पाकिस्तान की पनडुब्बियां Surjeet Singh द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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पाकिस्तान की पनडुब्बियां

व्यंग्य

पनडुब्बियों का कैसा-कैसा शौक!

- सुरजीत सिंह

कुछ लोगों की बकरी पालने की हैसियत नहीं होती और दिखावे के लिए घर में हाथी बांध लेते हैं। कुछ मुल्क भी इसी किस्म के होते हैं, जिन्हें अभी ठीक से मुल्क होने के नाते नाक पौंछना आया नहीं और मुल्क से लेकर मिसाइल, एटम, आतंकी सब रखने लगे। फिर कुछ संभलता नहीं, तो कटोरा लेकर दुनिया में उधार मांगते फिरते हैं। यही नहीं, लंपट शोहदों की तरह चौराहे पर खड़े होकर आती-जाती लड़कियों से छेडख़ानी करने से भी बाज नहीं आते। कोई पलटकर चांटे धर दे, तो यूएनओ को जाकर गाल दिखाते हैं। हद तो तब होती है, जब दूसरों की देखा-देखी मछली खरीदने की अदा से बिना भाव पूछे पनडुब्बियां भी खरीदने निकल पड़ते हैं।

हमारे पड़ौसी मुल्क पाकिस्तान को आजकल पनडुब्बियों से खेलने का ऐसा ही शौक चर्राया है। पिछले दिनों मियां नवाज ने न जाने किस पिनक में चीन से आठ पनडुब्बियां खरीदने का समझौता कर डाला। समझौता भी ऐसा-वैसा नहीं, एकदम मस्त, चकाचक सैद्धांतिक समझौता किया है! हालांकि पाकिस्तान के सैद्धांतिक समझौतों में सिद्धांतों की मात्रा कितनी होती है और विहीनता की स्थिति कितनी, यह हमसे ठीक भला कौन जान सकता है। वह हमारे साथ कई दफा सैद्धांतिक समझौता करता है और सीमा पर जाकर उसे तोडक़र अपनी औकात में आ जाता है। उसकी औकात अक्सर सीमा पर ही अनावृत्त होती है। पिछले दिनों रूस के उफा में भारत के साथ बातचीत शुरू करने का ऐसा ही सैद्धांतिक किया था, लेकिन अपने मुल्क लौटते ही सिद्धांतविहीन हो गया। इस कदर सिद्धांतविहीन हुआ कि इसकी सूचना भी उसने सीमा पर गोलीबारी कर के दी।

खैर, पाकिस्तान ने पनडुब्बी खरीदने का फैसला तो कर लिया है, लेकिन पाकिस्तान के सिद्धांत और चीन के आयटम, चल जाएं तो गनीमत समझिए। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि पाकिस्तान के सिद्धांत सीमा तक और चीन के आयटमों के बारे में तो कहा ही जाता है, चलें तो चांद तक, वरना शाम तक। खैर, पाकिस्तान की यही फितरत है, जो अब पनडुब्बी वाला भी होने जा रहा है। इसके बाद तो उसका अंदाजे-बयां ही कुछ ऐसा होने वाला है कि 'अब तो हम भी पनडुब्बी वाले हैं मियां! अपने समंदरों को अपनी हद में बांधकर रखियो।'

अभी तो यह सोचकर ही हंसी छूट पड़ती है कि पाकिस्तान के पास अरबों डॉलर की पनडुब्बियां भी होंगी। जरूर अमेरिका ने आतंक से निपटने के लिए पाक को डॉलर दिए होंगे या रोते को दिलासा दे दिया होगा कि हम तुम्हारे डॉलर छाप रहे हैं...पुच्च्! अमेरिका-पाकिस्तान उस अब्बा-बेटे की तरह हैं, जो अब्बा से कोचिंग-किताबों के नाम पर पैसे ऐंठता है और सिनेमा, रेस्तरां, गर्लफ्रेंड पर उड़ाता फिराता है।

वैसे मौजूं सवाल यह है कि पाकिस्तान इन पनडुब्बियों का करने वाला क्या है! जो अब तक अपने मुल्क का कुछ नहीं कर पाया है, आज तलक यह नहीं समझ पाया कि उसने मुल्क कायको बनाया, वह पनडुब्बियों का क्या करेगा! पनडुब्बियों को तो खैर अल्लाह ही बचाए कि उनके साथ क्या सलूक होने वाला है। जिस मुल्क की चाबी तक का पता नहीं, किसके पास रहती है, सरकार से पूछो, तो वह फौज की ओर याचना भरी निगाहों से देखती है, फौज आईएसआई को तकती है, आईएसआई तालिबान, हाफिज, अजमल, लखवी वगैरह से गुहार लगाती है, वहां पनडुब्बियां क्या चीज हैं भला!

हालांकि पाकिस्तान ने कहा तो है कि ये नेवी के लिए खरीदी जा रही हैं। इससे यह क्लियर हुआ कि अमां यार, पाकिस्तान के पास एक नेवी भी है। ये पाकिस्तान वाले भी न, ओसामा बिन लादेन की तरह नेवी को भी न जाने कहां छुपाकर रखते हैं! दिखाते हरदम सीमा पर फौज हैं और रखते नेवी भी हैं। यानी नेवी को बुर्कानशीं कर रखा है, फौज को बेशर्मी से उघाड़ रखा है। इस फौज पर अंतरराष्ट्रीय कानून, संधियों से लेकर लाज-शर्म तक के स्व नियम भी रत्ती भर लागू नहीं होते।

अभी तो पनडुब्बियां ससुराल की तरह नए समंदर में जाने के खयाल से ही इतरा रही होंगी। चीनी-पाकिस्तानी राष्ट्रपति की समधि मिलाप सी तस्वीरें देखकर तो लज्जा से जल-जल हो रही होंगी। इन पनडुब्बियों को अभी यह इल्म नहीं है कि पाकिस्तान में जाते ही इनका शौहर कौन होगा! बाद में पनडुब्बियां यह देखकर सिर धुनेंगी कि हाय! दिखाया क्लीन शेव्ड चेहरा और घूंघट हटाया तो दिखा दढिय़ल, जिसके बदन पर गोलियों की माला लिपटी हुई है। प्यार की बातों पर यह उड़ाने की धमकी देता है। फिर तो पनडुब्बियां रात के मंजर की कल्पना से सिहर उठेंगी। उफ्फ! सोचो, ऐसे में सुबह का आलम क्या होगा, यह सोचकर तो बेहोश ही हो जाएंगी!

आलम क्या होगा, आलम यह होगा कि खबर लगते ही दो-चार पनडुब्बियां तो हाफीज, अजमल, लखवी, दाऊद, टाइगर टाइप परमानेंट 'शोहर' ले उड़ेंगे। क्योंकि वहां उड़ाना ही पाकिस्तान और पाकिस्तान में होना है। मुल्क को सरकार हथियाती है। सरकार को फौज हथिया लेती है। फौज को आईएसआई या तालिबान दबोच लेते हैं। कभी-कभी अचानक कोई अय्यूब, याह्या, जिया, मुशर्रफ जैसा आदमी उठता है, जो सबको नीचे दाबकर तानाशाह बन जाता है। सो, खतरा तो पूरा है कि पनडुब्बियां किसी सिरफिरे के हाथ न लग जाएं। वरना समुद्र में उतरी और कुछ अता-पता भी न चले। पता चला, आतंकियों को घुसपैठ कराने गई थी और खुद ही घुसपैठ करते रंगे हाथों पकड़ी गई। पाकिस्तान में हर नई चीज को घुसपैठ के एंगल से ही देखा जाता है और रंगे हाथों पकड़े जाने पर मुकरना भी उसे खूब आता है। मुकरना उसका स्थाई स्वभाव है। यदि ऐसा हुआ, तो उसे अरबों डॉलर की पनडुब्बियों से हाथ धोना पड़ सकता है। वैसे उसे हाथ धोने की इत्ती भी परवाह नहीं है। जब पूरे मुल्क से हाथ धोने की कगार पर है, दुनिया में अपनी साख से हाथ धोने की कगार पर है, तो जनाब वहां पनडुब्बियां किस खेत की मूली हैं! पनडुब्बियां तो इनके लिए खेल-खिलौनों से ज्यादा न होंगी! वैसे चीन का भी क्या भरोसा, वास्तव में पनडुब्बियां देगा कि मन बहलाने के लिए खिलौने! जिसको मिले चाइना से माल, वहां 'मेड इन चाइना' भी कोई चीज होती है, यारों!

- सुरजीत सिंह,

36, रूप नगर प्रथम, हरियाणा मैरिज लॉन के पीछे,

महेश नगर, जयपुर -302015

(मो. 09001099246, मेल आईडी- surjeet.sur@gmail.com