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Mamma z boy

मम्मा "ज़ बॉय

दुनिया बहुत तेजी से बदल रही हैं । और साथ साथ उसकी मान्यताये भी और संस्कार भी । एक माँ अपने बच्चो को भरसक दुनिया की गर्म हवाओ से बचाकर रखने की कोशिश करती हैं , मैंने भी हमेशा बच्चो को एक फूल की तरह सहेज कर रखा लेकिन अनुशासन बहुत कडा रहा मेरा। क्या मजाल जो बच्चे बिना मेरे से पूछे बिना एक कदम भी बाहर निकाले। लोग चिढ़ते भी थे लेकिन क्या करूँ मैं भी ,डर लगता था बच्चे ऐसे वैसे ना हो जाए , छोटे छोटे बच्चे को आजकल नशा करते देखती तो भयभीत हो जाती। सब मुझे डराते थे कि किशोर उम्र पार होने दो बच्चे तुम्हारे हाथ भी नही आएंगे, उनके हृदय में स्नेह का स्त्रोत्र सुख जाएगा , तब अकेली पढ़ी रहना इस बिग बॉस वाले घर में , लेकिन एक दिन ऐसा हादसा हुआ शायद हादसा कहना गलत हुआ घटना कहना ज्यादा सही होगा तब मुझे अपनी परवरिश पर नाज हुआ

अहोई अष्टमी का व्रत था बच्चो की माँ इस व्रत को करती हैं यह व्रत परंपरा से हमारे परिवार में नही किया जाता थापरन्तु विवाह उपरान्त पहली बार जब गर्भवती हुयी तो २ माह में ही गर्भपात हो गया , तो मन भयभीत था इस बार , जब मन भयभीत होता तो सबसे पहले उसको ईश्वर ही याद आता और जब फ़िक्र बच्चो की हो तो माँ के लिय वो क्षण सिर्फ प्रार्थनाओं में व्यतीत होता इसलिय बच्चोके हित की कामना से बस मैंने भी बच्चो के जन्म से कुछ दिन पहले ही इस व्रत को करने की मन्नत मान ली थी मन ही मन में और फिर बड़े बेटे के जन्म के बाद से यह व्रत करती आ रही थी इस बार भी सुबह जल्दी सोकर उठी और जल्दी जल्दी सब काम निबटाने लगी बड़ा बेटा पढाई की वज़ह से घर से बाहर दिल्ली में हैं उसको फ़ोन किया ..छोटा बेटा देर रात तक पढता रहा था सो उसको सोने ही दिया ,उठाया ही नही ,१२ बज गये थे माँ ने व्रत किया हो बेटे के लिय और वोह भूखा सोया रहे सोचकर मन में बुरा लग रहा था सो बेटे को आवाज़ लगायी कि उठ जाओ और बताओ क्या नाश्ता बने तुम्हारे लिय क्योकि उसके खाने के नखरे बहुत ज्यादा हैं उसने आँखे खोलते ही घड़ी की तरफ देखा और बोला

" उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ !!!!मम्मा!! उठाया क्यों नही ........मुझे तो ट्यूशन जाना था .अब पक्का लेट हो जाऊँगा, आप भी ना बस "
और तेजी से बाथरूममें घुस गया .. मैंने भी जल्दी से एक गिलास दूध गर्म कर और टोस्ट सेंक कर रख दिए कि लो जल्दी से खा लो एक घंटे बाद वापिस आओगे तब तक मैं खाना बना लूंगी ....

" उफ़ माँ !!लेट हो रहा हूँ और आपको नाश्ते की पडी हैं , नही खाना मुझे अभी कुछ " .
मैंने जल्दी से एक मुठी बादाम उसको ज़बरदस्ती दिए अच्छा यह चबा लेना ..... .

उसने चलते चलते अहोई माता की पूजा के लिय सजी चौकी के सामने हाथ जोड़े और कुछ बुदबुदाया , मुझे जरूर ट्यूशन में टेस्ट होगा तभी घबराया हुआ सा हैं जल्दबाजी भी हैं और ईश्वर के आगे नतमस्तक भी , खैर ट्यूशन से आते आते उसको ३ बज गये कि माँ आज टीचर ने देर तक पढ़ाया मैंने फिर माँ सुलभ आदत से कहा कि आओ खाना बना हुआ हैं खा लो तुम्हारा मनपसंद मटर पनीर बनाया हैं
तब एक दम से बेटा बोला" नही माँ चार बजे आप कथा करोगी न तब खाऊँगा अभी जरा प्रोजेक्ट बनाने दो डिस्टर्ब ना करो "मुझे बहुत गुस्सा आया पर व्रत बेटे के लिय था तो उसको ही कैसे कुछ कहती सो चुप रह गयी ..... और रसोई में चली गयी ... तभी बेटा पीछे से वहां आया और आलिंगन कर बोला

" पापा के लिय व्रत रखा था तो कितना अच्छा तैयार हुयी थी चूड़ियां माला साड़ी पहन कर ,आज मेरे लिय भी तैयार होवो ना " .....मैंने कहा "आज घर पर रहना हैं मंदिर जाकर पूजा नही करनी तो ऐसे ही ठीक हूँ साफ सूट तो पहना हैं"

"नही अच्छा सा सूट पहनो और अच्छे से तैयार हो जाओ ".... मैंने भी बेटे का मन रखने के लिय अच्छा सा सूट पहना औरखूब अच्छे से तैयार होकर चार बजे कथा शुरू की ........ और कथा के बाद बेटे को कहा कि अब तो कुछ खा लो सुबह से व्रत रख कर बैठे हो ..बोला माँ अभी नही भूख लग रही सच में ........और हाँ एक बात तो बताओ जब पति अपनी पत्नी के लिय करवाचौथ का व्रत रख सकता तो क्या एक बेटा अपनी माँ की लम्बी उम्र के लिय व्रत नही रख सकता आपकी लम्बी उम्र के लिय तो कोई व्रत नही रखता , मैं भी आज आपके साथ ही खाना खाऊँगा . मन एकदम से मौन हो गया अपने छोटे बेटे की बाते सुनकर ........ पापा के बाहर रहने से कितना परिपक्व सोचने लगा हैं मेराराजा बेटा फिर भी मैंने जिद करके उसको एक गिलास दूध पिलाया कि दूध पी सकते हैं ......तभी पति का फ़ोन आगया कि वोह आज रात घर आरहे हैं ८ बजे के बाद पहुँच जायेंगे पर हम व्रत का खाना खा ले क्युकी हम तारा देखकर खाना खाते हैं ... बेटे ने कहा नही पापा आपके साथ ही खायेंगे आप आ तो जाओ जल्दी से .......
मैं भी आकर नेट पर ब्लॉग देखने लगी क्युकी बेटे की जिद के सामने मेरी एक न चली .... ६ बजे के बाद मैंने कहा बेटा अब तारे निकल आये हैं मैं अर्क देती हूँ और उसके बाद मंदिर जाकर पंडितानी जी को बायना देकर आती हूँ फिर एक साथ खाना खायेंगे ...... बेटा बोला माँ अभी आप सिर्फ खाना खा लो मैं पापा के साथ खाना खाऊँगा .मैंने कहा ठीक हैं फिर मैं भी तभी खाना खाऊँगी .... और मंदिर चली गयी वहां से वापिस लौट रही थी कि रास्ते में ना जाने क्या हुआ कि मैं चक्कर खा कर गिर गयी और घुटने और कोहनी में बहुत जोर से चोट लगी खून बहने लगा पड़ोसियों ने सहारा देकर घर तक पहुँचाया मुझे तो लगा कि आज घुटने की हड्डी गयी मेरी , आंसू गालो के कोरो पर अविरल बाह रहे थे ख़ामोशी से .......... बेटे ने कहा माँ जल्दी से सिटी हॉस्पिटल चलते हैं .और मेरे सेलफ़ोन से उसने डॉ गुप्ता को फ़ोन कर दिया और मुझे लेकर वहां पहुंचा और जाते ही वहां मुझे इमरजेंसी में ले गया , भाग भाग कर सब डॉ बुलाये वहां और जब वहां सारे चेक- अप/एक्सरे के बाद डॉ ने कहा कि कोई खास बात नही सिर्फ मांस फट गया हैं , सर्दी की चोट हैं इसलिय दर्द हैं ज्यादा हम घाव पर पट्टी बाँध देते हैं और गुम चोटों के लिय बर्फ की सिकाई कर देते हैं ...बेटा मेरा हाथ थामे वही खड़ा रहा ....... दर्द बहुत तेज था मेरे आंसू नही रुक रहे थे ...... बेटा बोला" देखा .... कहा था न, आप व्रत न रखा करो आपका ब्लड प्रेसर लो हो गया था इसलिय आपको चक्कर आये थे, अब मैं हूँ ना आपके पास . और मेरे आंसू पांच मुस्कुराने लगा उसकी भोली सी मुस्कराहट देख मुझे माँ याद आगयी और मैं भी मुस्कुरा दी। डॉ से वापिसी पर उसने मुझे एक अच्छा सा कोफी मग लाकर दिया जब मैंने पुछा यह क्यों ????बोला जब हमें बचपन में इंजेक्शन लगता था तो आप भी कुछ न कुछ लेकर देती थी न ...... मन भावुक ही हुआ जा रहा था ..... खैर घर पहुंचे तो मैंने कहा चलो खाना खा लेते हैं फिर बोला आप बैठो और उसने मुझे व्रत का खाना जो मैंने शाम को बनाकर रख दिया था सर्व किया ....और मेरी थाली से सिर्फ एक ग्रास खाया ...... . रात को ९ बजे जब उसके पापा आये तब दोनों ने खाना खाया ....औरबाते करते करते पापा से कहने लगा कि पापा आप ही बताओ कि यह व्रत सिर्फ मम्मी ही क्यों करे .हम सब क्यों न करे ..... उसके पापा ने कहा कि बेटा आज तूने किया न माँ के लिय व्रत तो आज तेरी माँ के उप्पर आये कष्ट इतने में टलगये ईश्वर तेरे जैसा प्यारा बच्चा सबको दे ........... क्या कहूँ अब मैं ???........ कैसे गुस्सा करू उस बेटे को कि तेरा ध्यान पढाई में क्यों नही लगता ..... जबकि जिन्दगी के सबक तो तुम कितने अच्छे से पढ़ रहे हो और उम्दा नंबर से पास भी हो रहे हो
इन किताबी नम्बरों का क्या करूँ ................... बस इश्वर से यही प्रार्थना हैं कि यह संस्कार और विवेक हमेशा रहे और दुनिया की गरम हवा तुमको छु भी न पाए ....चश्मेबद्दूर .

अब कहते रहे चाहे आप उसको मम्मा "ज़ बॉय

ना उसे फ़र्क़ पड़ता ना मुझे।

Neelima sharma nivia

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