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विदुषी

आज आपको छोटी सी गुड़िया विदुषी की बातें बताते हैं जो कि अपनी स्कूल अध्यापिका से बहुत लगाव रखती है ।बात उन दिनों की है जब हर घर में मोबाइल या लैंडलाइन नहीं हुआ करते थे।विद्यालय में ग्रुप फ़ोटो की तैयारी हो रही थी।वंदना होने के बाद ही माइक पर बता दिया गया था कि फ़ोटोग्राफ़ी के लिए फ़ोटोग्राफ़र भैया आनेवाले है ।सभी बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थी अपना विद्यालय वेष सही करके तैयार रहें ।छोटी कक्षाओं की सूचना उनकी अध्यापिका (दीदी) को दे दी गई थी।
तीन दिन पहले ही छोटे बच्चों की दैनन्दिनी (डायरी)में दीदी ने लिख दिया था और सबको समझाया था कि रविवार के अवकाश के बाद सोमवार को जब विद्यालय खुलेगा ,तब सब की फ़ोटो ली जायेगी सभी कक्षा के बच्चों के साथ ।


सभी को दीदी ने बताया था कि पूरा साफ़-सुथरी विद्यालय वेशभूषा में आना अनिवार्य है।सभी ने अपने घर जाकर बताया और डायरी दिखा दी थी।छोटी गुड़िया विदुषी ने भी अपनी डायरी अपनी मॉं को दिखाई ।


रविवार को विदुषी की बुआजी को ससुराल वाले लेने आ रहे थे, मॉं पिता जी ने बताया कि हम गाँव जा रहे है ।सभी को जाना है गॉंव में मेहमान आयेंगे बुआजी को लेने ।जब मेहमान चले जायेंगे तब हम सब लोग भी वापिस आ जायेंगे।


जाना आवश्यक था इसलिए सभी गॉंव गये वहाँ जाकर बहुत अच्छा लगा ।जाने के बाद विदुषी ने अपने दादाजी,दादीजी को प्रणाम किया ।घर में सभी को यथा योग्य अभिवादन किया ।


गॉंव में ताऊजी ताईजी भी रहते थे उनके बच्चों के साथ विदुषी खूब खेला करती थी ,इस बार भी उसने भाई-बहनों के साथ खूब खेलों का आनंद लिया ।


गॉंव में ही बच्चों के साथ बाहर खेलने गई उसे बहुत आनंद आया ।प्रत्येक रविवार को सभी बच्चे दौड़ का कार्यक्रम बनाया करते थे।आज भी सुबह दस बजे का कार्यक्रम बनाया ।


पहली दौड़ जलेबी दौड़ थी जिसमें एक तरफ़ जलेबी बांध दी थी ,दौड़ते हुए वहाँ पहुँच कर मुँह से जलेबी तोड़ने के बाद लौट कर आना था।यह देखकर विदुषी को बहुत अच्छा लग रहा था ।जो बच्चे दौड़ में जीत रहे थे बहुत ख़ुश थे।


दूसरी दौड़ नींबू दौड़ थी जिसमें एक चम्मच को मुँह में पकड़ कर उसमें नींबू रखकर तेज़ी से चल कर निर्धारित स्थान पर पहुँचना था ।यह दौड़ मुश्किल थी शुरू में ही कुछ बच्चों की चम्मच से नींबू गिर गया वह दौड़ से बाहर हो गये।सधें हुए कदमों से तेज चलकर ताऊजी के बेटे ने प्रथम स्थान पाया।
विदुषी को बहुत ख़ुशी हुई।


तीसरी दौड़ थी जिसमें 50 मीटर तक दौड़ कर वहाँ संतरे रखे थे दोनों हाथों में लेकर दौड़ना था ,दौड़ यह भी कठिन थी ।जिन बच्चों ने भाग लिया था वह पूरी तरह से तैयार थे।
पहला स्थान इस दौड़ में विदुषी के पड़ौस में रहने वाले भैया राजीव को मिला ।

विदुषी को यह सब देखकर बहुत ख़ुशी हो रही थी।घर पर मेहमान आने वाले थे इसलिए भैया ने कहा-अब चलो सब लोग घर चलते है ।


घर पर मेहमान आ चुके थे और खाने पीने की तैयारी हो रही थी ।बच्चों ने भी सबके साथ मिल कर भोजन किया ।


मेहमान और बुआजी चले गये,उनके जाने पर शाम हो गई थी।अब रात को सभी बच्चों ने दादी जी से कहानी सुनीऔर सो गये।


सुबह उठकर सबने शहर जाने की तैयारी की और सबसे प्रणाम करके विदा ली ।विदुषी को आज विद्यालय जाना था ,विद्यालय पहुँचने की चिंता थी।


घर से तो समय से निकल गये थे लेकिन बस देर से आई।


विद्यालय में दीदी ने रिक्शावाले भैया को भेजा कि विदुषी क्यों नहीं आई तो उन्होंने जानकारी दी कि वह गॉंव गई है।


फ़ोटोग्राफ़ी वाले भैया जी आ गये तो पहले छोटी कक्षाओं की फ़ोटोग्राफ़ी हुई।नंबर से सभी कक्षाओं की होने के बाद फ़ोटोग्राफ़ी वाले भैया जी जाने वाले थे तभी विदुषी अपने पिताजी के साथ विद्यालय आई।


दीदी ने बताया कि अब तो फ़ोटोग्राफ़ी हो गई आप लोग देर से आये है ।विदुषी को बहुत रोना आया और दीदी के पास जाकर रोने लगी ।

दीदी से बोली—-मुझे आपके साथ ही फ़ोटो खिंचानी है ।विदुषी को रोते देखकर प्रधानाचार्य जी ने इजाज़त देदी।
दीदी के साथ उसे बहुत अच्छा लगा ।
आशा सारस्वत

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