safarnama books and stories free download online pdf in Hindi

सफरनामा

सफरनामा-

कभी कभी मेरे दिल मे ख़्याल आता है,की जैसे तुझको बनाया गया है,मेरे लिए...की धीमी आवाज़ में रेलवेस्टेशन के बाहर लाउडस्पीकर में संगीत बज रहा हैं.

स्टेशन के अंदर डिस्प्ले में गाड़ी नम्बर और समय दिख रहा है,यात्रीगण कृपया ध्यान देवें...
यहाँ से वहाँ जाने वाली गाड़ी-यहाँ से वहाँ के लिए फलाने प्लेटफॉर्म नम्बर में इस समय आने वाली है।

भारतीय समाज का एक बहुसंख्यक तबका जो रेलवे स्टेशन के बाहर बैठे कटोरा लिए.रोटी और पैसे की गैरकानूनी याचना कर रहे हैं. ये मजबूरी है या व्यापार बस कभी-कभी ही इस विषय को लोग गम्भीरता से सोचा करते हैं.पूरा माज़रा ही अलग-थलग दिखाई पड़ता है।

रेलवे स्टेशन का हर स्थान बेहद उपयोगी होता है इस बात का पुख्ता सबूत देता,पिल्लू के गमछे को अस्थाई चादर बनाकर जमीन में लेटा यम्मु दे रहा है.जो बैग को तकिया बनाकर सुकून की नींद ले रहा है,रेल के तेज भोंपू की आवाज़ भी यम्मु की नींद में कोई बाधा उत्पन्न नहीं कर रही है,यम्मु तो मानों घोड़े बेचकर सोया हो.

यह एक बात है कि यम्मु के पास अपना गधा भी नही है,बस दो गायें थीं.जिसे दूर के गाँव मे भेज यम्मु आज दूसरे शहर को जाने के लिए अपनी निर्धारित रेलगाड़ी के इंतज़ार में नींद के आग़ोश में खोया हुआ हैं।

शिब्बू अपने चचा के बेटे को स्टेशन छोड़ने आया है, क्योंकि यह भारतीय अपनेपन का जीवंत उदाहरण भी है कि घर आये मेहमान को स्टेशन तक छोड़ने आना भी एक अपनी तरह की परंपरा रही है,जो वक्त,लोग और समाज के मिज़ाज की तरह तेज़ी से बदल रही है।

शिब्बू का मन भी हो रहा है कि चचा के लड़के वीरू के साथ वे भी खुशीपुर जाए,क्योंकि शिब्बू ने सुना है कि खुशीपुर माया नगरी है वहाँ बड़े-बड़े लोग रहते हैं,फिल्मी दुनिया के लोग भी यहाँ रहते हैं,और यहाँ कइयों सिनेमा घर हैं,और खास बात तो शिब्बू के मन को खुशीपुर की ओर आकर्षित कर रही है,वहाँ की सुंदर-सुंदर लड़कियाँ.

शिब्बू गाँव से दूर अपने चचा के लड़के वीरू को मिनीपुर के रेलवे स्टेशन में छोड़ने आया है,जो उनके गाँव रानीघाट से 120 किमी दूर है,पूरे 6 घण्टे का सफर तय कर दोनों "पंडितएक्सप्रेस" मिनी बस से आये हैं,पूरे 44 रुपये किराये देकर चचा, शिब्बू को वीरू को स्टेशन छोड़ने भेजे हैं।

शिब्बू भी वीरू के साथ जाना चाहता है,लेकिन खुशीपुर में सब नहीं रह सकते,वहाँ हर बात के पैसे जो लगते हैं।
वीरू पढ़ाई के लिए गाँव से दूर जाने वाला जनपद का पहला लड़का है,जो अब शहर में पढ़ाई करेगा.

वीरू बहुत होशियार लड़का हैं,गणित में पूरे 50 में 50 नम्बर लाकर जनपद भर में सुर्खियाँ बटोरा था,आज इसीलिए जनपद के मुखिया जी उसकी पढ़ाई का खर्चा उठाकर उसे कलेक्टर बनने के लिए,शहर भेज रहे है।

ऐसे में शिब्बू तो बस ख्याली पुलाव पका सकता है,वहाँ ऐसा होगा-वैसा होगा,समय - समय की बात है।
सबके लिए भगवान एकदम से सुविधा का भंडार नहीं खोलता,शिब्बू को भी इंतज़ार है कि इस बार वह भी खूब मेहनत करेगा और वीरू जैसा बनेगा,नम्बर लाएगा.

शिब्बू और वीरू एक साथ पढ़ाई करते थे लेकिन शिब्बू का लड़की चक्कर भी था इसीलिए एक क्लास में फेल हुआ तो वीरू से एक क्लास पीछे हो गया।

लेकिन अब शिब्बू वीरू को देख उसके जैसे नम्बर लाने के लिए मेहनत कर रहा है।...

वीरू की 14377 नम्बर की गाड़ी स्टेशन में रुकी और गाड़ी 7 मिनट रुकने के बाद छुक-छुक करते तेज़ी से बढ़ती उससे पहले वीरू शिब्बू के गले लगा है,आँखे नम हैं,चेहरे में एक अनोखी सी चमक लिए,आँखों से निकलते आँसू मोती से प्रतीत हो रहे हैं।

और अब वीरू गाड़ी में जाकर बैठा खिड़की से शिब्बू को देख ही रहा है कि गाड़ी छुक-छुक करते आगे बढ़ते जा रही है।...

- तेज साहू


अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED