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पंचमहल के साहित्यकारों का रचना संसार

पंचमहल के साहित्यकारों का रचना संसार

रामगोपाल भावुक

मो0 09425715707

वर्तमान में महाकवि भवभूति की तीन नाट्य कृतियाँ उपलब्ध हैं। पहली महावीरचरितम्, दूसरी मालतीमाधवम् तथा तीसरी उत्तररामचितम्। इनके अतिरिक्त शाड़्गधर पद्धति तथा सदुक्तिकर्णामृत में संग्रहीत कुछ सुभाषित पद्य भवभूति के नाम से मिले हैं, जो श्रृंगाररस से परिपूर्ण होने के साथ-साथ पारिवारिक जीवन तथा ग्रामीण जीवन का सुन्दर चित्र अंकित करते हैं। वर्तमान में भवभूति के साहित्य पर अनेक छात्र शोधरत हैं।

अब अपने क्षेत्र के आज से एक सौ पचास वर्ष पूर्व सम्वत् 1831 में ग्वालियर जिले के पिछोर में जिनकी कर्म स्थसली रही है। वे दतिया जिले के सेंथरी ग्राम में मुदगल परिवार में जन्मे संत साहित्य के रचियता संत कन्हर दास जी की बात करना चाहता हूँ-पंचमहल की माटी को सुवासित करने एवं पंचमहली बोली को हिन्दी साहित्य में स्थान दिलाने श्री खेमराज जी ‘रसाल’ द्वारा कन्हर पदमाल के 145 पदों को सम्वत् 2045 में प्रकाशित किया था एवं ‘पंचमहल की माटी’ सम्पादक नरेन्द्र उत्सुक के बारह पदों को छोड़कर मै रामगोपाल भावुक ने इस कार्य को आगे बढ़ाया और सन्1997 ई0 में उनके पदों को खोजकर इनके अतिरिक्त 632 पद और प्रकाशित किये हैं। इस तरह कन्हर पदमाल के 789 पद हम प्रकाशित कर चुके हैं। इसके कुल पदों की संख्या का प्रमाण-

सवा सहस रच दई पदमाला।

कृपा करी दशरथ के लाला।।

के आधार पर 1250 है। यह शास्त्रीय संगीत की अमूल्य धरोहर है। ‘पदमाल’ के नाम से ग्वालियर शोध संस्थान ने जीवाजी विश्व विद्यालय के सहयोग से 1052 पदों का प्रकाशन किया है।

हमें गर्व है इस साहित्य पर जीवाजी विश्व विद्यालय से डॉ0 नीलिमा शर्मा जी इस विषय पर शोध कर चुकी हैं।

अब हम संत कन्हर दास जी के परम प्रिय शिष्य संत मन्हर दास जी की बात करें। संत कन्हर दास जी के प्रमाणिक जीवन के लिये हमें मन्हर दास जी की कलम का सहारा लेना पड़ा है। उनका जीवन हमारे सामने आ सका है। इस दस्तावेज पर अभी विश्वविद्यालय की द्रष्टि नहीं पड़ी है। उनका एक दोहा यहाँ प्रस्तुत है-

तीस रागनी राग छः, रचि पदमाला ग्रंथ।

गुरु कन्हर पर निज कृपा, करी जानकी कंथ।।

मानिक चन्द्र श्रीवास्तव-करुणा के कवि रहे।

ऐसे ही करुणा निधान, बैल को जिवाय दीजे।

मैटिये कलंक-अंक, मानक ष्शरण आयो है।

इनके हमें केवल दोही पद उपलब्ध हो पाये हैं।

कालूखान पठान- वर्तमान में भितरवार तहसील के मस्तूरा गाँव में जन्में कालूखान पठान के हमें कुछ ही पद मिले है। उनका एक पद देखिये।

मुस्तक सफीका दिल दोस्त हूँ तेरा मैं,

बन्दे की है अर्ज गौर इस पर तो कीजिए।

काले का करार पडा, तेरे दरबार द्वार,

चाहू दीदार बे मुहब्बत न हूजिए,

हिन्दू का नाथ तो हमारा कुछ दावा नहीं,

जगत का नाथ तो हमारी सुधि लीजिए।।

राजा मीरेन्द्रसिंह जू देव ‘प्रेमानन्द’- वे इस क्षेत्र की मगरौरा गढ़ी के प्रसिद्ध राजा रहे है। वे एक सहृयी कवि भी रहे हैं। उनकी विरहिणी राधा एक प्रसिद्ध खण्ड काव्य रहा है। इसके अतिरिक्त रणबंका हमीर एतिहासिक परिवेश पर लिखा उपन्यास है। उनकी अनेक रचनायें भी है। मैथली शरणगुप्त जी उनके यहाँ आते रहे हैं। महाराजा उन्हें अपना गुरु कहते थे। इनके अतिरिक्त उनकी रचनायें निम्न हैं-कीर्ति- कौमुदी, नारद- मोह,आह्लादनी, प्रेम-सुधा, वीर-पद्मिनी, जाटों की दिल्ली विजय, सिंहनाद , पुकार एवं पिछोर दर्शन।

उनकी धर्मपत्नी रानी सत्यवती की कृति श्रृंगार मंजरी मेरे पास उपलव्ध है। इसमें संग्रहीत रचनायें भक्ति-भाव से ओत-प्रोत हैं। अधिकांश पद कृष्ण-लीला से सम्बन्धित हैं।

इन्हीं दिनों श्रीकृष्ण सरल जी राष्ट्र कवि के रूप में हमारे सामने हैं। सरल जी की यह क्षेत्र कर्म स्थली भी रहा है। वे प्राचार्य के पद पर सुशोभित रहे है। उनकी जन्म स्थली अशोक नगर है । आप से सारा देश परिचित है। आप राष्ट्र कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। सुभाष चन्द्र बोस आपका प्रमुख महा काव्य है। आप सवार्धिक महाकाव्यों के प्रणेता हैं।

डॉ0 गंगा सहाय प्रेमी- आपके साहित्यिक जीवन का प्रारम्भ यही रह कर हुआ। आप देश के प्रसिद्ध लेखकों में गिने जाते है। आपने चारों वेदों का भाष्य किया है। आप बहुत श्रेष्ठ कवि के रूप में जाने जाते हैं।

परम पूज्य हरिओम तीर्थ जी महाराज- आप की कलम स्वामी मामा के नाम से चलती रही है। संत अनुभव का दस्तावेज‘अपना अपना सोच’ देश- विदेश में चर्चित होता जा रहा है। यह साधकों के लिये साहित्यिक उपलब्धि है। आप श्रेष्ठ कवि -कथाकार एवं लेखक के रूप में जाने जाते हैं। आपकी देश-विदेश में प्रकाशित अनेक कवितायें चर्चित है ,

आपका ‘एक बुद्धजीवी पागल का सफरनामा’ पढ़कर हरिशंकर परसाई की याद आये बिना न रहेगी। यह व्यंग्य सग्रह आदमी के चित्त को झझकोर कर रख देता है।

नरेन्द्र उत्सुक- डबरा नगर को साहित्यिक बातावरण देने में उत्सुक जी नाम अग्रणी है। पंचमहल क्षेत्र के समस्त कवियों को खोजकर ‘पंचमहल की माटी’ में उन्होंने सम्पादित किया है।

वे देश की विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे। देश के कवि सम्मेलनों में उन्हें याद किया जाता रहा। उनकी स्मृति में उनकी रचनाओं का संकलन‘ ‘काव्य कुन्ज’ के नाम से राम गोपाल भावुक ने सम्पादित एवं मुक्त मनीषा संस्था डबरा ने प्रकाशित किया है।

चक्रेश ग्वालियरी-आपका पूरा नाम अयोध्या कौशिक चक्रेश था। आप इस क्षेत्र के जनवादी कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। आपकी रचनायें देश की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं हैं। कानून सो रहा है। आपका काव्य संकलन है। इसका सम्पादन डॉ0स्वतंत्र सक्सैना एवं वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ ने किया है।

डॉ0 राधेश्याम गुप्त- वे चिकिस्सक के रूप में प्रसिद्ध रहे। आपके जीवन के अनुभव प्रोढ़ अवस्था में कवि के रूप में फूट पड़े। वे जब गाते तो समा बध जाता था। डॉ0 राधेश्याम गुप्त समग्र के रूप में एक कृति हम सब के सामने है। जिसे नगर ने उनकी स्मृति में प्रकाशित किया है।

खेमराज ‘रसाल’-आपके प्रमुख संम्पादित कृति है ‘संत कन्हर के पद’। आपकी प्रकाशित कृमियाँ हैं-अर्चना,राघव सुभाव सौरभ, सीता सतीत्व सुधा, हनुमत चरित, अवध महिमा, प्रवचन नवनीत औा बाल्मीकि के चौदह आश्रम आदि हैं।

पं0 हर नारायण बोहरे-‘शिव ताण्डव स्तोत्र’एवं चर्पट पंजरिका जैसे विषयों पर ये आपकी कलम चली है। आप आशुकवि हैं। रम्भा शुक सम्वाद, भजन प्रसून माल,श्रीमद् भागवत माहात्मय, गौ माता चलीसा, तुलसीमाता चालीसा एवं श्री शाबर पंच चालीसा ,हरसिद्ध चालीसा एवं राम श्याम समतायण आदि आपकी कृतियाँ हैं।

पं0 हरचरण बैद्य जी-आपकी प्रकाशित कृतियाँहैं-मानस रोग एवं समाधान,श्री दत्तात्रेय ज्ञान दर्शन, देह आध्यात्म रामायण।

डॉ0 जमुना प्रसाद बड़ेरिया- आप ‘शोधयात्रा’पत्रिका के सम्पादक रहे हैं। आपकी प्रमुख कृतियाँ है-जय शंकर प्रसाद के नाटकों का राष्ट्रीयता की द्रष्टि से अनुशीलन,ऋषि चिन्तन के सान्धिय में पियूस, माया वर्मा के काव्य का वर्तमान संन्दर्भ में अनुशीलन।

अनन्तराम गुप्त-आप अनेकों लघु ग्रंथों के रचियेता हैं। वृहद हितायन एवं रत्नावली खण्डकाव्य आपकी चर्चित कृतियाँ हैं। श्री हित सुकुमारी लाल चरित वेलि, कवित्त विहार, सवैया संग्रह, हित उपमा विहार, श्री राधिका मंगल, श्री राधा चरितामृत, श्री राधा आख्यान, विहार के पद, दान लीला के सवैया,अष्टायाम के पद, वंशी प्रश्न्नोतरी, श्री राधा प्रधानता पच्चीसी, बंशी, श्री हित चतुराशी- सहयोगिनी, अलंकार विहार, रसिक दोहावली, मोर पक्ष दोहावली, व्रज रहस्य प्रश्न्नोत्तरी, प्रेम चौवीसी, वरसानों वर्णन, सेवाकुन्ज दोहावली, वृन्दावन के मन्दिर, वृन्दावन निर्माण दोहावली, वर्षोत्सव दोहावली,कृष्ण लीला-पात्रों के पूर्व प्रसंग, भाव राज्य, वृज यात्रा सुमिरन वेलि, अष्टक तथा स्तुति, द्वादस चालीसा, गो हित रूप लाल, चाचा चरितावली,आदि प्रकाशित पुस्तकें हैं।

आपकी अटठाइस पुस्तकें अनुवादित काव्य रचनायें हैं। इसके अतिरिक्त बीस काव्यसंग्रह भी उपलब्ध है। गुप्त जी अलक लडैंती शरण के नाम से भी लिखते रहे हैं। आपकी लघुकाय कुल छियासी कृतियाँ हैं।

रमाशंकर राय-इस नगर को साहित्यिक पहचान देने में आप अग्रणीय रहे हैं। आपको श्रेष्ठ वक्ता के रूप याद किया जाता रहेगा । इन दिनों आप अपने गृह निवास रेवतीपुर जिला गाजीपुर में निवास कर रहे हैं। आपके प्रधान सम्पादन में ‘परम्परा और परिवेश’ चर्चा में है। आपका काव्य संकलन है ‘कविता की ओर कुछ कदम’

प्रेमनारायण विलैया- नगर के बरिष्ठ कवि के रूप में आपकी पहचान है।

प्रो0 डॉ0 आनन्द मिश्र ‘पंचमहल की घरोहर’ आपका साहित्यिक सम्पादन है। आप देश के प्रसिद्ध इतिहास कारों में है। आपकी इतिहास पर अनेक शोध पूर्ण कृतियाँ प्रकाशित हैं।

रामगोपाल भावुक- प्रकाशित कृतियाँ- साम्राज्यवाद का विद्रोही, मंथन, बगी आत्मा, रत्नावली, भवभूति, महाकवि भवभूति, गूगा गॉंव, दमयन्ती, एकलव्य,आदि उपन्यास एवं व्यंग्य गणिका काव्य संकलन, मूर्ति का रहस्य बाल उपन्यास, दुल - दुल घोड़ी कहानी संग्रह आदि।

सम्पादन- परम्परा परिवेश, आस्था के चरण, कन्हर पदमांल, काव्य कुंज, मुक्त मनीषा आज और कल आदि।

रामगोपाल भावुक के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर जीवाजी विश्व विद्यालय में शोध कार्य डॉ0उर्मिला सिंह तोमर के निर्देशन में डॉ0 डोली ठाकुर कर चुकी है। इसके पूर्व डॉ0 सीता किशोर खरे ने अपने डी0 लिट0 के शोध में भी मंथन और बागी आत्मा उपन्यास का उपयोग किया है। भवभूति उपन्यास का भी अनेक शोधार्थियों द्वारा उपयोग किया गया है।

आपके एकलव्य उपन्यास पर धारावाहिक बन रहा है।

डॉ0 वी0 एन0 नागार्च- की चर्चित कृति ‘काँटे बीने फूल विखेरे’ है। आपका ‘मधुशाला’ खण्डकाव्य चर्चित रहा है।

लक्खूराम चहवरिया- आप बुन्देली के कवि के रूप में जाने जाते हैं। आपकी कृति शिवसहस्त्र नाम दोहावली सामने आ चुकी है। आपने साहित्य के क्षेत्र में हर कदम सोच समझकर रखा है।

सुरेश पाण्डेय ‘सरस’- आपकी ‘सरस प्रीति’ काव्यसंकल चर्चा में रहाहै। संकलन की ज्ञेयता उल्लेखनीय है।

वेदराम प्रजापति‘मन मनमस्त’- आपकी शव्दों पर पकड़ गहरी है। यदि किसी शब्द का अर्थ पूछना हो तो आपका नाम सामने आता है। आज श्रेष्ठ कवि के रूप में जाने जाते है। आपकी ‘अम्बेडकर शतक’ चर्चित कृति है। आपकी लोक संस्कृति पर पकड़ गहरी है। आपकी अन्य कृतियाँ है-किस्मत कुर्सी,सालवई गौरव, नीव के पत्थर, लवण सरिता, आओ मेरे गाँव और पंच महल की झलक आदिं है।

भागीरथ जाटव-पंचमहल की माटी के लाड़ले सिहोर ग्राम में जन्मे ,तहसीलदार के पद से सेवा निवृत होकर दतिया में निवास कर रहे हैं। आपकी कृति ‘बुद्धचरित’ने आपको कवि के रूप में पहचान दी है।‘वन्दना के स्वर’ प्रकाशित कृति है।

आर0 पी0 सक्सेना‘रज्जन’-सांईं चालीसा, सांई सौरभ,भारत की पाँच वीरांगनाएं एव काल कथानक प्रकाशित कृतियाँ हैं। ओरक्षा की नर्तकी राय प्रवीण, डॉ0 हरी सिंह गौर, गुजरी महल, हालांज्जली, गीत और गजलें,,सैन्य सुधा, रतन गढ़की देवी एवं राजनैतिक कुण्डलियाँ अप्रकाशित कृतियाँ उपलब्ध हैं।

सियाराम सर्राफ ‘नन्ना’- आपने जितना लिखा है ,राष्ट्रवादी विचार धारा से प्रेरित होकर लिखा है। आपकी प्रमुख प्रकाशित रचनायें हैं-कसक, बुन्देल वैभव, पूजा के फूल आदि।

ओम प्रकाश गुप्त‘चिन्तक’-‘ओ मेरे मन ’आपकी प्रकाशित कृति है।

श्रीमती कमला कदेले- आप महिला कवि के रूप में चर्चित रहीं हैं। आपकी अनेक प्रकाशित कृतियाँ हैं।

राजवीर खुराना ‘वरन्’-:शकुनी के पाँसे’ राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत कृति है। आपकी दूसरी प्रकाशित कृति है- ‘किसने छेड़े तार’एवं ‘शकुनी के पाँसे’ यह गीत एवं गजल संग्रह है। आपके शीध्र ही दो कृतियाँ प्रकाशन में है। आपकी‘रत्ना दीप जलाती है कृति चर्चा में है।

अमरजीत कौर‘रानीमान’-आपकी फुटकर काव्य रचनायें देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही र्ह। आपकी सम्पादित कृति उजाला।

धीरेन्द् गहलोत ‘धीर’- देश का जाना पहचाना नाम है। आपकी प्रकाशित कृति है‘मेरा हिन्दुस्तान मुझे फिर लौटा दो’ आप मधुर कण्ठ के धनी हैं।

डॉ0 स्वतंत्र कुमार सक्सैना- श्रेष्ठ व्यग्यकार, कविता, कहानी के अतिरिक्त आपके लेख भी सराहनीय होते हैं।

रमाशंकर चतुर्वेदी ‘आनन्द’-‘मंथन’ काव्य कृति चर्चित। आप व्यंग्य के कवि है। व्यग्य आपके मुँह झरता रहता है।

रतन सिंह परमार- केरुआ भितरवार निवासी हैं। आपका एक मात्र उपन्यास‘दूसरा सुहाग’ प्रकाशित रचना है।

प्रभूदयाल स्वर्णकार‘प्रभू’-पंचमहल क्षेत्र के नवोदित रचनाकार के रूप में अपना स्थान बना लिया है। आप व्यंग्य की पैनी धार के साक्षी हैं।

सत्य प्रकाश पाण्डेय- कवि के रूप में आप बन्दनीय है। आपकी अभी तक पाँच पुस्तकें‘ ‘सत्य बचनामृत’ भाग एक से पाँच तक हमारे सामने हैं। सारा साहित्य धार्मिक है।

प्रदीप चतुर्वेदी- आप संगीतमय रचनाओं का लेखन कर रहे हैं। आपकी अनेक रचनायें दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से प्रस्तुत की गई हैं।

इसके अतिरिक्त निम्न लिखित कवि भी चर्चा में- डॉ.परसराम माथुर ,राधेश्याम त्रिपाठी ‘शान्त’,बृजेश शर्मा‘बाबरे’प्रेमकवि, राम सिंह परमार, उमाशंकर अश्क, डॉ अवधेश कुमार चन्सौलिया श्रीमती राज्य लक्ष्मी भार्गव, अनिल जैन, छोटेलाल नन्ना, डॉ. खेमचन्द्र प्रजापति, परमानन्द शास्त्री, रामानन्द गुप्ता,डॉ. बालकृष्ण पाठक, बालाप्रसाद श्रीवास्तव‘बाल’ बालाप्रसाद शुक्ला‘बालक’,रामरतन श्रोत्रिय ,साधना सोनी विजयशंकर श्रीवास्तव, राधेश्याम श्रीवास्तव हरनाम सिंह शाक्य, जगदीश पाण्ड़े‘ आनन्द’ ओम प्रकाश सेन ‘आजाद’, आदित्य राजौरिया‘अजनवी’,,,श्रीमती कुसुम रायकवार एवं बन्दना दुवे, राम स्वरूप परिहार‘अचल’ नेमीचन्द अग्रवाल, अतुल त्रिपाठी, डॉ.लक्ष्मी नारायण शर्मा देवेश तिवारी ,श्याम श्रीवास्तव‘सनम’ देवेन्द् सगर‘सागर’, अनिल शर्मा ‘अनन्त’, दिनेश कुमार वर्मा ,अर्चना सगर‘मधु’ दीपक शर्मा, श्याम कुमार चतुर्वेदी वीर सिंह जगदीश वावू खत्री, छन्नूलाल चतुर्वेदी, राकेश माहेश्वरी‘ काल्पनिक’,रामजी शरण छिरोलिया, राजेन्द्र कंदेले, प्रमोद वर्मा अशोक कुमार गुप्ता बृजमोहन श्रीवास्तव, वीरेन्द् झा, डॉ. महिमा माहेश्वरी तथा बाल कवि निपुण माहेश्वरी, एवं हर्ष तिवारी आदि

पंचमहल की इसी परम्परा और परिवेश के ‘मुक्त मनीषा कल और आज’ में इसे सरसब्ज करने का प्रयास किया है।

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पता- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूति नगर, जिला ग्वालियर म.प्र. 475110

मो 0 -09425717707

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