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मम्मी सुनो न

अमूमन आजकल की नई शादीशुदा लड़कियाँ अपने ससुराल में आने वाली मुश्किलों को अपनी माँ से जरूर बांटती हैं
कि मम्मी आपको पता है आज ये हुआ
सास ने ये कहा
नंद ये बोली
फलाना ढिमकाना ....

और एक हमारी माँ रही
हम जब भी मौका देख कर फोन करते कि मम्मी को बताएँ कि क्या सुनना झेलना पड़ा। कैसे हमको क्या पसंद नही आ रहा है ।
( उस समय मोबाइल कहाँ थे
लैंड लाइन होते थे घर वालों के लिए तो बस)

खैर मम्मी/बहन को मौका मिलते ही फोन मिलाते और अपनी रामायण सुनाने की कोशिश करते तो मम्मी बहन एक कमाल का लाॅजिक देकर हमारी बात सुनने से भी मना कर देती

कहती ..
"जरूरत से ज़्यादा भावुक है तू। एक बार तो पहले ही इस बात पर रोकर उदास हो ली होगी । अब मुझे बताऐगी तो फिर रोऐगी। एक बात पर दो बार रोने से क्या हासिल । किसी की की बात दिल से नही लगाते। सिर्फ अपने लिए शादी नही की जाती है पूरे परिवारसे की जाती है । ये सब परिवार में थोड़ा बहुत चलता रहता है । हम सब नहीं डाँट लगाते क्या यहाँ पर तो वहाँ के लोगो के प्रति ऐसा विद्वेष पूर्व व्यवहार क्यों? तू कोई अच्छी बात है तो बता । यह बेबात दिन भर का रोजनामचा मत बताना कभी "

बता नही सकते कसम से तब कितना बुरा लगता था मम्मी का ऐसा कहना । गुस्से में फोन पटक और ज़ार ज़ार उदास हो कर रोती थी ।

पर कई सालों बाद समझ आया था कि
माँ कितनी समझदार रहीं हमेशा ।
कितनी चतुराई से हमेँ इस घर का बना दिया और भावनात्मक सशक्त भी । आज हमको उम्र के इस मोड़ पर उनकी याद तो आती है लेकिन यहभी याद रहता है कि अपनी समस्याएं खुद अपने दायरे मेरहकर सुलझाना सीखो ।
😀

(पर मम्मी कभी तो बुराई सुन लेती । तुम तो कतई आदर्श बनाने पर तुली रही अपनी बेटियों को 😂

औऱ बहनें वो तो ममी का छोटा स्वरूप थी

आजकल के पेरेंट्स कैसे दिनभर फ़ोन लगा कर एक एक बात सुनते है ।क्या इन लड़कियों ने कभी अपने दोस्तों की बातें बताई ।क्या अपना सोशल मीडिया का पासवर्ड ही शेयर करेंगी ।तब होगा इट्स माय लाइफ ।इट्स माय स्पेस ।


जबकि माँ को चाहिए कि बेटियों से मिलने उसके ससुराल घर जाएं तो उस के कमरे में उससे ही बात करने की बजाय उसके परिवार् केसामने ही बात करें । अगर कोई व्यक्तिगत बात है भी तो निष्पक्ष बात करें।बेटी का घर बसाना है बिखेरना नही । ससुराल वालों से ऐसा व्यवहार करें कि उन्हें ऐसा लगे कि आप सिर्फ अपनी राजदुलारी से नहीं, उनसे भी मिलने आई हैं। उसको उसकी ननद/सास देवर के खिलाफ भी कभी न भड़काएं। सबसे बड़ी बात मिनट मिनट की जानकारी लेना बंद कर दें। अब वो आपकी बिटिया ही नही हैजो हरबात पर आपको रिपोर्ट करें । उसको अपने अनुभवों से गलतियां करके सीखने दें ।


क्या यह जो लड़कियाँ छत्त पर घूमकर कान में हैडफ़ोन लगाए ममी से चैटिंग करती रहती है न ,क्या माँ के घर उनके साथ र हते इतनी बातें की थी। तबतो दोस्तोसहेलियो से फुरसत नही थी ।अब सहेलियाँ अपने घर की हो गयी तो माँ बन गयी सहेली ।




यह तेरा घर यह मेरा घर किसी को देखना हो गर ******

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