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कर्मफल

खेत में गेहूं काटने का समय था ।प्रतिदिन खेतों में किसान गेहूं काटते और इकट्ठे करके खेत में ही रख दिया करते ।जब खेत में गेहूं पड़े होते तो चूहे बहुत ही आनंद से खाते और बिलों में घुस ज़ाया करते ।वहीं खेत में एक सॉंप छिप कर रहता उसका भोजन चूहा था ,जब भी उसे मौक़ा मिलता वह चूहे पर झपट्टा मारता और खा लेता ।

सॉंप का प्रिय भोजन उसे प्रतिदिन मिल जाता वह बड़े ही चाव से खाकर छिप ज़ाया करता।

एक दिन सॉंप चूहा खाकर जैसे ही छिप ने वाला था,बाज की नज़र उस पर पड़ गई ।बाज का भोजन सॉंप था उसने जल्दी से झपट्टा मारा और सॉंप को अपने पंजे में दबाकर उड़ान भरने लगा ।

जिस बस्ती से वह उड़ान भर कर निकल रहा था,वहाँ के राजा ने बहुत से ब्राह्मणों को भोजन करने के लिए आमंत्रित किया था ।वहीं पर सबके लिए भोजन तैयार हो रहा था ।

सॉंप को मुँह में दबा कर बाज जा रहा था तो सॉंप छटपटाहट में अपना वचाव करने के लिए अपने मुँह से ज़हर निकाल रहा था ।वह ज़हर राजा के यहाँ बनते हुए भोजन में गिर गया ।गिरते हुए ज़हर पर किसी रसोइये की नज़र नहीं पड़ी ।

खाना तैयार हुआ तो सभी ब्राह्मण भाइयों ने बड़े प्रेम से भोजन गृहण किया ।सभी ब्राह्मणों को बेहोशी होने लगी और सबकी मृत्यु हो गई ।भोजन में ज़हर था लेकिन किसी को भी जानकारी नहीं थी ।सभी असमंजस में थे कि यह सब कैसे हो गया ।

धर्मराज भी बड़ी ही दुविधा में थे कि दोषी किसे माना जाए और सजा किसे दी जायें ।

चूहे का काम पेट भरने का था तो वह गेहूं खाकर पेट भर के तृप्त हो गया ।

सॉंप का भोजन चूहा है तो वह उसे खाने के लिए झपटा और खाकर तृप्त हो गया ।

बाज का पसंदीदा आहार सॉंप था तो वह अपने भोजन को ले जा रहा था और खाकर तृप्त होना चाहता था ।

सॉंप अपने बचाव की कोशिश करते हुए ज़हर उगल रहा था और वह भोजन में गिर गया ।वह नहीं जानता था कि वहाँ भोजन बन रहा है, अपना बचाव करना कोई ग़लत बात नहीं ।

रसोईये अपने राजा की आज्ञा से भोजन बना रहे थे ।वह उनका काम था, उन्हें सॉंप के ज़हर की जानकारी नहीं थी ।

राजा ने ब्राह्मणों को निमंत्रित किया था इसलिए प्रेम से सबको भोजन कराया ।

ब्राह्मणों को राजा ने निमंत्रण दिया था इसलिए भोजन कर रहे थे ।

धर्मराज को किसी की भी गलती नहीं दिखाई दे रही थी,क्योंकि सभी अपना-अपना काम कर रहे थे ।भोजन में ज़हर की बात किसी के भी संज्ञान में नहीं थी ।

राजा से मिलने के लिए दूर देश से एक ब्राह्मण किसी कार्य के लिए आये।वहॉं राजा के महल से कुछ दूरी पर ब्राह्मण को एक महिला मिली ।उन्होंने उन महिला से कहा—मुझे राजा से मिलना है, आप मुझे उनका महल कहॉं है बता दीजिएगा ।

महिला ने कहा— आप कौन है कहॉं से आये हैं?
ब्राह्मण ने बताया— मैं ब्राह्मण हूँ राजा से मिलने किसी काम से आया हूँ ।

महिला ने कहा— आप राजा से मत मिलियेगा क्योंकि राजा तो सभी ब्राह्मणों को मार देते हैं ।वह आपको भी मार देंगे ।

वह ब्राह्मण राजा से बिना मिले ही चले गये — लेकिन धर्मराज को सजा देना बहुत ही आसान हो गया ।

उस महिला को दोषी मानते हुए धर्मराज ने सजा दी।
सारी बात की जानकारी के बिना उस महिला ने राजा को दोषी बना दिया,जबकि राजा को ज़हर के बारे में जानकारी नहीं थी ।

पूरी जानकारी के बिना किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता ।महिला को कर्मफल मिल गया ।

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