में और मेरे अहसास - 29 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 29

ढ़ाई को ढाई रहने दो l

ना कम ना ज़्यादा होने दो ll

 

बीत गया सो बीत गया l

दिल का चैन ना खोने दो ll

 

सिख लो हंसाना खेलना l

प्यार में जीने दो सोने दो ll

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दुआ करो इश्क मुकम्मल जो जाए l

रश्क करने वाले बस देखते रह जाए ll

 

रिस्तों मे उलझ गये हैं जिंदगी अब l

कहे तो किसे कहे, जाए तो कहां जाए ll

 

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रिश्ता ग़र दिल से है l

तो परवरिश भी उसकी दिल से कीजिए ll

 

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गुलाबों सी महकती रहे तू सदा l

शराबो सी बहकती रहे तू सदा ll

 

सावन के रिमझिम से मौसम में l

बदलीओ सी बरसती रहे तू सदा ll

 

 

विशाल जहा मे कोई नहीं तेरे जैसा l

दिलों दरिया में सरकती रहे तू सदा ll

 

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प्यार से प्यार की शुरुआत करे l

दिलों को मिलाकर मुलाकात करे ll

 

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गुलाब को गुलाब देने की गुस्ताखी मत करना l 

शबाब को शराब देने की गुस्ताखी मत करना ll

 

मुहब्बत की भाषा ग़र समझ सकते होतो l

हुस्न को जबाव देने की गुस्ताखी मत करना ll

 

पीने आए हो तो पीकर चले जाओ चुपचाप l

म्हेफ़ील मे आदाब देने की गुस्ताखी मत करना ll

 

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प्यार के शुरुआत की बात है l

मोहब्बत के आगाज़ की बात है ll

 

मनमोहक धुन सुनाई दे रहीं हैं l

धड़कन मे बजते साज की बात है ll

 

कई बार लबों पे आते रूकी हुई l

वो दिल मे छुपी राज की बात है ll

 

 

त्यौहार में पीला सा खिल उठा है l

बसंती हुश्न के अंदाज की बात है ll

 

टूटकर चाहने वाला ग़र मिल जाए l

अनदेखा बेनामी हमराज़ की बात है ll

 

एक पल नज़रों से ओझल ना होने दे l

प्यार मे मिली परवाज़ की बात है ll

 

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प्यारी यादों का मौसम आया है।

भीनी भीनी सी खुशबू लाया है।

 

उनके साथ बिताए हुए लम्हो की l

बहके हुए अहसासों को लाया है ll

 

महकते बसंत के प्यारे से दिनों में l

दिल में घने बादलों का साया है ll

 

जहां भी देखों फूल ही फूल बिछे है ll

फ़िजाओ मे दीवानापन छाया है ll

 

ख्यालों में बसा करते हैं हर पल जो l

उसे दुआ मे मुद्दतों के बाद पाया है ll

 

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हमारी याद नहीं आई है जब तक l

देखते है दूर रह सकोगे कब तक ll

 

रूह की गहराईयों में बस चुके हैं l

दिल ने बगावत करी होगी अब तक ll

 

मयस्सर सब कुछ नहीं होता चाहने पर l

इतना मत इंतजार ना करो तलब तक ll

 

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तेरा हाथ थामकर लो चल पड़े है l

सबकुछ छोड़कर निकल पड़े है ll

 

देखकर मेरी की आँखों मे अश्कों को l

बड़े बड़े पत्थर आज पिघल पड़े है ll

 

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इंतज़ार

 

तेरे आने का इंतज़ार कब से है l

दिल बारहा बेक़रार कब से है ll

 

शायद देखा अनदेखा कर रहे हो l

आँखों से छलकता प्यार कब से है ll

 

हम को समज ने कोशिश तो करते l

हमारी मुहब्बत का इक़रार कब से है ll

 

अफ़सोस है बेवफ़ाई का तुम्हारी मुझे l

इश्क़ मे तुम्हारी नादार कब से है ll

 

तुम्हारी मुहब्बत मे अमीर बन गये हैं ll

ये दिल मेरा शुक्रगुज़ार कब से है ll

 

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पास अपने बुला क्यों नहीं लेते हो ?

वो रूठा है मना क्यों नहीं लेते हो ?

 

बड़ी बेरंग सी जीए जा रहे हो कब से l

जिंदगी रंगीन बना क्यों नहीं लेते हो ?

 

हर किसी के लिए वक्त है आपके पास l

खुद के लिए चुरा क्यों नहीं लेते हो ?

 

गिला जो कुछ भी हो दौड़ कर उसे l

सीने से लगा क्यों नहीं लेते हो  ?

 

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शिद्दत से प्यार उसी से होता है l

जो हाथ की रेखाओं मे नही होता है ll

 

बस नासमझी मे हो ही जाता है l

प्यार किसी सीमाओं मे नही होता है ll

 

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दिल मे यादों की बदली छाई है l

बारिस के मौसम में तन्हाई है ll

 

इख़्तियार मे नही होठों को l

आँखों में छलकती सच्चाई है ll

 

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आप गुमसुम ना रहा कीजिये l

राज दिल का हमें भी बताइये ।।

 

कायम ही खुश रहने का हुनर l

ज़रा हमे भी सीखिए सिखाइये ।।

 

महफिलों मे बहोत उम्र बिताई l

वक्त हमारे लिए भी बचाइये ।।

 

हम तो पहले से ही आगे बढ़े हैं l

दो कदम आगे तुम भी बढ़ाइये ।।

 

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तेरी आखों का नशा हू मैं l

तेरी बातों की अदा हू मैं ll

 

लो पर्दा कर लिया ख़ुद से l

तेरी रज़ा मे राज़ी हू मैं ll

 

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साथ पल दो पल का नहीं l

उम्रभर का चाहिए ll

हम बाहें फैलाए बैठें है l

तुम्हारी हाँ चाहिए ll

 

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राहो मे फूल बिछाया कीजिए ll

दिल से दिल मिलाया कीजिए ll

 

अपनों से धोखे बहोत खा लिए l

खुद से दोस्ती निभाया कीजिए ll

 

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