कर्ण पिशाचिनी - 7 Rahul Haldhar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कर्ण पिशाचिनी - 7

भाग - 2


" भाई और कितनी देर तक सोएगा । इससे पहले मैंने किसी को भी ऐसा नहीं देखा । अपने शादी के दिन कौन दोपहर तक सोता है । उठ जा ।"

" उफ्फ दीदी , हट जाओ थोड़ा और सो लेने दो । "

" लगता है कल भी पूरी रात तू ममता के साथ फोन पर लगा था । आज के बाद तो पूरी जिंदगी के लिए.... "

" नहीं दीदी , कल ज्यादा बात नहीं हुई । असल में सिर थोड़ा भारी था इसीलिए नींद नहीं आ रही थी । "

उन दोनों के बातों के बीच आशुतोष यानि विवेक के जीजाजी ने आकर उसके दीदी आकांक्षा को बुलाकर ले गए । विवेक ने फिर से अपनी आंखों को बंद किया लेकिन नींद नहीं आई । पिछले कुछ दिनों से उसके जीवन में जो कुछ भी हो रहा है उससे नींद उड़ना लाजमी है । हालांकि उसके दोस्त सत्यम ने कहा है कि शादी से पहले ऐसा होता है । ममता से तो उसका रिश्ता तीन साल पुराना है । उसकी गर्लफ्रेंड है लेकिन उसे भी यह अलौकिक घटना बताने से विवेक को कुछ तो रोक रहा है । और आज शादी के दिन ऐसी बातें करके उसकी खुशियों पर पानी फेरने से कुछ भी अच्छा नहीं होगा । जबरदस्ती सभी बातों को दिमाग से निकाल वह बीते दिनों के ख्यालों में खो गए ।

विवेक बहुत ही अद्भुत तरीके से एयरपोर्ट पर ममता से मिला था । लेकिन साल भर पहले वैलेंटाइंस डे के दिन अचानक जो घटना घटी थी उसकी व्याख्या विवेक आजतक नहीं कर पाया । ममता साइंस की स्टूडेंट व टीचर है इसीलिए उसने भी इस पर विशेष ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। लेकिन पिछले कुछ दिनों से जो भयानक चीजें हो रही है उसके साथ विवेक को बीते दिनों के घटनाओं का मिलन स्पष्ट दिख रहा है । उन बातों को सोचते ही उसके शरीर का रोम रोम खड़ा हो गया ।
कहीं तो यह घटनाएं एक दुसरे से मिल रही है । लेकिन विवेक ने इस बारे में पहले इतना नहीं सोचा था । विवेक बिस्तर पर उठकर बैठ गया । इस नवंबर महीने में भी उसके माथे पर पसीना दिखने लगा । विवेक नहीं जानता था कि उसके जीवन में आगे कौन सी आंधी आने वाली है ।

विवेक थोड़ा शर्मिला और शांत स्वभाव का है और ममता
इसके ठीक उलट लेकिन वह बहुत ही इंटेलिजेंट व मैच्योर है । उन दोनों के रिलेशन में दिन तो बीते हैं लेकिन रिलेशनशिप इतना डीप नहीं है । इसमें विवेक को कहीं थोड़ा परेशानी है और इसे ममता समझती भी है । शायद विवेक थोड़ा विनम्र परिवार का लड़का है इसीलिए अपने मन के बातों को जबान पर नहीं लाता । इससे मन ही मन ममता को खुशी हुई आजकल ऐसा लड़का क्या कहीं मिलता है ।
विवेक के इन दिमागी परेशानियों के पीछे अतीत में एक घटना है । ममता से पहले विवेक के जीवन में कोमल आई थी । वह दोनों एक ही साथ पढ़ते थे । एक साथ कोचिंग जाते व पास बैठते । दोस्ती को पीछे छोड़कर कब वह दोनों प्यार में पड़ गए उन्हें खुद भी नहीं पता था ।
एक दिन बहुत ही क्लोज मोमेंट में जब वो दोनों एक दूसरे के बहुत करीब थे तब विवेक के साथ एक भयानक घटना घटी । उस वक्त विवेक को अनुभव हो रहा था कि उसके पीठ पर नाखून चुभ रहा है । उससे विवेक को तेज दर्द भी हो रहा था । पहले उसने सोचा कि यह कोमल के नाखून हैं लेकिन दर्द धीरे-धीरे असहनीय होता जा रहा था ।
उसने कोमल को एक बार मना किया लेकिन कोमल मानो कुछ भी नहीं सुन रही । एक वक्त दर्द सहन न कर पाने के कारण वह कोमल को धक्का देकर अपने से दूर हटाना चाहा लेकिन वह सफल नहीं हुआ । कोई उपाय न सूझकर उसने कोमल के बालों को पकड़कर हटाना चाहा और उसी वक्त उसने वह भयानक दृश्य को अनुभव किया । कोमल के बालों को पकड़ते वक्त विवेक की उंगलियां उसके सिर में धंस गई मानो खोपड़ी में कोई हड्डी ही नहीं है । अपनी उंगलियों को निकलकर देखा तो उसपर दुर्गंध वाली लाल - काला चिपचिपा कुछ लगा हुआ था । विवेक खुद को कोमल से छुड़वाना चाहता था लेकिन वह किसी भी तरह इसमें सफल नहीं हो रहा था । इसके बाद कुछ विभत्स दृश्य अभी बाकी थे ।
कोमल ने अचानक उसे छोड़ दिया और एक भयानक आवाज में हंसने लगी । विवेक ने स्पष्ट देखा था कि कोमल की पुतलियाँ पूरी तरह सफेद हो गई है । यह दृश्य और न देख पाने के कारण वह बेहोश हो गया ।
जब उसने आँख खोला तो देखा कोमल और उसके घर के सभी लोग उसके पास खड़े हैं । लेकिन कोमल पूरी तरह स्वाभाविक थी । विवेक ज्यादा कुछ बोले बिना ही वहाँ से निकल गया था । उसी दिन के बाद कोमल को उसने अनदेखा करना शुरू कर दिया । इसके बाद फिर ब्रेकअप लेकिन विवेक ने उस दिन की घटना को किसी से भी नहीं बताया । वह जानता था कि इस पर कोई भी विश्वास नहीं करेगा क्योंकि विवेक को खुद ही इसपर विश्वास नहीं हो रहा था । शायद यह कोई डरावना सपना था । और इसी वजह से ममता के साथ रिश्ता बनाने में उसे कुछ खटका लगा । कुछ तो है जो उसे रोक रहा है । कहीं यह उसका कोई मेंटल बीमारी तो नहीं है ?
विवेक के दोस्त अपने गर्लफ्रेंड के बारे में बातें करते लेकिन विवेक केवल बैठकर हँसता रहता ।
उसके दोस्त उसे बोलते , " भाई तुम साधु होने के लिए पैदा हुए थे । ये प्यार और शादी - वादी तुम्हारे लिए नहीं है । "
सच है , न जाने कब की घटना वह भी सही है या नहीं क्या पता । उसे सोचकर अपने लाइफ को क्यों खराब करना ।

वैलेंटाइंस डे आने वाला है इसीलिए विवेक ने ममता के लिए अपने घर पर एक डेट अरेंज किया । उस दिन विवेक के माता-पिता घर पर नहीं रहेंगे इसीलिए विवेक ने यह अपने घर ही सेलिब्रेट करना चाहा । लेकिन विवेक ने नहीं सोचा था कि सरप्राइस ममता नहीं वह खुद हो जाएगा ।
विवेक ने रूम को अपने मन मुताबिक सजाया था । हार्ट शेप के गुब्बारे , खूबसूरत फूलों से भरी फूलदानी व हल्के fairy light ने पूरे रूम को रोमांटिक कर दिया था । म्यूजिक सिस्टम में ममता के पसंद वाला गाना चल रहा है । पास ही रेड वेलवेट केक , एक वाइन की बोतल और दो कांच की ग्लास से एक टेबल को सजाया गया है । मतलब देख कर कहें तो डेट के लिए यह एकदम परफेक्ट अरेंजमेंट है । अब केवल ममता के आने की प्रतीक्षा है ।
अपने वक्त पर ममता आई और वह आज देखने में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी । यह शाम दोनों के लिए बहुत ही अच्छे से बीतता रहा । रात बढ़ने के साथ-साथ थोड़ा वाइन का नशा भी उन दोनों पर छाने लगा ।
उसी वक्त अचानक ममता धीरे से बोली ,
" आज और अभी जिमि मारा जायेगा । "
ऐसे वक्त यह सुनकर विवेक के पैरों तले मानों जमीन ही खिसक गया । वह चिल्लाते हुए बोला ,
" क्या बोला तुमने ? "
" मैंने क्या बोला , वैसे अचानक तुम्हें क्या हुआ ? "
" तुमने अभी जिमि के बारे में क्या कहा ? "
" जिमि के बारे में मैंने तो कुछ भी नहीं बोला । "
विवेक कुछ बोलने वाला था लेकिन तभी रात के सन्नाटे को चीरकर एक कुत्ते के चिल्लाने की आवाज आई ।
यह सुन विवेक दौड़ते हुए घर से बाहर गया । इसके कुछ मिनट बाद विवेक की आवाज कुछ सुनकर ममता भी बाहर आई । बाहर आकर जो विभत्स दृश्य ममता ने देखा शायद वह जीवन भर नहीं भूल पायेगी ।
जिमि , विवेक का प्यारा डॉगी । उसका सिर चिपट गया था एक तरफ के आँख और कान में कोई फर्क नहीं पता चल रहा । जिमि के प्राणहीन शरीर को लेकर विवेक उस तरफ एकटक देख रहा था ।
मेन रोड के पास ही विवेक का घर है । जिमि शायद किसी तरह गेट से बाहर रोड पर चला गया था । विवेक बार-बार बोल रहा था कि उसने मेन गेट को बंद किया था फिर जिमि बाहर कैसे गई । बाद में विवेक इस सिद्धांत पर पहुंचा कि शायद वह गेट पर ताला बंद करना भूल गया था
। लेकिन विवेक के लिए आज भी यह स्पष्ट नहीं है कि जिमि मरने वाला है यह पहले से ममता को कैसे पता था । और अगर उस दिन ममता ने यह नहीं बोला था तो फिर किसने कहा था ?
ममता ने हालांकि अपने वैज्ञानिक तरीके से कहा था कि यह आपसी प्यार या टेलीपैथी इत्यादि है ।

इसके बाद समय के प्रभाव से धीरे - धीरे मन से यह प्रश्न भी गायब होने लगा । लेकिन आज पहले के कई घटनाओं को वह एक दूसरे से जोड़ता हुआ देख रहा है ।
विवेक को याद आया कि इस घटना के बाद लगभग 1 महीने तक ममता ने उससे ठीक से बात भी नहीं किया था । विवेक किसी को जबरदस्ती खुद से बात करवाना नहीं जानता इसीलिए दोनों के बीच का रिश्ता थोड़ा कमजोर होने लगा था ।
ऐसे वक्त विवेक के मां ने ही यह सुर छेड़ा कि उन दोनों के शादी की तारीख तय किया जाना चाहिए । इससे दोनों के मुरझाये रिश्ते को पानी मिला और वह फिर जीवित हुआ ।
फिर दोनों परिवारों ने मिलकर शादी की तारीख़ को तय किया ।


उस दिन रविवार था । सुबह के वक्त हेडफोन से गाना सुनते हुए विवेक बालकनी पर खड़ा था । अचानक गाने का साउंड अपने आप धीरे होकर एक लड़की की आवाज ने विवेक के कानों को छुआ ,
" पिताजी पर मुसीबत आने वाला है । "
विवेक ने आश्चर्य होकर मोबाइल को चेक किया । नहीं म्यूजिक app ही चल रहा था फिर यह आवाज कहां से आई ।
अचानक फोन आया नंबर विवेक के पिताजी का था । विवेक ने कॉल को रिसीव किया लेकिन उधर से पिताजी नहीं कोई दूसरा आदमी बोल रहा था ।
" क्या आप विवेक बोल रहे हैं ? "
" हाँ बोल रहा हूं लेकिन यह तो मेरे पिताजी का नंबर है । "
" हाँ , यहां तुम्हारे पिताजी का एक बाइक के साथ एक्सीडेंट हो गया है । शायद उनका हाथ टूटा है । "
उसे याद आया कि पिताजी तो बाजार गए थे । इसके बाद उसे पता चला कि मोहल्ले के पास वाले चौराहे से ही फोन आया है । एंबुलेंस में अपने पिताजी को हॉस्पिटल ले जाते वक्त सब कुछ सोचकर विवेक थोड़ा आश्चर्यचकित था । लेकिन यह बात विवेक ने ममता से नहीं बताया । वह शायद फिर बोलेगी कि यह भी टेलीपैथी ही था ।

इसके बाद से ही कभी-कभी कुछ आवाजें विवेक के कानों में सुनाई देने लगी । लेकिन यह घटनाएं भयानक नहीं थी , कभी कभार इससे विवेक को फायदा भी होता था । यह आवाजें कुछ भविष्यवाणी जैसे थी । विवेक इससे आश्चर्य हुआ था लेकिन फिर भी वह मन ही मन चाहता था कि यह भविष्यवाणी आवाज उसे सुनाई देती रहे । लेकिन आने वाले भविष्य में उसका जीवन कैसा मोड़ लेने वाला है यह उसे भी नहीं पता ।.....

...अगला भाग क्रमशः..



@rahul