Anokhi Dulhan - 20 books and stories free download online pdf in Hindi

अनोखी दुल्हन - ( असलियत_५) 20

" अगर लंच करना है, तो इस तरफ आओ।" वीर प्रताप ने अपने पीछे आने वाली जूही से कहा।

वो जूही को एक फाइव स्टार होटल ले गया। उसे अच्छे से उसकी पसंद का खाना खिलाया।

" पेट भर गया?" वीर प्रताप।

" हा। अब एक बूंद भी पेट में नही डाल सकती।" जुहिने अपनी जगह पर बैठे बैठे कहा।

" अच्छा। अब बताओ, क्या दिख रहा है तुम्हे???" वीर प्रताप।

" अच्छा। तो ये खाना, रिशवत था?" जूही ने गुस्से मे कहा। " एक पल के लिए मुझे सच मे लगा, की तुम मेरे साथ खाना खाना चाहते हो। " उसने अपनी आवाज मे एक दर्द लाने की पूरी कोशिश की।

" अरे। तुम तो नाराज हो गई। क्यो ना हम इन बेकार बातो को छोड़ बाहर जाकर ज्यूस पीएं।" वीर प्रताप ने अपने चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान लाते हुए कहा।

" ताजे फलों का ज्यूस?" जूही के इस सवाल मे उसकी बड़ी सी हा थी।

वीर प्रताप उसे पास ही के ज्यूस सेंटर ले गया।

" वो । वो वाला लार्ज।" जूही ने काउंटर पर खड़ी लड़की से कहा।

" मुझे भी सेम। बस बिल में भरूंगा।" जूूही के पिछ खड़े यमदूत ने कहा। जूही डर कर वीर प्रताप के पीछे छुप गई।

" सेम फ्लेवर। बस बिल ये भरेंगे।" वीर प्रताप

एक टेबल पर यमदूत, वीर प्रताप और जूही एक दूसरे को घुरे जा रहे थे।

इस अजीब सन्नाटे को खत्म कर जूही ने कहा, " क्या तुम दोनो एक ही टीम मे हो अब ???? क्या मुझे खाना खिलाकर मारने की कोशिश होने वाली है? सच बताओ।"

" नही नही। ऐसा कुछ नही है। हमारा मिलना बस इतेफाक है। और रही बात मेरी तो में तुम्हारी टीम मे हू। इसलिए तुम बिल्कुल फिक्र मत करो।" यमदूत ने ज्यूस पीते हुए कहा।
" क्या?? मेरी तरफ।" जूही के ऐसा पूछते ही यमदूत ने मुस्कुराते हुए हा मे गर्दन हिलाई। " ये क्या मज़ाक है??? ये ऐसा क्यों कह रहा है की मेरी तरफ है??? तुम मुझे सच बताओ, क्या डील है तुम दोनो के बीच???" जूही ने वीर प्रताप का हाथ पकड़ते हुए कहा।

यमदूत जूही की तरफ देखते हुए आगे बढ़ा, जूही भी उसकी आंखो को देख रही थी।

" तुम्हे तलवार दिख रही है, उस से कहो तुम्हे तलवार दिख रही है।" यमदूत ने जूही को बिन बोले अपने वश मे करने की कोशिश की।

" ये ऐसे क्यो देख रहा है??? यमदूत बीमार भी पड़ते है क्या ??? तुम्हे बुखार है ? देखने दो।" जुहीने ने जैसे ही उसका सर छुने के लिए हाथ आगे बढाया। यमदूत अपनी जगह पर चला गया।

" इस पर मेरी नजरो का जादू क्यो नही चल रहा??? में इसे वश मे क्यो नही कर पा रहा हूं ??" यमदूत ने वीर प्रताप से पूछा।

" ये हमेशा हमारी उम्मीद से ज्यादा निकलती है।" वीर प्रताप।

" ठीक है। तो अब में तुम मिया बीवी को अकेला छोड़ अपने काम पर लौट जाता हु। बाय गुमशुदा आत्मा। मुझे तुम पर यकीन है, तुम ये काम जरूर कर लोगी।" इतना कह वो वहा से चला गया।

" ए.... बताओ ना वो किस काम के बारे मे बात कर रहा था??" जूही।

" ये देवता ओ के बीच की बाते है। तुम ज्यूस पीओ।" वीर प्रताप।

जूही ने आखिरकार अपना ज्यूस पीना शुरू किया। " क्या सारे यमदूत इतने हैंडसम होते है??? क्या भगवान चाहते है, हमे मरते वक्त ज्यादा तकलीफ ना हो। इसलिए इतने खूबसूरत लोगो को यमदूत बनाते है???" जूही ने वीर प्रताप से पूछा।

" तुम्हे वो हैंडसम लगता है।" वीर प्रताप ने पूछा जिस पर जुहिने बड़ी सी मुस्कान के साथ सर हिलाते हुए हा कहा। " और में ?"

" तुम। तुम अच्छे हो।" जूही ने फिर से चुपचाप ज्यूस पीना शुरू किया।
वीर प्रताप ने उसके हाथो से वो ज्यूस खीच लिया और गुस्से से उसे देखा। " तुम्हे कुछ दिख भी रहा है या ऐसे ही मेरा वक्त बर्बाद कर रही हो।"

" ऐसा क्यों कर रहे हो? आस पास देखो सब कितने खूबसूरत है। उसे देखो वो भी खूबसूरत है। हर इंसान अपने आप मे खूबसूरत होता है।" जूही ने वीर प्रताप की नजर घूमते ही ज्यूस का ग्लास वापस ले लिया।

उनके पास के टेबल से एक आदमी बाहर जाने के लिए खड़ा हुआ। वीर प्रताप की नजर उसी पर रुक गई थी। जुहिने भी उस ओर देखना शुरू किया। जैसे ही वो आदमी बाहर जाने निकला वीर प्रताप ने अपनी उंगलियां घुमाई। सामने से आने वाली लड़की का स्क्राफ उस आदमी के घड़ी मे फस गया। उन दोनो की नजरे मिली। और उनके लिए वक्त मानो थम सा गया। स्कार्फ छुड़ाकर वो लड़की जाने लगी, तभी फिर वीर प्रताप ने अपनी उंगलियां हिलाई। उस लड़की के बाल अचानक उस आदमी के कोट के बटन मे फस गए थे। उस आदमी ने मुस्कुराते हुए उसके बाल अपनी कोट से छुड़ाए। तभी उन दोनो के पास से एक ओर आदमी गुजर रहा था। जैसे ही वीर प्रताप की उंगलियां हिली, इस आदमी का बैलेंस बिगड़ा और उसका धक्का लड़की को लगा। लड़की उसके सामने खड़े आदमी पे गिरी और वो आदमी उसके प्यार मे गिरा।

वीर प्रताप के सामने बैठी जूही ये सारा प्यार का जादू अपनी आखों से देख रही थी।

" वाउ। तुम कितने कमाल के हो। मतलब सच बताओ तुम लव एंजल हो ना???? हर किसी के प्यारे। हर किसी को प्यार बाटने वाले।" जुहिने पार्क मे जाते हुए कहा।

" नही। में कोई एंजल नही हु।" वीर प्रताप।

" झूठ मत बोलो। मैने देखा तुमने किस तरह उंगलियां घूमा के उन दोनो मे प्यार करवा दिया।" जूही।

" ऐसा कुछ नही है। मैने बस उन्हे उनके पीछले जन्म के बुरे कर्मो की सजा दी है।" वीर प्रताप।

" सजा। ये कैसी सजा??? अगर वो बुरे लोग है, तो तुमने उन्हे मिलाने मे मदद क्यो की??? क्या तुम बुरे लोगो के एंजल हो ???" जूही ने गुस्सा होते हुए पूछा।

" बिल्कुल नही। मैं उन लोगो का एंजल हु जिस से वो दोनो फोन पर बात कर रहे थे। वो आदमी अपने पिछले जन्म मे एक सावकार था, जो गरीब किसानो के पैसे हड़पता था। वो आदमी इस जन्म मे एक बुजदिल है, और वो औरत लालची और घमंडी है। शादी के बाद दोनो मिल कर एक दूसरे की जिंदगी नर्क बनायेंगे।" वीर प्रताप।

" वाउ। क्या दूर की सोच है।" अचानक बोलते बोलते जूही चुप हो गई। " क्या मैने भी पिछले जन्म मे बुरे काम किए। जिस की सजा के तौर पर मुझे अनोखी दुल्हन बनने की सजा मिली ??? बताओ क्या ये सच मे सजा है ???"

" बिल्कुल नही। तुम्हारा पिछला जन्म तो मुझे नही पता। लेकिन तुम्हे कोई सजा नही दे सकता। ना ही तुम अनोखी दुल्हन हो। इसलिए ज्यादा मत सोचो। तुम बस १७ साल की हो। अपनी जिंदगी जिओ। मज़ा करो। " वीर प्रताप।

" हा सही कहा। इस जिंदगी मे में अपनी मां से मिली। अब नौकरी कर रही हु। मेरे पास तो छाता भी आ गया है। इतना ही नहीं में तुमसे भी तो मिली।" इतना कह जूही बस उसे देखे जा रही थी।

" ठीक है। अब बताओ मुझे तुम्हे कुछ दिख रहा है।" वीर प्रताप ने अपनी नजरे हटाते हुए कहा।

" मेरी मां ने कहा था, चद्दर देख कर पैर फैलाने चाहिए। समझे।" जूही ने उसे देखते हुए कहा।

" नही। में नही समझ रहा हु।" वीर प्रताप।

" इसका मतलब है, जो चीज हमारे बस मे नही होती उस के बारे मे नही सोचना ही अच्छा है। ये हमारी आखरी मंजिल है। यहां से हमारे रास्ते अलग है।" उस से विदा ले जूही चार कदम आगे बढ़ी। भीगी नजरो से कुछ देर वही खड़े रहने के बाद उसने अपनी आंखे पोछी और फिर वो पीछे मुड़ी उस उम्मीद मे की वो चला गया होगा। तो बस हमारी आखरी मुलाकात की जगह देख लूं। पर कभी कभी आप जो सोचते है, भगवान उस से कई ज्यादा देने के लिए तैयार बैठे होते है। वो अभी भी उसी जगह खड़ा था। वो उसे छोड़ कही नही गया। या फिर शायद वो उसे छोड़कर जाना ही नही चाहता ? इस बार तो बिल्कुल भी नही।

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