तुम्हें जो पसंद है...
उगते और डूबते हुए सूरज को देखना, उड़ती हुई पतंगों को देखना और... और गोल गप्पे खाना तुम्हें कितना ही पंसद है। गर्मी के दिन में दिनभर शाम का इंतज़ार और शाम के बाद सुबह का इंतज़ार कितनी ही सुखद अनुभूति होती है। वैसे ज्यादा गर्मी न तुम्हें पंसद है और न ही मुझे. बाकी इन दिनों मैं शाम होते ही छत पर दौड़े चला आता हूँ। गर तुम जान गई कि मैं शाम होते ही दौड़ते हुए, छत चढ़ता हूँ। तुम डाँटते हुए कह दोगी, अब से छत ही नहीं जाना है। सो बाबा जो कहा बस आधा ही सच मनाना तुम।
जब मैं कहता हूँ, सूर्योदय और सूर्यास्त देखना कितना पसंद है तुमको, तो तुम कहती हो - तुमको देखने से भी ज्यादा! तब मुझे रश्क होने लगता है और सोचता हूँ काश कि मैं सूरज होता! तुम तो मेरे हिंदी बोलने पर भी खूब मज़े लेती हो। गुरु जी क्या आज आपने भी सूर्योदय देखा ? तब मुझे तुम पर अधिक हँसी आती है। कितनी ही क्यूट लगती हो तुम यार नकल करते वक्त। ऐसे नकल करते रहना कहते हुए तुम्हें गले लगा लेने का मन करता है। बाकी रुक जाते हैं, जब तुम कहती हो तुम तो इतने आदर्शवादी हो बाबा। विवाह पूर्व आलिंगन भी नहीं लग सकते। मन तो करता है कह दें तुम्हें कि आलिंगन करने का हमारा भी उतना ही मन होता है, जितना कि तुम्हारा। लेकिन मौन रहना भी कभी - कभी बेहतर होता है।
छत आकर सूर्यास्त देखना और तुम्हारे ख़्वाबों में खो जाना कोई आम बात नहीं है। लेकिन आज तो गज़ब हुआ चांद और सूरज एक साथ दिख रहे थे और आकाश में पतंगे उड़ रहें थीं, मैं तो आज चांद देखने में ज्यादा ध्यान दे रहा था। जब तुम्हें सूर्योदय और सूर्यास्त मुझसे ज्यादा पसंद हो सकते हैं तो जाओ मुझे भी आज चांद को देखना ज्यादा अच्छा लगा, जब मुझे चांद में भी तुम ही नज़र आईं।
आज तो हमने खूब सारे गोल गप्पे खाए हैं, इतने की जब दिमाग में जोर लगाया तो गिन पाए पूरे 21 गोल गप्पे। हमने कितनी ही बार साथ में गोल गप्पे खाए हैं लेकिन आज बहुत दिनों बाद तुम्हारे बगैर खाना हुआ। तुम पास तो नहीं लेकिन साथ ज़रूर थी, कैसे ? 21 में से सात गोल गप्पे मैंने खाए और बाकी के हमारे अंदर चढ़े तुम्हारे भूत ने। वैसे तुमने आज 14 गोल गप्पे खा लिए, बाज़ार में ठेले वाले गोल गप्पे तो मिलने से रहे, रूम में ही ले आये थे पैकेट भर और एक पेस्ट था फिर उसमें जलजीरा पानी भी बना लिए और कुकर में मटर और आलू उबाल कर उसी में बढ़िया आलू चना बना लिए और फिर प्याज के साथ दोस्त और हम खाते गए, अब ऐसा नहीं कि खाने के समय तुम्हें भुला दिया था ऐसा होता तो 21 नहीं 7 ही खा पाते। जब ध्यान गया दिन ढलने वाला है भागते हुए छत आया। फिर जो नज़ारा था आकाश में क्या था बताता हूँ।
आगे का नज़ारा तो और भी मनोरम है, पता है सामने क्या है ? एक पेड़ है उसमें खिले हैं गुलमोहर के फूल।
अब हम कह सकते हैं कि जो हम दोनों को ही बहुत पसंद है वो है... गुलमोहर का फूल 🌸
खुले आसमान में जो पतंग उड़ रही थीं न वो चिड़ियों की आज़ादी के बदले है लगता है। जिस छत पर मैं हूँ उस से दो छत दूर की मुंडेर पे एक कन्या कानों में इयरफोन लगाकर खूब मुस्कुरा कर बातें कर रही है।
तुम्हें जो पसंद है...
छत की मुंडेर पर चिड़ियों के लिए दाना - पानी डालना, गमलों में पानी डालना, उगते और ढलते हुए सूरज देखना और... और ये सब करते समय तुम्हारी यादों में होना।
- ये तुमने मुझे पत्र लिखकर कहा था।
- तेज साहू