मे और मेरे अह्सास - 24 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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मे और मेरे अह्सास - 24

होश

 

तुम्हें पा लिया है l
फ़ायदा किया है ll

होश खो रहे हैं l
जाम जो पिया है ll

चैन पा लिया है l
होठो को सिया है ll

दूर तुम क्या गये ?
सब्र खो दिया है ll

साथ तेरे मेने ll
हर लम्हा जिया है ll

 

जिंदगी

 

मौत खुद आती नहीं है जिंदगी के सामने l
लो खुदा भी झुक गया है बंदगी के सामने ll

गूँजता है शोर खामोशीओ का फिजाओ मे l
पल दो पल भी टिक सके ना दिल्लगी के सामने ll

आदमी खुद बन गया है जानवर जैसा देखो l
जानवर की क्या तुलना आदमी के सामने ll

 

नजर

 

नजर भी तुम l
नज़रिया भी तुम ll

शब्द भी तुम l
ग़ज़ल भी तुम ll

साँस भी तुम l
जान भी तुम ll

रास्ता भी तुम l
राह भी तुम ll

रात भी तुम l
चांद भी तुम ll

याद भी तुम l
ख्वाब भी तुम ll

  

भीग ने को तैयार है l
तू बरसना शुरू कर ll

बारबार नहीं आएगे l
तू गरजना शुरू कर ll

 

दरिया

 

पीने को दरिया भी पी जाए ग़र तुम कहो तो l
खाने को ज़हर भी खा ले ग़र तुम कहो तो ll

आज कल किसी और की बाते अच्छी लगती है l
सीने को होंठ भी सी ले ग़र तुम कहो तो ll

बहुत सही बेरुखी पर अब ना सह पाएगें l
जाने को जंहा से भी चले जाए ग़र तुम कहो तो ll

 

याद

 

आज फिर यादों ने डेरा डाला है l
पीना मना है फिर भी नशे मे हूं ll

ठुकराओ के प्यार करो अब हमें l
जीना मना है फिर भी नशे मे हूं ll

हंसे हुए एक जमाना बीत गया है l
रोना मना है फिर भी नशे मे हूं ll

 

महफिल

 

यादों की मंडी लगीं है l
वादों की मंडी लगीं है ll

हुश्न की महफिल मे आज l
रागों  की मंडी लगीं है ll

बड़े दिनों के बाद चाँदनी l
रातो की मंडी लगीं है ll

 

तन्हा तन्हा

 

उम्र युही गुज़र जाएगी तन्हा तन्हा l
यादो मे गुज़र जाएगी तन्हा तन्हा ll

सांसो का सफर है ये जिंदगी भी l
आँखों मे गुज़र जाएगी तन्हा तन्हा ll

वो चांदनी चौक की सुहानी यादो की l
रातों मे गुज़र जाएगी तन्हा तन्हा ll

 

आँख

याद लपकी है l
आँख टपकी है ll

बात खटकी है l
रात भटकी है ll

साँस छटकी है l
जान अटकी है ll

 

पर्दा

 

अपने किरदार पर डालकर पर्दा l
सब कह रहे हैं जमाना खराब है ll

खुल्ले आम घूम रहे हैं बिन पर्दा l
सब कह रहे हैं जमाना खराब है ll

अब बड़े बूढ़ों का नहीं करते पर्दा l
सब कह रहे हैं जमाना खराब है ll

फेशन के नाम फाँट दिया पर्दा l
सब कह रहे हैं जमाना खराब है ll

नया जमाना नये रूप में पर्दा l
सब कह रहे हैं जमाना खराब है ll

 

 

चांदनी

 

यादो को सँभाले रखा है l
वादों को सँभाले रखा है ll

चांदनी मे मस्त डूबी हुईं l
रातों को सँभाले रखा है ll

यमन, काफ़ी, कल्याणी l
रागों को सँभाले रखा है ll

तुम तक जाती हुईं सभी l
राहो को सँभाले रखा है ll

चंद गिने चुने जाने वाले l
यारो को सँभाले रखा है ll

 

साँस

 

याद क्यों बार बार आती है l
चैन छीनकर जी जलाती है ll

साँस रुक गई है हमारी, जां l
कैद है, बंधी जिंदगानी है ll

बैठ जाता है दिल ख़यालों मे l
फोन पे खबर उसकी आती है ll

जिंदगी बसर हो रही है, वो l
सुकूं के दो पल ले जाती है ll

 

समंदर

 

जीतना जी चाहे सता ले तू l
अंत मे तो बाज़ी हमारी है ll

यादो का समंदर भी छलकेगा l
दिल खुशी के मारे लो मलकेगा ll

देखना तुम्हें जब जब चाहेंगे l
राहो मे हमारी ही भटकेगा ll

गर हम ना दिखे देख लेना जां l
रात दिन दीदार को तरसेगा ll

 

जाम

 

जाम सी मुहब्बत कर तू मुजे l
यार सी मुहब्बत कर तू मुजे ll

चांदनी मे बदलो का पर्दा हटाकर l
चाँद सी मुहब्बत कर तू मुजे ll

राधा मीरा से मिलन की तड़प l
श्याम सी मुहब्बत कर तू मुजे ll

 

याद उसे किया जाता है जिसे भूले हो  l
तुम तो मेरी रग रग मे जो समाये हो  ll

कहते हैं पर्दा करके रहा करो हुस्न परी l
लो सुनो, तुम मेरी लिए कहा पराये हो ll

 

दस्तूर

 

मौका है, दस्तूर भी है l
प्यार के दो पल जी ले ll

महफ़िल मे छुप छुप के l
आँखों से जाम पी ले ll

तकाज़ा है वक्त का l
होठो को आज सी ले ll