे में विशेष ध्यान नही दिया लेकिन इसके बाद से ही मेरा भाई मुकेश बहुत बीमार पड़ने लगा । देखते ही देखते कुछ महीनों में वह पूरी तरह अस्वस्थ हो गया । बहुत सारे डॉक्टरों को दिखाया गया , बहुत सारे टेस्ट हुए परन्तु कुछ नही किया जा सका । एक महीने पहले ही मेरे भाई की मौत हुई है । "
अंतिम के बात को बताते हुए उस लड़की का गला भारी हो गया । उसके दोनों आंख पानी से भर गए ,खुद को सम्भाल वह फिर बोलने लगी ।
– " हम सभी का यही मानना है कि ये सब उस अघोरी का ही किया धरा है । लेकिन क्या किया जाए मैं कुछ भी समझ ही नही पा रही । पुलिस के पास इस बात लेकर कैसे जाऊं लेकिन हां वह साधु हमारे घर के आसपास ही घूमता रहता है । भाई के मरने के बाद पिताजी एकदिन गुस्से में आगबबूला होकर उस अघोरी को मारने दौड़े थे। लेकिन आप शायद विश्वास नही करेंगे सर् , मैंने अपनी आंखों से देखा था कि उस अघोरी के हाथ उठाते ही पिताजी बेहोश होकर वहीं रास्ते पर गिर पड़े । "
" क्या ? उसके बाद ? "
" मैंने जाकर देखा तो पिताजी मानो सो रहे थे । हमसभी इस घटना से बहुत ज्यादा डर गए थे । इसके बाद आतंक से हमने घर से ही बाहर निकलना बन्द कर दिया। भाई के मरने के बाद मां की स्वास्थ्य भी दिन पर दिन खराब होती जा रही है । अभी तक वह अघोरी यहाँ से नही गया है । घर के आसपास ही रहता है मैंने खुद उसे रात में अपने घर के पीछे वाले आम के बगीचे में देखा है । ज्वलंत दृष्टि से वह अघोरी मेरे ही घर की तरफ देख रहे थे। हम क्या करें कुछ भी समझ ही नही आ रहा , सर् हमें बचाइए । "

लड़की के निवेदन व घटना को सुनकर बहुत दुख हुआ । अपने बात को खत्म कर वह लड़की फिर बोली –
" आपको तो इन सभी तंत्र - मंत्र के बारे में बहुत सारा ज्ञान है । मैंने आपके लिखे दोनों किताबों को भी पढ़ा है । आप हमारे शहर में आए हैं इसीलिए यह मौका गवानां नही चाहती थी किसी तरह साहस करके मैं अकेली ही चली आयी । "
कुछ देर सोचकर मैंने उत्तर दिया – " देखो मैं क्या कर सकता हूँ यह इस तरह बोलना सम्भव नही है । इसीलिए तुम अपने घर का पता और मोबाइल नंबर देकर जाओ । अगर हो सके तो आज शाम को ही वहाँ आऊंगा । "
" बहुत बहुत धन्यवाद सर् "

गाड़ी में बैठकर संध्या के घर के रास्ते पर जाते हुए अघोरी
वाली बात बार - बार दिमाग में घूम रहा था । याद आ रहा था कॉलेज के समय की कुछ बातें ।

साल था 1984 - 85 , उस समय गुजरात के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में मैं पढ़ रहा हूँ । उसी वक्त पूरा राज्य हिन्दू - मुस्लिम दंगे से जल उठा । मेरा रूममेट हैदर एक मुसलमान था । परिस्थिति ऐसी हो गई कि हैदर का वहाँ रहना अब सम्भव नही था । उसने रात के अंधेरे में ही भागने का प्लान बनाया । उसको मैं अकेला नही छोड़ना चाहता था इसीलिए अगली रात कर्फ्यू लगने के बाद भी हम दोनों वहां से भाग निकले । लेकिन हॉस्टल से कुछ दूर जाते ही हम एक हिन्दू दंगेबाज समूह के सामने आ गए । किसी तरह हम दोनों दौड़कर भागते हुए पास के ही एक शमशान में पहुंच गए , पीछे उस वक्त भी समूह हमें दौड़ा रहा था । उसी श्मशान में देखा एक अघोरी सन्यासी को , भयानक रूप , सिर पर जटा , पूरे शरीर में चिता भस्म । वह अघोरी एक सड़े हुए मृत शरीर के ऊपर पद्मासन में बैठे हुए थे व उनके सामने बहुत सारे नर खोपड़ी सजाकर रखे हुए थे । हमें दौड़ाने वाला समूह भी यह दृश्य देख वहां रुक गया । वह अघोरी पहले ज्वलंत आंखों से हमें देखा फिर उन दंगेबाजों को , फिर उनसे कहा – " क्या चाहिए तुम सभी को ? "
उस समूह से एक नेता गिरी झाड़ने वाला आदमी सामने आया और बोला – " बाबा उस मुसलमान कुत्ते को चाहिए और साथ में वह लड़का भी । जो कोई मुसलमान का साथ देगा वह भी गद्दार है । "
अघोरी बाबा बोले – " यह बात है तो तू मुसलमान के साथ ब्रह्महत्या भी करेगा । "
इस बात को उस समय ध्यान नही दिया बाद में सोचकर देखा कि उनके लिए यह जनना असम्भव था कि मैं ब्राह्मण हूँ ।
उस नेता ने अघोरी को उत्तर दिया – " बाबा आप तो हिन्दू हैं और हम भी , मैं अपने भगवान के नाम पर उनको लेकर ही जाऊंगा । "
अघोरी बाबा गुस्से में बोले – " हरामखोर मैं हिन्दू नही हूँ ।
मैं ही भगवान हूँ ' अहं ब्रह्मास्मि ' । तू लेकर जाएगा इन्हें
तू , रुक रुक देख मैं क्या करता हूँ देख । "
यह बोलकर अघोरी बाबा ने आंख बंद कर धीरे से किसी
अन्य भाषा में कुछ पढ़ते - पढ़ते सामने रखे एक खोपड़ी
को हाथ में उठा लिया और फिर जोर से उसे नीचे जमीन पर पटका । अचानक तुरन्त ही दर्द से कराहते हुए नीचे गिर पड़ा वह नेता । पटकने के कारण जहां से वह कंकाल खोपड़ी टूटा था ठीक उसी जगह नेता के सिर से खून बह रहा था ।
अघोरी फिर चिल्ला उठा – " और कौन हरामी इन्हें ले जाना चाहता है आजा आ । "
इसके बाद तो वो सभी किसी तरह खुद के नेता को उठाकर भाग निकले । फिर अघोरी हमे देखकर बोला –
" जाओ अब दोनों भाग यहां से भाग जाओ । "
मैंने निवेदन करते हुए कहा – " बाबा आज रात अगर लौटा तो वह सभी हमें जरूर मार डालेंगे । आज रात यहीं पर रहने दीजिए बाबा । "
कुछ देर मेरी तरफ देख अघोरी इशारे से मुझे अपने पास
आने को कहा । मैं डरते हुए उस तरफ आगे बढ़ा , पास जाते ही एक सड़ा हुआ दुर्गंध नाक में आया । उल्टी आ जाए ऐसा मरा सड़ा दुर्गंध । अघोरी दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़कर मेरे आंखों में कुछ देखा फिर कुछ देर आंख बंद किया और फिर बोले
– " महाकाल के इच्छा से देख रहा हूँ तुम्हारे अंदर लक्षण
है हाँ लक्षण हैं । सुन तू रह जा मेरे पास , कल मैं यहां रवाना होऊंगा । तू चल मेरे साथ बहुत बड़ा हो जाएगा । पर मुझे परेशान मत करना , कभी नही । "
इसके बाद लगभग आठ दिन हमने उनके साथ पथ चला था । उनके पास से बहुत कुछ अद्भुत ज्ञान जाना था और वहीं से मेरा झुकाव इस तंत्र - मंत्र विषय पर है । इस विषय का मतलब है यह सभी अलौकिक बातें जो मनुष्य के सोच से परे हैं ।
उसके नियम को मैंने देखा है और चाल चलन भी । फिर भी और कुछ जानने के बारे में जिज्ञासा हमेशा बढ़ता ही गया है ।
हिमांचल पहुंच कर मैंने बिहार के लिए ट्रेन पकड़ा और हैदर लखनऊ जाने को व्यस्त हुआ । जाने से पहले उस अघोरी ने मेरे माथे के ठीक बीच में तर्जनी अंगुली को रखकर कुछ मंत्र पढ़े थे फिर कहा था – " जा जा अब मैं तुम्हें कभी नही मिलूंगा । लेकिन तेरे अंदर साधु लक्षण हैं इसीलिए तुम्हारे अंदर कुछ शक्ति को जगा दिया है भविष्य में काम आएंगे । "

25 साल पहले के इस घटना में खो से गया था सोच टूटी
ड्राइवर के इस बात से ,
– " साहब आ गए " ………………


अगला भाग क्रमशः ....