eklavy ki katha- harishankar adesh avm nAROTTAM MISHRA books and stories free download online pdf in Hindi

एकलव्य की कथा -प्रो.हरिशंकरआदेश and डॉ. नरोत्तम मिश्र

प्रो.हरिशंकरआदेश,

कुलपति

अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ हिन्दू नॉलिज़, अमेरिका।

कनाडा

दूरभाष 1 416 281 1904 20.5.2012

प्रिय बंधुवर श्री राम गोपाल भावुक जी ! जय भारत ।

परश्व उपसंहारोन्मुखी यामिनी में जब दूरभाष की घंटी घनघनाई तो हम प्रगाढ़ निद्रा-ग्रस्त थे। उस समय यहां प्रातःकाल के साढ़े तीन बजे थे। किन्तु एक संगीतकार होने के कारण मेरे श्रुति-पटल में दूरस्थ ध्वनित स्वर-श्रवण की क्षमता अभी शेष है। अतः निद्रा में ही मैंने कहा- यह श्री रामगोपाल जी का फोन है। मेरी धर्मपत्नी ने आप से कहा कि प्रतीक्षा कीजिये। परन्तु आपने फोन रख दिया था। यहां पर मैं एक तथ्य का उदघाटन कर ही दूं कि मैं दो-तीन वर्ष से अधिक अस्वस्थ हूं। अतिरिक्त औषजन के प्रभाव से श्वास-प्रश्वास क्रिया संभव है। उसी के बल पर अवशेष जीवन का आनन्द ले रहा हूं। निद्रा के लिए एक यंत्रा लगाकर सोना पड़ता है। अतः उसे उतारने में कुछ क्षण लग ही जाते हैं। अस्तु, मैं समझ गया था कि आपने अभी एकलव्य उपन्यास को जी मेल पर प्रेषित किया है। अतः मैंने आपसे दूर भाष पर वार्तालाप किया। उपन्यास पाकर धन्य हो गया। तदर्थ धन्यवाद। कल एक ही बैठक में आद्योपान्त पढ़ गया। कुछ विचार मस्तिष्क में आविर्भूत हुए। लिख रहा हूं।

हे बंधु ! मिला आपका अनूप उपन्यास।

मैं पढ़ गया एक बार में ही रोक अपनी सांस।।

1

भाषा में आपकी है सरल स्वस्थ सा प्रवाह,

पढ़कर जिसे मन कर उठा है स्वयं वाह-वाह,

शब्दों के अर्थ स्पष्ट हैं, बाधक नहीं समास।।

2

अपने विषय में बोलता है स्वयं हर चरित्रा,

अभिव्यक्ति-पृष्ठभूमि में हर भाव है पवित्रा,

अति रम्य कथानक है रचा आपने इतिहास।।

3

एकलव्य की कथा में पड़े हैं कई ही मोड़,

हर मोड़ ही लगता है मुझे स्वयं ही बेजोड़,

डाला है आपने प्रत्येक मर्म पर प्रकाश।।

4

एकलव्य का कैसे हुआ था बंधु ! पर्यवसान,

कैसे हुआ था भंग गाण्डीव का भी मान,

मुझको नहीं था सत्य में अधुनापि रंच भास।।

5

अनमोल कृति है आपकी, कहता हूं निर्विवाद,

लेखन औ’ प्रेषणार्थ है भावुक जी धन्यवाद,

संभव हो, भेज दीजिये, अब अन्य उपन्यास।।

आपका उपन्यास पढ़कर महाभारत के इस खण्ड का समुचित ज्ञान हुआ। एकलव्य के अतीत एवं यशस्वी वर्त्तमान को महाभारत की मूल कथा में सतर्क संयुक्त कर देना, आपके अगाध अध्ययन, चिंतन, मनन तथा समाहार शक्ति का परिचय देता हेैं। आपका दृष्टिकोण कथानक को आकर्षक बना देता है। उपन्यास रोचक, प्रवाहमय तथा तत्युगीन प्रवृत्तियों का दर्पण है। भाषा का सारल्य एवं प्रवाह प्रशंसनीय है। अपने लक्ष्य की सिद्धि में सफल उपन्यास-लेखन के लिए बधाई स्वीकार कीजिये। अन्य उपन्यासो को भी प्रेषित कीजिये। अपने इष्ट-मित्रों को मेरी ओर से नमन एवं शुभकामनायें प्रादान कीजिये।

शुभकामनाओं सहित -

महाकवि प्रो. हरि शंकर आदेश।

टिप्पणी- मेरे विषय में esjs fo"k; esa Prof. H.S.Adesh.com esa i<+ में पढ़ सकते हैं। यदि मुझे देखना और सुनना चाहें तो esa songs of Prof H.S.Adesh or Jahaji Bhaie/ Ek Sau Pachaas Varsh Beet Gaye/ Tumhein Jane Din Kee/ SadguruChalisa of Prof. H.S.Adesh esa ns[kकमेी में देख सुन - सकते हें।

2

म.प्र. शासन

डॉ. नरोत्तम मिश्र

विधायक

सचेतक भा.ज.पा. विधायक दल म.प्र. विधानसभा, भोंपाल

दिनांक 22.12 2000

पूज्य अग्रज भावुक जी

सादर प्रणाम

आपके द्वारा सप्रेम भेंट कृति‘भवभूति’ का अध्ययनकिया। इसके पूर्व आपके द्वारा रचित कृति‘रत्नावली’का भी अध्ययन किया। आप डबरा नगर के ही नहीं इस सम्पूर्ण क्षेत्र क उन साहित्यकारों में सें एक हैंें जिन्होंने इस माटी को अपने माथे पर मलकर, इसकी कोख में सुरक्षित रखे गये गौरव पूर्ण इतिहास कारे हिन्दी साहित्य से जोड़कर जिस प्रकार से प्रस्तुतकियाहैकिवहअनुकरणीयहै।

‘भवभूति’ हमारे पूर्वज थे।उन्होंने प्राचीन भारत में जिस क्षेत्र पर साहित्यस का सृजन किया, नाटकों का मंचन किया, देश -विदेश से आये विध्यार्थियों का मार्ग दर्शन प्रदान किया, वपही क्षेत्र आपकी जन्मस्थली एवं कर्म स्थली रहास है और यही कारण है कि आपकी अर्न्तमन प्रेरणा जागी और आपने डबरा नगर के नाम को‘भवभूति नगर’ करने का जो संकल्प लिया ? वह संकल्प पूर्ण हो, ईश्वर से मेरी प्रार्थना है। इस पुण्य यज्ञ में मेरी भी आहूति निश्चित लगेगी, यह विश्वास आपको दिलाना चाहता हूँ।

आपकी कृतियाँ पढ़कर ऐसा लगता है कि उसकी बिषय वस्तु, उसकें पात्र क्षेत्र का सजीव बर्णन, उसके ऊपर स्थानिय भाषा के पुट ने चार चाँद लगा दिये है।

यह कृतियाँ देश- विदेश में अबापका ही नहीं भवभूति नगर(डबरा नगर) का नाम भी स्थापित कर रही ह उसके लिये आप साधुवाद कें पात्र हैं।

आपकी कृपा सदैव बनी रहे, इस बिश्वास के साथ।

आपका अनुज

डॉ. नरोत्तम मिश्र

विधायक डबरा

मिश्रा मेडीकल हाल, जवाहर गंज डबरा(ग्वालियर प. प्र.0

115/6 शिवाजी गर , भोपाल म. प्र.

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