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हौसला - बाल कहानी



चार वर्ष का माधव अपनी मॉ से अनेक सवाल करता रहता था ।माधव शहर में रहता था और उसे गाँव के बारे में जानकारी करने की सदैव जिज्ञासा बनी रहती थी।


माधव की मॉं को किसी आवश्यक कार्य में गॉंव जाना हुआ तो वह अपने साथ माधव को भी ले गईं ।


माधव बहुत खुश था कि आज मैं गॉंव की सैर करूँगा।माधव को गॉंव शहर से बिलकुल अलग लगा,जब वह मॉं के साथ जा रहा था उसने देखा कच्चे रास्ते पर दोनों तरफ़ बहुत ही हरियाली है ।


माधव जब दादी के घर पहुँचा तो उसने वहाँ गाय भी देखी जिसका दूध उसके चाचा जी निकाल रहे थे।देखते ही देखते दूध की पूरी बाल्टी भर गई ।

उसकी दादी ने उसे गर्म करके दूध दिया तो उसे बहुत ही स्वादिष्ट लगा ।रात को चाची जी ने चूल्हे पर लकड़ी जलाकर भोजन पकाया,सबने एक साथ भोजन किया और सोने चले गये ।माधव की चाची की एक ग्यारह वर्ष की बेटी थी मोनिका,वह प्रत्येक दिन दादी से कहानी सुना करती थी।सोने से पहले दोनों ने कहानी सुनी।


माधव को बहुत ख़ुशी हो रही थी वह दीदी के साथ ही खेलने लगा ।


मोनिका के सुबह उठी और माधव को भी जगाया ।दोनों ने दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर सुबह का जलपान किया ।चाचा जी बाल्टी में गाय का दूध निकाल कर ले आये चाची जी ने वह चूल्हे पर गर्म किया और दोनों को पीने के लिए दिया ।उसे दूध बहुत ही स्वादिष्ट लगा,पसंद भी था तो गटागट पी गया ।


सुबह का जलपान करने के बाद दोनों बहिन भाई आँगन में खेलते रहे ।


माधव को और भी चीज़ें देखने की जिज्ञासा थी वह मोनिका से बोला—दीदी और कुछ भी दिखाओ —तो मोनिका अपने खेतों की तरफ़ उसे ले गई ।खेत घर से कुछ दूरी पर थे ,माधव चलते-चलते थक गया था उससे चला नहीं जा रहा था ।


वह एक जगह बैठ गया ,मोनिका ने उसे गोद में उठा लिया और चलने लगी ।रास्ते में मनोहारी दृश्य देख कर वह बहुत खुश था ।

जब वह जा रहे थे रास्ते मे गॉंव के ही ताऊजी मिले वह—बोले,बेटी थकान नहीं हो रही तुम्हें.....मोनिका तभी बोली—ताऊजी यह मेरा भाई है ।भाई को उठाने में कैसी थकान ।


वहॉं अपने खेत दिखाते हुए मोनिका,माधव को कूएँ के पास ले गई ।वहॉं उसने दिखाया कि कूएँ से कैसे बाल्टी और रस्सी से पानी निकालते हैं और निकाल कर भी दिखाया।


यह सब देख कर माधव बहुत रोमांचित हो रहा था,तभी पास में कूएँ पर बहुत सारे पीपे जुड़े हुए रखें दिखाई दिये उसने पूछा—दीदी यह क्या है ?मोनिका ने बताया जब खेतों में पानी देते हैं तो बैलों को इसमें जोड़ कर चलाते हैं ।एक साथ बहुत सारा पानी पीपों के द्वारा आता है फिर खेत में जाता रहता है ।इसे हम रहट कहते हैं ।


यह सब देख कर वह खेतों की ओर जा रहे थे तो मोनिका का पैर रस्सी में उलझा और वह अचानक कूएँ में गिर गई ।


माधव ने पीछे मुड़कर देखा कि दीदी गिर गई ।वह घबरा गया इधर-उधर आसपास देखा कोई नहीं दिखाई दिया ।उसने चिल्लाना शुरू किया कोई हो तो हमारी सहायता कीजिए ।वहॉं कोई भी नहीं था।


अब माधव को ही कुछ करना था उसने रस्सी उठा कर कूएँ में डाल दी और चिल्लाने लगा दीदी इसे पकड़ लीजिए।मोनिका ने रस्सी को कस कर पकड़ लिया ,घबराहट दोनों को थी।


मोनिका ने रस्सी पकड़ी और माधव ने पूरा ज़ोर लगा कर खींचा,खींचता रहा....खींचते हुए बहुत दम लगाना पड़ा क्योंकि मोनिका तो बड़ी थी वजन भी अधिक था।रस्सी खिंचते-खिंचते ऊपर आ गई मोनिका भी बाहर निकल आई।


दोनों घबराये हुए थे और घर जाकर पूरी बात बताई ।घर पर किसी को विश्वास ही नहीं हुआ ।कैसे चार वर्ष का बालक ग्यारह वर्ष की बालिका को बाहर निकाल सकता है।


गॉंव के कुछ लोगों ने चर्चा का विषय बना डाला तो किसी ने बच्चों पर ऊपरी हवा का प्रकोप बताया ।

गॉंव में चर्चा होते होते सरपंच जी के पास पहुँचे तो उन्हें भी विश्वास नहीं हुआ ।

एक बुजुर्ग वहॉं आये तो उन्होंने कहा ——
जहॉं यह घटना हुई वहाँ बच्चों से कोई यह कहनेवाला नहीं था कि तुम नहीं कर पाओगे ।जो भी उसकी समझ में आया किया ।कोई वहॉं हौसला गिराने वाला नहीं था स्वयं की सूझबूझ से और हिम्मत से करना था सो हो गया ।यद्यपि कोई कहने वाला वहाँ नहीं था कि तुम से नहीं होगा और उनसे हो गया ।


कुछ कार्य ताक़त से नहीं हौसले और हिम्मत से हो जाते हैं ।

आशा सारस्वत




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