मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - 1 Apoorva Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - 1

मिश्रा परिवार के सभी सदस्य हॉल में बैठे हुए हैं।सभी के चेहरो पर मुस्कुराहट सज रही है।सजे भी क्यों न मिश्रा परिवार के सभी प्रिय साहबजादे और राजकुमारियां गर्मी की छुट्टियों में हॉस्टल से घर जो आ रहे हैं।सभी इनके स्वागत सत्कार के बारे में चर्चा कर रहे हैं।शोभा शीला कमला राधिका प्रेम चित्रा रवीश स्नेहा सुमित परम किरण सभी के चेहरो पर मुस्कान के साथ एक ही प्रश्न है बच्चे इतने दिनों बाद घर आ रहे हैं क्या किया जाये ऐसा कि वो बेहद खुशी अनुभव करे।

राधिका प्रेम बैचेनी से एक दूजे की ओर देखते है और आंखों से ही एक दूजे को।धीरज धरने का कहते है और फिर सामने दरवाजे की ओर देख चर्चा का हिस्सा बन जाते हैं।यही एहसास और हाल घर के सभी सदस्यो का है।कुछ सोचते हुए शोभा जी बोली 'जब से बच्चो के आने की खबर मिली है तबसे ही हम सभी ये सोचने में व्यस्त है कि ऐसा क्या किया जाये कि बच्चो को खुशी मिले लेकिन हम सब अभी इसके विषय में कुछ नही सोच पाये'।बच्चे हर वर्ष छुट्टियों में यहां आते हैं।और हम सब हर वर्ष उनके आने की खबर सुन दो दिन तो ये सोच सोच कर परेशान होते है कि क्या किया जाये! ऐसा क्या किया जाये जिससे हमारे सभी बच्चो को घर आने की खुशी मिले।।उन्हें ये एहसास हो कि हम सब उनके घर आने की कितनी प्रतीक्षा कर रहे हैं'।कहते हुए शोभा जी शांत हुई उन्होंने एक नजर राधिका की ओर देखा जिसकी नजरे अभी दरवाजे से बाहर झांक रही है।

ये देख शोभा जी मुस्कुराते हुए बोली 'राधु इतनी बैचेनी से दरवाजे से बाहर झांकोगी न तब भी बच्चे समय से पहले नही आने वाले है, आ भी गये न तब भी हम सब के लाडले प्रीत और तानी दोनो सबसे बाद में ही आएंगे' शोभा जी की बात सुन राधिका बोली 'हम जानते है मां वो दोनो सबसे बाद में आएंगे लेकिन जब आएंगे तो हमारे पास ही आएंगे, लेकिन मन तो मन है मां और बात जब बच्चो की हो तब ये कहां किसी की सुनता है।ये तब तक बैचेन ही रहता है जब तक बच्चे आ कर नजरो के सामने नही खड़े हो जाते।लेकिन आजकल के बच्चे ये कहां समझते हैं'!

राधिका की बात सुन शीला जी बोली, ' राधु समय बदल रहा है तो हमे विचार भी बदलने चाहिए, बदलते समय के साथ कदम से कदम मिला कर चलने में ही समझदारी है'।शीला जी की बात सुन वहां मौजूद प्रत्येक सदस्य हल्का सा मुस्कुरा लेता है और वापस से दरवाजे की ओर देखने लगते हैं।

दरवाजे के बाहर गाड़ी रुकने की आवाज आती है जिसे सुन राधु के साथ साथ बाकी सबके चेहरो पर मुस्कान के साथ बैचेनी दिखाई देने लगती है।सभी खड़े हो जाते है और टकटकी लगाये दरवाजे की ओर देखने लगते हैं।दरवाजे से पहला कदम रखेगा कौन ये सोचते हुए सभी वहीं एकटक देख रहे है।दरवाजे पर हलचल महसूस होती है और मुस्कुराते शोर करते हुए पांच बच्चे एकसाथ घर के अंदर चले आते हैं।सभी आकर घर के बड़ो से पहले मिल कर फिर अपने पेरेंट्स से मिलते है।आर्य स्नेहा सुमित से जाकर मिलता है तो वहीं प्रेरणा और प्रियांक दोनो प्रेम राधिका से आकर मिलते हैं।
समर्पिता और रक्षित दोनो परम और किरण से मिलते हैं। 'सब आ गये लेकिन चित्रांश तानी प्रीत ये तीनो अभी तक नही आये जरूर बाहर खड़े हो कर अतीत को याद कर रहे होंगे मैं खुद ही जाकर देखती हूँ'।सोचते हुए चित्रा दरवाजे की ओर बढ़ी तो सामने से आते हुए चित्रांश प्रीत और तानी पर उसकी नजर पड़ी दोनो को देख उसके बढ़ते हुए कदम रुक गये और चेहरे पर छाई उदासी ऐसे दूर भागी जैसे रोशनी का दिया जलने पर अंधेरा भागे।'मासी हम यहीं आ गये' दोनो ने एकसाथ कहा जिसे सुन चित्रा ने खुशी से छलक रही आंखों को पोंछा और जाकर दोनो के गले लग गयी।

'कैसी है आप मासी' प्रीत ने पूछा तो चित्रा बोली 'देख रहे हो न कैसी हूँ मैं।फिर भी पूछ रहे हो प्रीत'।
प्रीत झुका चरण स्पर्श किये और उसे ले जाकर सोफे पर बैठा दिया।हां मासी पूछ रहा हूँ क्योंकि आप हमेशा यही कहती हो देख रहे हो।।

प्रीत शोभा जी शीला जी राधु प्रेम सबके पास गया सबसे मिल वापस चित्रा के पास आकर उसकी गोद में सर रख बैठ गया।ये देख तानी और चित्रांश ने एक दूसरे की ओर देखा और दोनो ही दौड़ कर सोफे के ऊपर दाये बाएं चित्रा के कंधे पर सर रख बैठ गये।।ये देख चित्रा बोली,'बचपना अभी तक गया नही तुम दोनो का।इन सात सालो में अभी भी वैसे की वैसे'।
प्रीत ने सर उठाया और राधु की ओर देखते हुए बोला 'देख रही है आप बड़ी मां!आपकी दोस्त खुद इस बचपने को याद कर कर के हमे हिचकियो से परेशान करती रहती है और यहां आकर अगर हम सभी बचपना शुरू कर दे तो यही बोलेंगी बचपना गया नही।बताओ भला ये क्या बात हुई'।राधु ने अपना चश्मा सम्हाला और बोली 'देख रहे है प्रीत ये ऐसी ही हैं बचपन से देखते आ रहे है'! 'हां बड़ी मां सो तो है'।कहते हुए प्रीत उठा और शीला के पास जाकर बैठते हुए उसके कंधे पर सर रखकर आँखे बन्द कर खामोश हो गया।जिसे देख शीला जी बोली 'ये तानी की पढ़ाई का अंतिम वर्ष है प्रीत,फिर वो कॉलेज में आ जायेगी '!शीला जी के शब्दो को समझ प्रीत बोले 'हां दादी मां ये तानी के होस्टल लाइफ की पढ़ाई का अंतिम वर्ष है।फिर हम सब आपके पास यहीं आ जाएंगे और तानी की बाकी की पढ़ाई यहीं से होगी'।'सब नही प्रीत सिर्फ आप और तानी, हम लोग तो वही प्लेसमेंट लेकर अपनी लाइफ जियेंगे'!क्यों प्रियांक आर्य ने उसकी ओर देखते हुए कहा।

'हम्म ठीक है भाई जैसा आपको सही लगे।मैं चित्रांश और तानी दोनो ही दादी, बड़ी मां और मासी के साथ ही रहेंगे'।प्रीत ने धीमे से कहा और फिर से आँखे बन्द कर ली।'पता था तुम्हे काम से ज्यादा परिवार प्यारा है प्रीत' राधु बोली।

'बड़ी मां,कार्य तो लोग जीवन यापन के लिए करते है।और फॅमिली सुखद जीवन यापन के लिए होती है।अब मां पापा के बाद आप सब ही तो मेरी फॅमिली हो तो प्यारी क्यों न होगी'।प्रीत ने संजीदा होते हुए कहा।उसकी आवाज में संजीदगी देख शोभा जी ने उसके सर पर हाथ रखा और बोली 'बहुत याद करते हो अपने मां पापा को प्रीत'।

सांवली सलोनी तानी ने शोभा जी की बात सुनी।वो उठ कर प्रीत के पास आई और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए धीमे से बोली।'भाई हमे भूल गये आप', प्रीत मुस्कुराते हुए उठे और तानी के सर पर हाथ फेरते हुए बोले, 'ऐसा कैसे हो सकता है तानी, तुम तो मेरी जान हो।मां पापा के बाद अगर मुझे सबसे ज्यादा कोई प्यारा है तो वो तुम हो तानी बाकी सबका नंबर तो बाद में आता है'।

'हमें पता है भाई' तानी ने कहा और प्रीत को साइड हग कर वहीं खड़ी हो गयी।'पागल लड़की'प्रीत ने उसके सर पर चपत लगाते हुए कहा और चित्रा की ओर देख बोले 'मासी, मम्मा पापा के कमरे की चाबी दीजिये!आपको पता है न मुझे वोही कमरा चाहिए'।।

'हां पता है प्रीत इसिलिए वो कमरा मैंने पहले साफ कर दिया था।चाबी आपकी दादी मां के पास है तुम रुको मैं लाकर देती हूँ'।चित्रा ने कहा तो प्रीत मुस्कुराते हुए बोला 'तभी तो आप दुनिया की बेस्ट मासी हो।आप रुकिए मैं खुद से ले लूंगा' कहते हुए प्रीत चित्रा के कमरे से चाबी लेकर शान अर्पिता के कमरे को खोलता है।कमरे के दरवाजे पर ही खड़ा होकर प्रीत पूरे कमरे का जायजा लेता है।सामने शान अर्पिता प्रीत तीनो की ही कुछ फोटोज अलग अलग साइज की लगी है।दायीं दीवार पर बचपन से लेकर बड़े होने तक की हर उम्र की शान की फोटो अर्पिता ने जो लगाई थी वो अभी भी वैसी ही लगी हुई है।एक कबर्ड, खिड़की से सटी टेबल और टेबल के ऊपर रखा सहेज कर रखा गया बेग में पैक शान का गिटार।जिसके मुहाने छोटा सा गिटार लटक रहा है।बेड के ऊपर रखे कुछ पिलो जो हल्के नीले और ग्रे दो रंगों से सजे हुए रखे है जिनके ऊपर स्माइली बनी हुई है।पूरे कमरे को शान और प्रीत दोनो की पसंद से सजाया था अर्पिता ने।जैसा सजाया था वैसा ही आज तक सबने सहेजा है।प्रीत मुस्कुराया और आगे बढ़ कर मुड़ा तो दीवार एक अर्पिता का पोस्टर अभी तक वैसे ही लगा हुआ देख वो आगे बढ़ा और पोस्टर को स्पर्श कर अर्पिता के होने एहसासों को महसूस करते हुए बोला 'लव यू मम्मा!देखा आपने,आपका प्यारा प्रीत इक्कीस वर्ष का हो गया है और तानी लगभग सोलह वर्ष की।उसके स्वभाव के बारे में तो आप जानती ही हो न।अच्छा अब मैं बाद में बात करता हूँ पहले चेंज कर लूं।फिर आराम से बैठ कर बात करता हूँ।लव यू मम्मा!'प्रीत मुड़े और कबर्ड से शान के कपड़ो में से एक जोड़ी चुन कर निकालते हुए बेड पर रख देता है।वापस पलट कबर्ड बंद की और ड्रेसिंग टेबल के सामने जाकर खड़े हो हल्का सा मुस्कुराते हुए आईना देख बोले, ' देख रहे है आप पापा,अब मैं आपकी लंबाई के जितना हो गया हूँ।बस एक इंच कम है अब इतना तो उन्नीस बीस चलता है न पापा'।और 'मेरी आँखे मासी और बड़ी दादी कहती है मम्मा जैसी है कजरारी सी, हल्की सी बड़ी।आपकी तरह मुझे भी अपने बालो से बहुत प्यार है।और आपकी तरह गिटार बजाना भी सीख लिया मैंने पापा।जो आपने सिखाया वो तो कंठस्थ है ही कुछ नया भी सीखा है।लेकिन धुन बनाना अभी भी अच्छे से नही आया।अब इतना तो चलता है न पापा'!

'हम्म बिल्कुल चलता है भाई' तानी ने दरवाजे से चहकते हुए कहा जिसे देख प्रीत बोला 'मम्मा के कपड़े लेने आई हो तो वो कबर्ड में रखे है,एक ही जोड़ी निकालना और सम्हाल कर पहनना मुझे मम्मा के कपड़ो पर स्पॉट बिल्कुल पसंद नही है समझ गयी बेटू'!

हम्म भाई जानते है हम 'इत्तू सा भी स्पॉट लगा तो रक्षक ही भक्षक बन जायेगा'।तानी हल्की सी स्माइल करते हुए बोली जिसे सुन प्रीत गंभीरता से बोला 'तानी मम्मा पापा के बारे में नो मस्ती'।मना किया था न।प्रीत ने तानी को झिड़का जिसे देख तानी अपने एक हाथ से कान पकड़ बोली 'सॉरी भाई'!

''चलो माफ किया तानी' अब तुम कपड़े ले लो और अपने कमरे में जाओ मैं कुछ देर में बाहर आता हूँ । 'ठीक है भाई' तानी ने कहा और वो मुड़ते हुए कबर्ड तक पहुंची वहां से अर्पिता की एक ड्रेस निकाल अपने कमरे में चली जाती है।उसके जाते ही प्रीत बेड पर रखे कपड़े उठाकर देखता है।उन कपड़ो से जुड़ी सारी यादें उसके सामने घूम जाती है।वो उन्हें उठा कर चेंज कर वापस से आईने के सामने खड़ा होता है।वो मुस्कुराया और अपने पास शान को खड़ा समझ उनसे बातें करते हुए बोला 'शान पापा, आपके साथ से देखो मैं भी ठीक ठाक लग रहा हूँ'।मैं भी आपकी तरह बनने की ईमानदार कोशिश कर रहा हूँ'।बातें करते करते प्रीत शान की ही तरह इमोशनल हो जाता है और धीरे धीरे कहता है,'मैं आप दोनो को बहुत याद करता हूँ, मुझे आपके और मम्मा के रिश्ते के बारे में ज्यादा नही पता है लेकिन सभी कहते है कि आप दोनो का रिश्ता सबसे अनोखा था।सबसे पावन था।आप दोनो दूर रहकर भी हमेशा पास थे।आप तो जानते ही है बचपन की थोड़ी बहुत यादें ही मेरे पास मम्मा की।मेरे मन में मम्मा के बारे में जानने की बड़ी इच्छा होती है पापा। मैं उन्हें आपके नजरिये से देखना चाहता हूँ,मैं जानना चाहता हूँ मेरे मम्मा पापा का रिश्ता कैसा था। यहां सब लोग क्यों उनके याद करते ही दुखी और उदास हो जाते हैं।क्यों आप हमेशा कहते है कि आपको बेस्ट मेरी मम्मा ने बनाया है।साढ़े छ वरस की उम्र में मैंने उन्हें खो दिया था।मेरे कानो में अब भी मम्मा के शब्द गूंजते है।उनका वो दर्द से भरा चेहरा और उनके कहे अंतिम शब्द मैं भूल ही नही पाया हूँ पापा।।बहुत याद आती है मुझे आप दोनो की बहुत।बोलते बोलते प्रीत की आँखे भीग गयी और शब्द मौन हो गये वो कुछ देर के लिए अर्पिता के सामने जाकर खड़े हो गये। कुछ देर यूँ ही एकटक ताकते रहने के बाद प्रीत का भावुक मन शांत हुआ तो वो मुंह धुल कर सबके पास बाहर चला आता है।प्रीत को देख शोभा शीला परम तीनो मुस्कुराये और बोले 'आज तो प्रीत कुछ विशेष जंच रहा है।बिल्कुल अपने पिता की तरह'! किसी की नजर न लगे बच्चे को।।शीला जी उठी और दोनो हाथो से प्रीत की बलाये उतार कर मुस्कुरा दी।
'नॉट फ़ेयर दादी मां!सबने भाई को नोटिस किया और हमे किसी ने नोटिस ही नही किया हमे भूल गये'।पीछे से थोड़ी सी ढ़ीली ढाली लोंग फ्रॉक सूट पहने खड़ी हुई तानी बोली।उसने गुस्से में अपने दोनो हाथ कमर पर रख रखे थे।और तीखी नजरो से वहां मौजूद सबको घूर रही थी।आवाज सुन प्रीत मुड़ा और अपना फोन निकाल कर नीचे बैठ उसकी एक सुन्दर सी फोटो क्लिक करने लगा जिसे देख तानी गुस्सा छोड़ एक दम से मुस्कुराने लगती है।और पोज देते हुए फोटो क्लिक कराती है।कुछ फोटोज क्लिक कराने के बाद वो आगे बढ़ी और प्रीत के हाथ से फोन लेकर फोटोज देखते हुए बोली, 'लग रहे है हम बिल्कुल अपने पापा की परी' देखो उनके जैसी आँखे है हमारी,और मुस्कान भी हमारे पापा जैसी और रंग भी हमारे पापा का दिया है कान्हा जी ने सो स्वीट..!लव यू पापा।तानी ने कहा तो उसे खुश देख प्रीत मुस्कुरा दिया और आकर शीला जी के पास बैठ गया।प्रेरणा, प्रियांश,आर्य रक्षित समर्पिता सभी एक कमरे में बैठे हुए गप्पे लड़ा रहे है वहीं प्रीत तानी और चित्रांश तीनो सबके पास मौजूद हैं।सबको खुश देख प्रीत शीला जी से अपनी मां के बारे में पूछते हुए बोला, 'दादी मां मुझे मम्मा के बारे में कुछ और बताओ मुझे उनके बारे में सब जानना है'।प्रीत को सुन शीला जी के चेहरे पर फैली मुस्कुराहट गायब हो गयी और मन में दुख के साथ उसकी बातें और यादें दोनो गूंज गयी।वो धीरे धीरे चश्मे को हटा भीगी आँखे साफ करते हुए बोली 'मैं क्या बताऊं तुम्हे उसके बारे में प्रीत लगभग तीन साल के सफर में हम मुश्किल से चार महीने ही साथ रह पाये।जाने कैसा किस्मत का लिखा था वो हमेशा कहती थी मां बस ये पढ़ाई खत्म हो जाये फिर हम सब नये घर में साथ साथ रहेंगे।साथ रहने का वो दिन कभी नही आया।।इतने साल हो चुके है उसे गये लेकिन मन ने उसे एक दिन के लिए भी नही बिसराया।न जाने क्या बात थी उसके व्यक्तित्व में कुछ भी जतन करके अड़ कर,रूठ कर, झुक कर कभी प्यार से तो कभी मनुहार से अपनी बात मनवा ही लेती थी'।

शीला जी की आंखों में नमी देख प्रीत उठते हुए बोला,रहने दो दादी मां मैं बाद में फिर कभी जानूँगा मां के बारे में!अभी मैं अपने बड़े भाइयो के पास जाता हूँ आप तब तक मेरा फेवरेट हलवा बनाओ।मैं चला कहते हुए प्रीत सोफे से ही दूसरी ओर कूद आर्य प्रेरणा के पास कमरे में दौड़ गया।।लेकिन जाते जाते अपनी हरकत से शीला जी के चेहरे पर मुस्कान छोड़ दी।आगे कुछ दूर जा कर वो पलटा और शीला जी को देख मुस्कुराया और वहां से तुरंत कमरे में बढ़ गया।चित्रा और राधु दोनो उसकी ये हरकत देख लेती है।राधु बोली 'चित्रा ये सब इसने जानबूझ कर किया ताकि चाची जी दुखी न हो'।

'हां राधु!ये बचपन से ही ऐसा है।खुद अकेले अकेले तकलीफ सह लेगा लेकिन सबके चेहरो पर मुस्कान लाने में कोई कसर नही छोड़ेगा।बहुत याद करता है ये अर्पिता को।अपनी मां के बारे में जानने के लिए कितना लालायित रहता है ये हम सब जानते हैं।जब भी होस्टल से आयेगा तो हर तीसरे दिन अर्पिता की बात छेड़ ही देगा और फिर थोड़ा सा जान कर बात को वहीं बीच में छोड़ चला जाता है।कभी कभी तो मुझे लगता है कि इसे अब इसे प्रशांत जी की डायरी ही दे दूँ जिसके हर पन्ने पर इसकी मां का ही जिक्र है।शायद तभी अपनी मां को जानने की ये तड़प इसकी ये बैचेनी शांत हो जाये।तानी तब बहुत छोटी थी उसे तो अर्पिता याद भी नही है।लेकिन ये तो गॉड गिफ्टेड हैं इनकी मेमोरी पावर भी बहुत अच्छी है अर्पिता से जुड़ी लगभग वो सभी बाते याद है इन्हें जब ये मसूरी से वापस सबके पास आये थे।सबके इमोशन्स को समझता है ये लेकिन इसके इमोशन्स को हम दोनो समझकर भी अंजान बन जाती है।क्यों राधु'? ये दर्द इस बच्चे के भाग्य में ही क्यों?नाम प्रीत है तो इसका स्वभाव भी प्रीत ही जैसा हो गया है।सबके दुख चुरा लेगा और खुशियां भर देगा।चित्रा ने कहा।।तानी जो वहीं खड़ी हो फोटो देख रही होती है वो फोन रख प्रीत को फोन लौटाने के लिए देखती है लेकिन जब प्रीत को वहां नही पाती है। तो चित्रांश से प्रीत के बारे में पूछती है।
चित्रांश उसे आर्य के पास जाने को कहता है तो तानी तेज कदमो से उस ओर बढ़ जाती है।

चित्रा की बात सुनकर राधिका धीरे से बोली , ' हम कौन सा प्रीत को हमेशा के लिए डायरी देने से मना कर रहे है हम तो बस इतना चाहते है न कि वो एक बार यहीं शिफ्ट हो जाये तब उसे डायरी देंगे जिससे हम सभी भी उस डायरी के बारे में जान सके।।ये पता कर सके कि आखिर उन दो डायरियों में प्रशांत भाई ने लिखा क्या था।कैसे उन्होने अपने एहसासों को लफ्जो में समेट लिया।अर्पिता से जुड़े उनके एहसासो को हम भी महसूस करना चाहते हैं'।बस।

वहीं इतना धीमा बोलने पर भी चित्रांश ये बात सुन लेता है और वो वहां से उठकर प्रीत के पास जाकर उसके कानो में धीमे से बोला, ' भाई अभी अभी एक सीक्रेट बात पता चली है,मुझे मेरी पसंद की ट्रीट देने का प्रोमिस करो तो मैं बताऊं'।चित्रांश की बात सुन प्रीत हंसते हुए धीमे से बोले ,'कोई सीक्रेट बात नही भी होती तब भी मैं तुम्हे यूँ ही ट्रीट दे देता चित्रांश चलो बताओ क्या सीक्रेट है टेल मी टेल मी'।

चित्रांश बोला 'मम्मा ने न प्रशांत अंकल की दो डायरी अपने पास रखी हुई है जिनमे आपकी मम्मा के बारे में ही लिखा है' ऐसा अभी मम्मा ने बताया।आप हमेशा ही सबसे पूछते रहते हो तो मुझे लगा मैं ही आपको पहले बता देता हूँ'जिससे आप मुझे ट्रीट दो।

चित्रांश की बात सुन प्रीत के मन में कई प्रश्न उठे लेकिन सामने लगभग बारह तेरह साल का बच्चा है वो क्या कहेगा ये सोच उसने खुद की भावनाओ को चेहरे पर आने से रोका और हंसते हुए बोला, ' मैं जानता हूँ चित्रांश,लेकिन उनमे कुछ विशेष नही लिखा है।ठीक है तुम अब जाओ और तानी के साथ खेलो।ठीक है।

'ओके भाई' चित्रांश ने कहा और वहीं बाकी सबके साथ बैठकर सबकी बातें सुनने लगता है।
वहीं प्रीत चित्रांश की बातों से थोड़ा सा परेशान हो जाता है।वो वहां से उठकर बाहर चला आता है और बिन किसी से कुछ कहे शान के कमरे में चला जाता है।कुछ देर वहीं शांति से बैठ जाता है।

चित्रा और शीला दोनो प्रीत को उदास सा जाता हुआ देखती है तो उसके पीछे चली आती है।प्रीत को कमरे में गिटार के साथ खेलते देख दोनो उसके सामने आकर बैठ जाती है।बच्चे को उदास देख मां को अच्छा कैसे लगता वो उसके चेहरे पर हाथ रख बोली , 'क्या हुआ बच्चा, उदास हो?
प्रीत बोला, 'दादी मां, मुझे पता है आप लोग नही चाहते हो कि मैं अपनी मां के बारे में जानूँ।लेकिन मेरा बहुत मन होता है अपनी मां के विषय में जानने का।और एक आप लोग है जिनके पास मेरे पापा की डायरी है लेकिन फिर भी आप लोग मुझे देना नही चाहते हो।अब इसका अर्थ तो यही हुआ कि आप लोग मुझे नही बताना चाहते हो'।कहकर प्रीत चुप हुआ और फिर से गिटार ट्यून करने लगा।।

प्रीत की बाते सुन चित्रा और शीला दोनो बोली, 'ऐसा नही है बच्चे, हम सब चाहते है कि आप अपने नजरिये से अपनी मां को जाने लेकिन क्या है न हम सब आपके यहीं शिफ्ट होने का इंतजार कर रहे हैं।फिर हम सब भी तुम्हारे जरिये उन गुजरे हुए पलों की एक बार फिर से रूबरू होना चाहेंगे समझे।

प्रीत कुछ देर शांत हुआ और बोला, 'तो आपने अब तक उसे खोला भी नही क्यों?

चित्रा बोली क्योंकि हम सब आपके जैसा दिखावा नही कर सकते प्रीत।इसीलिए वैसी ही सहेज कर रखी हुई है।।मासी, कहते हुए प्रीत चित्रा के गले लग गया और बोला 'तो नेक काम में देरी क्यों?वैसे भी अभी मैं पंद्रह दिन तक फ्री हूँ आराम से एक एक एहसासों को महसूस करते हुए अपने मां पापा के रिश्ते को समझूँगा।।आप प्लीज मुझे मेरे पापा की वो डायरी लाकर दे दीजिये,प्लीज मासी'। प्रीत ने इस तरह मासूम सा उदास फेस बनाकर कहा जिससे चित्रा मना ही नही कर पाई।उसने शीला जी की ओर देखा तो शीला जी उठी और प्रशांत की कबर्ड के सीक्रेट हिस्से को मोड़ कर सामने किया और एक पॉलीबैग के अंदर सहेज कर रखी हुई दो डायरी एक पायल और एक घड़ी रखी हुई है।वो सब उठाकर प्रीत को लाकर देते हुए कहती है ये रही आपके पापा की कुछ अनमोल यादें जिनका सम्बन्ध आपकी मां से है।आप इन्हें समझना महसूस करना लेकिन आपकी बड़ी मां से शेयर मत करना नही तो हमारी डांट लगनी तय है।न जाने क्या है तुम्हारी आवाज में सबसे बातों से ही अपना काम बनवा लेते हो।शीला जी ने कहा तो प्रीत गिटार रख उठाते हुए शीला जी के गले लगते हुए बोला आप दुनिया की सबसे बेस्ट दादी हो।और आप बड़ी मां से मत डरो उन्हें पता चला तो मैं उनसे बात कर उन्हें मना लूंगा।ठीक है लेकिन आप बस प्यारी सी स्माइल करो।हम्म कहते हुए शीला जी मुस्कुराती है तो प्रीत भी मुस्कुरा देता है।प्रीत के चेहरे पर मुस्कान देख चित्रा खड़ी होते बोली तो प्रीत आप अब आराम से अपनी मां के बारे में जानिए हम दोनो बाहर जाकर बैठते है क्योंकि आपकी बड़ी मां को अभी पता नही है कि आपको डायरी के बारे में पता लग चुका है।समझ रहे है आप!

हम्म मासी समझ रहा हूँ।।प्रीत ने कहा तो दोनो कमरे से बाहर चली आई!

क्रमशः....!